गणेश चतुर्थी को बनाएं-गिलोय युक्त गुड़ के मोदक/लड्डू…

35 तरह के रोगों का विनाशकारी मोदक।  सँक्रमण रोगों को मिटाने वाला आयुर्वेदिक गुडुची मोदक (लड्डू) जिसे खुद भी खाएं औऱ गणपति जी को भी अर्पित करें।
बेहतरीन इम्युनिटी बूस्टर होते हैं– गुड़-मेवा के लड्डू

उत्सव के समय घर-घर में बहुत ही उत्साह के साथ एवं उत्तर भारत में गुड़-मेवा के लड्डू ज्यादा प्रचलित हैं। ये लड्डू जन्माष्टमी के समय सोंठ – मेवा, गणेश चतुर्थी को गुड़ के मोदक तथा मकर संक्रांति के दिन तिल और मूंगफली डालकर बनाए जाते हैं।

एक विशेष स्वास्थ्यवर्धक जानकारी-पहलीबार जिससे आप भी स्वस्थ्य रहेंगे और बरसेगी श्री गणेशजी की अटूट कृपा——-

निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें….

गुड़ के लड्डू बनाने की विधि-

कटोरी नारियल बुरादा 50 ग्राम

कटोरी बादाम टुकड़ा 50 ग्राम

छुहारे बारीक़ कटे हुए 100 ग्राम

मखाने टुकड़े 50 ग्राम

काजू टुकड़े 100 ग्राम

किसमिस 100 ग्राम

चिरौंजी 25 ग्राम

मगज तरबूज बीज 100 ग्राम

खसखस दाना 50 ग्राम

गोंद टुकड़ा 35 ग्राम

देशी घी 300 से 500 ग्राम

उपरोक्त सभी मेवा देशी घी में पाककर

गुड़ कुटा हुआ 1किलो

गुड़ की चाशनी में मिलाये।

बचा हुआ देशी घी लड्डू के समान में ही मिला लें। गुनगुना रहने पर

इलायची पाउडर 10 ग्राम

केशर एक ग्राम,

अमृतम मुलेठी चूर्ण 20 ग्राम

अमृतम त्रिकटु चूर्ण 50 ग्राम

अमृतम आंवला चूर्ण 50 ग्राम

मिलाकर अपने घर पर ही लड्डू बनाएं।

सेवन विधि-

एक लड्डू रोज दूध के साथ सुबह लेवें।

इसे भोजन के साथ भी लिया जा सकता है।

वातरोगों एवं थायराइड में यह विशेष लाभप्रद है।

गुड़ तेरे नाम अनेक-

आयुर्वेद में गुड़ को अमृतम कहा गया है।

संस्कृत : गुड (शाब्दिक अर्थ : ‘गेंद’)

बंगाली, असमिया, ओडिया, भोजपुरी, मैथिली,

नेपाली : भेली

राजस्थानी : गोल गूल

मराठी : गुळ

उर्दू, पंजाबी : गुड़

सिन्धी : गुढ़ (ڳُڙ)

कोंकनी : गोड

मलयालम : शर्क्करा या चक्कर

गुजराती : गोल (ગોળ)

कन्नड : बेल्ल (ಬೆಲ್ಲ)

तेलुगु : बेल्लम् (బెల్లం)

तमिल : वेल्लम् (வெல்லம்)

सिंहल : हकुरु (හකුරු)

पढ़े अमृतमपत्रिका

गुड़ और गुड़ के लड्डू खाने के क्या फायदे हैं?

गुड़ के 35 से अधिक फायदे होते हैं-

गुड़ एक अमृतम् औषधि है। गुड़ गुणों की खान है। यह उदर के गुड़ रहस्यों-रोगो का नाशक है।

कैसे बनाएं- इम्युनिटी बूस्टर गुड़-मेवा के लड्डू—

गुड़ गन्ने के अतिरिक्त खजूर से भी बनाया जाता है। खजूर का गुड़ भारत में मुख्यतः पश्चिम बंगाल और इसके आस पास के क्षेत्रों में प्रचलित है। इसे ताल गुड़ भी कहते हैं।

आयुर्वेद ग्रन्थ वनस्पति कोष, आयुर्वेदिक चिकित्सा, सुश्रुत संहिता, भावप्रकाश, आयुर्वेद निघण्ठ़ आदि में गुड़ की विशेषताओं का विस्तार से वर्णन है।

