साल में चार बार मिलते हैं मोके। इन्हें कैसे भी छोड़े नहीं। फिर, वर्ष भर प्रसन्न रहोगे।
नो दिन के उपवास के 18 फायदे
- सेहत बनाने के ये 9 दिन करें देवी की साधना, तो खुल जाएंगे नवद्वार और नव ग्रहों की कृपा होने लगेगी।
- सिद्धि, बुद्धि, समृद्धि की वृद्धि करने और तन, मन, धन, अंतर्मन को शुद्ध बनाने के लिए महादेव ने नौ दिन का निर्माण किया।
- उपवास से मनोबल मजबूत होता है।
- विकारों का नाश होता है।
- रोगप्रतिरोधक जशनता में वृद्धि होती है।
- एश्वर्य, धन संपदा में बढ़ोत्तरी होती है।
- रुकावटे दूर होने लगती है।
- जीवन में एक नई ऊर्जा, एनर्जी का आगमन होता है।
- तन मन, अंतर्मन ओर बाहरी शत्रुओं का नाश होता है।
- ज्ञान, अंतर्ज्ञान जागृत होने लगता है।
- परिवार सुखी रहता है।
- देह की शिथिल, कमजोर नाड़ियों में स्पंदन होने लगता है।
- भाव, स्वभाव बदलने लगता है फिर सभी अभाव मिटने लगते हैं।
- नवरात्रि के ये 9 दिन हमारे 9 ग्रहों को शुभदायक बनाते हैं।
- हमारे 9 छिद्र जैसे 2 आंख, नाक, 2 कान, मुख, नाभि ओर गुहा ये सभी रोग रहित हो जाते हैं।
- उपवास करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं और परिवार में खुशी आती है।
- ब्रह्माण्ड समस्त देवताओं ने उपवास कर, शक्ति की उपासना की ओर वे शक्तिशाली बने।
- अगर शक्ति, हिम्मत, पैसा, सुख वैभव चाहिए और अवसाद यानी डिप्रेशन मिटाना हो, तो नवरात्रि में उपवास रखते हुए अधिक से अधिक देवी की साधना करें।
- नवरात्रि में अर्गला स्तोत्र का पाठ ओर नवाक्षर मन्त्र का जाप सर्वाधिक फायदेमंद रहता है।
- मौसम परिवर्तन के चार बिंदुओं पर प्रकृति का सौंदर्य चरम पर होता है। ये नवरात्र के दिन हैं। इसी दौरान प्रकृति आपको सेहतमंद बनने के मौके भी देती है।
- प्रकृति का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है नवरात्र के दिनों में।
- विज्ञान और शक्ति प्रकृति सालभर में चार मौके देती है ताकि आप व्रत उपवास रखते हुए स्वस्थ्य, तंदरुस्त हेल्दी रहें। सेहतमंद और समृद्ध बनें।
- उपवास दो शब्दों से मिलकर बना है। उप का अर्थ है नजदीक ओर वास। यानी बिना कुछ खाये पिये शक्ति के समक्ष रहकर देवी की साधना करना।
- देवताओं ने इस मंत्र से की थी शक्ति उपासना मार्कण्डेयपुराण में दुर्गासप्तशती में देवताओं की शक्ति की उपासना का उल्लेख है। इसका एक श्लोक है।
विद्या समस्तास्तव देवि भेदाः
स्त्रियः सतस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का
ते स्तुतिः स्तव्यपरा पराक्ति।।
- अर्थात यानी संसार में जितनी भी विद्याएं, कलाएं और कौशल हैं, वो देवी के कारण ही हैं। और संसार में जितनी भी महिलाएं हैं, वे देवी का ही रूप हैं। दुनिया में सबसे शक्तिशाली देवी हैं।
- कभी यहां अवश्य जाएं। मनोबल मजबूत होगा। काम बनेंगे। गरीबी मिटेगी
- ओडिशा के पुरी से 178 किमी दूर पुरुषोत्तमपुर ऋषिकुल्या नदी के किनारे पर स्थित माता तारातारिणी माँ का मंदिर है।
- यह देश की चार मुख्य आदिशक्ति पीठों में से एक है। दुनिया में यह गुप्त शक्तिपीठ के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं।
- यहां 16 दिन का नवरात्र होता है। इस दौरान रात में भी मंदिर के पट खुले रहते हैं। सप्तमी, अष्टमी और नवमी को माता गर्भगृह से बाहर आती हैं और उन्हें परिक्रमा कराई जाती है।
- इसे अघोरियों तांत्रिकों की आदि शक्तिपीठ तंत्र
- भी कहा गया है। आदि शक्तिपीठ अपने भीतर की नैतिक शक्तियों को जगाने के स्थल है।
