#वेद-पुराणों का हर शब्द अमॄतम#
आपको हैरानी होगी यह जानकर कि–
!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र कीलित है।
जब तक इसका उत्कीलन नहीं होगा
यानि ताला नहीं खुलेगा, तब तक
यह मन्त्र अपना शुभ प्रभाव या
लाभ नहीं दिखा सकता।
दूसरी बात इस ब्लॉग के जरिये जाने
कि- कब, कैसे कितनी माला जपने
से यह किस तरह, क्या कार्य सिद्ध
करता है और क्या लाभ होंगे।
समझने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े.…
मन्त्र का मतलब एवं मन का क्या रिश्ता है।
मंत्र से मन की उत्पत्ति हुई।
मन्त्र-मन को त्रिदोष से मुक्त कर
प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनाता
देता है।
आयुर्वेद ग्रन्थ चरक और योगरत्नाकर
के हिसाब से मन में अमन हो, तो
इम्युनिटी पॉवर कमजोर नहीं होता।
पाचनतंत्र खराब नहीं होता।
मन्त्र जाप से संक्रमण/वायरस ,
असाध्य व्याधियों से शरीर की सभी
प्रकार से सुरक्षा होती रहती है।
शिवपुराण में लिखा है-
मन्त्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है।
मन का अर्थ है सोच, विचार, मनन या
चिंतन करना और “त्र ” का अर्थ है…
दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफों
से रक्षा कर सब प्रकार के अनर्थ, भय से
बचाने वाला।
सार यही है कि-मन्त्र जाप से तन-मन
एवं शरीर की कोशिकाओं और नाड़ियों
को शुद्ध पवित्र बनाकर ऊर्जा प्रदान
करता है। अवसादग्रस्त लोगों के लिए
मन्त्र जाप से बड़ी कोई ओषधि नहीं है।
संदर्भ ग्रन्थ, पुस्तकों की सूची/नाम।
इन सबका निचोड़ इस लेख में है….
★ ब्रह्मवैवर्त पुराण
★ अग्नि पुराण
★ शिवपुराण
★ काली तन्त्र
★ रहस्योउपनिषद
★ ईश्वरोउपनिषद
★ काशी का इतिहास
★ प्रतीक शास्त्र
★ हिंदी-संस्कृत शब्दकोश
★ भविष्य पुराण
★ स्कन्ध पुराण
★ महामृत्युंजय रहस्य
★ व्रतराज सहिंता
★ मन्त्र महोदधि
★ तन्त्र चंद्रोदय
★ अंक प्रतीक कोष
★ अर्ध मार्तण्ड
★ श्रीमद्भागवत महापुराण
★ मनीषी की लोकयात्रा
★ हिमालय के योगी
★ अघोरी-अवधूतों के रहस्य आदि!
!!ॐ नमःशिवाय!! यह मन्त्र
अनेक ऋषियों द्वारा कीलित (Lock)
है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे…
!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र का ताला कैसे खोले, जाने इस लेख में–
इस समय देश के लगभग सभी लोग
कोरोना वायरस की वजह से फुर्सत में
हैं, इसलिए अमॄतम पत्रिका
द्वारा भोलेनाथ के बारे में एक दुर्लभ रहस्यमयी बात पुराण, उपनिषद के
मुताबिक बतायी जा रही है। इस
प्रक्रिया का पालन, उत्कीलन जरूरी है।
तभी !ॐ नमःशिवाय! का जाप करने
से जीवन में परिवर्तन 100 फीसदी
निश्चित होगा।
लोगों की शंकाओं का समाधान...
√ वर्तमान समय में मंत्रो का शुभप्रभाव
किसी को क्यों नहीं दिखता?
√ मन्त्र माला जाप करते समय उच्चाटन
क्यों हो जाता है?
√ मन्त्र जाप से किसी भी कार्य में जल्दी सिद्धि नहीं क्यों नहीं मिलती?
√ कोई भी मनोकामना
पूरी नहीं हो पाने के कारण क्या है?
सनातन धर्म के अधिकांश साधक,
लोग ये सब जानने के लिए आतुर हैं।
हरेक कीलित मन्त्र की उत्कीलन
विधि होती है।
उत्कीलन का अर्थ है-
उन मंत्रो का कीलन (ताला) विधिवत खोलना। इस ताले की चाबी मिलने
का स्थान, ताला खोलने की विधि,
प्रत्येक मंत्र के ऋषि, देवता तथा
शक्तिबीज सब अलग अलग होते हैं।
मंत्रों को कीलित क्यों किया गया?
