फूलों से भगाएं बीमारी

पुष्प भी हैं ओषधियाँ….

मानसिक तकलीफों को मिटाते हैं-


फूलों से माला बनती है। 
ललितासहस्त्रनाम…. नामक
ग्रन्थ में माला की परिभाषा दी है।
मां शोभां लातीति माला’
अर्थात – जो शोभा, सुन्दरता बढ़ाये,
वह माला है। पूजा में माला का बहुत
महत्व है। पंचमहाभूतों में यह पृथ्वीतत्व
का प्रतीक है।
कुलार्णव तन्त्र में
उल्लेख है कि शिंवलिंग पर पुष्प
और माला अर्पित करने से जीवन
में स्थिरता आती है। भय-भ्रम, शंका
का नाश हो जाता है। आत्मविश्वास
में वृद्धि होती है। कभी बीमारी
नहीं होती।
“विष्णु नारदीय पुराण” एवं
‘विष्णु धर्मोत्तर पुराण’ में वर्णन है कि..
पुष्प प्रथ्वी और प्रकृति की देन हैं।
यह हल्के और सुगंधित होते हैं।
प्रतिदिन ब्रह्मा-विष्णु-महेश
इन तीनों के प्रतीक…3 फूल रोज
शिंवलिंग पर अर्पित करने से जीवन
कभी भारी नहीं लगता।
सिरदर्द, माइग्रेन, मानसिक क्लेश,
अवसाद या डिप्रेशन या किसी तरह
के मानसिक विकारों में 72 दिन
तक लगातार शिंवलिंग पर पुष्प
चढ़ाने से चमत्कारी फायदा होता है।
जीवन को सहज-सरल, हल्का बनाये
रखने के लिए पुष्पांजलि जरूरी है।
शारदा तिलक ग्रन्थ के मुताबिक..
देवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा’
अर्थात-
घर के मंदिर में देवताओं का मस्तक
एवं शिंवलिंग सदैव पुष्प से सुशोभित
रहना चाहिए अन्यथा घर में निगेटिव
ऊर्जा का आगमन होने लगता है।
परिवार के सदस्य रोगी बने रहते हैं।
प्रतिदिन पुष्पार्चन, जलार्पण एवं
राहुकी तेल का दीपदान घर में
नियमित करना चाहिए।
कालिका पुराण में लिखा है कि…
प्रातः घर के सभी सदस्य बिना अन्न
ग्रहण किये शिंवलिंग या देवताओं की
पूजा-अर्चना अवश्य करें। यह दुःख
नाशक प्रयोग है।
“तन्त्र रहस्योपनिषद” 
एवं
वास्तुदोष निवारण कर्म में
कहा गया है कि जिस घर में प्रातः 
या सुबह और शाम या रात को
● ईश्वर का पुष्प से श्रृंगार नहीं होता,
● दीपक नहीं जलता, 
● शंखध्वनि नहीं बजती,
● शिंवलिंग पर जल नहीं चढ़ाया जाता, उनके घर में धीरे-धीरे प्रेत-पिशाच, भूतों
का वास होने लगता है।
घर की सकारात्मक ऊर्जा-शक्ति
क्षीण होने लगती है।
घर की रक्षा करने वाली सूक्ष्म 
पवित्र-पुण्य आत्माएं, पितृगण
आदि कहीं अन्यत्र चली जाती हैं।
वह घर दोष, दुख, दरिद्र, रोग कारक
हो जाता है।
फूल श्रृंगार भी तो ओषधि भी…
संतान की कामना वालों को 27 दिन
तक लगातार 108 पुष्प धतूरे के
शिंवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
 
गुरु गोरखनाथ का वचन है कि..
उसे निश्चित रूप से पुत्र या पुत्री की
प्राप्ति होती है। यह गुरु वचन कभी 
खाली नहीं जाएगा।
 
  गेंदा पुष्प के चमत्कारी – ‘५ – काम
पदमपुराण, जंगल की पुष्प-बूटी
नामक किताब में गेंदे के फूल को बहुत
ही लाभकारी बताया है। यह 100 तरह
की तकलीफों को मिटाता है।
【१】गेंदे के फूल का काढ़ा बनाकर स्नान 
करने से अनेकों वात रोगों का नाश 
हो जाता है। 
【२】यह मच्छर, कृमि-कीटाणु भगाने में
उपयोगी है।
【३】जहाँ गेंदे के फूल रखा
होता है, वहाँ कभी किसी तरह का
संक्रमण नहीं रहता।
【४】गेंदे की खुशबू से नाक तथा मस्तिष्क
के कीड़े मर जाते हैं है।
【५】मिर्गी के रोगी को गेंदे के पुष्प पर
रोज 4 घण्टे लिटाने से यह रोग
मिट जाता है।
【६】गेंदा फूल का आधा चम्मच रस
में 2 कालीमिर्च, थोड़ी अजवायन
मिलाकर….खाली पेट पिलाने से
पेट के कीड़े मर जाते हैं।
गुलाब का फूल… के 4 चमत्कार
यह पित्तनाशक होता है। पेट की बीमारी
में इसका गुलकन्द बहुत फायदा करता है।
 