- Amrutam अमृतम पत्रिका के शक्तिपीठ विशेषांक पढ़ने लायक है। इसे कभी जरूर पढ़ें।
- नवरात्रः जब रात और दिन लगभग समान होते हैं। इसलिये आध्यात्मिक शास्त्र और विज्ञान के अनुसार इस समय ही बड़ी शुरुआत करने का भी सही महूर्त होता है। जानते हैं नवदुर्गा जाल हवन किसी भी कार्य की शुरुआत जाने अपार सफलता मिलती है।
- वसंत और शारदीय नवरात्र- वर्ष का वह समय जब सूर्य भूमध्यरेखीय तल के सबसे निकट होता है और दिन-रात बराबर अवधि के होते हैं।
- विज्ञान की भाषा में इसे इक्विनॉक्स कहते हैं। यह साल में दो बार होता है। 20 मार्च को, जिसे वर्नल इक्विनॉक्स कहते हैं और 22 सितंबर को जिसे आटोमलन इक्विनॉक्स कहते हैं।
- इन दिनों में धरती तक सूर्य और चंद्रमा की रोशनी बराबर पहुंचती है।
- साल में जब ये दो खगोलीय घटनाएं हो रही होती हैं, उसी समय हम वसंत नवरात्र और शारदीय नवरात्र मनाते हैं।
- वसंत की नवरात्र गर्मी के आरंभ यानी बर्फ के पिघलने का मौसम लाती है और शरद की नवरात्र बर्फ के गिरने का मौसम लाती है।
साल में मिलते हैं चार अवसर
- साल का वह समय जब सूर्य भूमध्यरेखीय तल से सबसे दूर होता है।
- साल के इन दिनों में दिन सबसे लंबे और रातें सबसे छोटी होती हैं।
- विज्ञान में इसे सास्टिस कहा जाता है। समर साल्स्टिस 21 जून को होता है। इस तारीख को दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है। इसके बाद दिन छोटे होने लगते हैं।
- जबकि विंटर साल्स्टिस 22 दिसंबर को होता है। इस तारीख पर दिन साल में सबसे छोटा होता है और रात सबसे लंबी। साल की इन दो महत्वपूर्ण खगोलीय स्थितियों के बीच ही हम पौष और आषाढ़ मास की नवरात्र मनाते हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है।
गुप्त नवरात्र में गुप्त साधना करके अनेक रहस्यमयी ओर गुप्त सिद्धियां पा सकते हैं।
- चारों नवरात्रि के इस शुभ
- कालखंड में मिट्टी के
- शिवलिंग बनाने से होगा
- चमत्कार।
- भविष्य पुराण के अनुसार जब गोचर के दौरान सूर्य कन्या राशि में हों, तो मिट्टी के शिवलिंग अवश्य बनाना चाहिए। इन्हें पार्थिवाचन भी कहते हैं।
- मिट्टी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर शिवलिंग निर्माण की तैयारी करें।
- सबसे पहले मस्तिष्क पर चंदन का त्रिपुंड लगाएं । फिर, एक दीपक देशी घी का जलाएं।
- अगर राहु का प्रकोप हो, पितृदोष की समस्या हो, तो एक दीपक राहु की तेल Rahukey oil का दीपक अलग से जलाएं।
- !!
ॐ शभूतेजसे नमः शिवाय
!! जपते हुए कम से कम 108 शिवलिंगों का निर्माण कर उन पर जल, दूध आदि अर्पित करें। - हाथ में अक्षत लेकर 108 बार ॐ शभूतेजसे नमः शिवाय कहते हुए शिवलिंग पर चढ़ाकर कर्पूर की आरती करें।
ॐ व्यायानाय स्वाहा
ॐ उदानाय स्वाहा
ॐ अपानाय स्वाहा
ॐ समानाय स्वाहा
ॐ प्राणाय स्वाहा
ॐ ब्रह्मअणु स्वाहा
- कहते हुए पंचमेवा का नैवेद्य समर्पित करें।
- हमारी गारंटी है 9 दिन का यह उपाय आपकी हजारों समस्या से मुक्ति दिला देगा।
- हमने भी अमृतम पत्रिका के इस विशेषांक के मुताबिक सन 2011 में मिट्टी के शिवलिंग बनाना आरम्भ किया और वाकई जीवन बदल गया। इतने चमत्कारी फायदे हुए कि लिखना असम्भव है।
- पूजन में नैवेद्य,पान सुपाड़ी, लौंग, इलायची, कर्पूर, पुष्प आदि अर्पित करने का क्या रहस्य है। Amrutam मैगजीन में पढ़कर भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा से झुक जाओगे। जानने हेतु
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