सर्व दुःख, रोग नाशक वेदमंत्रों के चमत्कार

  • उपनिषद, पुराण, ग्रन्थ-शास्त्रों में सफलता के अनेक मंत्रों का उल्लेख है। इस धरती पर ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका उपचार मंत्रों से नहीं किया जा सके।
  • आयुर्वेद कहता है कि बीमारी का असर मन पर होता है। मन की खराबी असंख्य विकारी की जन्मदाता है। इसलिए मन्त्र जपने से मन शांत व प्रसन्न रहता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए मन्त्र जाप अवश्य करें।

दीर्घायु लाभ के लिए….

ॐ नोभव आ पीत इन्दोपितेव सूनव सुशेवः

सखेन सख्य उरुशंस धीरः प्रण आयुर्जीव से सोम तारीः ॥ (ऋग्वेद ८४८४॥)

  • अर्थात्— हे आप्ह्लादप्रद सोम ! हमारे लिए कल्याणकारी हो जैसे पुत्र के लिए पिता सुखकारी होता है, मित्र के लिए मित्र उसी प्रकार हे बहुप्रशंसनीय सोम तू धीर होकर जीवन के लिए हमारी आयुवृद्धि कर।
  • प्रयत्नपूर्वक पवित्र होकर इस ऋचा का जाप करते हुए भोजन करने पर और हाथ से हृदय का स्पर्श करने पर मनुष्य व्याधिग्रस्त नहीं होता, दीर्घायु लाभ करता है।

कैंसर, मधुमेह, बीपी जैसे व्याधिनाश के लिए….

उतदेवा अवहितं देवउन्नयथा पुनः

उतागमकुर्व देवा-देवा जीवयथा पुनः॥

(ऋग्वेद. १०/१३७॥१॥)

  • अर्थात्-जिस प्रकार महादेव नीचे गिरे हुए को ऊपर उठाते हैं, उसी प्रकार हे विद्वतगण ! हमें चिरंजीवी करो एवं अपराधों से मुक्ति दो !
  • व्रतपूर्वक इसका जाप करने से रोगनाश होते हैं, एवं व्याधियों से मुक्ति मिलती है !

संतान प्राप्ति के लिए…

अपश्यं त्वमनसा दीध्यानां स्वायां सनूत्रात्वये नाधमानाम्

उप मामुच्चा युवतिर्बभूवः प्रजायख प्रजया पुत्र कामे।

(ऋग्वेद १०/१८३॥२॥)

  • अर्थात- हे यजमानपत्नी ! मैं यजमान दीप्त होकर अपने शरीर में सौभाग्य संपन्न तुझको मन से देखता हूं! यौवनवती तू मेरे समीप आदर से प्राप्त हो ! हे पुत्र की कामना करने वाली तू प्रज्ञायुक्त होकर उत्तम संतानवाली बन!
  • पवित्र व्रत करके इस ऋचा का जाप करने से संतान प्राप्ति होती है ! श्री सूक्त व संकाय सूक्त के जाप से भी संतान प्राप्ति होती है।

शत्रुनाश के लिए….

शास इत्था महां अस्पमित्र खादो अद्भुतः

न यस्य हन्यते सरवा न जीयते कदाचन।

(ऋग्वेद. १०/१५२११०)

  • अर्थात्- हे शत्रुहन्ता शिव! तुम महान शासक व शत्रुओं के नाशकारी हो! तुम ऐसे महान हो, जिसका मित्र न कभी मारा जाता है न कभी पराजित होता है।
  • यह ऋचा शत्रु नाशिनी है । विजयीषु राजागण भी इसके जाप से महान से महान संग्रामों में विजय प्राप्त कर सकते हैं।

लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए….

वय सुपर्णा उप सेदुरिद्र प्रियमेध ऋषयो नाधमाना:

अप ध्वान्तपूर्णहि पूर्षि चक्षुर्मुमुग्धस्मानिधयेव बद्दान।

(ऋग्वेद:१०/७३/११.

  • अर्थात्- यह इंद्र अंधकार को दूर करता है, देखने की शक्ति को पूरित करता है, पाश में बचे लोगों के समान हम सबको अंधकार मुक्त करता है। ।
  • इस ऋचा का पवित्र मन से जाप करने पर श्री-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • सभी मनुष्य, योगियों को प्राप्त योग्य परमेश्वर की उपासना करें और सभी से वृद्धि प्राप्त करें। इस मंत्र का जप करने से अक्षय धन की प्राप्ति होती है।

संपूर्ण जगत को वशीभूत करने के लिए…

(ऋग्वेद.. ८॥९३॥४॥)

  • हे मेरी परमेश्वर प्रेरित प्रज्ञा जिस किसी को लक्ष्य करके तेरा उदय हुआ हो, वह सब तेरे अधीन हो।
  • सूर्योदय से एक घण्टे पहले इस मंत्र का जाप करने से संपूर्ण जगत वशीभूत हो जाता है।

मनोभिलषित वस्तुओं की प्राप्ति के लिए…

उभयासो जातवेशः स्याम ते

स्तोतारो अग्ने सूरयजश्च शर्मणि

वस्वोरायः पुरुषंद्रस्य भूयसः

प्रजावतः स्वपत्यस्य शग्धि नः।।

  • अर्थात– जिस कारण आप हमारे सुंदर संतानयुक्त प्रजावान निवास का हेतु सुवर्णादि धनधान्य युक्त समर्थ हैं, इसी प्रकार आपके प्रशंसक और विद्वान जन उन्नति को प्राप्त हों।

इस ऋचा का नियमित जाप करने से मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।

  • समस्त पापों की मुक्ति व मनोवांछित कामनाओं के लिए गायत्री मंत्र ….
  • ऋग्विधान में गायत्री मंत्र ही अकेले सभी व्याधियों से मुक्ति दिलानेवाला मंत्र है। होम के समय गायत्री मंत्र का जप करने से पुरुष की समस्त कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
  • उपवास करके, सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक में ही गायत्री मंत्र का दस लिए सहस्र जाप करने पर समस्त पापों का नाश होता है। गायत्री का एक लाख जप करने पर और हवन करने पर प्राणि मोक्ष का अधिकारी बन जाता है। (ऋग्वेद. २/२॥१२॥)

बुद्धि-विद्या मंत्र….

ॐ श्रीं ह्रीं सरसव्यौ स्वाहा।

सुमिरन करत श्राप सब दाहा।

तुम प्रसत्र हो निकट पधारी।

वरदे कियो मुनहि सुखारी।

    • अर्थात-यह मंत्र विद्यार्थियों के लिए है। यदि किसी विद्यार्थी को पाठ शीघ्र याद न होता हो अथवा याद करने के बाद शी भूल जाता है। उस स्थिति में विद्यार्थी को निम्नलिखित मंत्र को एकाग्रचित्त होकर मां महाकाली का ध्यान करते हुए २१ बार मन ही मन जपना चाहिए । इस मंत्र के जप करने से वह बाद किया हुआ पाठ कभी जीवन भर नहीं भूलेगा। amrutam

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