अवधूत की भभूत….
【1】अविवाहित लोग साथ रविवार
और कुँवारी लड़कियां सोमवार को
शिवसहस्त्रनाम यानी शिवजी के
एक हजार नाम द्वारा किसी ब्राह्मण
से उच्चारण करवाकर
शिंवलिंग पर 1000 गुलाब के फूल
1-1 शिव नाम से एक-एक पुष्प
अर्पित करते हैं, तो 6 माह के अंदर
हर हाल में विवाह पक्का हो जाता है।
यह उपाय अवधूत नागा सन्त श्री श्री
शंकरानंदजी ने अपने एक ग्रन्थ
“अवधूत की भभूत” में लिखा है।
【2】गुलाब की केशर यानी जीरा
मिश्री के साथ लेने से चक्कर आने
की शिकायत दूर होती है।
【3】गुलाब की 10 पत्तियों में
10 ग्राम शक्कर मिलाकर, मसलकर
खाने से महिलाओं का पुराने से पुराना
प्रदर रोग मिट जाता है। इसे 10 दिन तक लेवें। साथ में अमृतम का
नांरी सौन्दर्य माल्ट का सेवन करें।
यह सुन्दरता वृद्धि के अलावा अनेक
स्त्रीरोग नाशक है।
【4】यह शुभसूचक है। विशेषकर प्रेम के
इजहार में इसे तोहफे के रूप में दिया
जाता है।
गुलाब का उपयोग किसी को रिझाने
में किया जाता है। किसी ने कहा है—
 
औरत मोहताज नहीं किसी गुलाब की।
वो खुद बागवान है इस कायनात की।।
 
एक बानगी ओर देखे….
 
बड़े ही चुपके से भेजा था,
मेरे महबूब ने मुझे एक गुलाब।
कम्बख्त उसकी खुशबू ने,
सारे शहर में हंगामा कर दिया।।

 
गुड़हल का फूल…
■ शरीर में जब बहुत तपन हो,
जलन हो पित्त बढ़ा हुआ हो, बेचैनी हो, तब
इसके फूल का स्वरस मिश्री के
साथ देना लाभकारी है।
■ गुड़हल का फूल गंजापन मिटाने
में अत्यंत हितकर है। अमृतम का
सबसे बेहतरीन उत्पाद कुन्तल केयर
स्पा में इसीलिए मिलाया है।
■ गुड़हल फूल वीर्य पुष्टिकारक भी है।
चमेली के फूल….
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ “भावप्रकाश”
 में इसके अनेको फायदे लिखे हैं—
◆ चमेली फूल रक्त के तापमान को
तुरन्त कम करता है।
◆ यह जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी एवं
ट्यूमररोधी होता है।
◆ यह रक्तस्राव को रोकता है।
◆ मलेरिया से बचाता है।
◆ गर्मी में होने वाले विकारों जैसे-
लू-लपट, मरोई, फुंसी आदि से
रक्षा करता है।
◆ चमेली के फूल को मसलकर
इसका रस चेहरे पर लगाने से
त्वचा दमकने लगती है। सुन्दरता
वृद्धि में इसका कोई सानी नहीं है।
अमृतम द्वारा निर्मित
“फेस क्लीनअप”
में इसे विशेष विधि से मिलाया गया है।
◆ मुहँ में बार-बार होने वाले छालों को
हमेशा के लिए ठीक करने में उपयोगी है।
जब भी मुंह में चले हों, तो इसके पुष्पों
को चबाकर फेक दें और 2 गिलास
 पानी पीले।
◆ केश श्रृंगार में बालों के जूडे में
इसे लगाने से जुओं का नाश हो जाता है।
माइग्रेन ठीक होता है।
★ मधुमेह यानि डाइबिटिज की दवा..
कमल फूल में मिश्री पीसकर सुबह खाली
पेट लेने से पुराना प्रमेह नष्ट हो जाता है।
★ कमल बीज एवं कमल की पंखुड़ी
देशी घी में भूनकर 3 दिन खिलाने से
पीलिया जड़ से मिट जाता है।
विशेष आग्रह-
गूगल आदि अनेक साइडों पर बहुत
से लेख/ब्लॉग पड़े हैं, जो भ्रमित करने वाले भी हैं। पाठकों से निवेदन है कि वे उन्हीं
लेखों पर विश्वास करें… जिनमें ग्रन्थ,
पुस्तकों का सन्दर्भ हो।
एक महत्वपूर्ण जानकारी
अमरनाथ के बारे में अमृतमपत्रिका
पर पढ़ें। यह जानना जरूरी है कि
भोलेनाथ ने माँ भगवती को जी 
अमरकथा सुनाई थी… वह 
कौन सी थी।
 

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