• क्या होगा भारत का भविष्य और कैसी होगी दुनिया की हाल या चाल…

    क्या होगा भारत का भविष्य और कैसी होगी दुनिया की हाल या चाल…

    कट्टरपंथियों का अंत सन्निकटहै?… लाखों वर्षों से दुनिया भाग्य के भरोसे चलायमान है और भारत के राष्ट्रगीत में आया है कि  “भारत भाग्य विधाता” भारत के भाग्य का विधाता तो एक मात्र महादेव ही है अन्य कोई नहीं। अवधूत कहते हैं कि – शिव ही विधाता शिव ही विधान शिव ही ज्ञानी, शिव ही ज्ञान।। शेष…

  • जाने एक चमत्कारी छिन्नमस्ता मंत्र और यंत्र का दुर्लभ चित्र और जाने तांत्रिक बन की विधि…

    जाने एक चमत्कारी छिन्नमस्ता मंत्र और यंत्र का दुर्लभ चित्र और जाने तांत्रिक बन की विधि…

    छिन्नमस्ता यंत्र का फोटो नीचे देखें।   चित्र में छिन्नमस्ता देवी का यंत्र चित्रित है। ये नेपाल के पुरश्चर्याणव ग्रंथ में चित्रित है। इसे एक प्राचीन ग्रंथ से लिया गया है। घर में इस यंत्र का चित्र लगाने से तंत्र, टोटका, जादू टोने का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है।  ये तंत्रोक्त प्राणसंक्रांति का द्योतक कराते…

  • क्या भोजन सही दिशा में करने से सुख समृद्धि बढ़ती हैं?

    क्या भोजन सही दिशा में करने से सुख समृद्धि बढ़ती हैं?

    दिशा से दशा बदलिए…. दिशाओं का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व है। सही दिशा में चलनेवाले जहाज, वाहन अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं, गलत दिशा में चलनेवाले समय का अपव्यय करने के साथ ही साथ अपनी मंजिल को भी खो बैठते हैं और अनावश्यक कष्टकठिनाइयों को झेलते हैं। यह अलग बात है कि चतुरगण परिस्थितियों…

  • आयुर्वेद की भाषा में रोगों के संस्कृत नाम…

    आयुर्वेद की भाषा में रोगों के संस्कृत नाम…

    संस्कृत में बीमारियों के नाम अत्यंत विचित्र हैं। जिसे समझने में बहुत दिक्कत होती है। ज्यादातर लोगों ने देखा होगा कि दवाओं के लेबल पीआर फल विरेचन, मंदाग्नि, अशमरी आदि लिखा रहता था। आज भी अनेक आयुर्वेदिक कंपनियों के उत्पादों पर संस्कृत नामों का उल्लेख रहता है। इन्हीं नामों का हिंदी अर्थ, उपयोग तथा अंग्रेजी…

  • मिर्गी, चक्कर आने की १०० फीसदी आयुर्वेदिक चिकित्सा…

    मिर्गी, चक्कर आने की १०० फीसदी आयुर्वेदिक चिकित्सा…

    अगर कोई व्यक्ति मिर्गी आदि मानसिक विकारों से पीड़ित परेशान हो, तो आयुर्वेद की पुरानी किताब का यह प्रयोग एक साल करके देखें… वात्तकुलान्तक रस दस ग्राम, वच चूर्ण चालीस ग्राम—इनकी अस्सी मात्रा बनाएं। एक-एक मात्रा अमृतम ब्रेन की गोल्ड माल्ट एक चम्मच में मिलाकर सुबह खाली पेट तथा -रात दूध से लें। अश्वगंधारिष्ट दो चम्मच, सारस्वतारिष्ट…

  • आयुर्वेद में हैं रोग परीक्षा के ५००० साल पुराने सूत्र!

    आयुर्वेद में हैं रोग परीक्षा के ५००० साल पुराने सूत्र!

     त्रिविधि रोग परीक्षा चरक ने तीन प्रकार से रोगों की परीक्षा करने का निर्देश किया है-प्राप्तोपदेश, प्रत्यक्ष तथा अनुमान। जिन्होंने पदार्थों के ज्ञातव्य विषयों का साक्षात्कार किया है, उनको प्राप्त (यथा ऋषि) कहते हैं उनके द्वारा रचित ग्रन्थ या वचन को प्राप्तोपदेश कहा जाता है। प्रत्येक विषय में पहले इसी प्रमाण के द्वारा ज्ञान प्राप्त…

  • राष्ट्रगान है क्या? अंग्रेजों का सम्मान या भारत का स्वाभिमान.

    राष्ट्रगान है क्या? अंग्रेजों का सम्मान या भारत का स्वाभिमान.

    रविन्दनाथ टैगोर ने जन गण मन अधिनायक गीत जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उनके सम्मान में लिखा था। जबकि बंदे मातरम आज देश का राष्ट्रगीत होता। विदेशियों को महिमा मंडित करने के लिए राष्ट्रगान की रचना पारिश्रमिक देकर कराई थी। अंग्रेजों शासकों हेतु लिखा राष्ट्रगान से केसे जागे स्वदेश में स्वाभिमान इस लेख में…

  • आयुर्वेद में पथ्य अपथ्य का पालन कर अनेक रोगों से छुटकारा पा सकते हैं!

    आयुर्वेद में पथ्य अपथ्य का पालन कर अनेक रोगों से छुटकारा पा सकते हैं!

    मधुमेह यानि डायबिटीज से भारत के लगभग ७० फीसदी लोग प्रभावित और पीड़ित हैं। लोग चाहें, तो आयुर्वेद के अनुसार कुछ परहेज करके इस महामारी से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते हैं। हितकारी चीज यानि पथ्य-मक्खन, पनीर, घी, और मूंग आदि की दाल (थोडी), गोभी, टमाटो, ककडी आदि बहुत थोडे हरे शाक तथा चेस्टनट…

  • मोटापा, मेदरोग, चर्बी कम करने के आयुर्वेदिक सूत्र…

    मोटापा, मेदरोग, चर्बी कम करने के आयुर्वेदिक सूत्र…

    भैषज्यरत्नावलीनामकभेषजग्रन्थस्य मेदोरोगाधिकारस्य आयुर्वेद के एक प्राचीन ग्रंथ योग रत्नाकर में स्थौल्य रोग यानि मोटापा मिटाने के पथ्य यानि परहेज की चर्चा गुमफिट है – (यो. र.) पुराणशालयो मुद्गकुलत्थयवकोद्रवाः। लेखना बस्तयश्चैव सेव्या मेदस्विना सदा॥६३॥ अर्थात मेदोरोग में पुराना शालिचावल, मूँग की दाल, कुलत्य, जौ, कोदो तथा लेखनबस्ति का प्रयोग हितकर या लाभदायक है।  मेदोरोग में पथ्य….…

  • आयुर्वेद के अनुसार बाजीकरण क्या है…

    आयुर्वेद के अनुसार बाजीकरण क्या है…

    वाजीकरण की आवश्यकता क्यों है -पुरुषों को चिन्तया जरया शुक्रं व्याधिभिः कर्मकर्षणात्। क्षयं गच्छत्यनशनात् स्त्रीणां चातिनिषेवणात् ॥१॥ अर्थात अनेक प्रकार की चिन्ता से, वृद्धावस्था के कारण, रोग से, व्यायामादिकर्म से अथवा पञ्चकर्म के हीन या अतियोग से अधिक दिनों तक भूखे रहने से, स्त्रियों के साथ अति सम्भोग करने से और अधिक मात्रा में शुक्र…

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