19 नबम्बर को है-नर दिवस अर्थात “मेन्स डे” पर सभी पुरुषों को अमृतम पत्रिका परिवार की तहेदिल से शुभकामना। जाने- इस ब्लॉग में क्रियाशील दिमाग का दम-खम

  • पार्ट-2/ भाग दूसरा
 
गर्मी हमारे जुनून में है…
हमने भी
ज़िंदगी में बहुत धक्के खाये,
तब जाकर पता चला कि-
गर्मी न तो जून में होती है
न ऊन में होती है, न खून में होती है,
और ना ही सुकून में और ना ही न चून (रोटी) एवं नून में होती है
होती है। गर्मी, तो केवल
जुनून में होती है। बस एक बार किसी
aim-उद्देश्य को पूरा करने का जुनून आ जाये, तो सफलता निश्चित मिलती है।
किसी शायर ने आत्मबल वृद्धि
के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है-
खुद को कर बुलन्द इतना,
हर तकदीर से पहले,
खुदा वन्दे से पूछे, 
बता तेरी रजा क्या है।
दिमाग किसी में कम नहीं होता,
बशर्ते वे बस, ठान ले।
दिमाग में डिम यानि ठंडी-आग होती है
इसमें कर्मों की आहुति डालकर, हवा फूंकने की जरूरत है ….
★ शान्तनु नारायण,
★ सत्य नाडेला और
★अजय बंगा, ये तीनो भारतीय मूल के क्रियेटिव माइंड मर्द हैं। ये इसलिए मर्द हैं क्योंकि इन ने दर्द झेला है।
पढ़िए- इनके पुरुषार्थ की कहानी…
सन्सार को सदमार्ग दिखाने वाली कम्पनियों में ये तीनो भारतीय अपना कमाल दिख रहे हैं और माल भी कमा रहे हैं।
नामी-ग्रामी संस्थाओं में सीइओ के पद पर रहकर अपने माइंड के मैथड तथा एक्टिवनेस से साबित कर दिखाया कि- किसी भी भारतवासी का
मस्तिष्क अभी वासी या पुराना नहीं हुआ है।
हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने 2019 में दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने सीईओ की सूची जारी करते हुए बताया है कि-
एडोब के शान्तनु छठे नम्बर पर हैं और
मास्टर कार्ड के सीईओ अजय बंगा
सातवे स्थान पर तथा
माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय सीईओ
सत्य नाडेला विश्व में 9 वे नम्बर पर हैं।
इन तीनो हस्तियों का मानना है कि-
मेहनत से सन्सार नतमस्तक हो जाता है।
संघर्ष से सब सम्भव है।
केवल आईडिया को क्रियाशील करने वाला मर्द अपने हर दर्द-गर्द मिटा सकता है।
पुरुष दिवस पर उन मर्दों को नमन है,
जो हजारों दर्दों को सहकर भी अपने
काम में लगे हैं
 “पुरुषार्थी पुरुषों” को प्रणाम ….
प्रेरणा प्रदान करने वाला एक
प्रलेख, जो परमात्मा को भी पसंद
आएगा क्योंकि….

