अरबों का मालिक या कंगाल बनाता है-राहु करें ये 6 उपाय

क्या आपको मालूम है?

49 परेशानियों को उत्पन्न करता है राहु
महाशिवरात्रि को करें: राहु को प्रसन्न
और
अपार सफलता पाने के 
लिए करें राहु के ये 6 उपाय

राहु के रहस्य;-

राहु रहस्यों का राजा और रहस्यमयी छाया ग्रह है। दुनिया में जितने भी नये अविष्कार होते हैं। राहु उनका कारक ग्रह है।  राहु के रहस्य को ब्रह्माण्ड में आज तक कोई समझ नही पाया। नई खोज-नई सोच राहु के कारण ही सम्भव हो पाते हैं।

दुःख दाता राहु:

दुनिया में लोगों को जितने भी कष्ट, क्लेश, दुख, द्रारिद्रय हैं वह सब राहु की देन है। राहु जब किसी को सताते है, तो ईश्वर भी उनकी मदद नही करता। कभी-कभी राहु जातक को इतना पीड़ित  कर देते हैं, कि व्यक्ति आत्महत्या करने
तक की सोचने लगता है।

खराब या अनिष्ट राहु की 49 पहचान:-

【१】मन माफिक काम न होना,
【२】बार-बार असफल होना,
【३】हिम्मत टूट जाना,
【४】हीन भावना आना,
【५】आत्मविश्वास में कमी,
【६】तलाक, विवाह विच्छेद
【७】बार-बार रुकावटें आना
【८】बीमारियों से परेशान,
【९】चोरी का इल्जाम लगना,
【१०】जुआ, सट्टा, शेयर से नुकसान
【११】नशा, और शराब की आदत पड़ना 【१२】बदनामी का भय होना,
【१३】अत्याधिक गरीबी,
【१४】धन व सुख की कमी,
【१५】आर्थिक परेशानी या धन तंगी रहना,  【१६】पुलिस या गुंडों का भय,
【१७】मुकदमेंबाजी,
【१८】कारागृह,
【१९】आकस्मिक दुर्घटना,
【२०】अचानक मृत्यु,
【२१】झगड़ा-फसाद,
【२२】कानूनी उलझनें रहना
【२३】कर्ज बने रहना या डूबना
【२४】दिया हुआ पैसा बापस नहीं आना
【२५】असाध्य रोग केन्सर भय,
【२६】पेट दर्द, पेट के रोग,
【२७】अविवाहित जीवन, विवाह न होना,
【२८】औलाद न होना,
【२९】एकांकी जीवन,
【३०】मानसिक अशान्ति,
【३१】कर्मचारियों का न टिकना,
【३२】वाद-विवाद, लड़ाई होना
【३३】छोटी व नकारात्मक सोच हो जाना
【३४】चुगलखोरी से परेशान,
【३५】आलस्य, सुस्ती,
【३६】किसी काम में मन न लगना,
【३७】आगे बढ़ने या कुछ करने की ललक न होना, या अवरोध
【३८】काम (sex) के प्रति अरूचि,
【३९】गृह-क्लेश,
【४०】प्यार में नाकामी,
【४१】गणित और अंग्रेजी की कमजोरी,
【४२】किसी अपने के खोने का डर या गम
【४३】हर बार मरने के विचार आना,
【४४】डिप्रेशन, अवसाद बने रहना
【४५】स्वभाव का चिड़चिडापन हो जाना
【४६】छोटी सी बात पर बहुत  क्रोध आना
【४७】हमेशा भय-भ्रम बने रहना
【४८】तनाव, फिक्र, डर, चिंता में डूबे रहना
【४९】शरीर में भयंकर दर्द, सूजन, थायराइड रहना 88 तरह के वात रोगों से परेशान होना।
यह सब राहु के दुष्प्रभाव या लक्षण है।

विशेष ध्यान देंवें

यदि किसी जातक के साथ ऐसा हो रहा हो, तो
निश्चित ही जन्म कुण्डली या पत्रिका में राहु बहुत ज्यादा अनिष्टकारक है।
कभी-कभी राहु की महादशा-अंतर्दशा-प्रत्यंतर दशा में भी उपरोक्त दुष्परिणाम देखने को मिल जाते हैं।

राहु  सृष्टि के प्रशासनिक अधिकारी है

 इस पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवजगत को पूर्व जन्म या प्रारब्ध और कर्मो के अनुसार तकलीफों का अम्बार तथा कष्टकर, क्लेश या अथाह सुख-समृद्धि देना राहु के ही हाथों में है।
मार्ग से भटकाना और हर रोज उलझनें खड़ी करना राहु का ही काम है। राहु जब रास्ते से भटकाते है, तो कही का नही छोड़ते।
पत्रिका में विपरीत या अनिष्ट राहु सब बर्बाद कर देते है जबकि अनुकुल व शुभ कारक राहु जातक को इतना सब कुछ देते है जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता।
राहु पाताल के स्वामी हैं। 

पृथ्वी में गढ़ा धन राहु की कृपा से ही मिलता है।

जमीन के अन्दर से निकलने वाली समस्त धन-सम्पदा पर इनका ही अधिकार है। तरल पदार्थ, सोना-चांदी, अष्टधातु
पेट्रोल-डीजल पर इन्हीं का हक है।
ये मुस्लिम धर्म के जन्मदाता है।
(यह जानकारी अगले आर्टिकल में पढ़ें)

राहु की शान्ति और प्रसन्नता के लिए 

करें ये 6 उपाय – 

भगवान सूर्यदेव को जीव-जगत की आत्मा कहा जाता है। राहु सदा सूर्य अर्थात हमारी आत्मा को ग्रहण लगाते है।

1- राहु का कृपापात्र बनने के लिए

 माहशिवरात्रि की रात में 11 से 1 बजे के बीच किसी एकांत शिव मंदिर में अथवा घर के पूजाघर में 56 दीपक राहुकी तेल के जलाएं।
दीपक को पीपल के पत्तों के ऊपर ही रखें।
दीपक जलाने के बाद सभी में काले तिल अर्पित करें।
ध्यान रखें सभी दीपक 72 मिनिट तक जलते रहें, तब तक
!!ॐ शम्भूतेजसे नमः!!

मन्त्र की 11 माला जपते रहें

2– महाशिवरात्रि के दूसरे दिन से 56 दिनों तक लगातार प्रतिदिन राहुकाल में राहुकी तेल
के 5 दीपक जलाकर 108 बार यानि एक माला रोज
 !!नमः शिवाय च शिवाय नमः!!
मन्त्र की एक माला का जाप जरूर करें।
3– प्रतिदिन दीपक जलाकर अपने पूर्वजों, पितरों, कुल देवी-देवताओं का विनम्र भाव और भावुक होकर स्मरण एवं याद करें।
4– प्रतिदिन स्नान जल में गुलाब इत्र या चन्दन इत्र डालकर नहायें। राहुदेव के गुरू श्री शुक्राचार्य जो सुख-सम्पन्नता, भौतिक जीवन के प्रदाता है। अतः इनकी प्रसन्नता हेतु शुक्रवार को घर के सभी सदस्य राहुकी तैल पूरे शरीर में लगाकर स्नान करें। यही प्रयोग शनिवार को भी करें। क्योकि शनिदेव राहु के अभिन्न मित्र है। जो आकस्मिक दुघर्टनाओं से बचाव करते है न्याय रक्षक होने से कभी कोई अन्याय करता है। उसका अनिष्ट कर देते है।
राहु के प्रकोप से बचने के लिए तथा जीवन को कष्ट -क्लेश, दुख-दर्द से दूर रखने और
जिंदगी को खुशहाल व सुखमयी बनाने के लिये शास्त्रों में भी भगवान शिव की शरण में जाना लाभकारी बताया है।
चारों वेद शिव के भेद से,तथा स्कंन्ध पुराण,  भविष्य पुराण, हरिवंशपुराण, श्रीमद भागवत, सभी उपनिषद, संस्कृत  भाष्यो में महादेव महाकाल को ही हर विषम काल को काटने वाला बताया है। इसलिये
5– माह में एक बार यदि संभव होतो प्रत्येक महिने की मास शिवरात्रि (अमावस्या के दिन पहले की चौदस) को जल में मधुपंचामृत चन्दन या गुलाब इत्र डालकर शिवलिंग का रूद्राभिषेक कराना चाहिये।
6– रोज रात में 2 छुआरे तकिए के नीचे
रखकर सोएं। सुबह उन छुआरे को
किसी गन्दे पानी या नाली में डालकर,
फिर पक्षियों को तेज नमकीन चुगाकर स्नान करें।

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