मूली को न समझें-मामूली

ठण्ड के मौसम में मूली पेट की शूली यानि पेट की बहुत सी तकलीफ मिटा देती है।

मूली को अपने खानपान में शामिल कर तेरह तरह के फायदे ले सकते हैं–

भावप्रकाश एवं आयुर्वेदिक निघण्टु जैसे ग्रंथो में मूली को चमत्कारी ओषधि बताया है!

 मूली- फूली त्वचा अर्थात मोटापा-चर्बी, तोंद घटाए, वजन कम करे

★ पथरी फोड़ दे- मूली

★ बी.पी. संतुलित रखे

★ रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करे

★ पाचनतंत्र को मजबूत दे

 कब्ज के कब्जे से उदर को मुक्त करे

★ डिहाइड्रेशन से बचाव करे

★ त्वचारोग को पनपने न दे

★ किडनी को सुरक्षित रखे

★ मधुमेह, प्रमेह मिटाए मूली

★ कोलेस्ट्रॉल कम करे

★ स्वरभंग एवं गले की तकलीफ में कारगर

★ सेक्स वृद्धि कारक

★ महिलाओं की मलिनता मिटाए

मूली के उपयोग– ह्रदय हितकारी, मूत्रदोष, दाद, बवासीर, श्वांस, खांसी, नेत्ररोग कंठरोग नाशक है ।

आयुर्वेद की अलमारी से अमृतम ग्रन्थ ..

● हल्दी के साथ मूली खाने से बवासीर,शूल ओर ह्रदय रोग का नाश करती है।

● मूली की जड़ पेशाब संबंधी शिकायतों व मधुमेह रोगों का जड़ मूल से नाश करती है।

● महिलाओं के मासिक धर्म की रुकावट रहती हो या प्रौढ़ अवस्था मे माहवारी कम या नहीं आती हो, उन्हें दिन भर में एक ग्राम मूली के बीज पीसकर चाय के साथ लेना चाहिये।

अथवा अमृतम द्वारा निर्मित स्त्रीरोग नाशक ओषधि नारी सौन्दर्य माल्ट का 1 महीने तक सेवन करें।

● पथरी फोड़ दे- मूली

मूली के बीजों को पीसकर 200 mg 3 बार 15 दिन तक लगातार लेने से मूत्राशय की पथरी गल जाती है। अमृतम सिटरा की सिरप Citrakey सिरप का 3 माह तक सेवन करे।

पेशाब की परेशानी और मूत्रकष्ट में ..

मूली का स्वरस दिन में 3 बार 3 दिन पीने से जलंन-वेदना मिटकर मधुमेह में लाभ होता है। साथ मे अमृतम Daibkey tablet और मधुमेह चूर्ण का सेवन करे।

पेशाब का रुकना, मूत्रावरोध या बार-बार आना या मूत्र की अन्य परेशानी…

गुर्दे की खराबी से पेशाब बनना बंद हो जाये, मूली के रस का स्वरस पीने से पुनः बनने लगता है। मूली खाने से भी बहुत लाभ होता है। मूली को रात में न खावें और अरहर की पीली डाल के साथ न खावें।

बवासीर, जो खराब करे- तकदीर…

∆ कच्ची मूली खाने से बवासीर से रोज-रोज गिरने वाला खून बन्द हो जाता है।

∆ नई या बार-बार ‎होने वाली बवासीर के लिए मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर उनको पीसकर समान भाग शक्कर मिलाकर, 1-1 ग्राम सुबह शाम लेने से बवासीर जड़ से मिट जाती है।

 do का गुदा द्वार पर रुई का फोहा रोज रात में सोते समय लगाएं। बवासीर के मस्से जड़ से सूखने लगते हैं।

अमृतम पाइल्स की गोल्ड माल्ट

बवासीर की तासीर ठीक करने हेतु अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि है। “पाइल्स की गोल्ड माल्ट” खूनी-वादी दोनो तरह के अर्श-बवासीर विकारों का जड़ से नाश का देता है। श्वांस-हिचकी में असरकरक मूली…

सूखी मूली के टुकड़ों को औटाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है। ‎पित्त की गर्मी शांत होती है। 10 दिन नियमित मूली खाने से ‎चिड़चिड़ापन व क्रोध का नाश हो जाता है।

त्वचारोग नाशक मूली…

श्वेत कुष्ठ या सफेद दाग मूली के बीजों को अपामार्ग ( चिड़चिड़ा) के पंचांग के साथ पीसकर लेप करने से चमत्कारिक लाभ होता है।

अमृतम v की तेल शरीर में नियमित लगाने तथा मालिश करने से सभी दाग तथा त्वचरोगो का नाश होता है।

चेहरे पर दाग-धब्बे हों या कालापन हो, तो अमृतम कुम-कुमादि तेल चेहरे पर लगावें।

गले मे खिंच-खिंच या स्वर भंग….

मूली के बीजों को पीसकर गर्मजल के साथ लेने से गला साफ होता है। गले में लगातार खराबी, खरखराहट, सर्दी-खांसी जुकाम, फेफड़ो की कमजोरी आदि की समस्या हो, तो  अमृतम द्वारा निर्मित लोजेन्ज माल्ट लेवें। यह प्रदूषण के संक्रमण से भी रक्षा करता है। लोजेन्ज माल्ट गर्म पानी के साथ ‎नियमित सेवन करें।

विच्छू का विष नाशक मूली….

