नई उम्र की लड़कियाँ शिकार हैं- इस गुप्त रोग से

महिलाओं होने वाली पीसीओडी के क्या कारगर घरेलू उपचार या आयुर्वेदिक वयोग है? इसे जड़ से कैसे खत्म करें-

केवल महिलाओं के लिए एक खास जानकारी।

यह महिलाओं खासकर कम उम्र की लड़कियों को होने वाला खतरनाक रोग है। आयुर्वेद में स्त्रियों का गुप्तरोग बताया है।

आज नई उम्र की लड़कियों के चेहरे पर बालों का आना वात-पित्त-कफ का असंतुलन, क्षीण रोगप्रतिरोधक क्षमता, पाचनतंत्र की खराबी आदि अनेक अंदरूनी बीमारियों के कारण यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। आयुर्वेद में इसका शर्तिया इलाज है।

पीसीओडी स्त्री रोग की आयुर्वेद में सर्वश्रेष्ठ ओषधि है-अशोक छल, आँवला मुरब्बा, हरीतकी मुरब्बा,

सहजन छाल, पुष्यानुग चूर्ण, त्रिवंग भस्म, प्रदरारी लोह, गर्भचिन्तामणी रस स्वर्ण युक्त, लोधरा, रक्तचन्दन, करौंदा, जामुन गुठली, गोखरू, शतप्तरी, अमलताश गुदा, जंगल जलेबी आदि

इन ओषधियों के प्रयोग-उपयोग एवं निर्माण विधि जानने के लिए आप आयुर्वेद के निम्नाकित ग्रन्थों का अध्ययन कर सकते हैं-

●~ माधव निदान

●~ आयुर्वेद भैषज्य मणिमाला

●~ द्रव्यगुण विज्ञान

●~ आयुर्वेद सार संग्रह

●~ भाव प्रकाश आयुर्वेद महोदधि

तैयार ओषधि सेवन करना चाहें, तो अमृतम कम्पनी द्वारा निर्मित नारी सौंदर्य माल्ट/NARI Soundery Malt

ऑनलाइन मंगवा कर कम से कम तीन से 5 महीने दूध या जल से लेवें, तभी PCOD की बीमारी जड़ से मिट सकती है।

शरीर में रोएं या पतले बाल पैदा न हों इसके लिए रोज नहाने से पहले धूप मथकर नारी सौंदर्य ऑयल की हल्के हाथ से मालिश अवश्य करें।

मालिश करने से सूक्ष्म नदियों में चिकनाहट पहुंचती है, जिससे बल उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का नाश हो जाता है।

पीसीओडी PCOD के लक्षण— युवतियां PCOD से प्रभावित होती हैं, उन्हें इस समस्या से चेहरे पर पतले बाल प्रकट होने लगते हैं।

इस विकार से प्रभावित युवतियों में लक्षण जल्दी प्रकट नहीं होते, एक प्रकार से asymptomatic हॉर्मोनल समस्या है।

इसका दुष्प्रभाव यह है कि भविष्य में पीसीओडी स्त्रीरोग के कारण कोशिकाओं में रस-रक्त का उचित संचार या सर्कुलेशन न होने से डायबिटीज मेलिटस/ diabetes milletus का मुख्य कारण बनता है

और ओवेरियन कैंसर भी हो सकता है।पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम प्रजनन आयु अर्थ Reproductive age में हर ४ में से १ युवती को प्रभावित कर रहा है।

आयुर्वेद में लड़कियों के चेहरे पर बाल उगना यह अतिरोमता विकार कहलाता है।

यह रोग माहवारी या मासिक धर्म के अनियमित होने से होता है। वर्तमान युग में अधिकांश लड़कियां कमजोर मेटाबॉलिज्म के चलते उनका वात-पित्त-कफ अंसतुलित हो जाता है और पाचनतंत्र खराब होने लगता है, जिससे शरीर त्रिदोषों से घिर जाता है।

त्रिदोष क्या है? इसे विस्तार से जानने के लिए ayurveda Life Stayle बुक का अध्ययन करें। यह किताब केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध है।

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इस रोग में कम उम्र की लड़कियों के चेहरे पर सामान्य से अधिक बाल नज़र आने लगते हैं। कुछ स्थितियों में महिलाओं के चेहरे पर हल्की सी मूंछ व दाढी भी दिखाई देती है। पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओ) हार्मोनल असंतुलन का सबसे बडा कारण है।

जब शरीर में कॉर्टिसोल नाम के हार्मोन का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो चेहरे पर तेजी से बाल उगने आरम्भ हो जाते हैं।