【१】गुड़ गन्ने (ईख) के रस से निर्मित होता है। ईख तन के कई दोशो का दहन करता है।

【२】प्राकृतिक पेट पीड़ाहर दवा है।

【३】 गुड़ में मौजूद तत्व तन के अम्ल (एसिड) को दूर करता है

【४】 जब चीनी के सेवन से एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे शरीर में हमारी व्याधियों से घिर जाता है।

【५】गुड़ के मुकाबले चीनी को पचाने में पाँच गुना ज्यादा ऊर्जा व्यय होती है।

【६】गुड़ पाचनतन्त्र के पचड़ो को पछाड़ भोजन पचाकर पाचनक्रिया को ठीक करता है।

【७】पुरानी कठोर कब्ज के कब्ज़े से मुक्ति हेतु रोज रात्रि में 15-20 ग्राम गुड़ 200 मि.ली जल में उबालकर 40-50 मि.ली रहने के उपरान्त चाय की तरह पीना हितकारी है।

साथ में अमृतम टेबलेट का सेवन करें 10 दिन के लगातार प्रयोग से कब्जियत पूरी तरह मिट जाती है। भूख खुलकर लगती है।

【८】महिलाये खाने के साथ या बाद गुड़ खाये, तो शरीर के विशैल तत्व दूर होते है।

【९】गुड़ से त्वचा मे निखार आने लगता है।

सुन्दर स्वस्थ त्वचा तथा झुरियाँ मिटाने के लिए 3 महीने लगातार नारी सौंदर्य माल्ट दूध या जल से सेवन करें।

【१०】सुंदरता बढ़ाने के लिए नारी सौन्दर्य तेल की प्रत्येक बुधवार शुक्रवार और शनिवार पूरे शरीर की मालिश करें, तो भंयकर खूबसूरती में वृद्धि होती है।

【११】 गन्ना मूत्र वर्धक होने से गुड़ मे भी यही विशेषता पाई जाती है।

【१२】 गुड़ पेशाब समय पर लाने में काफी सहायक है। जिन्हें रूक-रूक कर पेषाब आती हो, वे चीनी की जगह केवल गुड़ का इस्तेमाल करें।

【१३】मूत्र सम्बधी समस्या और मूत्राशय की सूजन मिटाने हेतु दुध के साथ लेवें।

【१४】गुड़ निर्बल कमजोर शरीर वालो के लिए विशेष हितकारी है।

【१५】10 ग्राम गुड़़ में 5 ग्राम अमृतम् सहज चूर्ण, नीबू का रस, काला नमक मिलाकर लेवें

साथ ही अमृतम् माल्ट का एक माह सेवन करें तों रस-रक्त, बल -वीर्य की वृद्धि होती है।

【१६】 हिचकी मिटाने हेतु 5 ग्राम गुड़ में चुटकी भर सोंठ पाउडर या अदरक के रस की 2-3 बूदें एवं एक चम्मच अमृतम गुलकन्द मिलाकर लेवें।

【१७】 माइग्रेन मिटाने हेतु गुड़ का घी के साथ सेवन करें या अकेला ब्रेनकी गोल्ड माल्ट और ब्रेनकी गोल्ड टेबलेट लेवें।

【१८】गाजर मे गुड़ मिलाकर हलुआ खाने से तेज दिमाग होता है।

【】 एसिडिटी नाशक गुड़ – 10 ग्राम गुड 5 ग्राम अमृतम त्रिकटु चूर्ण चूर्ण ठण्डे जल में घोलकर आधा नीबू निचोडे इसे थोड़ा- थोड़ा पीते रहें।

【१९】बवासीर नाशक गुड़ – बवासीर तन की तासीर और तकदीर खराब कर देता है। इससे मुक्ति हेतु 200 ग्राम पानी में 10 ग्राम गुलाब के फूल, एक चम्मच अमृतम हरड़ चूर्ण, जीरा, अजवायन, सोंफ, सौठ़ ये सभी 2-2 ग्राम डालकर उबालें 100 ग्राम जल रहने पर इसमे 20 ग्राम गुड़ मिलाकर पुनः उबालें 40-50 ग्राम काढा रहने पर रात में गर्म-गर्म पीने से बवासीर/अर्श/पाइल्स रोग नष्ट होते है। 7 दिन में मस्से सूखने लगते है।

【२०】तत्काल लाभ हेतु पाइल्सकी माल्ट सुबह-शाम 1-1 चम्मच लेवें।

【२१】पुरानी से पुरानी खाँसी-जुकाम से राहत हेतु गुड़, अदरक, लोंग, जीरा, कालीमिर्च, मुनक्के, हल्दी का काढा बनाकर सुबह खाली पेट लेवें

