क्या युवा पीढ़ी को प्यार के चक्कर में पड़ना ठीक है? प्रेम में ब्रेक...एक क्रेकपन है।

क्या युवा पीढ़ी को प्यार के चक्कर में पड़ना ठीक है? प्रेम में ब्रेक…एक क्रेकपन है।

तुम्हारी गली से गुजरते, तो कैसे कि- 
तगड़ी उधारी थी, तुम्हारी गली में!
मोहब्बत की कैपिटल, लुटाते-लुटाते
हो गए भिखारी तुम्हारी गली में।
 
प्रेम की सवारी जिसने भी की, वे लोग अधिकांश भिखारी ही बने। 
कुंवारा हो या कुँवारी, जवानी के समय
सबको प्यार का बहुत सवार रहता है।
प्यार में तैयार बहुत बिरले लोग होते हैं,
जो अपनी प्रेमिका के
सभी सपने पूरे कर उसे खुश रख पाते हैं 
और खुद भी प्रसन्न रह लेते हैं।
बात तीखी जरूर है, परन्तु सत्य यही है।
 
कुछ लोग प्रेम में पगलाकर कहतें हैं-
कितना मुश्किल हैं जीना...!!
जिसके लिये जीना… उसके बिना जीना..!!
क्या प्रेम करना चाहिए?
हां अवश्य करें, लेकिन सबसे पहले अपने काम से, खुद से प्यार करें।
आत्मप्रेमी बने। किसी का जीवन संवार सकते हो, तो केवल समर्पण के लिए प्यार करें। कुछ पाने के लिए नहीं।
पहले सफलता के सारे प्रयास करो,
तब तक प्रेम-प्यार, मोहब्बत, इश्क
में मत उलझो-
किसी असफल शायर की एक बानगी बेहतरीन है-
कल मिला वक्त, तो 
तेरी जुल्फें सुलझाऊंगा।
आज उलझा हूँ, 
जरा वक्त को सुलझाने में।।
 
