एक मन्त्र-जो 16 तरह की भयंकर
दुःख-तकलीफों से तुरन्त राहत देता है–
!!यह कथा शिवमहापुराण की है!!
भगवान शिव के परम भक्त श्री वृषभ देव
यानि नन्दीजी ने महादेव से जानना चाहा कि
“हे नीलकण्ठ भोलेनाथ!”
【१】जब कोई व्यक्ति बहुत कष्ट में हो अर्थात उसकी चारों और से दुर्गति हो रही हो,
【२】हर रात में बुरे सपने आते हों,
【३】भुखमरी वाली स्थिति हो,
【४】उसके जीवन में अनेकों ताप-उत्पात
उत्पन्न हो गए हों,
【५】उसका जीना मुशिकल हो,
【६】जो व्यक्तिहर पल मरने की सोच रहा हो,
【७】उसे बीमारियों ने घेर लिया हो,
【८】सभी लोग भय-भ्रम में डालकर भयभीत कर रहे हों,
【९】उस पर कर्जे का अंबार हो, ऋण से डूबने की संभावना हो।
【१०】किसी की औलाद गलत संगत तथा कुकर्मों में पड़ गई हो।
【११】सन्तति, बच्चों की वजह से दुःखी परेशान हो।
【12】टोने-टोटके, जादू या तन्त्र से कोई पीड़ित हो।
【१३】जिसको हमेशा अपयश का भय हो।
【१४】दुष्ट विचार, रोग-विकार, दुर्भावना से पीड़ित हो।
【१५】ग्रह-नक्षत्रों की पीड़ा हो,
【१६】मानसिक चिंताएं, विकार, सन्ताप
तो इन सब मुसीबतों से उस प्राणी को तत्काल छुटकारा एवं लाभ कैसे मिलेगा।
सर्वदुःखानां नाशक सृष्टि के एक मात्र स्वामी सदाशिव ने शिवरूप नन्दीनाथ को एक रहस्यमयी मन्त्र बताया और कहा कि- जो कोई भी अथाह दुःख, परेशानी,
कष्ट के समय चलते-फिरते,
उठते-बैठते जिस भी अवस्था में नीचे लिखे मन्त्र का मात्र 5 बार ही
“पंचमुखी शेषनाग” का ध्यान करते हुए जपेगा, उसका दुख केवल एक घड़ी यानि 24 मिनिट में तत्काल दूर होकर उसमें आत्मविश्वास की वृद्धि होगी।
उस व्यक्ति को परेशानी से मुक्ति के
उपाय या रास्ते मिलने लगेंगे।
यह शिव वचन और गुरुवाणी है,
जो कभी व्यर्थ नहीं जाता।
मन्त्र निम्नानुसार है-
दुःस्वप्न-दुश्शकुन-दुर्गति-दौर्मनस्य-
दुर्भिक्ष-दुर्व्यसन-दुस्सह- दूर्यशांसि।
उत्पात-ताप-विषभीत-समदग्रहार्ती-
व्याधिंश्च नाशयतु मे जगतामधीश:
!!२७!! शिवपुराण
उपरोक्त श्लोक का अर्थ इस प्रकार है-
हे जगधीश्वर- हे बाबा शेषनाग-
● मेंरे बुरे स्वप्न यानि सपने,
● बुरे अपशकुन,
● बुरी गति-दुर्गति,
● मन की दुष्ट भावना,
● दुर्भिक्ष, भुखमरी,
● दुर्व्यसन, बुरी आदतें,
● साहस एवं आत्मबल में कमी,
● अपयश, विभिन्न उत्पात,
● वाद-विवाद,
● सन्ताप, मानसिक चिंताएं,
● विष का भय, भ्रम, शंका,
क्रूर ग्रहों की पीड़ा और
सभी तरह के क्लेश तथा
रोग-बीमारियों का तुरन्त नाश करें
यह सदगुरू का लिखा हुआ वचन है।
आदेश है।
विशेष निवेदन-
यदि इस मंत्र के चमत्कारी परिणामों से
आप संतुष्ट हों, तो किसी भी गुरुवार को
धन्यवाद स्वरूप किसी शिव मंदिर की साफ-सफाई कर अमृतम द्वारा निर्मित राहुकी तेल के 5 दीपक पीपल
के पत्ते पर उड़द की खड़ी दाल, काली तिली के ऊपर पांचों दीपक रखकर जलावें।
मात्र 5 गुरुवार राहुकी तेल के दीपक शिवालय में जलाने से बहुत ही शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
मन्त्र की विशेषता
◆ ऊपर लिखा हुआ यह श्लोक अत्यंत दुर्लभ, परन्तु चमत्कारी है।
◆ इस श्लोक का प्रभाव अमोघ है।
◆ बड़े से बड़े संकटों को समाप्त करने
में सिद्धहस्त यह मन्त्र परम् कल्याणकारी है।
◆ धन वृद्धिकारक उपायों का धर्मशास्त्रों में विस्तार से वर्णन है।
◆ सफलता के अनेकों सूत्र मन्त्रमहोदधि नामक अति दुर्लभ और प्राचीन ग्रंथ में उपलब्ध है।
◆ ज्योतिष के द्वारा कैसे करें भाग्योदय
यह जानने के लिए
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