【२२】गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है।

【२३】गुड़ रक्त की कमी को दूर कर रक्तचाप को सामान्य करता है। दिल की बीमारी होने से रोकता है।

【२४】गुड़ में चीनी से ज्यादा खनिज-लवण होते हैं।

【२५】भोजन के पश्चात हाजमा दुरुस्त करने के लिए गुड़ जरूर खाना चाहिए।

【२६】गुड़ आँखो के लिए अमृत है।

【२७】गुड़ लड़कियों को मासिकधर्म की परेशानियों भी राहतकारी है।

गुड़ के प्रयोग से प्रदूषण, कोयले और सिलिका धूल से होने वाली फेफड़ों की क्षति को रोका जा सकता है।

【२८】कान का दर्द, थकान मिटाने हेतु यह अद्भुत है। ध्यान देवें गर्मियों में गुड़ का सेवन पूरे दिन में 15-20 ग्राम से अधिक न करें।

【२९】शुगर के मरीज़ चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें तो किडनी सुरक्षित रहती है।

【३०】भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है।

गुड़ के ज्योतिषीय उपाय…

【३१】 मंगल की पीडा से पीडित प्राणी को गुड़ का दान अति शुभ लाभकारी है।

【३२】हडिड्यों को बलशाली बनायें गुड़…

इसमे केल्शियम के साथ फॉस्फोरस भी होता है, जो हडिड्यो को मजबूत बनाने में चमत्कारी है। अमृतम आर्थोकी गोल्ड माल्ट गुड़ युक्त ओषधि है।

【३३】आँवला मुरब्बा, सेब मुरब्बा, और अनेक जडी-बुटियों के काढे़ में गुड मिलाकर निर्मित होता है। यह भंयकर वातविकारो का विनाषक है। आर्थोकी गोल्ड माल्ट के निरंतर सेवन से बहुत से वातविकार हाहाकार कर तन की पीड़ा का पलायन हो जाता है।

【३४】सभी तरह की मेवा को देशी घी में पकाकर, मसाले युक्त गुड़ के लड्डू बनाकर खाने से इम्युनिटी मजबूत होती है।

【३५】गुड़, गिलोय मेवा युक्त लड्डू/मोदक के एक

महीने सेवन से उदर के अनेक विकार दूर हो जाते हैं। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विशेष कारगर हैं।

भावप्रकाश, व्रतराज एवं आयुर्वेद चिकित्सा आदि ग्रन्थों में लिखा है कि-जब सूर्य गोचर में सिंह तथा कन्या राशिगत हों, तब सूर्य संक्रमित हो जाता है। इस दरम्यान संस्सआर में बीमारी, महामारी का भय रहता है। रोग अधिक फैलते हैं। अतः इस आयुर्वेदिक मोदक या लड्डू का सेवन जीवनीय शक्ति में भारी वृद्धि करता है।

मोदक कब तक खराब नहीं होते
 5 से 7 दिन तक इन लड्डुओं का कुछ नहीं बिगड़ता। इसलिए इसे इतना ही बनाये,जितना उपयोग कर सकें।
 ओषधि मोदक कौन-कौन खा सकता है
 इस मोदक को स्त्री-पुरुष, बच्चे,बुजुर्ग कोई भी
 खा सकता है। इसे बिना बीमारी के भी लिया जा सकता है। यह आयुर्वेद की  संक्रमण नाशक अमृतम ओषधि है। इसे स्वास्थ्य रक्षक ओषधि के रूप में जीवन भर लिया जा सकता है। यह मोदक स्वास्थ्यवर्द्धक,तो है ही-साथ ही अनेक रोगों का नाशकर्ता,विध्नहर्ता भी है।
आयुर्वेद के खजाने से-
व्रतराज” एवं “आयुर्वेद और पर्व
सर्वहितकारी ओषधियाँ,
आयुर्वेद में मोदक का महत्व
आदि नामक पुस्तकों में हर्बल ओषधियों के मिश्रण से करीब 100 से अधिक मोदक(लड्डू) बनाने की विधियों का उल्लेख है।
यह अमृतम आयुर्वेदिक मोदक 22 तरह की ज्वर से जुड़ी पुरानी बीमारियों का शर्तिया इलाज है।
इन बीमारियों को मिटाता है
◆ डेंगू फीवर,
◆◆ स्वाइन फ्लू,
◆◆◆ चिकिनगुनिया,
◆◆◆◆ वायरल फीवर,
◆◆◆◆◆ मलेरिया,बुखार,
◆◆◆◆◆◆ संधिशोथ,
◆◆◆◆◆◆◆ थायराइड,
◆◆◆◆◆◆◆◆ शिथिलता,सुस्ती,आलस्य
◆◆◆◆◆◆◆◆◆अकारण चिन्ता,
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆मानसिक अवसाद
 आदि अनेक रोगों से यह अमृतम औषधि मोदक रक्षा करता है।
इस मोदक का नियमित सेवन किसी भी सीजन या
मौसम में कर सकते हैं। यह योगवाही ओषधि है।
योगवाही क्या होता है ? इसकी जानकारी पिछले लेखों में पढ़ सकते हैं।
 