मूली के टुकड़ो पर नमक लगाकर बिच्छू के डंक पर रखने से वेदना शांत होती है।

सेक्स पॉवर बढ़ाये मूली….कामेन्द्रियों की शिथिलता शून्य करने में मूली चमत्कारी है। मूली के बीजों को तिली तैल में औटाकर उस तैल को लिंग पर लगाने से पतलापन, शिथिलता दूर होकर, कठोरता आती है।

बी फेराल गोल्ड माल्ट खाएं-        नपुंसकता योन समस्या मिटायें…

सेक्स की कमजोरी जड़ से दूर करे।     बस, 3 महीने में पाएं

परमानेंट शर्तिया इलाज

सर्दी के सीजन में मूली केवल दिन के खाने के साथ जरूर लेना चाहिए। साथ ही बी फेराल गोल्ड माल्ट के सेवन से काम बहुत आराम मिलता है। यह आनंदमयी ओर शांतिपूर्ण जीवन के लिये वरदान सिद्ध हुआ है, जो 40 के पार हथियार डाल चुके हैं, उद्धार करता है। क्योंकि सेक्स का संसार सर्वनाश होने से घर-परिवार में क्लेश होकर, व्यक्ति सरेराह बदनाम हो जाता है।

काम के तमाम ताम-झाम ….

शास्त्रो में काम के विषय में अनाम ओर प्रसिद्ध ऋषियों ने तमाम लिखा है। सेक्स का सुनिश्चित साधन तथा स्थाई हल केवल अमृतम आयुर्वेद ओषधियों में है।

काम की कामना और सामना..

काम यानि सेक्स की सनसनाहट सन्सार में सभी सन्त-साधकों में भी पाई जाती है। यह वो तमन्ना है, जो गन्ना खाने से शांत नहीं होती।

काम के चक्कर में बड़े-बड़े धन्ना सेठ उलझकर बर्बाद हो गए। काम वयः बीमारी है, जो नांरी के बिना दूर नहीं होती।

काम-बेकाम न हो, इसे जरूर जाने….

काम ही साधना-आराधना है। काम की मनोकामना पूर्ण होने पर ही, तन की ताड़ना, प्रताड़ना, मानसिक यातना का नाश होता है। लालन (बच्चों) और पालन की प्राप्ति काम से ही संभव है। काम का आनंद ही सबसे बड़ी शुभकामना ओर प्रार्थना है।

काम ही सुखी जीवन का इंतजाम है!

काम के कारण ही सृष्टि के तमाम ताम-झाम है। काम के लिए ही लोग रोज शाम को जाम लेने आतुर हो जाते है।

काम की तृप्ति के बाद ही राम -श्यामभगवान याद आते हैं। काम की कमी, कमजोरी के कारण सगा भी दगा दे जाता है। पति- पत्नी-परिवार को दगा धोखे का निमित्त काम ही है।

जबकि कहा गया है कि-

दगा किसी का सगा नहीं है, 

नहीं किया तो करके देख।

जिसने जग में दगा किया है, 

उसके जाके घर को देख।।

संसार के सारे छल कपट, धोखा काम की देन है।

काम ही चारों धाम है….

काम के ही सब अंजाम है । दाम, नाम, दुआ सलाम है। काम ही इंतकाम की आग है। श्रंगारशतक में उल्लेख है कि-

काम ही गति और मति है। श्रीमती आने के बाद जीवन की गति-मति (बुद्धि) बदल जाती है कामतृप्ति के बाद ही

ग्रहों की दशा -महादशा, दिशा समझ आती है। इसलिए शादी का उल्टा दिशा होता है।काम ही काम (कर्म) के लिये भगाता है।

भागम-भाग से भाग्योदय…

भागने से व्यक्ति का भाग्योदय हो पाता है।काम ही भाग्य-दुर्भाग्य, योग,भोग, रोग,जप तप है। काम के तीर पीर (अशांति) देते रहते हैं। काम एक अनुष्ठान है। इसकी पूर्ण आहुति के बाद ही तन-मन को शकुन मिलता है ।

काम में आराम के लिए अमृतम फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित

बी फेराल गोल्ड माल्ट 

B Feral Gold malt ओर कैप्सूल तीन महीने तक नियमित उपभोग करें।

मर्दांगनी प्रदान करना इसका विलक्षण गुण है। गर्वीली स्त्रियों, रमणियों के मान-मर्दन हेतु यह एक सक्षम गुणकारी अद्भुत आयुर्वेदिक हानिरहित औषधि है।

ऊपर मूली की किताब कुछ खुली रह गई थी शेष और पढ़े मूली के बारे में-

शास्त्रों में मूली के संस्कृत नाम….

■चाणक्य मूलक, ■भूमिकक्षार, ■दीर्घ्कंध, ■क्षारमुलाक, ■कुञ्जर, ■नीलकंठ, ■राजूक, ■रुचिर आदि

मूली के ये सब नाम वनोषधि चंद्रोदय, आयुर्वेदिक निघन्टु, वन बुटी , भावप्रकाश निघण्टु, आदि अमृतम आयुर्वेदिक ग्रंथो में बताये हैं।

धर्म-कर्म में मूली….

किसी शिव मन्दिर में सोमवार के दिन 2 मूली दान करने से खतरनाक कालसर्प दोष की शांति होती है।
ज्योतिष मार्तंड नामक पुस्तक में मूली दान से बहुत लाभ बताएं हैं।

मानसिक तनाव मिटाने के लिए मूली जानवरों को रोज खिलाना चाहिए।

 अमृतम 

रोगों का काम खत्म

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