• बाल्मिकी रामायण में लिखी हैं_ घाव भरने था मधुमेह की ओषधियां.

    बाल्मिकी रामायण में लिखी हैं_ घाव भरने था मधुमेह की ओषधियां.

    संजीवनी औषधि चार तरह की बताई हैं……. जाने विशेष दुर्लभ बात!!!! वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित संजीवनी के अंतर्गत चार वनौषधियों में से एक है। इस संदर्भ में रामायण का निम्नलिखित श्लोक विशेष उल्लेखनीय है : दक्षिणा शिखरे तल्या जातमोषधपानव । विशल्याकरण नाम विशवकरणीम् तथा संजीवनीमपि। रणींनापियवा शीघ्रामिहास्य । (युद्ध कांड बाल्मीकि रामायण) अर्थात_हे हनुमान! आप…

  • फेटी लिवर या यकृत की किसी समस्या से हों परेशान, तो खाएं.. ये चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि!

    फेटी लिवर या यकृत की किसी समस्या से हों परेशान, तो खाएं.. ये चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि!

    फेटी लिवर के लक्षण, अगर शरीर में हमेशा थकान, कमजोरी रहे तथा स्वभव में चिड़चिड़ापन आने लगे, तो इसे गम्भीरतापूर्वक लें हो सकती है यकृत में कोई विशेष विकराल समस्या। आयुष मंत्रालय की एक शोध व सर्वे के मुताबिक भारत में 25 फीसदी लोग फेटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं। फेटी लिवर होने…

  • सर्व दुःख, रोग नाशक वेदमंत्रों के चमत्कार

    सर्व दुःख, रोग नाशक वेदमंत्रों के चमत्कार

    उपनिषद, पुराण, ग्रन्थ-शास्त्रों में सफलता के अनेक मंत्रों का उल्लेख है। इस धरती पर ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका उपचार मंत्रों से नहीं किया जा सके। आयुर्वेद कहता है कि बीमारी का असर मन पर होता है। मन की खराबी असंख्य विकारी की जन्मदाता है। इसलिए मन्त्र जपने से मन शांत व प्रसन्न रहता…

  • सूर्य उपासना से होते हैं- चमत्कारी फायदे.

    सूर्य उपासना से होते हैं- चमत्कारी फायदे.

    बहुत कठिन परिश्रम,दिन रात कड़ी मेहनत के बाद भी भाग्योदय नहीं हो पाता। क्योंकि सम्पूर्ण जीव जगत के रक्षक परम पिता स्वरूप भगवान सूर्य की उपासना भूत ही कम लोग करते हैं। दुःख का दुखड़ा मत रोएं…. संसार मत छोडो, दृष्टि छोडो। दृष्टि बदलोगे, तो सृष्टि बदल जाएगी। नजरों को  बदलते ही, नजारे बदलेंगे मगर…

  • बाल्मिकी रामायण में लिखी हैं_ घाव भरने था मधुमेह की ओषधियां….

    बाल्मिकी रामायण में लिखी हैं_ घाव भरने था मधुमेह की ओषधियां….

    संजीवनी औषधि चार तरह की बताई हैं……. जाने विशेष दुर्लभ बात!!!! वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित संजीवनी के अंतर्गत चार वनौषधियों में से एक है। इस संदर्भ में रामायण का निम्नलिखित श्लोक विशेष उल्लेखनीय है : दक्षिणा शिखरे तल्या जातमोषधपानव । विशल्याकरण नाम विशवकरणीम् तथा संजीवनीमपि। रणींनापियवा शीघ्रामिहास्य । (युद्ध कांड बाल्मीकि रामायण) अर्थात_हे हनुमान! आप…

  • गिलहरी को भगवान शिव का वरदान क्यों मिला!

    गिलहरी को भगवान शिव का वरदान क्यों मिला!

    एक प्राचीन शिवालय के शिवलिंग पर फूल, प्रसाद, निर्माल्य की सफाई करते हुए उसकी लगन और कड़ी मेहनत को देखकर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गये। कहा जाता है कि उन्होंने उसकी पीठ पर हाथ फेरकर उसे आशीर्वाद दिया। उनकी अंगुलियों के निशान गिलहरी की पीठ पर छप गये। गिलहरी की पीठ पर पड़ी धारियां उसे…

  • हमारे प्रयास ही हमें स्वस्थ्य रख सकते हैं। अपने रोग खुद कैसे जाने!

    हमारे प्रयास ही हमें स्वस्थ्य रख सकते हैं। अपने रोग खुद कैसे जाने!

    मानव-शरीर- शास्त्र के शरीर रचना, इंद्रिय-विज्ञान तथा आरोग्य-शास्त्र ही मुख्य अंग है। केवल एक अंग का अभ्यास । करने से ही कार्य नहीं चल सकता, क्योंकि इन अंगों का परस्पर घनिष्ट संबंध है। अत: आयुर्वेद शास्त्रों के पूर्वार्ध में शरीर-रचना तथा इंद्रिय-विज्ञान का वर्णन, और उत्तरार्ध में आरोग्य शास्त्र का वर्णन किया गया है। देह…

  • प्राचीनकाल में ऋषि – महर्षि, वैद्य बिना दवा के यानि स्पर्श या प्राण चिकित्सा से करते थे उपचार। जाने कैसे…

    प्राचीनकाल में ऋषि – महर्षि, वैद्य बिना दवा के यानि स्पर्श या प्राण चिकित्सा से करते थे उपचार। जाने कैसे…

    स्पर्श चिकित्सा को झाड़ फूंक की विधि भी कह सकते हैं- हर दर्द की दवा है – गोविंद की गली में…. सिरदर्द, हाथ – पैरों में सूजन, कमर या रीढ़ की हड्डी में गैप या दर्द, मानसिक विकार, तनाव, डिप्रेशन, माइग्रेन, कम्पन आदि का इलाज आज भी उत्तर, हिमालय, तिब्बत, लद्दाख, असम के कामाख्या मंदिर…

  • बून्दी जरूर जाएं और वहां की 50 से अधिक बावड़ी देखें…

    बून्दी जरूर जाएं और वहां की 50 से अधिक बावड़ी देखें…

    लगभग 60 फुट गहरे वर्गाकार कुंडों की सुंदरता इनकी सीढ़ियों से है, जो पाषाण की होते हुए भी बोलती-सी हैं। छतरियों के स्तंभों पर निर्मित बेल-बूटे और गमलों को नक्काशी बेजोड़ है। यहां पर गजलक्ष्मी, सरस्वती और गणेशजी की शास्त्रोक्त प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। ‘नागरसागर कुंड’ में उद्यान विकसित होने से आकर्षण और बढ़ गया…

  • बच्चों के नाम रखने से पहले उसका अर्थ समझ लें, अन्यथा वे भाग्यशाली नहीं बन पाते।

    बच्चों के नाम रखने से पहले उसका अर्थ समझ लें, अन्यथा वे भाग्यशाली नहीं बन पाते।

    वर्तमान में ज्यादातर माता पिता अपने लाडले का नाम कुछ ऐसा रखना चाहते हैं जो सुनने में नये लगे तथा अंक ज्योतिष के अनुसार भाग्य वृद्धि कारक भी हों। लेकिन नामकरण के समय वे अर्थ पर ध्यान नहीं देते। इससे कई बार अर्थ का अनर्थ हो जाता है। संस्कृत भाषा वैसे भी शब्दार्थों के मामले…

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