जब वैद्य शिव की तरह पूज्य थेपुराने समय के वैद्य चिकित्सा कोसेवा कार्य मानकर मरीज कोउचित सलाह और मार्गदर्शनदेकर आसपास लगी या उगीहुई जड़ीबूटियों द्वारा इलाज करकेलोगों को चंगा कर दिया करते थे।इस उपकार के बदले उन चिकित्सकोंएवं वेद्यो के प्रति पूरे क्षेत्र में बहुतसम्मान मिलता था।आज के दौर में चिकित्सा कार्य अबपूरी तरह व्यवसाय बन चुका है।लोगों की रोजी-रोटी का जरिया है।लोग जानते हैं कि स्वस्थ्य जीवनकेवल प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा हीसम्भव है, लेकिन लापरवाही वशऔर आलस्य के कारण दिनोंदिनअपना शरीर खराब कर रहे हैं।देशी दवाओं का मूल मन्त्र है –शरीर को तीन प्रकार के दोष यानित्रिदोष से मुक्त रखना है।शरीर के मूल तीन-तत्त्व【१】वात,【२】पित्त,【३】कफ (त्रिधातु) हैं।इनके असंतुलन से तन-,मन मेंबीमारियों का प्रादुर्भाव होता है।अगर इन तीनों में संतुलन रहे,तो कोई भी रोग-विकार या बीमारी शरीर को रत्तीभर भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।वात-पित्त-कफ जब इन तीनो का संतुलन बिगड़ता है, तभी कोई बीमारी शरीर पर हावी होना शुरू हो जाती है।आयुर्वेद के सिद्धांतप्रकृति के इसी सिद्धांत को लेकर हमारेऋषि-मुनियों, आयुर्वेदाचार्यो नेहजारों-लाखों आयुर्वेदिक योगों,फार्मूलों तथा नुस्खों का आविष्कारकर अपने अनुभवों को लगभग900 ग्रंथों में इनका उल्लेख किया।आयुर्वेदिक चिकित्सा ही एक ऐसी चिकित्सा है, जिसके माध्यम से किसी भी रोग, बीमारियों को समूल नष्ट किया जा सकता है।विशेष–यदि आयुर्वेदिक औषधियों काधैर्य के साथ लंबे समय तक उपयोगकिया जावे, निश्चित ही शरीर निरोगी रहता है।हमेशा स्वस्थ्य-तन्दरूस्तबने रहने के लिए और अपनीरोगप्रतिरोधक क्षमता यानीइम्म्युनिटी पॉवर बनाये रखने हेतुहम अमृतम गोल्ड माल्टएक असरदायक हर्बल सप्लीमेंटकी सलाह देते हैं।इसे जीवन भर सेवन करकेशरीर रोग रहित बना सकते हैं।अमृतम गोल्ड माल्टको बिना किसी बीमारी के भी
लिया जा सकता है
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