करने की क्या वजह थी?
उपरोक्त प्राचीन गर्न्थो के मुताबिक
भोलेनाथ ही तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र, सर्व
सिद्धियों के प्रथम अविष्कारक हैं।
इन सब विधियों में मंत्र महत्वपूर्ण हैं।
मंत्रों की निर्माण प्रक्रिया में उनके
चमत्कारी प्रभाव एवं फायदे का
दुरुपयोग न हो, इसलिए बहुत से
मंत्रों जैसे-गायत्री मन्त्र, पंचाक्षर
मन्त्र, महामृत्युंजय मन्त्र और दुर्गा सप्तशती के अनेक स्तोत्रों को
कीलित कर दिया था।
कुछ मंत्रों को ऋषियों द्वारा शापित भी
कर दिया गया, ताकि इन ऊर्जावान
ब्रह्म शब्दों का कोई स्वार्थी पुरुष इसको
धन्धा न बना सके। भगवान शिव की
ये सब खोजे सृष्टि के कल्याण हेतु थी।
कीलित या कीलन का अर्थ है ….
ताला लगा देना।
एक प्रकार से महादेव और उनके
अनुयायी महर्षियों ने इन मंत्रो को
ताला लगा दिया, जिससे कोई भी
अपात्र या लोभी मनुष्य इन शक्तिशाली
मंत्रों का दुरूपयोग न कर सके।
ॐ नमःशिवाय मन्त्र भी कीलित है।
जब तक इसका उत्कीलन या शापोद्धार
कर ताला नहीं खोला जाता, तब तक ये अपना सही असर नहीं दिखा पाते हैं।
कीलित मन्त्र का उत्कीलन होने के
बाद ही जपने का मन होता है अन्यथा
उच्चाटन होकर मन नहीं लगता।
ॐ नमःशिवाय की रहस्यमयी महिमा..
यह पंचाक्षर मन्त्र अल्पाक्षर एवं
अति सूक्ष्म संक्षिप्त दिखता जरूर है,
किन्तु इसमें अनेक अर्थ भरे हैं।
5 अक्षरों वाला यह मन्त्र पंचतत्व
अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल
तथा हमारी पांच कर्मेन्द्रियों एवं
5-ज्ञानेंद्रियों को जागृत
कर क्रियाशील बनाये रखता है।
इस लेख में न/मः/शि/वा/य के
एक-एक अक्षर का अर्थ जानेंगे…..
शिवपुराण, शिव रहस्योउपनिषद
एवं शिव काली तन्त्र में महादेव
का वचन है-
जिसकी जैसी समझ हो, सोच हो,
जिसे जितना समय मिल सके,
चलते-फिरते, उठते-जागते, रोते-गाते, गुनगुनाते….जिसकी जैसी इच्छा, बुद्धि, शक्ति, सम्पत्ति, उत्साह, योग्यता
और प्रेम हो, उसके अनुसार वह जब
कभी, जहाँ कहीं भी इस चमत्कारी
पंचाक्षर मन्त्र को जप सकता है।
बिना किसी पूजा सामग्री
अथवा किसी भी साधन
द्वारा केवल शिंवलिंग पर जलधारा
अर्पित कर पूजा की जा सकती है।
अग्नि पुराण में आया है कि-
मानव मस्तिष्क और शिंवलिंग
दोनो एक समान हैं। जैसे स्नान के
समय सिर पर पानी डालने से तन-मन
हल्का और स्फूर्तिवान हो जाता है,
ठीक वैसे ही शिंवलिंग पर पानी चढ़ाने
से बुद्धि के विकार बाहर
निकलकर, मन शान्त हो जाता है।
पापी की प्रार्थना सुनता है-महादेव
यदि पतित-पापी, निर्दयी, कुटिल,
पातकी मनुष्य भी शिव या शेषनाग
में मन या ध्यान लगा कर पंचाक्षर
मन्त्र का जप करेंगे, तो वह उनको
संसार-भय से तारने वाला होगा।
ॐ नमःशिवाय की अदृश्य शक्ति क्या है–
जैसे सभी देवताओं में त्रिपुरारि भगवान
शंकर देवाधिदेव हैं, ठीक उसी प्रकार
सब मन्त्रों में भगवान शिव का पंचाक्षर
मन्त्र !!ॐ नम: शिवाय!! श्रेष्ठ है।
लगभग सभी पुराण, उपनिषद आदि सहिंताओं में ऊपर वाले का उल्लेख है। शिवपुराण में महाशक्ति को महादेव
समझा रहे हैं कि-प्रणव (ॐ) सहित पांच अक्षरों से युक्त मेरा हृदय है।
यही शिवज्ञान है,
यही परमपद है और
ये ही ब्रह्मविद्या है।
!!ॐ नमःशिवाय!! पंचाक्षर मन्त्र…
पंचतत्व का प्रतीक है। इस मन्त्र का
उत्कीलन कर जपने से सभी काम
स्वतः ही बनने लगते हैं।
चमत्कारी मन्त्र की विशेषताएं..…
【1】इस मायावी संसार बन्धन में
बँधे हुए मनुष्यों की मनोकामना पूर्ति
सदैव स्वस्थ्य-प्रसन्न रखने के लिए
स्वयं महाकाल ने !!ॐ नम: शिवाय!!