प्यार सब कुछ नहीं जन्दगी के लिए…
माता-पिता के सपने,
परिवार की जिम्मेदारी और
अपने उद्देश्य को पूरा करने के बाद
आप प्रेम करने के अधिकारी हो।
हरेक को प्रेम करने से बचना चाहिए….
क्योंकि एक बार प्यार में उलझा आदमी किसी कार्य या व्यापार के मतलब
का नहीं रहता। वैसे आजकल का प्यार केवल हथियार के इस्तेमाल तक
सीमित हो गया है। उसकी याद की
फ्रेम दिल-दिमाग से निकलती नहीं है।
प्यार में ब्रेक होना क्रेक पना है।
मेरा मानना है कि-
प्रेम मत करो,
आत्महत्या के कई औऱ भी
नायाब तरीके हैं ।
प्रेम सफल, तो आदमी तबाह,
प्रेम असफल, तो जीवन तबाह
 सफल प्रेम का मतलब होता है-
प्रेम विवाह यानि लव मैरिज
एक बार कर लिया, तो पूरा  जीवन मांग
 औऱ पूर्ति में उलझ कर
बर्बाद हो जाता है ।
माँग, तो प्रेमिका यानि वह खुद
ही भर लेती है
किन्तु हर चीज की
पूर्ति करते-करते प्रेमी हो या 
पति के प्राण निकल जाते हैं।
फिर आदमी न अर्थशास्त्री बन पता है
न तर्क शास्त्री और न ही अनर्थ शास्त्री।
2 या 3 बच्चों का पिता बनकर
बर्थ शास्त्री जरूर बन सकता है।
लव में सब छूट जाता है।
सारे शास्त्र आँसुओं की सहस्त्रधारा
 में बह जाते हैं ।
औऱ प्रेम असफल, तो जीवन तबाह
का अर्थ है कि–
प्रेमिका के ख्याल में पूरा जीवन
व्यर्थ-व्यतीत होकर केवल अतीत बचता है। जो उसे पतित बना देता है।
महबूबा की याद ही याद में दिल व
दिमाग में मवाद पड़ जाता है । उसकी याद का बेहिसाब खाता सब वाद-विवाद से दूर रखता है। न खाने का मन, न पखाने का।
 न रोने का, न गाने का। जमाने का डर पहले ही निकल चुका होता है।
तुमने किसी से कभी प्यार किया है,
प्यार भरा दिल किसी को दिया है।
किसी ने एक बार वैसे ही पूछ लिया था।
सफ़ेद बाल दिखे तो,
 महसूस हुआ..!!
तुझसे इश्क़ करते करते 
अरसा गुजर गया.!!
फिर…
न खुदा ही मिले, न विसाले सनम।
न इधर के रहे न उधर के रहे।
प्यार की तासीर, बबासीर से भी ज्यादा
तकलीफ देती है। 24 घण्टे ख्यालों में डूबे रहना, प्यार की पहली शर्त है-
वो किस समय,क्या कर रही होगी,
इसी ऊहापोह में समय कट जाता है।
सावन का महीना आया कि वह
विचार करता है कि-
घिर के आएंगी, 
घटाएँ फिर से सावन की।
तुम,तो बाहों में रहोगे, 
अपने साजन की।।
प्रकृति हो या पत्नी (प्रेमिका) इनकी देखभाल एवं ख्याल रखना अति
आवश्यक है। इनकी प्रसन्नता ही
 सब सम्पन्नता प्रदान कर सकती है।
 इन्हें पाने औऱ न पाने दोनो का दुख
रहता है। क्योंकि ये बांधकर रखना चाहती हैं, जो आदमी की फितरत से परे है।
दर-दर भटकना, कहीं भी अटकना
आदमी की आदत है। लेकिन संसार
का आनंद इन दोनों की गोद में है।
आदमी की आकांक्षा आकाश 
छूने की रहती है …
व्यक्ति फैलना चाहता है, विस्तार चाहता है ।
स्त्री की सोच अपना “चप्पा” (पतिअपना “नमकीन” (बच्चे) औऱ
थोड़ी  सी “बर्फ” (कुछ रिश्तेदार)
इन्हीं में रिस-रिस कर,
रस-रस कर, रच-रच कर पूरा जीवन
व्यतीत हो जाता है ।
हरेक इंसान  को प्यार से पहले आसमान
छूने का प्रयास करना चाहिए ।
हमारे सपने ही हैं, जो आसमां से
भी बड़े होते हैं।
  केवल सपने ही अपने होते हैं ।
  “हमें हर हाल में सफल होना है
यही मन्त्र हमारे दुर्भाग्य रूपी कालसर्प
को दूर करने में सहायता करता है।
कुंडली में कालसर्प हो, 
तो रोज 2 दीपक
राहुकी तेल 54 दिन तक लगातार जलावें। हो सकता है कि प्यार और 
व्यापार दोनों में सफलता मिल जाये
  दिन-रात की मेहनत से ईश्वर भी एक दिन
  नतमस्तक हो जाता है। बाबा
विश्वनाथ के प्रति यही विश्वास विश्व में
  हमें प्रसिद्धि दिलाता है।
  भोलेनाथ से मिलवा देता है।
  अपने मनोबल को सदा बढ़ाये रखो ।
  इसी बल के बूते हम दरिद्रता रूपी
 दल-दल से बाहर निकल पाएंगे।
  प्रेम ईश्वर से हो अपार सफलता
दिलाएगा ही। बाकी के प्यार में कब