क्यों लाभकारी है गुडुची मोदक-
 ■ पाचन तन्त्र मजबूत होता है।
 ■■ मेटाबोलिज्म सुधरता है।
■■■ जीवनीय शक्ति जागृत करने में सहायक है।
■■■■ रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक है।
पुस्तकों को प्रणाम-
धन्वन्तरि कृत-आयुर्वेदिक निघण्टु
लेखक-आयुर्वेदाचार्य प्रेम कुमार शर्मा
(प्रसिद्ध साहित्य आयुर्वेद आचार्य एवं भारतीय
जड़ीबूटियों तथा ओषधियों के शोधकर्ता)
ने इस ग्रन्थ में मोदक को स्वास्थ्य तथा तन की तंदरुस्ती के लिए बहुत ही ज्यादा हितकारी बताया है।
रोगाधिकार
● गुडुची मोदक के सेवन से कोई रोग नहीं होता।
●● जीवनीय शक्ति जाग्रत करता है।
●●● रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि कारक है।
●●●● बुढ़ापा बहुत देर से आता है।
●●●●●जल्दी बाल सफेद नहीं होते।
●●●●●●बाल कभी झड़ते नहीं है।
●●●●●●●पतले या दोमुहें नहीं होते।
●●●●●●●●विषम ज्वर,मलेरिया,बुखार के लिए यह रामबाण हर्बल मोदक (लड्डू) है। इसके नियमित सेवन से 22 प्रकार के विषम ज्वर नष्ट हो जाते हैं।
★ यह वातरक्त,रक्तदोष संधि दोष नाशक है।
★★ नेत्र ज्योति तीव्र होती है।
★★★ यह मोदक सर्वोत्तम रसायन है।
★★★★ चमत्कारी त्रिदोष नाशक है।
स्वस्थ्य रहकर 100 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं।
अनेक अज्ञात संक्रमित रोगों को उत्पन्न नहीं होने देता।
22 तरह ज्वर का अन्त करने के कारण इस मोदक को ज्वरान्तक मोदक भी कहा गया है।

क्या आपको पता है?
प्राचीन काल में हर्बल लड्डुओं (मोदक)का बहुुुत चलन
था। तन को तंदरुस्त बनाने के लिए इसका निर्माण अनेक आधि-व्याधि नाशक जड़ीबूटियों,ओषधियों के योग से होता था।
क्या है गुडुची,गिलोई या गिलोय-
अमृतम ओषधि,गुडुची के अन्य नाम गिलोय,अमृता,अमरबल्ली आदि हैं ।
गुडुची के उपयोग,सेवन-विधि,परहेज
आदि की सम्पूर्ण जानकारी पिछले लेखों में दी जा चुकी है। अमृतम की वेवसाइट पर गुडुची या गिलोय के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
क्या सावधानी बरतें- 
रात्रि में दही,जूस,रायता,अरहर की दाल,सलाद आदि का सेवन न करें।
आपकी सुविधा के लिए-
यदि उपरोक्त हर्बल मोदक बनाने में असमर्थ हैं,तो  गिलोई या गुडुची,गिलोय चिरायता,कालमेघ,सुदर्शन,काढ़ा,सेव,आँवला मुरब्बा,गुलकन्द,त्रिकटु, त्रिफला आदि
50 से अधिकओषधियों के मिश्रण
से निर्मित
अमृतम फ्लूकी माल्ट का सुबह खाली पेट
गुनगुने दूध से 2 से 3 चम्मच तक एवं रात्रि में खाने से पहले लेवें। यह 22 प्रकार के विषम ज्वर,संक्रामक रोग-बीमारियों को मिटाने में सहायक है।
फ्लूकी की माल्ट – शिथिलता,सुस्ती,
आलस्य एवं हठ धर्मी विकार मिटाने में सक्षम है।

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