महिलाओं के चेहरे (Face) और शरीर के दूसरे अंगों पर अत्यधिक बालों के उगने की इस समस्या को मेडिकल टर्म में हिर्सुटिज्म (Hirsutism) भी कहते हैं।

यह लेख नवयौवनाओं और महिलाओं की खूबसरती बढ़ाकर, चेहरा निखारेगा और व्यक्तित्व को सुंदर बनाने में मदद करेगा।

महिलाओं को यह तकलीफ सामान्य तौर पर

ग्रन्थिरस या अंत:स्राव यानि हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) होने के कारण होती है।

हार्मोन की कमी या अधिकता दोनों ही शरीर में व्यवधान उत्पन्न करती हैं। इस विकार में महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन (Male Hormone Androgen) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय (Ovary) पर सिस्ट बनने लगते हैं।

पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD)

अगर कम उम्र के चलते ही इस समस्या का पता लग जाए तो इसे काबू में किया जा सकता है।

क्या है PCOD/PCOS?..

PCOD/PCOS यानि ‘पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर’ या ‘पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’। इसमें महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन androgen का स्तर बढ़ जाता है परिणामस्वरूप ओवरी में सिस्ट्स बनने लगते हैं। यह आश्चर्य की बात है की इस बीमारी के होने का आजतक कोई कारण पता नहीं चला है और यह अभी भी शोध का विषय है, परंतु चिकित्सकों का मानना है कि यह समस्या महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, मोटापा या तनाव के कारण उत्पन्न होती हैं। साथ ही यह जैनेटिकली भी हो सकती है। शरीर में अधिक चर्बी होने की वजह से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है,जिससे ओवरी में सिस्ट बनता है।

वर्तमान में देखें तो हर दस में से एक प्रसव उम्र की महिला इसका शिकार हो रही हैं। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जो महिलाएं तनाव भरा जीवन व्यतीत करती हैं उनमें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है।

महिलाओं में बढ़ते एण्ड्रोजन अर्थात पुरुष हार्मोन के कारण माहवारी समय पर नहीं आना या बिल्कुल ना आना, मासिक धर्म अनियमित होकर अवधि पूर्व बन्द हों जाना, शरीर और चेहरे पर अतिरिक्त बाल आने लगना, बालों का पतले होते जाना।

मुहांसे, पेल्विक दर्द, गर्भवती होने में कठिनाई, इत्यादि पीसीओडी बीमारी के लक्षणों में शामिल हैं, जो भविष्य में भावुकता को कम कर सकता है।

एक खतरनाक बीमारी है- पीसीओडी या PCOS इसकी वजह से भी चेहरे पर बाल आने की समस्या उतपन्न होने लगती है। यह महिलाओं के मासिक धर्म बिगड़ने से होता है यह गुप्त रोग है। प्रजनन के उम्र वाली दुनियाभर की करीब 10 से 12 फीसदी महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है।

पीसीओडी 【PCOD】 महिलाओं में बांझपन यानि इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक है। इसके अलावा चेहरे पर मुहांसों का होना-ओवरी में सिस्ट चेहरे ,गर्दन, बांह, छाती, जांघ आदि अंगों पर दाग-धब्बे, अधिक तेलीय त्वचा या रूसी-खोंची, खुजली या डैन्ड्रफ

भी दे सकता है।

चेहरे की चमक छू—

मुंहासों की शुरुआत धीमी होती है पर जब इनकी अति हो जाए, तब कोई घरेलु उपचार आज़माने की बजाए आयुर्वेद ओषधियों का सेवन करें।

चेहरे पर अमृतम फेस क्लीनअप लगाएं।

अपने खाने-पीने की चीजों का विशेष ध्यान रखें, व्यायाम, योगा और घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करें।

जरूरत अनुसार भरपूर नींद लेंवें।

एसिडिटी होने पर अमृतम गुलकन्द ले सकते हैं।

द्राक्षा, आंवला मुरब्बा, हरड़ आदि बढ़िया काम करते हैं। आयुर्वेद में समय लग सकता है, लेकिन इलाज जड़ से होता है।

कई बार युवतियों की तन-मन के प्रति लगातार लापरवाही से शरीर में विभिन्न प्रकार की परेशानियां पैदा होने लगती हैं, जिनमें से एक है PCOD/PCOS बीमारी।

यह रोग 100 में 55 महिलाओं एवं लड़कियों में होना आजकल आम बात हो गई है। कुछ समय पूर्व तक यह स्त्रीरोग 30-35 उम्र से अधिक की महिलाओं को अधिक होता था। लेकिन अब 16 वर्ष की नवयौवनाओं या बच्चियों में भी यह समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।

पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं की ओवरी बड़ी हो जाती है और फॉलिकल सिस्ट बहुत छोटा हो जाता है।

पीसीओएस के निम्नानुसार सबसे आम लक्षण हैं।

इसके लक्षणों में

■ मासिक चक्र अनियमित होना,

■ चेहरे और शरीर पर अनचाहे बल उगना

■ अतिरिक्त बाल का विकास एवं

■ खोपड़ी पर बाल पतला होना

■ बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन,

■ अनियमित रूप से पीरियड्स का होना।

■ गर्भधारण में मुश्किल होना।

■ वजन बढ़ना आदि शामिल है।

पीसीओडी नवयौवनाओं/महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है.