इस उत्साह दायक सर्व शक्तिमान
मन्त्र का प्रतिपादन किया।
【2】अघोरी-अवधूत, औघड़दानी
सन्त इसे पंचाक्षरी विद्या भी कहते हैं।
【3】वेदों का विश्वास, पृथ्वी की
शक्ति और यह मंत्रों का राजा है।
【4】समस्त श्रुतियों-शास्त्रों का
सिरमौर तथा श्रेष्ठ है।
【5】ॐ नमःशिवाय मन्त्र सम्पूर्ण
उपनिषदों की आत्मा है।
【6】हरेक अक्षर शब्द समुदाय का बीजरूप है।
【7】!!ॐ नम: शिवाय!! मन्त्र के
अजपा जाप से साधारण साधक
शव से शिवस्वरूप हो जाता है।
【8】यह पंचाक्षर मन्त्र मोह-माया
के अंधकार में प्रकाशित करने वाला
दीपक है।
【9】अविद्या के समुद्र को सोखने
वाला वडवानल यानि अग्नियुक्त वायु है।
【10】पापों के जंगल को जला डालने वाला दावानल यानि फैलने वाली अग्नि है।
【11】स्कन्दपुराण के अनुसार-
यह पंचाक्षर मन्त्र वटवृक्ष के बीज की
भाँति हैं, जो सब कुछ देने वाला तथा सर्वसमर्थ माना गया है।
【12】इस मन्त्र को जपने के लिए
कोई महूर्त, दिन-वार लग्न, तिथि, नक्षत्र
और योग का विचार नहीं किया जाता।
【13】पंचाक्षर मन्त्र कभी सुप्त, लुप्त
या विमुक्त नहीं होता।
【14】यह मन्त्र सदा जाग्रत ही रहता है।
【15】अत: पंचाक्षर मन्त्र ऐसा है,
जिसका जाप, अनुष्ठान सब लोग
किसी भी अवस्थाओं में कर सकते हैं।
【16】पंचाक्षर मन्त्र के जाप से अनेक जन्मों के पाप क्षय होकर 8 तरह के अष्टदरिद्र दूर हो जाते हैं।
शिवावतार जगतगुरु अदिशंकराचार्य
ने लिंगाष्टकम स्तोत्र में लिखा भी है-
!!अष्टदरिद्र विनाशन लिंगम!!