19 -११ – १९

का दिन आत्मविश्वास से भरे लोगों के लिये खास है।

जाने…मर्दों की खास बातें।
इस लेख का प्रारम्भ प्रथ्वी के प्रथम
पुरुष से करेंगे। क्योंकि आज की युवा पीढ़ी को यह जानना बहुत जरूरी है।
महादेव की महानता…
स्कंदपुराण, वराहपुराण,
शिव सहिंता, तांडव रहस्य आदि शास्त्रों में इन्हें दुनिया का पहला पुरुष बताया है। महादेव इसलिए भी महान है क्योंकि ये केवल देना जानते हैं और देने वाले
को देव कहा जाता है लेकिन
सृष्टि की रक्षा के लिए विष पीने के कारण यह महादेव एवं नीलकंठ नाम से जाने गए।
तभी, तो लिखा है-
शिव ही बाहर, शिव ही अंदर!
शिव की रचना सात समंदर!!
मुस्लिम फकीर कहतें हैं-
एक ने खाया, कुत्ते ने खाया,
सबने खाया, अल्लाह ने खाया।
सबके खाने-खिलाने के ध्यान रखने की वजह भी भगवान शिव पूज्यनीय और सदैव स्मरणीय है।
अघोरी साधक का मानना है कि-
जो लोग केवल जीने के लिए खाते है, वही सच्चे इंसान हैं और जो व्यक्ति केवल खाने के लिए जी रहा है, वह जानवर से भी ज्यादा गिरा हुआ है।
शिव ही विधाता- शिव ही विधान
के अनुसार भी इस सृष्टि-ब्रह्माण्ड का प्रथम पुरुष प्रमथनाथ यानि महादेव है।
पंचाक्षर मन्त्र में ऋषि-मुनि-महर्षियों
ने स्तुति की है
“ नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय”
 
वेद और शिवपुराण में लिखा है कि
शिव की भक्ति से जीने की शक्ति आती है। तन-मन के विकार, मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
शिव को साधे सब सधे…. साधना से
ऊर्जा-उमंग, उन्नति की प्राप्ति होती है।
आज से
निश्चित करें कि- हमें पुरुषार्थ पाना है..
 
पुरुषार्थ न कर पाने वाले कुछ पुरुष
मशहूर होना नहीं चाहते, वे खुद को
मजदूर यानि मजे से दूर और
मजबूर मानकर जीवन की ज्वाला (आत्मविश्वास) खत्म करके
बैठ जाते हैं।
जबकि जीवन जंग है, जिसे
तंग बुद्धि से या पलंग पर पड़े रहकर नहीं, बेहतरीन ढंग से… अंग-अंग में,
सपनो के संग अनेकों रंग भरकर
जिया जाए, तो दुनिया एक दिन देखकर दंग रह जाती है।
यदि सोच में लोच आ जाये, तो
पुरुष कहीं भी पहुंच सकता है।
पैर में मोंच और छोटी सोच से
व्यक्ति चल नहीं सकता।
महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम
का यह ‘कलाम’ अब जगत प्रसिद्ध है-
सपने वे नहीं, जो सोने पर आते हैं।
सपने वह होते हैं, जो सोने नहीं देते।
 
अर्थात स्वप्न को सार्थक करने के लिए
जागना और शिवसाधना आवश्यक है।।
इश्क में रिस्क न लें
प्यार चाहिए या व्यापार…
इश्क, मोहब्बत, प्यार कुछ समय के लिए त्यागकर किसी व्यापार या काम पर दिमाग लगाओ।
अपने काम की आग, राग-बाग में न बिताकर
किसी अच्छे कार्य में लगा दो।
व्यापार जीवन में बहार लाकर सभी भय से मुक्त कर देता है। सारे उत्सव- उत्साह का
कारण उन्नति है।
व्यापार का अर्थ भी समझने की कोशिश करें-
व्या+पार
दो शब्दों से बना है। ‘व्या’ यानि व्याधि, गरीबी, दुख-परेशानी, कड़की-लड़की
 के झंझट से ‘पार’ होना।
काम से ही दाम  बादाम आते हैं।
भारत की सोच…
प्यार-मोहब्बत और लव की लीद में
उलझी नई पीढ़ी ने यह पुराना गाना
नहीं सुना होगा, तो सुने जरूर… इससे सच्चे प्यार का सरूर एवं जिंदगी में कुछ करने का गुरुर समझ आएगा..
तन से तन का मिलन, हो न पाया तो क्या,
मन से मन का मिलन, कोई कम तो नहीं,
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन ,कोई कम तो नहीं।
चाँद मिलता नहीं, सबको सँसार में
है ‘दिया‘ ही बहुत रोशनी के लिए।।
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं,
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए।
 