आजकल बड़ी संख्‍या में लड़कियां इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं। इसमें ओवरी में सिस्‍ट बन जाते हैं जिसकी वजह से महिलाओं में बांझपन तक आ सकता है। अगर आपकी माहवारी अनियमित रहती है या आपको बहुत ज्‍यादा दर्द रहता है, तो पीसीओडी स्त्रीरोग से मुक्ति के लिए कम से कम 3 से माह तक आयुर्वेदिक उपचार करेँ।

जाने- पीसीओएस या पीसीओडी कौन सा स्त्री रोग है और क्या है संकेत…

समय पर मासिक धर्म का न आना- छोटी उम्र में ही अनियमित पीरियड्स आना इसका सबसे बड़ा संकेत होता है।

अचानक वजन बढ़ना- इस रोग में ज्यादातर महिलाओं के शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।

अधिक बाल उगना (हिर्सुटिज़्म Hirsutism)

यानि महिलाओं में पुरुष-पैटर्न वाले अनचाहे बालों के विकास की स्थिति को हिर्सुटिज़्म कहा जाता है। यह एक तरह की बीमारी है जिसमें महिला के शरीर की उन जगहों पर बाल उगने लगते हैं, जहां पर आमतौर पुरुष के बाल बढ़ते हैं जैसे छाती, ठुड्डी, चेहरा और पीठ एवं ठोड़ी पर अनचाहे बाल उगना।

सिर्फ हार्मोनल परिवर्तन ही नहीं इस बीमारी का लक्षण भी हो सकता है, इसके अलावा बालों का झड़ना, शरीर व चेहरे पर, छाती पर, पेट पर, पीठ पर अंगूठों पर या पैरों के अंगूठों पर बालों का उगना भी पीसीओडी समस्या के संकेत है।

आयुर्वेदिक ग्रन्थ भेषजयरत्नावली एवं योगरत्नाकर के अनुसार हर महीने समय पीरियड्स न आना या खुल कर न आना उससे भी बड़ी परेशानी है।

कुछ लड़कियों को मासिक धर्म के परियडस से घृणा है और वो हमेशा कहती हैं कि यह झंझट, तो होना ही नहीं चाहिए। यह बड़ी प्रॉब्लम है।

आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ्य-सुंदर व फिट रहने के लिए तन के अंदर हर महीने गंदे खून का दूर होना, बाहर निकलना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसा न होने पर लड़कियों को विभिन्न तरह की दैहिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसका दुष्प्रभाव आने वाले समय में आपके शरीर पर साफ़ देखने को मिलेगा।

∆~ रात भर बैठकर मोबाइल चलाना, चैट करने के कारण समय पर नहीं सो पाते और नींद पूरी नहीं होने के कारण भी नारी को बीमारी घेर लेती हैं, इस वजह से वजन घटने या अचानक बढ़ने लगता है।

∆~ यहाँ तक की पीसीओडी की वजह से कम उम्र में ही मेनोपॉज का खतरा भी हो सकता है।

∆~ देर रात तक जागना, समय पर न सोना और सूर्यास्त के बाद जागने से तनाव आजकल हर किसी को छोटी उम्र की लड़कियों में होना आम समस्या है। यह भी पीसीओडी विकार का सबसे बड़ा कारण है।

∆~ बाहर का कुछ भी फास्ट फ़ूड खा लेना आदि। हमारी अमर्यादित, संस्कार हीन जीवन शैली, दिनचर्या भी। रोग केेई एक वजह है।

∆~ खून की कमी होना यह भी महावारी खुल कर न आने का बड़ा कारण है।

∆~ गर्भ निरोधक गोलियों का निरंतर सेवन, शारीरिक तकलीफों के प्रति लापरवाही और हेल्थ प्रॉब्लम भी इसके पीछे का कारण हो सकता है।

इसमें जरा भी लापरवाही न बरते क्योंकि अब इस समस्या से लड़कियों में पीसीओडी और पीसीओएस की बीमारी बढ़ती जा रही है।