【17】यह मन्त्र भगवान शिव का
हृदय–शिवस्वरूप, गूढ़ से भी गूढ़
विद्या, अथाह सुख-सम्पदा, ऐश्वर्य,
प्रसिद्धि और मोक्ष ज्ञान देने वाला है।
【18】यह मन्त्र समस्त वेदों का
सार है। परमात्मा का वास है इसमें।
【19】यह अलौकिक मन्त्र मनुष्यों
के मन में चैन-अमन देकर तन को
तन्दरुस्त बनाने वाला है।
【20】यह शिव की आज्ञा से सिद्ध है।
【21】पंचाक्षर मन्त्र का निरन्तर जाप तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र तथा नाना प्रकार की
सिद्धियों को देने वाला है।
【22】इस मन्त्र के जाप से साधक
को लौकिक, पारलौकिक सुख,
त्रिकाल दृष्टि, इच्छित फल एवं
पुरुषार्थ की प्राप्ति हो जाती है।
【23】यह मन्त्र मुख से उच्चारण
करने योग्य, सम्पूर्ण प्रयोजनों को
सिद्ध करने वाला व सभी विद्याओं
का बीजस्वरूप है।
【24】यह मन्त्र सम्पूर्ण वेद, उपनिषद्,
पुराण और शास्त्रों का आभूषण व सब
पापों का नाश करने वाला है।
【25】ॐ नमःशिवाय-यह सृष्टि
निर्माण के वक्त स्वतः ही उत्पन्न
हुआ सबसे पहला मन्त्र है।
【26】प्रलयकारी परिस्थितियों में
संहार के समय सृष्टि का हर कण इसमें समाहित रहकर सुरक्षित हो जाता है।
पूरा शिव पंचाक्षर स्तोत्र क्या है…
इसके पाँचों श्लोकों में क्रमशः
न-म:-शि-वा-य है। अत: यह स्तोत्र
पंचतत्व परिपूर्ण शिव का ही स्वरूप है…
नमःशिवाय का श्लोक विस्तार से जाने..
{1} पहले “न”- अक्षर से••••
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांगरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय !!१!!
अर्थ:-
जिनके कण्ठ/,गले में नागों का है।
जिनके तीन नेत्र हैं, अपने शरीर पर
भस्म का लेप लगाये रहते हैं।
दसों दिशाएं ही जिनका वस्त्र है।
अर्थात जो सदैव नग्न रहते हैं।
ऐसे निटी शुद्ध महेश्वर ‘न’ कार
स्वरूप भोले नाथ को नमन करते हैं।
{2} दूसरे “म”-अक्षर से••••
मन्दाकिनी सलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। मन्दारपुष्पबहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै ‘म’काराय नम: शिवाय !!२!!
अर्थात-
गंगाजल, चन्दन, मदार (सफेद अकौआ)
तथा विभिन्न पुष्पों से जिस शिंवलिंग
की बेहद सुंदर विधि-विधान से पूजा
की जाती है, उन नन्दी के अधिपति
प्रथम गणों के स्वामी महाकाल ‘म‘
कार स्वरूप हदेव को प्रणाम है।
{3} तीसरा “शि”-अक्षर से••••••
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै ‘शि’काराय नम: शिवाय !!३!!
भावार्थ:
सारे विश्व का कल्याण करने वाले,
महागौरी के मुख रूपी कमल को
विकसित (प्रसन्न) करने के लिए
सूर्यरूपी दक्ष यज्ञ का नाश करने
वाले तथा वृषभ (बैल) के चिन्ह की
ध्वज वाले, सर्व ज्ञान सम्पन्न, सुशोभित
नीले कण्ठ वाले “शि” कार स्वरूप
शिव जी को नमस्कार करता हूं।
{4} चौथे “वा”-शब्द का पूरा मन्त्र….
वशिष्ठकुम्भोद्भव गौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चित शेखराय। चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय
तस्मै ‘व’काराय नम: शिवाय !!४!!
अर्थात::-
महर्षि वशिष्ठ, ऋषि अगस्त, गौतम
आदि इन त्रिकालदर्शीयों और इंद्र
आदि देवगण जिनके मस्तक की
नित्य पूजा-अर्चना करते हैं। सूर्य
तथा चंद्रमा जिनके नेत्र हैं। उन
“व” कार स्वरूप कल्यानेश्वर शिवजी
को मैं बारम्बार वन्दनकरता हूं।
{5} पांचवा “य”-शब्द का पूरा मन्त्र
यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय। दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै ‘य’काराय नम: शिवाय !!५!!
अर्थ:
यक्ष का रूप धारण करने वाले
जटाधारी, अपने हाथों में पिनाक
धनुष लिए हुए सनातन आदि पुरुष
दिगम्बर देव “य” कार स्वरूप भगवान सोमनाथ को नमस्कार है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ! शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते!!
भावार्थ- जो कोई भी प्राणी शिव मंदिर
में शिंवलिंग के समीप उनके इस
पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है।
उसे सर्व-सम्पन्नता और शिवलोक
की प्राप्ति होती है। वह जगत में
स्वस्थ्य प्रसन्न रहता है।
विभिन्न मनोकामनाओं के लिए निम्न
प्रकार से करें, इस पंचाक्षर मन्त्र
ॐ नमःशिवाय का जाप या प्रयोग-
अकालमृत्यु भय को दूर करने के लिए...
