में मिलाया गया मलयागिरि चन्दन पाउडर मन-मस्तिष्क के संताप, दुःख, बेचैनी, घबराहट, रात को नींद न आना, डर, भय-भ्रम, चिन्ता को ऐसे हर लेता है
जैसे अग्नि कचरे को जला देती है। जाने चन्दन के 11 गुणधर्म और लाभकारी परिणाम जानकर हैरान ही नहीं आनंदित हो जाएंगे….
कौटलीय अर्थशास्त्र:अधिकरण-२
प्रकरण-२७, अध्याय-११ में
मलयागिरि चन्दन के एकादश गुण
बताए गए हैं-
【1】लघु स्निग्ध अश्यान अर्थात चन्दन काफी समय तक सूखता नहीं है।
【2】सर्पिस्नेहलेपी यानि शरीर को घी की तरह चमकने वाला
【3】गन्धसुख (सुगन्धयुक्त)
【4】त्वगनुसारी से आशय है-
त्वचा के भीतर शीतलता प्रदायक
【5】अनुल्बण अर्थात बिना फटा
फटी त्वचा को चमकाने वाला
【6】अविरागी यानि स्थायी गन्ध एवं
वर्ण का गौर करने वाला
【7】उष्णसह: मतलब- देह की अग्नि शांत कर ठंडक देने वाला
【8】दाहग्राही अर्थात- तनबकी गर्माहट शांत करने में सहायक
【9】सुखस्पर्श अर्थात- तन मन को सुखद अनुभव देकर मन हल्का करता है।
【10】मानसिक संताप नाशक
【11】ईश्वर प्रेरक भगवान से जोड़कर मन्त्र जाप में सहायक।
चन्दन राहु को अतिप्रिय है।
दक्षिण भारत में कालसर्प दोष
की शांति के लिए राहुकाल में शिंवलिंग
पर चन्दन का लेपी किया जाता है।
राहु को बारे में ज्यादा जानने के लिए
अमृतम पत्रिका के पुराना ब्लॉग पढ़ें..
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पढ़ने योग्य हैं
अमृतम चन्दन लेप का फार्मूला….
(१) चन्दन मलया गिरी
(२) चन्दन इत्र
(३) केसर
(४) रक्त चंदन पाउडर
(५) अगर
(६) हरिद्रा ब्राह्मी
(७) शंखपुष्पी
(८) गुलाब इत्र
(९) जटामांसी
(१०) बहु सुगन्धि
(११) कपूर
महादेव के ग्यारह रुद्रावतार हैं।
शिवरहस्योउपनिषद के अनुसार
इन 11 रुद्रों को अलग-अलग सुगन्ध प्रिय
होने से भोलेनाथ की प्रसन्नता हेतु
अमृतम चन्दन में मिश्रित की गई हैं।
केसर के फायदे….
धर्मिक अनुषणों, अनुष्ठानो में केसर का सर्वाधिक उपयोग करने की परम्परा वैदिककाल से चली आ रही है।
माथे पर केसर का तिलक लगाने
के होते हैं इतने फायदे….
वैसे तो गुरु ग्रह की शांति, कृपा के लिए
केसर का टीका माथे पर लगाना लाभकारी होता है। साथ ही धन वृद्धि के लिए
माँ महालक्ष्मीजी का ध्यान कर केसर युक्त चन्दन का तिलक लगाने से सफलता शीघ्र मिलने लगती है। शुभ समाचार मिलते है।
मुख्यद्वार पर शुद्ध केसर युक्त अमृतम चन्दन से स्वास्तिक बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मात्र माथे पर केसर तिलक करने से पूरे तन में निखार आने लगता है। शिथिल नाड़ियों में ऊर्जा का संचार करने से यह यह स्वास्थ्यवर्धक भी है।
ग्रह-नक्षत्र शांति हेतु भी चमत्कारी है।
जटामांसी से लाभ...
आयुर्वेद के एक प्राचीन शास्त्र भावप्रकाश में जटामांसी की बहुत ही ज्यादा प्रशंसा की गई है। मानसिक विकारों को मिटाने में जटामांसी के बराबर अन्य कोई द्रव्य दुनिया में दूसरा नहीं है। इसे त्रिकालद्रष्टा ऋषि चन्दन, केसर कपूर में मिलाकर उपयोग करते थे। यह सम्मोहन प्राप्ति में सहायक है।
अभी और भी द्रव्य-घटक की जानकारी शेष है, जिसे अगले लेख में दी जाएगी
फिलहाल तो कुछ समय मानसिक शांति के लिए स्नान के बाद अपने माथे पर तिलक या त्रिपुण्ड के रूप में 7 दिन लगाकर अमृतम चन्दन के चमत्कारों का अनुभव एवं एहसास करें। एक बार मंगवाकर देखें।
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एक बात विशेष ध्यान देवें....
बहुत पुरानी कहावत है
बिना विचार, जो करे-
वह पीछे पछताय...
गुगल या मीडिया पर दी गई कोई भी जानकारी में सन्दर्भ या पुस्तक, ग्रन्थ का नाम न हो उस बात पर बिल्कुल भी भरोसा न करें। गूगल पर बहुत सारा ज्ञान मनगढ़त पड़ा हुआ है।
सावधान रहें जरा भी गलत, झूठी, भ्रमित जानकारी बिना सन्दर्भ के विश्वसनीय नहीं होती। इससे भारी नुकसान हो सकता है। अमृतम पत्रिका के सभी लेखों में ग्रन्थ, पुराण, पुस्तक, उपनिषद आदि का सन्दर्भ अवश्य दिया जाता है। अमृतम द्वारा लिखे गए लेख ज्ञान-विज्ञान की कसौटी पर खरे होते हैं। जैसा वेद, ग्रँथन ने बताया, हम सरल भाषा और वैज्ञानिक तरीके से उसे प्रकाशित कर देते हैं।
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पढ़ते रहिये
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