तुरन्त नारी सौन्दर्य माल्ट,

का इस्तेमाल कम से कम तीन महीने तक लगातार करें। इस रोग की चिकित्सा केवल आयुर्वेद से सम्भव है।

नारी सौन्दर्य माल्ट नारी रोगों की संजीवनी है।

NARI SAUNDRYA MALT

10 प्रकार के स्त्री रोगों में लाभकारी है-

√ जननांगों को स्वस्थ्य बनाये रखने हेतु सर्वोत्तम आयुर्वेदिक ओषधि है।

आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ

◆ आयुर्वेद सार संग्रह

◆◆ रस-तन्त्र सार संग्रह

◆◆◆ भावप्रकास निघंटु

◆◆◆◆ चरक सहिंताओं आदि में

महिलाओं की किसी भी प्रकार की बीमारियों में अथवा अन्य स्थितियों के उपचार के लिए

अशोक छल, अश्वगंधा, शतवारी, शिलाजीत, आँवला मुरब्बा, गुलकन्द, तृवंग भस्म आदि 27 ओषधियों से निर्मित

“नारी सौन्दर्य माल्ट” की सलाह दी जाती है।

यह महिलाओं की अनेक आधि-व्याधि

आदि तकलीफों को दूर करता है।

नारी रक्षक अमृत ओषधि के रूप में महिलाओं के तन-मन की मलिनता मिटाकर, शरीर को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने में यह अत्यंत प्रभावी है।

नारी सौन्दर्य माल्ट- के फायदे

【१】मेटाबोलिज्म को करेक्ट कर इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है।

【】 पाचनप्रणाली को ठीक कर भूख और खून बढ़ाने में मदद करता है।

【】सभी तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति करने में सहायक है।

【】इसमें मिलाया गया सेव मुरब्बा, गुलकन्द, आँवला मुरब्बा शतावरी,मुलेठी, अशोक छाल शरीर में सब प्रकार के विटामिन, कैल्शियम, शिथिल कोशिकाओं/अवयवों को रीचार्ज करते हैं।

【】 नई उम्र की युवतियों को सौन्दर्य प्रदान

करता है।

【】विवाहित स्त्रियों की सुंदरता बढ़ाने के लिए यह विलक्षण हर्बल मेडिसिन है।

【】एक माह तक निरन्तर सेवन करने से गजब की सौन्दर्यता, सुन्दरता,सहजता, स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करता है।

सेवन विधि—

-★ यदि मोटापा कम करना हो या दुबले-पतले,इकहरे बदन के लिए सुबह खाली पेट एवं शाम को खाने से पहले नांरी सौन्दर्य माल्ट 100 मिलि.” गरम/गुनगुने पानी में 2 से 3 चम्मच मिलाकर चाय की तरह पियें। इसी तरीके से एक दिन में 3 से चार बार भी ले सकतें हैं।

★★ स्वास्थ्य वृद्धि व हेल्थ या मोटा होने के लिए —

2 से 3 चम्मच नांरी सौन्दर्य माल्ट गर्म/गुनगुने दूध या जल से सुबह खाली पेट तथा शाम को नियमित 3 माह सेवन करें

विशेष ध्यान दें-

खूबसूरती, सुन्दरता और विशेष आकर्षक वृद्धि के लिए “नारी सौन्दर्य मसाज ऑयल” की नियमित मालिश करना बहुत ही लाभकारी है। इसमें

¶ चन्दन इत्र,

¶¶ गुलाब इत्र,

¶¶¶ केशर युक्त कुम-कुमादि तेल,

¶¶¶¶ जैतून तेल,

¶¶¶¶¶ बादाम तेल

आदि प्राकृतिक ओषधियों/तेलों का मिश्रण है जो शरीर के सभी दाग-धब्बों को मिटाकर रंग साफ करने में सहायक है।

नारी सौंदर्य मसाज ऑयल

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मात्र 5 बार के अभ्यंग/मालिश से तन ऊर्जावान एवं सुन्दरता से लबालब हो जाता है।

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आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक ब्लॉग/लेख उपलब्ध है।

पुराने समय की बातें—

मेनोपॉज यानि एक साल तक मासिक धर्म नहीं आए तो इसे रजोनिवृत्ति मानते हैं। फिर स्त्रियां गर्भवती नहीं हो सकती। मान्यता है कि रजोनिवृत्ति के पश्चात अथवा मोटापा की वजह से हमारे शरीर में हार्मोन के असंतुलन होने चेहरे पर ज्यादा बाल उगने लगते हैं। लंबे समय तक ली जाने वाली कुछ खास दवाएं और स्टेरॉयड्स के सेवन से भी चेहरे पर असामान्य रूप से बाल बढ़ने लगते हैं।

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