शनिवार को पीपलवृक्ष पर कलावा
लपेटकर उसका स्पर्श करके 10 दिन
554 बार पंचाक्षर मन्त्र का जप करे।
ज्योतिष रत्नाकर एवं कालचक्र सहिंता
में उल्लेख है कि- पीपल वृक्ष में 3
देवताओं का निवास है-
संस्कृत में श्लोक है-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच ।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमोस्तुते ।
इसे 5 बार पढ़े, तो
अर्थ समझ आ जायेगा।
मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः!
अग्रतः शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः!!
अर्थात-
पीपल के मूल में भगवान ब्रह्म,
मध्य में भगवान श्री विष्णु तथा
अग्रभाग में भगवान शिव का वास
होता है।
गरुड़ पुराण में आया है कि-
परमात्मा का वास 554 योजन दूर
है। एक योजन में लगभग 13 किमी
होता है। एक मन्त्र जपने से हमारे
मंत्रों का स्पन्दन, ऊर्जा एक योजन
पर कर पाता है।और दस दिन में
मन्त्र जाप की प्रार्थना दसों दिशाओं
में पहुंच पाती है।
यह जानकारी बहुत संक्षिप्त में दी
जा रही है। भविष्य में यह पूरा ब्लॉग
लिखा जाएगा कि-कितने दिन में,
कितनी माला जपने से जीवन में
क्या-क्या परिवर्तन होने लगते हैं।
@ यश-कीर्ति, मंत्री पद पाने के लिए रविवार को दुपहर 11.40 से 12.28
के मध्य अभिजीत महूर्त में
अमॄतम राहुकी तेल के दो
दीपक जलाकर 11 माला
!!ॐ नमःशिवाय!!
मन्त्र का जाप करें।
अभिजीत महूर्त का महत्व.…
रविवार को उपरोक्त समय में
अभिजीत महूर्त होता है।
भविष्य पुराण के अनुसार-
सब ग्रहों का राजा है और रविवार
दिवस के ये अधिपति/स्वामी हैं।
इस महूर्त में किया गया कोई भी
मन्त्र जप, पूजा-अनुष्ठान पूर्णतः
फलित होता है।
@ धन की वृद्धि के लिए बिना
अन्न ग्रहण किये प्रतिदिन
राहुकाल में शिंवलिंग पर चन्दन
इत्र लगाकर, चारों दिशाओं में
एक-एक दीपक देशी घी का
और राहु की तेल का जलाकर
55 दिन तक नियमित 9 माला ॐ नमःशिवाय मन्त्र की जपें!
राहु और राहुकाल के बारे में हम
अमॄतम पत्रिका में अनेक लेख
ऑनलाइन प्रकाशित कर चुके हैं।
@ तन्त्र महोदधि ग्रन्थ से साभार
विद्या और लक्ष्मी पाने के लिए
अंजलि में जल लेकर शिव या
सदगुरू का ध्यान करते हुए ग्यारह
बार पंचाक्षर मन्त्र का जप करके
उस जल को शिवलिंग पर 47 दिन
लगातार अर्पित करना चाहिए।
!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र की कब,
कैसे कितनी माला जपने से
होंगे ये 13 लाभ-
!!१!! ॐ नमःशिवाय मन्त्र के 27 दिन
तक एक माला जाप से एक तीर्थ का
फल मिलता है।
!!२!!दो माला जाप से नेत्र रोग,
वाणी दोष, कुटुम्ब का कलह
अविद्या विकार दूर होते हैं।
!!३!! 3 माला जप से त्रिदोष शान्त
होता है। पराक्रम बढ़ता है।
!!४!! 4 माला जप से भूमि,
वाहन, भवन की प्राप्ति होती है।
!!५!! 5 माला जाप 27 दिन लगातार
करें, तो बुद्धि तेज होकर स्मरण
शक्ति में वृद्धि होती है।
!!६!! प्रतिदिन 6 माला 27 दिन करने
से रोग-शत्रु कुछ नहीं बिगाड़ पाते।
मुकदमे में विजय होती है।
कर्जे से मुक्ति मिलती है।
!!७!! रोज सात माला जपने से जल्दी
विवाह योग बनता है।
बेरोजगार को रोजगार प्राप्त होता है।
!!८!! आठ माला जपने से मृत्यु योग
टल जाता है। कोई विशेष रुका या
बिगड़ा काम बनने लगता है।
!!९!! यदि 9 माला रोज जपें, तो
विशेष भाग्योदय होने लगता है।
ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं।
!!१०!! दस माला पंचाक्षर मन्त्र
के 27 दिन जाप से व्यापार,
काम-धंधे में उन्नति होने लगती है।
!!११!! ग्यारह माला रोज जपें, तो
आय में विशेष बढ़ोत्तरी होने लगती है।
!!१२!! बारह माला जपने से फालतू
के खर्चे, बीमारियों में व्यय नहीं होते।
कर्जा पट जाता है।
!!१३!! तेरह माला के 27 दिन जाप
से मन का डर,भय, भ्रम, मानसिक
विकार मिटने लगते हैं।
जैसी मनोकामना हो, उतनी माला रोज प्रातःकाल अथवा राहुकाल में 27 दिन
तक जरूर जपकर या ये उपाय
करके देखें। यह प्रयोग जीवन बदलने
और भाग्योदय में सहायक होगा।
पुराणों में एक दिन के भी बहुत से
प्रयोगों का वर्णन मिलता है-
ये चमत्कार भी अपनाकर देखें….