कोन सा वार हो जाये पता नहीं।
देखा जाए, तो आजकल का प्रेम चीनी या चाइनीज प्रोडक्ट की तरह अस्थिर है-
चले तो चांद तक, नहीं तो शाम तक 
सन्सार में करीब-करीब, गरीब हो या अमीर सभी एक बार प्यार में अवश्य उलझते हैं, चोट भी खाते हैं।
इश्क में क्या बताएं कि- 
दोनों किस कदर चोट खाये हुए हैं...
सच्चा प्रेम कुछ देने का नाम है,
पाने का नहीं। प्रेमिका की याद, उसका
ह्रदय से स्मरण हमें हर क्षण,
हर रण में लड़ने की शक्ति देता रहे।
निःस्वार्थ प्रेम की यही निशानी है।
 उस “प्रेम की प्रतिमा” हमेेशा दिल
में सजाकर रखें। उसका भोलापन,
सरलता, सहजता आपको हमेशा प्रेरित करेगी, प्रेरणा देगी ।
  प्रेम ऐसा हो कि-मरने के बाद भी 
घर-घर आपकी “फ्रेम” फ़ोटो लग जाए। 
  जैसे राधा-कृष्ण की
  बस हमें समर्पण करना आना चाहिए।
उसे संवारना है, बस, उसे ही ऊंचाई
की औऱ उठाना है।
किसी का पूरा ध्यान रखा, खुश रखा, मन को  हल्का किया कि उसके नयनों से एक दिन आंसू, तो झलक ही जाएंगे ।
 त्याग करना, किसी की जिंदगी बदलना ही सच्चा प्रेम है।
  एक बार किसी का “सारथी” 
  बनकर, तो देखो । लेकिन हम स्वार्थी बनकर उसके विश्वास की अर्थी
निकाल देते हैं। तन और मन के अलावा क्या है किसी के पास देने को।
  उसका समर्पण, अपनापन, उसका प्यार
  और ध्यान जीवन सँवार देगा।
  लेकिन क्या करे, इस टेक्नोलॉजी के युग में
  सब विचित्र तरीके से बदल रहा है ।
  लोगों की निगाहें “ब्रा” पर ज्यादा हैं 
वृक्ष पर नहीं
  अपने को बदलने का प्रयास करो, निःस्वार्थ
  प्यार नहीं कर सकते हो, तो पेड़ लगाओ,
  प्रेमिका के नाम से किसी का जीवन नष्ट न
  करो।  उसकी रक्षा करो। केवल एक बार
  प्रकृति हो या अन्य उससे सच्ची लग्न लगाकर देखो।  यदि दिल दर्द, से बचकर “मर्द” बनना चाहते हो, तो ये करें-
दिल लगाने से अच्छा है-
पौधे लगाओ,
ये घाव नहीं,
 छांव देंगे
 जब बहुत परेशान हो जाओ, कोई रास्ता न सूझे, तो किसी अनुभवी आदमी या परम शिव भक्त सन्यासी अथवा अपने माता-पिता को अपना गुरु बनाकर सही मार्गदर्शन लेवें-
जो हमें अंधकार से प्रकाश की औऱ ले
चलने में मदद करेगा-
 लोग बिना मेहनत के ही गुरु ज्ञान लेना चाहते हैं, कुछ इस तरह-
कोई हुनर , कोई राज , कोई राह , 
कोई तो तरीका बताओ….
दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न , 
कोई रूठे भी न ,सिर फूटे भी न,
कुछ लुटे भी न, और ज़िन्दगी गुजर जाए।
 “अधूरा जीवन से साभार”
आज तक किसी ने भी प्रेम से
हमें नहीं “घूरा”(देखा)
इसी कारण मेरा पूरा जीवन रहा अधूरा
हमने तो कह दिया था कि-
मेरे दिल में वास करो और 
कोई किराया भी मत दो।
प्रेम की प्राचीन परम्परा पढ़ने के लिए
www.amrutampatrika.com
गूगल पर सर्च करके 1500 से ज्यादा ब्लॉग  देखें। शायद इनमें से कुछ आपके काम के हों।
 ऐसा भी हुआ जिंदगी में कई बार….
दिल मेरा भी कम खूबसूरत तो न था,
मगर मरने वाले हर बार सूरत पे ही मरे..
मुहब्बत हो या सियासत
जीतता वही है जो फ़रेबी हो।
फिर से तेरी यादों का
मेरे दिल में बबंडर है,
यही मौसम, वही सर्दी,
वही दिलकश दिसम्बर है.!!
मोहब्बत भी उधार की तरह है साहिब
लोग ले तो लेते है, मगर देना भूल जाते हैं !!
अपने तजुर्बे……
लोग इन्सान देखकर मोहब्बत करते हैं!
मैने मोहब्बत करके इन्सानों को देख लिया!!
बात इतनी सी थी, की तुम अच्छे लगते थे.!!
अब बात इतनी बढ़ गई है कि-
तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता।
मेरे दर्द का ज़रा
हिस्सा लेकर तो देखो,
सदियों तक “शायरी”
करते रहोगे “जनाब”.
अभी इश्क के सिक्स ओर चौके बाकी हैं
अमृतमपत्रिका पढ़ते रहें-
प्यार यदि सफल हो जाये, तो
का सेवन करना न भूलें

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