यह अमृतम लेख तन- तन्दरुस्त, मन को मजबूत बनाने में सहायता करेगा और चिकित्सक के चक्करों से भी बचाएगा।
संस्कृत का सच्चा सूत्र है….
व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं
दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं
स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥अर्थात-
व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और उत्तम स्वास्थ्य से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
कम्फर्ट हेल्थ के लिए थोड़ी, कसरत
व्यायाम का नियम आयुर्वेद में बताया है।
इस युग की नवीन टेक्नोलॉजी द्वारा दुनिया के किसी भी कोने की जानकारी ज्ञात कर सकते हैं,बस खोजना आना चाहिए ।
हिंदुस्तानी मुहावरा है कि-
“जिन खोजा, तीन पाइँया”
जो खोजता है उसे वह जरूर मिलता है ।
अर्थात “खोजने से खुदा भी मिल जाता है” वह खुद मिलने आ जाता है ।
दोनो का अपना महत्व है।
रोगों का रायता न फैलने दें….
रोगों पर यदि ध्यान न दो, तो यह असाध्य व्याधियां हो जाती हैं। व्याधि कोई भी हो ये उन्नति तथा क्रियाशीलता में बाधा खडीकर जीवन को आधा कर देती हैं।
अमृतम द्वारा 200 से अधिक शास्त्रमत अनुसार आयुर्वेदिक ओषधियाँ निर्मित
की जाती हैं, जो हर साध्य-असाध्य और पुरानी से पुरानी तथा रोज-रोज होने वाली बीमारी का स्थाई इलाज है ।
अमृतम हर्बल दवाएँ -सदा स्वस्थ बनाएँ..
विश्व पहली बार ही अमृतम द्वारा विभिन्न व्याधियों के लिए अलग-अलग करीब 45 प्रकार के माल्ट का निर्माण किया है।
जिसे आप ऑनलाइन ऑर्डर देकर मंगवा सकते हैं।
अपना स्वास्थ्य, सबका साथ…
हमारा स्वास्थ्य अच्छा होगा, तब ही हम
सबका साथ निभा सकते हैं और दुनिया भी हमारा साथ देती है ।
शास्त्रों में स्वस्थ शरीर बनाये रखने व स्वास्थ्य के विषय बहुत से योग, प्रयोग, धर्म-कर्म, साधना-उपासना, व्रत-उपवास, अलग-अलग
धर्मों की विभिन्न मान्यताएँ आदि बहुत लंबी रामकहानी लिखी पड़ी है।
अनुभव और आयुर्वेद के आधार पर हम स्वस्थ्य रहने के सूत्र-नियम नीचे दे रहे हैं, जो नश्वर शरीर की नाड़ियों तथा नस-नस में नीरसता निरस्त कर शक्ति का संचार कर देगा।
यदि आपकी उम्र 70 के करीब हैं, तो सुबह जल्दी बिस्तर त्यागें। प्रातः पांच बजे उठने से मन कांच की तरह उजला रहता है। सुबह जल्दी उठकर बिना मुहँ धोये दो से तीन ग्लास सादा या गुनगुना पानी पियें, उसके बाद मुहँ में पानी भरकर इसी पानी से छपका मारकर आँखें धोएं।
10 दिन के अंदर खराब से खराब पाचनतंत्र को सुधार देगा ये आयुर्वेदिक फार्मूला….
सौफ, हल्दी, जीरा, अजवायन, धनिया, नमक, कालीमिर्च, सभी आधा ग्राम, 2 अंजीर, 5 मुनक्के, 2 छुआरे, आमला, बहेड़ा, हरड़ तीनों 5-5 ग्राम, मुलेठी 1 ग्राम किसी मिट्टी के पात्र में
24 घंटे तक 500 ML पानी में गलाकर दूसरे दिन सुबह मसलकर रस निकालें और सुबह खाली पेट पियें। इसके 2 घंटे बाद तक कुछ न खाए पियें।
यदि यह फार्मूला बनाकर इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो उपरोक्त दवाओं एवं आँवला,त्रिफला मुरब्बे, गुलकन्द आदि से निर्मित अमृतम गोल्ड माल्ट
1-1 चम्मच 3 बार दूध से एक माह लगातार लेवें।
60 के बाद खाट न पकड़े, अपितु शरीर की नित्य-प्रतिदिन मालिश करें-
बुढ़ापे में शनिदेव का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता है। इंद्रियां शिथिल हो जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक शनिवार धूप में बैठकर अमृतम द्वारा
निर्मित जैतून, बादाम, चंदनादि तेल युक्त काया की तेल की मालिश कर स्नान करें।
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