कुन्तल केयर माल्ट
ब्राह्मी,बालछड़, भृंगराज, मेहंदी, तथा
मेवा,मुरब्बे,प्राकृतिक मसालों से बना
दुनिया का पहला हेयर हर्बल
जो झड़ते,टूटते बालों की सम्पूर्ण
आयुर्वेदिक चिकित्सा है ।
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कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑयल
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कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा
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कुन्तल केयर हर्बल हेयर शैम्पू
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कुन्तल केयर हर्बल हेयर माल्ट
पहले बुजुर्ग कहा करते थे कि-
जब मजबूत हों जड़े,
तो काहे को बाल झड़े ।
अमेरिका के एस.बी.एम.आर.आई. के
वैज्ञानिकों ने दुनिया को आगाह किया है
कि बालों,केशों हेयर का बचाव केवल
प्राकृतिक चिकित्सा,हर्बल ओषधियों,
अमृतम आयुर्वेदिक दवाओं
द्वारा ही किया जा सकता है अन्यथा दुनिया में गंजों
की भरमार होगी ।
“अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिकों“
ने विशेषकर महिलाओं को
चेताया है कि अपने बालों के प्रति
लापरवाह न रहें !
क्योंकि स्त्रियों की सुंदरता,
खूबसूरती,
चेहरे पर निखार
लम्बे,घने,चमकदार बालों
के कारण ही सम्भव है ।
वैज्ञानिकों की शोध के अनुसार-
अप्राकृतिक और भौतिक रसायनों,
सिन्थेटिक केमिकल्स से निर्मित
क्रीम,
हेयर ऑइल
तथा शेम्पू के उपयोग से
“हेयर फोलिकल“
(बाल उगाने वाली कोशिकायें)
तेजी से सिकुड़ने लगती हैं,
जिससे बाल दिनों-दिन
पतले,कमजोर होकर गिरने लगते हैं ।
सिर की त्वचा में रक्तसंचार न हो पाने के
कारण हेयर फोलिकल
इतने सिकुड़ जाते हैं कि
सिर पर नये बाल निकलना
स्थाई तौर पर बन्द होकर
गंजापन आने लगता है ।
गंजों की भरमार-
आयुर्वेद ग्रंथ
‘केश-विन्यास’
की संस्कृत टीका में उल्लेख है कि-
सामान्य तौर पर प्रतिदिन 50 बाल सिर की
खाल से अलग हो जाते हैं ।
यदि इससे अधिक बाल रोज झड़े,
गिरे या टूटे, तो निश्चित ही गंजापन
का पंजा शुरू हो गया है ।
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि शरीर में
रोगप्रतिरोधक क्षमता
(रजिस्टेंस पावर)
के कम होने से
बाल,
गाल,
चाल,
ढाल,
खाल,
ख्याल
पर विपरीत प्रभाव पड़कर तन निढाल
होकर रोग-विकारों से घिरने लगता है ।
रोगप्रतिरोधक क्षमता तथा जीवनीय
शक्ति बढ़ाने के लिए ही अमृतम ने
कुन्तल केयर हर्बल हेयर माल्ट
का निर्माण किया है ।
गंजेपन के दुष्प्रभाव–
गंजापन, जवानी की दहलीज पर चढ़ने
पहले ही युवावस्था को नष्ट कर देता है ।
कमजोर बाल,चाँद से चेहरे पर दाग लगा देते हैं ।
लड़कियों की अदा-सदा के लिए
नेस्तनाबूद हो जाती है
इससे उनके आकर्षण एवं आत्मविश्वास पर भी
नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
क्या कहता है अमृतम आयुर्वेद-
सिद्धा आयुर्वेद,
कायचिकित्सा,
आयुर्वेद नाड़ी सहिंता
आदि आयुर्वेद ग्रंथो के
“संस्कृत सार श्लोक” के अनुसार
“लावण्य केश धारणं”
अर्थात काले,लम्बे,घनई जुल्फें,चमकदार केशों
से ही महिलाओं में खूबसूरती व आकर्षण बढ़ता है ।
“बहूनि नरशीर्षाणि लोमशानि वृहान्त च ।
ग्रीबासु प्रतिवद्धानि किंचित्तेशु सकर्षणम ।।
कविता-कौमुदी पृष्ठ 369
अर्थात- गजब की सुंदरता लिए स्त्रियों के
मस्तक गले से जुड़े हैं लेकिन जिनके केश लम्बे,
घने,काले हैं, आकर्षण उनमें ही है ।
बाल और माल ही निहाल करने,
समर्पण में सहायक है ।
बाल ही प्रेमियों के लिए मायाजाल है ।
अच्छे, लम्बे केश देखकर इनके होश उड़ जाते हैं ।
आखिर जुल्फों के कारण ही,तो
इतने गीत-संगीत,शायरों का अविष्कार हुआ –
किसी समय ” चौहदवीं का चाँद”
फ़िल्म का ये गाना जुल्फों के कारण
बहुत प्रसिद्ध हुआ था –
“न झटकों जुल्फ से पानी
ये मोती टूट जाएंगे, !
कोई कवि कहता है-
ये जुल्फें,ये नखरे,ये नशीले नैन
कहाँ लेने देंगे किसी को चैन
किसी शायर ने कुछ इस तरह भी लिखा कि-
मौका मिलता तो तेरी
जुल्फे सुलझाता,
बालों के लिए एक तेल
बनाने वाला था ।
तुम अपने घर का
अता-पता दे देती,तो,
आने वाला था ।।
किसी को अपनी जुल्फों
पर इतना घमण्ड है, कि
इतरा कर उसने कहा-
“जुल्फ खुली रखती हूँ
मैं दिल बांधने के लिए !!
जीवन की उलझनों में उलझा आशिक
का कहना है-
कभी मिला वक्त,तो
तेरी जुल्फे सुलझाऊंगा ।
आज उलझा हूँ, जरा
वक्त को सुलझाने में
एक शोध में पाया की दुनिया में आदमी ही
सर्वाधिक गंजे पाए जाते हैं । इनके गंजेपन
के कारण लड़कियाँ,स्त्री, महिलाएं
इन्हें कम पसन्द करती हैं ।
हालाँकि गंजेपन से इन्हें बहुत फायदे भी हैं-
हास्य कवियों की माने, तो-
“धन बढ़े,लक्ष्मी मिले,
बाल न बांका होय ।
तेल बचे,साबुन बचे,
जो कोई गंजा होय ।।
जो कोई गंजा होय,
बुढ़ापा नजर न आवे ।
देख चमकती चाँद,
चाँद भी धोखा खावे ।।
दुनिया के जाने-माने ओर अनजाने
कवियों,गीतकारों, शायरों,सूफियों ने जुल्फों
के कारण कितने सितम सहे, और क्या-क्या न
लिखा बालों,केशों व जुल्फों के बारे में ।
“अमृतम मासिक पत्रिका”
खोजकर देगा अपने ग्रंथालय,पुस्तकालय और
लायब्रेरी से । आप पढ़ते रहें, अच्छा लगे,तो लाइक-
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“श्रीमती चंद्रकांता” तथा
“स्तुति अशोक गुप्ता” हैं !
यह एक महिला उद्योग है ।
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