◆ प्रातः सूर्योदय के समय प्रतिदिन
एक माला पंचाक्षर मन्त्र का जप
करके सूर्य के समक्ष जल पीने से
पेट दर्द और सभी तरह उदर रोगों
का नाश हो जाता है।
◆ भोजन ग्रहण करने से पहले ग्यारह
बार ॐ नमःशिवाय मन्त्र के जप से
भोजन भी अमृत के समान होकर शीघ्र
पच जाता है।
◆ ज्योतिष से रोग निदान पुस्तक
में वर्णन है कि-
असाध्य रोग कैंसर, मधुमेह,
बीपी हाई, श्वास की समस्या आदि
से मुक्ति के लिए अपनी उम्र के
अनुसार दीपक जलाकर, उतने
ही माला का जाप शुक्रवार एवं
मंगलवार को अवश्य करें।
जैसे किसी की उम्र 40 वर्ष है,
तो 40 दीपक अमॄतम राहु की तेल
के जलाकर 40 माला
!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र की जपें।
कीलित मन्त्र का ताला खोलने का उपाय
इसे अवश्य पढ़ें-
मन्त्र माला साधना विधान :——–
बिना अन्न ग्रहण किये स्नान कर
पीले या सफेद वस्त्र पहिनकर
उत्तर दिशा की तरफ मुख कर
आसन ग्रहण करें।
मन्त्र जाप से पहले इसका lock खोलें
हाथ में जल लेकर बोलें-
विनियोग :—
ॐ अस्य श्री शिवपंचाक्षर मन्त्रस्य
वामदेव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,
सदाशिवो देवता, ॐकारो बीजम्,
नमः शक्तिः, शिवाय इति कीलकम
मम श्रीसाम्बसदाशिव प्रीत्यर्थं
न्यासे जपे च विनियोगः।
हथेली के जल को जमीन पर डाल दें।
विशेष-इस मन्त्र की शक्ति-ऊर्जा अपार
होने के कारण इसे अनेक ऋषि-मुनियों
ने कीलित कर दिया था। अतः इस मन्त्र
के ताले को खोलने के लिए उपरोक्त
प्रक्रिया जरूरी है। इसे मन्त्र शाप उद्धार कहतें हैं।
अब श्री गणेश जी का ध्यान करते हुए
अपना नाम, गोत्र, मनोकामना का संकल्प लेकर मन्त्र जाप ॐ नमःशिवाय शुरु करें।
आप चाहें, तो निम्नांकित न्यास भी कर सकते हैं।
न्यास का मतलब अपने
शरीर में देवताओं को स्थापित
करना होता है। इससे देव गण
तन-मन, आत्मा की शुद्धि करते हैं।
ऋष्यादि न्यास :—
ॐ वामदेव ऋषये नमः शिरसि।
(सिर को स्पर्श करें)
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे।
(मुख को स्पर्श करें)
ॐ श्रीसदाशिवो देवताये नमः हृदये।
(हृदय को स्पर्श करें)
ॐ बीजाय नमः गुह्ये।
(गुह्य (गूदा) स्थान स्पर्श करे)
ॐ नमः शक्तये पादयोः।
(पैरों को स्पर्श करें)
अब हाथ धोकर पुनः करें-
ॐ शिवाय इति कीलकाय नमः नाभौ।
(नाभि को स्पर्श करें)
ॐ श्रीसाम्बसदाशिव प्रीत्यर्थे विनियोगाय नमः सर्वांगे। (सभी अंगों को स्पर्श करें)
अब कर न्यास करें....
