हर दर्द की दवा है महाकाल के मोहल्ले में !!

  • सभी बीमारियों की वजह है तनाव और तनाव से तन की नाव डूब जाती है। तनाव मिटाने के लिए भाव से भरे रहें। स्वच्छ भाव से हर अभाव दूर होगा। भोले के भजन गाओ और आनंद पाओ। बीपी सहित सारी बीमारी शरीर से साफ होने लगेंगी। वर्तमान जीवन में लगभग सभी लोग तनाव में हैं। दिमाग का ये रोग अब गांव तक पहुंच गया है।

लगातार 15 दिन तक उदास रहने से आ सकता है। अवसाद या डिप्रेशन।

  • कम उम्र की महिलाओं में रजो:निवृत्ति यानि मेनोपॉज का कारण भी डिप्रेशन है। अवसादग्रस्त स्त्री पुरुषों को भयंकर नकारात्मक विचार आते हैं, सोच निगेटिव बन जाती है। धड़कन तेज और नींद भी कम आती है। डिप्रेशन का शर्तिया इलाज आयुर्वेद, अध्यात्म, ध्यान, प्राणायाम और कोर परिश्रम डिप्रेशन की पहचान किसी रक्त/ब्लड अथवा रेडियोलॉजिकल जांच या टेस्ट से नहीं की जा सकती। हैं।

 

जरूरत से ज्यादा सोचना, सोना, रोना ठीक नहीं

  • महिलाओं में ओवरथिंकिंग यानि ज्यादा सोचना एक गंभीर समस्या है। अनावश्यक मंथन, चिन्तन से चिंता का जन्म होता है। ऐसी स्त्रियों को हमेशा कोई न कोई चिंता बनी रहती है। फिर, आता है चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन और किसी काम में मन नहीं लगता। अतः अवसाद से बचने के लिए दिन में सोना तुरंत त्यागें।

हर दर्द की दवा है गोविंद की गली में

  • डिप्रेशन का स्थाई समाधान है भोलेनाथ का ध्यान, मंत्रजाप।
  • सूर्य उपासना।
  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर छत या पार्क में घूमना।
  • सुबह की धूप में बैठकर मालिश करना।
  • अपने अंदर बैठे डर को भगाना। सदैव व्यस्त रहना।
  • धार्मिक किताबों का अध्ययन करना।
  • अपने विचार व चिन्ता साझा करना।
  • ईश्वर के समक्ष रोकर स्वयं को हल्का करना।
  • मोबाइल, टीवी और फालतू बातों से दूर रहना।
  • अवसाद को क्लिनिकल परीक्षण से भी जाना जा सकता है।
  • डिप्रेशन मिटाने के लिए इस ब्लॉग को एकाग्रता से पढ़ें।
  • गारंटी से निजात मिलेगी।करीब 35 प्राचीन पुस्तकों से प्राप्त यह जानकारी जीवन में बदलाव के लिए प्रेरक तत्व साबित होंगी और आत्मविश्‍वास बढ़ाने वाली बातें आपको डिप्रेशन से राहत प्रदान करेंगी।
  • श्रीमद्भागवत गीता में निष्काम कर्म का संदेश अवसाद, तनाव, डिप्रेशन दूर करता है। गीता का यह ज्ञान, आप में जान डाल देगा
  • जब व्यक्ति बिना फल की इच्छा के क्रम करेगा, तो वह न कभी व्यथित, दुःखी होगा और न कभी भटकेगा। इसलिए जीवन में जब भी फुरसत मिले, तो गीता का अध्ययन अवश्य करें।

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