महाराष्ट्र का महान शहर पूना

जब कभी भी मन-मस्तिष्क सूना लगे, तो पूना जरूर जाएं। धर्म, धैर्य, धीरज धारण करने वालों की धरती है-पवित्र पुणे…

पुणे की प्राचीन परंपरा–

पूना का आदमी ज्यादा बचना नहीं है। अपने काम के साथ सबकी मदद करना यहां की संस्कृति है। 

पुणे का पुराना नाम पुन्नक मिलता है। प्राचीन पुस्तक  स्कंदपुराण के अनुसार पुणे को नागमाता कद्रू के पुत्र पुन्नक नाग ने बसाया था। यह वासुकी एवं अनंत नाग के भाई थे। परम्ठ शिव भक्त पुन्नक ने सदैव ईमानदारी से यहां राज्य किया। दिव्य शक्तियों व सम्पत्ति का साम्राज्य होने के बाद भी इनमें रत्तीभर बजी अंहकार नहीं था। आज भी पुणे वासियों के सादगी देखने लायक है। अतः सम्पत्तिवान लोग भी बहुत सरल स्वभाव के होते हैं।

इतिहास के मुताबिक पुणे शहर का सबसे पुराना वर्णन ई.स. 758 का है, जब उस काल के राष्ट्रकूट राज मे इसका उल्लेख मिलता है। मध्ययुग काल का एक प्रमाण जंगली महाराज मार्ग पर पाई जाने वाली पातालेश्वर गुफा है, जो आठ्वी सदी की मानी जाती है। 

नशा और शान या दिखावे से दूर है -पूना–

पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुख-सुविधा व विकास के हिसाब से पुणे जल्दी मुंबई के आगे निकल जायेगा। क्योंकि आज भी यहाँ की धार्मिक मान्यताएं मजबूत हैं। 

17वीं शताब्दी में वीर शिवाजी के पिता शहाजीराजे भोसले ने इसे बसाने में कड़ी मेहनत की थी। ज्ञात हो कि इनकी पत्नी जिजाबाई ने ई.स. 1627 में शिवनेरी किले पर छत्रपती शिवाजीराजे भोसले को जन्म दिया।

शिवनेरी किला… पुणे से 92 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां कभी अकेलापन या सूना-सूना नहीं लगता। महान मराठाओं की यह क्रम स्थली भी रही है।

पुणे शहर को अक्सर “एजुकेशन हब” और “देश और दुनिया का बहुत ही बड़ी सॉफ़्टवेर इंडस्ट्री हब” भी बोला जाता है।

Image Source: Google Images

अनेक नामचीन, विख्यातं शिक्षण-संस्थान होने के कारण इस शहर को ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का ”डेट्राइट” जैसा लगता है।

प्राचीन ज्ञात इतिहास से पुणे शहर महाराष्ट्र की ‘सांस्कृतिक राजधानी’ माना जाता है। मराठी भाषा इस शहर की मुख्य भाषा है।

पुणे शहर मे लगभग सभी विषयों के उच्च शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। जैसे-

■  पुणे विद्यापीठ,

■ राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला,

■ आयुका,

■ आगरकर संशोधन संस्था,

■ सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान यहाँ है। पुणे फिल्म इन्स्टिट्युट भी काफी प्रसिद्ध है। लेकिन यहां मुंबई के कलाकारों जैसी गन्दगी नहीं है।

पुणे महाराष्ट्र व भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। जैसे-

【】टाटा मोटर्स,

【】बजाज ऑटो,

【】भारत फोर्ज उत्पादन क्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग यहाँ है।

1990 के दशक मे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टंसी सर्विसे, विप्रो, सिमैंटेक, आईबीएम जैसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेअर कंपनियों ने पुणे मे अपने केंन्द्र खोले और यह शहर भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगकेंद्र के रूप मे विकसित हुआ।

मराठा साम्राज्य

पुणे शिवाजी महाराज के जीवन व मराठा साम्राज्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग है। ई.स. 1635-36 के दरमयान जब जिजाबाई व शिवाजी महाराज पुणे आवास के लिए आए, तबसे पुणे के इतिहास में एक नए पर्व का जन्म हुआ। शिवाजी महाराज व जिजामाता पुणे में लाल महाल मे रहते थे। पुणे के ग्रामदेवता- कसबा गणपती की स्थापना जिजाबाई ने ही की थी।

17वीं शतब्दी के प्रारंभ में, छत्रपती शाहू के प्रधानमंत्री, थोरले बाजीराव पेशवे को पुणे को अपना स्थाई आवास बनाना था। छत्रपती शाह महाराज ने इसकी अनुमती दी व पेशवा ने मुठा नदी के किनारे शनिवार वाडा बनाया।

खरडा इस ऐतिहासिक किले पर मराठों एवं निज़ाम के बीच ई.स. 1795 के बीच युध्द हुआ। ई.स. 1817 को पुणे के पास खडकी ब्रिटिश व मराठों में युध्द हुआ। मराठो को इस युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा व ब्रिटिश ने पुणे को अपने कब्जे में कर लिया।

देशभक्तों का दबदबा…

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पुणे के नेताओं और समाज सुधारकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोकमान्य तिलक और वीर सावरकर

जैसे नेताओं के कारण पुणे राष्ट्र के नक्शे पर अपने महत्व को दर्शाता रहा। महादेव गोविंद रानडे, रा.ग. भांडारकर, विठ्ठल रामजी शिंदे, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा फुले जैसे समाजसुधारक व राष्ट्रीय ख्याती के नेता पुणे में जन्मे  थे।

मौसम-वातावरण…लगभग एक सा ही रहता है।

यहां का मौसम बहुत मासूम ओर मनमोहक है। मानसून अक्सर समय पर आता है।

संस्कृति

पुणे को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी कहकर भी संबोधित किया जाता है। पुणे की मराठी को मराठी भाषा का मानक-रुप (standard) माना जाता है। पुणे मे वर्ष भर सांस्कृतिक कार्यक्रम के रेलचेल होते रहते है। पुणे मे संगीत, कला, साहित्य की भरमार है।[1]

इसीलिये मुझे पुणे शहर बहुत अच्छा लगता हैंI

दर्शनीय स्थल-

¶~ मयूरेश्वर मंदिर, पुणे से लगभग 80 किलोमीटर दूर अष्ट विनायक में पहला गणेश मंदिर है। यहां चार द्वार हैं जो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के प्रतीक हैं।

¶~ चिंतामणि गणेश मंदिर। यह स्वयम्भू गणपति मन्दिर अष्टविनायक में से पांचवा है।

¶~ भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भी पुणे से अधिक दूर नहीं है।

¶~ भूलेश्वर महादेव मंदिर…

हजारों वर्ष प्राचीन इस स्वयम्भू शिवालय का घंटनाद, जो एक साथ सारे पुणे को जगाता है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यहां अनंतकालीं एक पुराना बरगद का पेड़ है।

¶~ शिवजी नगर मार्ग पर स्थित पातालेश्वर स्वयम्भू शिवलिंग दर्शनीय है।

¶~ मां पार्वती हिल मन्दिर यह पहाड़ी पर बसा है। यहां की सुंदरता आपका मन मोह लेगी।

¶~ खंडोवा मन्दिर

¶~ एकवीरा देवी पर्वत मन्दिर

¶~ पूना शहर के गणेशपेठ में स्थित है, जिसे डुल्या मारुति हनुमान मन्दिर इनकी स्थापना वीर शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास ने की थी। यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है। 

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *