सेक्स सलाहकारों के अनुसार-रोज सेक्स रिलेशन बनाकर बचाएं, टूटते रिश्तों को

● सेक्स समस्या और भ्रांतियों का सम्पूर्ण समाधान।
● नपुंसकता की चिकित्सा।
● शीघ्रपतन, से कैसे बचें।

इस ब्लॉग में सेक्स से जुड़ी कुछ 

खास बातें पढ़े-
■ क्या सेक्स मानसिक शांति प्रदाता है?
■ कितने समय तक हो, सेक्स या इंटरकोर्स..
■ क्या पत्नी को भी चरमसुख या संतुष्टि की जरूरत है-
■ क्या करें कि-पत्नी भी सम्भोग,
सहवास, सेक्स (sex) का पूरा आनंद उठा सके-
■ क्या बहुत अधिक सेक्स-सहवास शरीर के लिए नुकसानदेह है-
■ सेक्स समस्याएं और समाधान….
■ क्या करें, ताकि परमसुख अर्थात ऑर्गेज्म मिले और सेक्स (sex) करने का पूरा मजा आ सके..
कुछ काम की बातें, काम (काम) के 
बारे में विशेषकर कामी सेक्सी लोगों के लिए जिसे जानना जरूरी है-
पहली बात, तो यह है कि-
सेक्स करने से तनाव दूर होता है।
यह ब्लॉग बहुत रोचक है….

कामशास्त्र और आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथो-नियमों के मुताबिक सेक्स, इंटरकोर्स (सम्भोग-सहवास) तन को तंदुरुस्त रखने, दीर्घायु, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुख प्राप्त करने के साथ-साथ साहचर्य सुख और वंशवृद्धि प्राप्ति की कला है।
सेक्स या इंटरकोर्स पति-पत्नी के बीच अंतरंग होना एक समाजिक प्रथा है। सेक्स हमेशा मानसिक और भावनात्मक रूप से जुड़े दो ऐसे पार्टनर्स के बीच होता है, जिसमें दोनों बराबर आनंद लेना चाहते हैं। लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि सेक्स के दौरान महिलाओं को संतुष्टि प्राप्त नहीं होती। कहने का मतलब है कि- महिलाएं अपने ऑर्गैज़म को प्राप्त नहीं कर पाती। क्योंकि अधिकांश लोग पुरुषार्थ वृद्धि के लिए लंबे समय नेचुरल ओषधियों का उपयोग नहीं करते।
पति-पत्नी दोनों ही चाहते हैं कि इंटरकोर्स की अवधि लंबी हो पर इसके लिए दोनों पार्टनर्स का स्‍वास्‍थ्‍य बहुत हद तक जिम्‍मेदार है।

महिलाएं चरम सुख का अनुभव करने में सक्षम होती हैं, जबकि पुरुषों की शारीरिक संरचना बिलकुल अलग है। एक बार चरमसुख का अनुभव करने के बाद वह पुन: उसी आनंद का अनुभव करने में सक्षम नहीं होता। इसलिए पुनः शीघ्र चार्ज होने के लिए अमृतम
बी फेराल गोल्ड माल्ट और केप्सूल
का इस्तेमाल अत्यंत कारगर है।

कितने समय तक हो- इंटरकोर्स..

कितनी देर तक आप सम्भोग या सेक्स
कर सकते हैं इस बात पर भी महिला पार्टनर की खुशी निर्भर करती है। सेक्स के समय स्त्री को खुश रखने के लिए सेक्स ड्राइव बेहतरीन होना चाहिए। हर औरत चाहती है कि उनका पुरुष साथी बिस्तर पर लंबे समय तक बना रहे एवं बेहतर कामकाज सम्पादन यानि अच्छी परफॉर्मेंस दे, जिससे उन्हें परमसुख अर्थात ऑर्गेज्म मिले और सेक्स (sex) करने का पूरा मजा आ सके।
ऑर्गेज्‍म अर्थात चरमसुख क्या है…
ऑर्गेज्‍म को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. ऑर्गेज्‍म शब्द ग्रीक वर्ड “ओर्गो” से आया है. ग्रीक भाषा में ओर्गो का अर्थ होता है-
“टू स्वेल विद लस्ट” ऑर्गेज्‍म को हिंदी में चरम सीमा भी कहते हैं. अलग-अलग भाषाओं में विभिन्न नाम है-
“इनफ एंड नथिंग मोर”

हिंदी में इसे परमसंतोष कहते हैं, गुजराती लोग इसे परमसुख कहते हैं, महाराष्‍ट्र में इसे सम्पूर्ण समाधान कहा जाता है। उर्दू भाषा में इसे सुकून कहते हैं, सिंधी में परमशांति कहते हैं। तमिल भाषी इसे पूर्णतृप्ति कहते हैं और तेलुगू भाषी महासंतृप्ति कहते हैं। कश्‍मीरी लोग इसे तन-मन की खुशी कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में इसे क्‍लाइमेक्‍स कहा जाता है।

अगर कोई पुरुष काफी लम्‍बे से ऑर्गेज्‍म की समस्‍या से पीड़ित है, तो उसे तुरन्त 2 से 3 माह तक नियमित बी फेराल लेना हितकारी है।

बी फेराल अंग-अंग में उमंग भर देता है
एक बार इस अद्भुत अहसास को महसूस कर लेने के बाद पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाएं ऑर्गेज्म का सुख बार-बार
पाना चाहती हैं। ऐसे में फोरप्ले
(संभोग के पहले की कामुक क्रियाएं
ही आपको चरम-आनंद की प्राप्ती कराने में सहायक है।
आदमी में सेक्सुअल इंटरकोर्स मुख्यतः दो हिस्सो में विभाजित होता है पहला है- सेक्स की आकांक्षा, अभिलाषा या वासना यानि डिजायर,
एक पुरुष के लिए सबसे कठिन समय तब होता है जब वह अपनी पुरूषत्वता ही खो देता है।
यह समय है इरेक्टाइल डिसफंक्शन मतलब स्तंभन दोष की बीमारी या नपुंसकता।
क्या काम को कंट्रोल करना उचित है?..
कामशास्त्रों में कहा गया है कि सेक्स की इच्छाओं को ज्यादा दबाने या कंट्रोल करने से मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। अगर व्यक्ति कुछ नियमों में बंधकर सेक्स करता है। जैसे-
★ दिन में सेक्स करने से बचें।
★ सहवास के बाद ठंडा पानी न पीकर केवल गर्म दूध पियें।
★ सेक्स या इंटरकोर्स के तुरन्त बाद स्नान न करें।
★ रात्रि में दही, अरहर की दाल न खायें।
★ सुबह नाश्ते में मीठा दही अवश्य लेवें,
तो सेक्स पॉवर कमजोर करने वाली अनेक बीमारियों, कमजोरी, शीघ्रपतन, नपुंसकता और आपदाओं से बचा जा सकता है।
जो नये कप्पल या पति-पत्नी महीने में 35 से 40 बार या इससे भी ज्यादा अंतरंग या इंटिमेट होते है, वो यौन जीवन में काफी संतुष्ट रहते है।
अनुभवी बुजुर्गों का मानना है कि-
जिनकी शादी को काफी साल हो गए है, उनके लिए हर माह 11-से 12 बार अन्तरंग या इंटिमेट होना अर्थात सेक्स करना बहुत ही लाभकारी होता है।
क्या काम जरूरी है-
हिंदू धर्म में सेक्स को ज़िंदगी का अहम हिस्सा माना जाता है। यह धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष
यानि चार पुरुषार्थों में से एक है।
क्या है- काम शास्त्र (सेक्स बुक)
काम संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है आनंद की इच्छा या आकांक्षा। काम को सीधे तौर पर संभोग या सेक्स कहते हैं। हिंदुओं के प्रेम के देवता कामदेव के नाम से इस शब्द की उत्पत्ति मानी गई है। भारतीय कामशास्त्र काम अर्थात संभोग, सहवास, (सेक्स) और प्रेम करने वाली काम की कला का शास्त्र है।
किसने की कामसूत्र की रचना…

शिव गण नन्दी ने एक हजार अध्याय का कामशास्त्र नामक ग्रन्थ लिखा था। कामसूत्र रचना का मूल उद्देश्य था कि – लोगों में सम्भोग या सेक्स के प्रति फैली भ्रांतियां दूर हों और वे इस शक्ति का अपने जीवन को शिव के अनुरूप
सत्यम, शिवम और सुंदरम बनाने में अच्छे से उपयोग कर सकें।
पुस्तकों का निचोड़-
कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।
यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है,
जो व्‍यक्ति की जीवनशैली, पति-पत्‍नी
के कर्त्तव्‍य, सौंदर्य, आदि से जुड़े विषयों पर जानकारी देती है।
इसमें काम यानी संभोग को ही जीवन का आधार माना गया है।
सेक्स मन्दिर, जो कामवासना जगाकर, काम की कला सिखाती हैं…

खजुराहो, अजन्ता व एलोरा आदि मंदिरों में यौन संबंधों का हर रूप देखने को मिलता है। स्त्री-पुरुषों के दीवारों पर तमाम सेक्स पोज़ीशन के रूप में तराशे हुए नंगे चित्रों या बुतों
को उकेरा गया है।
सेक्स समस्याएं और समाधान….
काम-पिपासा, कामदहन, सेक्स से स्वथ्य रहें एवं कामी पुरुषों की ओषधियाँ आदि तथा कामसूत्र, प्राचीन अमृतम आयुर्वेदिक ग्रंथो के अनुसार
सेक्स की एक सीमा होती है और उसी सीमा में सम्भोग करना उचित माना जाता है।
यदि आपमें क्षमता है, तो रोज सेक्स कीजिये साथ में आयुर्वेदक बाजीकरण योग बी फेराल गोल्ड माल्ट और
बी फेराल गोल्ड केप्सूल का सेवन अवश्य करें

अन्यथा वीर्य जल्दी सुख जाएगा। इसका इस्तेमाल कर आप जीवन भर सेक्स का शौक पूरा करते रहें।
हर रात, बाजी मारेंगे आप….
बी फेराल गोल्ड कामी पुरुषों का अमृतः है इसके उपयोग से कभी थकान नहीं होगी। यह पूर्ण सन्तुष्टि दाता योग है,
जो हमेशा भोग तृप्ति में सहायक है।
बस इसका उपयोग करते हुए शक्ति
भरते रहें, फिर आराम से जिंदगी भर करते रहें।
अतः सेक्स समस्या खड़ी होने के पहले ही बी फेराल का सेवन शुरू कर दें।

अन्यथा
अब पछताए होय क्या,
जब चिड़िया चुग गयी खेत।

या फिर,
एक कहावत यह भी है कि-
!!क्या वर्षा, जब कृषि सुखाने!!
अर्थात-खेती सूखने के बाद बरसात होने से कोई लाभ नहीं होगा।
प्यार या व्यापार का नियम है-इस हाथ दे, उस हाथ ले…..
आप दे ही-दे रहे हो, इकट्ठा कुछ नहीं कर रहे, तो रुक जाएं सेक्स करने से, नहीं तो बहुत सी बीमारियां पाल लेंगे। भोग का रोग तभी नुकसान दायक है, जब खानपान पर पूरा ध्यान नहीं रहता। खानपान की गड़बड़ी के चलते, बड़े-बड़े खानदान नष्ट हो गए। भारतीय धर्म ग्रन्थ आगाह करते हैं कि-
अति सर्वत्र वर्जयेत्
अर्थात् अति को हर जगह छोड़ देना चाहिए या यूँ कहें यथासंभव अति और अहंकार से बचना चाहिए।
अति भली न बरसना
अति भली न धूप।
अति भली न बोलना
अति भली न चुप॥
इस कहावत से ज्ञान मिलता कि –
यदि वर्षा अधिक होगी तो चारों ओर जलथल हो जाएगा। बरसात की वजह बाढ़ आना निश्चित है, इसके प्रकोप से जान-माल की हानि होती है और विकारों से व्यक्ति बर्बाद हो जाता है। अनाज भी कम होगा और मंहगाई बढ़ेगी। इसी तरह सूर्य की ज्यादा तपन से चारों ओर गर्मी की अधिकता होने लगती है।
दूसरी लाइन में कविवर
बता रहे हैं कि-
जो लोग बहुत बोलते हैं।
वे न कहने वाली बात कह देते हैं, जो झगड़े-फसाद का कारण बनती है।
संस्कृत का पुराण श्लोक है-
अति रूपेण वै सीता
चातिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बलिर्बद्धो
ह्यति सर्वत्र वर्जयेत्। ।
अर्थात –
सीता का हरण अधिक सुन्दरता के कारण हुआ था।
अत्यंत अहंकार के चलते रावण का अंत हुआ।
ज्यादा दान देने के कारण राजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा।
अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए। .
अति-मति यानि बुद्धि खराब कर देती है। अति कभी भी अच्छी नहीं होती फिर वह किसी भी कारण से हो। कहते हैं-
कम बोलना अच्छा है, किंतु कम तोलना अनुचित। किसी के चुप रहने से उसका आंकलन कम न करें।
एक चुप सौ सुख’ या ‘एक चुप सौ को हराए’।
चुप रहना बहुत बड़ा गुण है। यह हमारे धैर्य व सहनशीलता का प्रतीक है पर अधिक चुप हमारा अवगुण बन जाता है।
किसी भी गुण-अवणुण की अति बहुत दुखदायी होती है।
हर गुण की जीवन में आवश्यकता है पर जब अति होकर वह हमारे लिए झंझट
बन जाए तो उसका त्याग करने में ही भलाई है।
सेक्स से टोटल रिलेक्स…
क्या वास्तव में ‘अति’ हमेशा ही बुरी होती है?
सेक्स के मामले में अति जब तक बुरी नहीं है, तब तक आपमें मर्दाना ताकत है। यदि तन-मन में पर्याप्त सेक्स पॉवर है, तो अन्त तक, जिंदगी भर सम्भोग कीजिये। बशर्ते सेक्स बढ़ाने वाली बाजारू दवाओं, केप्सूल, तेल से बचें। यह एक दिन के लिए, तो मर्दांगनी पैदा कर भयंकर सेक्स पॉवर बढ़ा देती हैं लेकिन भविष्य में इसका दुष्प्रभाव या हानि बहुत होती है।
अपनी सामर्थ्य अनुसार सेक्स करने में कोई बुराई नहीं है। आप हर रोज, अनेक बार कर सकते हैं।
हो हर रात, आपका साथ….
सेक्स बिल्कुल भी खराब चीज नहीं है। इससे शरीर में ऊर्जा-उमंग बनी रहती है। सेक्स मानसिक सकून, शांति हेतु एक अदभुत चिकित्सा है। सेक्स से दोनों की खूबसूरती, सुंदरता में वृद्धि होती है। मन प्रसन्न रहता है। तन रोग रहित हो जाता है।
प्राकृतिक सम्भोग करने से बुढापा जल्दी नहीं आता। तन-मन की गर्मी तथा अनेक दुषित विचार एवं विकार शांत होते हैं।

नियमित सेक्स के फायदे….
अपने साथी के साथ अन्तरंग
मतलब इंटिमेट
होना जीवन को सुखमय बनाता है। नियमित सेक्स से आपके रिश्ते और प्यार में मधुरता आती है।

सेक्सओलॉजिस्ट की एक शोध में बताया गया कि- नये-नये विवाहित जोड़ों को 5 साल तक बेहिसाब सेक्स करना हितकारी है।
जिनके विवाह को 10 से 15 साल से अधिक हो गए हों, उन्हें हर माह कम से कम 12 से 18 दिन सेक्स अवश्य करना चाहिए। 20 से 25 वर्ष से अधिक जिनकी शादी को बीत चुके हों, उनको महीने में 8 से 10 बार सेक्स क्रिया करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद है। इससे रक्त प्रवाह सुचारू बना रहता है। नाड़ियों में शिथिलता नहीं आती। महिलाओं का मासिक पीरियड जल्दी बन्द नहीं होता अर्थात उन्हें मोनोपॉज की शिकायत नहीं होती।

आर्काइव्स ऑफ सेक्शुअल बिहेवियर में प्रकाशित एक शोध के अनुसार नये-नये शादीशुदा जोड़े को साल में 200 से 300 बार अंतरंग यानि इंटिमेट होना चाहिए। जर्नल ऑफ सोशल साइकॉलजिकल ऐंड पर्सनैलिटी साइंस
भी इस बात से सहमत है।

इसी प्रकार बिना पुरुषार्थ वर्द्धक दवाएँ खाएं बिना सेक्स करना, अन्तरंग सम्बन्ध या इंटिमेट होने की भी एक सीमा होती है। कुछ लोग इच्छाओ के चलते जरुरत से ज़्यादा सेक्स करते है, जो कि सेहत के लिए हानिकारक होता है।
बी फेराल गोल्ड केप्सूल
यह एक ऐसी दवा है, जो सेक्स को दबाता नहीं है, अपितु उभारता है। स्त्री के अंग-अंग को जाग्रत कर रग-रग में उमंग और खूबसूरती भर देता है
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध।

पैकिंग-
30 केप्सूल, 1250/-रुपए
माल्ट 400ग्राम कांच जार में 1849/-

दुनिया में अधिकांश लोगों का मानना है कि शादी के बाद जीवनसाथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना जरूरी है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह वैवाहिक जीवन को खुशनुमा बनाए रखता है। लेकिन क्या यह जरूरी है कि शादी के बाद सेक्स किया ही जाए? आखिर क्यों इसे जरूरी माना जाता है और क्या शारीरिक संबंध के बिना सुखी वैवाहिक जीवन नहीं जिया जा सकता।

वैवाहिक सलाहकारों का मानना है कि शादी के बाद सेक्स शादीशुदा जिंदगी में जरूरी होता है। यह पति-पत्नी के बीच में प्यार तो बढ़ाता ही है, बल्कि उनके रिश्ते को मजबूत भी करता है। हालांकि इसे लेकर कई बार दोनों के बीच में मतभेद भी होते हैं, लेकिन फिर भी जब पति-पत्नी साथ होते हैं, तो यह उनके लिए परम प्रसन्नता का पल होता है।
अनुभवी कहते हैं कि- पुरुष और महिला दोनों सेक्स को अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। पुरुष के लिए शारीरिक संबंध मानसिक शांति पाने और तनाव मिटाने का जरिया है, वहीं स्त्री के लिए यह पुरुष के पास रहकर प्रेम-अपनापन पाने का तरीका। हालांकि समय के साथ इस रिश्ते में कमी आने लगती है।

वैवाहिक सलाहकारों का मानना है कि एक-दूसरे के प्रति आकर्षण कम हो रहा है या रिश्ता टूटने की कगार पर है, तो 4-5 रात तृप्ति एवं चरमसीमा तक पर्याप्त सेक्स करें। ऐसी विपरीत स्थिति में कैसे भी आपको संबंध बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए। इससे आपके रिश्ते में फिर से ताजगी आएगी और रिश्ता टूटने से बच सकता है।
सेक्स सलाहकार बताते हैं कि पति-पत्नी के बीच सेक्स उन्हें एक-दूसरे से जोड़े रखता है, जिससे कठिन समय में भी वह एक-दूसरे के प्रति आकर्षण बरकरार रख पाते हैं, जो शादीशुदा जिंदगी के लिए जरूरी है।

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