यह गीत, जीत की पहली जंग है।
पवित्र प्यार करने वाले दिल के दिलों से
दाग मिटा देगा। जिंदगी जीने के लिए
प्यार पाना नहीं, देना सीखों।
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने
प्यार कम प्रयास ज्यादा किया।
वह प्रसिद्ध भी हुए।
अनुभवी बुजुर्ग कहते भी हैं कि-
सन्सार में कर्म और काम करने से दाम तो मिलेगा ही, दुनिया भर के ताम-झाम, महल-चौबारे बना सकते हो।
और रही नोकरी की बात, तो इसमें अपना घर-बार और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ो।
मि.मयंक तिवारी ने लिखा है कि-
ये दूर देश की नोकरी भी,
कुछ ऐसा मजबूर कर गयी।
पिता को उनके पिता से और
हमें उनसे दूर कर गयी।
नौकरी” से मतलब है- सुबह 9 से करी
और शाम को 6 बजे घर आकर एगकरी खाकर टीवी देखने बैठ गए।
फिर, नौकरी है- करी तो करी नहीं,
तो ये धरी और दरी बिछाकर 7 बजे सो गये।
ऐसा करने से सपनों की परी नहीं मिलती।
पुरुष वही है, जिसके जाने के बाद
हर जवान की जुबान पर यह गीत आये कि–
दुनिया से जाने वाले,
जाने..चले जाते हैं कहाँ….
पुरुष दिवस की शुभकामनाएं उन्हीं को  समर्पित हैं, जो पुरुषार्थी हैं-परमार्थी हैं।
ऐसे लोगों की मरने के बाद भी आरती उतारी जाती है।
स्वार्थी लोगों का
इस जगत में कोई सारथी नहीं होता।
सदगुरु गुरुनानक देव 
सन्सार में सबको निहाल करके चले गए, तभी, तो “सिखधर्म” का यह जयकारा…
बोले सो निहाल” यह 
उदघोष men या वीमेन के 
मन की मलिनता मिटा देता है।
दुनिया में ऐसे बहुत से पुरुष हुए,
जो त्यागी थे।
युवा पुरुषों के परमपूज्य प्रेरणास्रोत
स्वामी विवेकानंद ने जीवन को सफल
बनाने के कई सूत्र बताये हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक
महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय, लालबहादुर शास्त्री,
राजा राममोहन राय,
लोकमान्य तिलक,
शहीद सरदार भगत सिंह,
चंद्रशेखर आज़ाद
इनकी पुण्यतिथि बनाई जाती है।
प्राचीन पुरुष के प्रबल पुरुषार्थ को प्रणाम
【1】महान ज्योतिषाचार्य वराह मिहिर,  जिन्होंने राजा विक्रमादित्य द्वितीय के पुत्र की मृत्यु 18 वर्ष की आयु में होगी, इसकी सटीक भविष्यवाणी कर दी थी।
【2】आर्यभट्ट इनके गुरु थे। पृथ्वी गोल है, सबसे पहले इनने खोजा था।
【3】विद्युतीकरण के अविष्कारक..
परम शिव भक्त, शिवतांडव के रचयिता श्रीरावण के बहनोई तथा सुपर्णखा के पति
विद्युतजिव्हा ने जल से जलने वाली बिजली बनाने का पहला प्रयास किया था।
शिवतांडव के गायन से मिलती है-अपार सफलता।
यह लेख पढ़ने के लिए अमृतमपत्रिका गूगल पर टटोले
लंकेश्वर नामक पुस्तक, बाल्मीकि रामायण
में इसकी सूक्ष्म जानकारी उपलब्ध है।
【4】भारत का गणित ज्ञान सूत्र
ब्रह्मगुप्त को भारत के सबसे बड़े गणितज्ञों में गिना जाता है। वे खगोल विज्ञान वैज्ञानिक थे।
【5】प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य ने इनको ‘गणकचक्र चूड़ामणि‘ कहा था।
भारतीयों की  विनम्रता …
भारतीय ग्रंथों के ज्ञान का और मर्दों की मर्दांगनी
का कोई सानी या अंत नहीं है।
स्वामी विशुद्धानन्द ने एक बार कहा था कि..ज्ञान-विज्ञान और खोज-अविष्कार, चमत्कार
के क्षेत्र में हम भारतीय लोग
विदेशियों की झूठन खा रहे हैं।
हमारे यहां वेद-पुराण, शास्त्र, उपनिषद, भाष्य एवं आयुर्वेदिक ग्रन्थ में ज्ञान का खजाना भरा पड़ा है।
आयुर्वेद की अमृतम ओषधि
करोड़ों वर्ष पुरानी ओषधि गूगल, जो तन-मन के गू यानि रोग-विकार, बीमारी, मलादि
को गलाकर बाहर निकाल देती है,
विदेशियों ने उस
गूगल शब्द का उपयोग टेक्नोलॉजी
में करके विश्व में विश्वास जमा लिया।
गूगल की समस्त रोचक जानकारी के
पर “अमृतम गूगल” 
सर्च करके पढ़ सकते हैं
 