ॐ ॐ अँगुष्ठाभ्याम् नमः।
(दोनों हाथों की तर्जनी उंगलियों
से दोनों अँगूठे को स्पर्श करें)
ॐ नं तर्जनीभ्याम् नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों तर्जनी
उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ मं मध्यमाभ्याम् नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों मध्यमा
उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ शिं अनामिकाभ्याम् नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों अनामिका
उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ वां कनिष्ठिकाभ्याम् नमः।
(दोनों अँगूठों से दोनों कनिष्ठिका
उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ यं करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः।
(परस्पर दोनों हाथों को स्पर्श करें)
तत्पश्चात अंगन्यास करें…..
ॐ ॐ हृदयाय नमः। (हृदय को स्पर्श करें)
ॐ नं शिरसे स्वाहा। (सिर को स्पर्श करें)
ॐ मं शिखाये वषट्। (शिखा को स्पर्श करें)
ॐ शिं कवचाय हुं।
(दोनो भुजाओं को स्पर्श करें)
ॐ वां नेत्रत्रयाय वौषट्।
(नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ यं अस्त्राय फट।
(सिर से घूमाकर तीन बार ताली बजाएं)
इति हृदयादिषडंगन्यासः।
अब संकल्प शक्ति, मनोकामना
अनुसार ॐ नम: शिवाय
जाप शुरू करें।
अपना अनुभव–
पिछले 30-35 वर्षों से में इस मन्त्र
का जाप रोज राहुकाल में करता आ
रहा हूँ। राहुकाल में जपने
का तरीका मुझे एक अघोरी बाबा ने
उड़ीसा में महानदी के किनारे स्थित
स्वयम्भू हुमा शिव मंदिर के नजदीक
बताया था। यहां के हरेक मन्दिर,
शिंवलिंग एक तरफ से टेढ़े या
झुके हुए हैं। उस समय मेरा जीवन
अत्यंत दुःख-दरिद्रता और घोर गरीबी
में बीत रहा था। राहुकाल में
राहु की तेल के दीप जलाकर
विधि-विधान पूर्वक
ॐ नमःशिवाय का जाप करने
से भोलेनाथ ने वह सब कुछ
दिया, जिसकी कल्पना भी नहीं थी।
आपकी सुविधा के लिए राहुकाल
का समय नीचे दिया जा रहा है।
यह सब जगह, पूरे देश में लगभग
एक ही समय पर आता है।
कहीं-कहीं 10 से 20 मिनिट का
फर्क हो सकता है। समय शुद्धि
के लिए पञ्चाङ्ग देखें-
राहुकाल का समय…..
रविवार/Sunday-शाम 4.30 से 6 बजे
सोमवार/Monday प्रातः 7.30 से 9 बजे
मंगलवार- दोपहर 3 बजे से 4.30 तक
बुधवार- दिन के 12 बजे से 1.30 तक
गुरुवार- 1.30 से 3.00 बजे तक
शुक्रवार- प्रातः 10.30 से 13.00 तक
शनिवार- सुबह 9 बजे से 10.30 तक
केतुकाल भी होता है इसकी चर्चा
और मन्त्र के बारे में जानने हेतु आगे
के ब्लॉग पढ़ते रहें।
राहुकाल में निराहार पूजा करने,
मन्त्र जपने से मेरे जीवन में इससे
अत्यधिक लाभ हुआ और आपको
भी हो, यही भोलेनाथ महादेव शिवकल्याणेश्वर
से यही प्रार्थना है कि-
भोले पर लगा दे,
अबकी बार लगा दे!
में हूँ शिव की शरणा…..
हमेशा एक बात याद रखें
जीवन का सार भी शिव है।
जीवन के पार भी शिव है।
जीवन और ज्योतिष के रहस्य
में रमने के लिए अमॄतम पत्रिका
पढ़ते रहें।
नीचे लिंक क्लिक कर पढ़े बहुत कुछ
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