सफलता, उन्नति का पहला चरण..
युवा पुरुष गण, हर क्षण 
न करें समय का क्षरण।
लव में लहूलुहान न होकर,
सुलझ-सुलझकर आगे बढ़े-
कह दें- अपनी प्रेमिका से…
कल मिला वक्त, तो 
तेरी जुल्फे सुलझाऊंगा!
आज उलझा हूँ, जरा
वक्त को सुलझाने में!!
मांस-मदिरा, शराबखाने, मयखाने, बूचड़खाने
और रोज-रोज के रोने-गाने से भी बचें।
मनमानस का मन और मस्तिष्क..
 
विदेशियों की खोज, तो बस इतनी हुई कि-
40 किलो का एक मन होता है
और 2 मन मिलते ही विवाह कर लिया, जो 
चले तो, चांद तक, नहीं, तो शाम तक।
 
भारत ही वह देश है जहां तन-मन और अन्तर्मन का सम्मान किया जाता है।
इस भौतिक युग के गणित ने आत्मा के सम्बन्धों
को तार-तार कर केवल तन तक सीमित कर दिया।
इसका दुष्प्रभाव यह हुआ है कि-
आज बिना पढ़ी-लिखी लड़कियां
घोर गरीबी में भी घर चला रही हैं और
पढ़ी-लिखी, योग्य, डिग्रीधारी औरतें कोर्ट के चक्कर 
लगा रहीं हैं।
पुरुषों को प्रेरित करने वाल यह ज्ञान अभी अधूरा है।
यदि युवा पीढ़ी को यह ब्लॉग
से राग लगे, तो अधिक से अधिक
लाइक, शेयर, पॉजिटिव कमेंट्स कर 
अमृतमपत्रिका परिवार को प्रेरित करें। 
हमारा भी मनोबल बढ़ जाता है।
अतः अमृतमपत्रिका ग्रुप से जुड़कर
प्राचीन और सत्य जानकारी पाएं।
तन को अमृतम दवाओं से निरोग बनाएं
अमृतम का उदघोष है-
तन के रोगों का काम खत्म
और मन का इलाज ध्यान, साधना,
शिवभक्ति से करें।
आत्मा की चिकित्सा हेतु
सबका भला-कल्याण करें।
द्वेष-दुर्भावना त्यागें। इससे दुर्भाग्य
का जन्म होता है।
अंत में उन पुरुषों को प्रणाम, जो
पिता की परम्परा और
माँ के संस्कार के अनुसार चल रहे हैं।
पुरुष दिवस यानि “मैन डे” उत्सव
पर सर्वजगत के पुरुषों को ह्रदय से
शुभकामनाएं।
अमृतम दवाओं पर कुछ डिस्काउंट लेने की 
मंशा हो, तो इस कूपन कोड का उपयोग कर लेवें-
!! अमृतम पत्रिका !!
परिवार से जुड़ने के लिए शुक्रिया!
यह कूपन कोड खासकर
अमृतम पत्रिका के  पाठकों के लिए आलंभित किया गया है :
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