“पांच” खतरनाक गुप्तरोग, जो तबाह कर सकते हैं?
5 गुप्तरोगों या (STD) के बारे में जाने–
यौन संचारित रोग यानी एसटीडीज रोगों के बारे आयुर्वेद की पुरानी किताबों में यह जानकारी सैकड़ों वर्षों से है।
इनमें 【1】 उपदंश (Syphilis),
एक प्रकार का गुप्त रोग है जो मुख्यतः लैंगिक संपर्क यानी सेक्स रिलेशन के द्वारा फैलता है।
【2】 सुजाक (Gonorrhoea )
यह उन पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त स्त्री से यौन संपर्क करते हैं।
【3】लिंफोग्रेन्युलोमा बेनेरियम (Lyphogranuloma Vanarium)
यह विषाणुजन्य संक्रामक रोग है। इसमें जननेंद्रिय तथा गुदा की लसीका ग्रंथियों में दर्द,जलन, प्रदाह होता है। इस बीमारी का संचारण सम्भोग या मैथुन के कारण होता है और इसका उद्भवन (बीजाणु) काल तीन से २१ दिनों तक है। यह छोटे से व्रण या जख्म के रूप में आरंभ होता है, जो शुरू में कष्टदायी न होने से महत्वहीन प्रतीत होता है।
फिर, दो या तीन सप्ताह के भीतर गिल्टी/गांठ उभर आती है, या लसीका ग्रंथि सूजती है। गिल्टी या गांठ फूटकर नासूर बन जाती है। बैचेनी, कमजोरी, चक्कर आना सिरदर्द, ताप,थकावट तथा हरारत की शिकायत होती है।
【4】 रतिज व्राणाभ (Chancroid)
रतिरोग (Venereal Diseases) रति या मैथुन के द्वारा उत्पन्न रोगों का सामूहिक नाम है। ये वे रोग हैं जो कि यौन सम्पर्क की वजह से फैलने की सम्भावना ज्यादा रहती है।
【5】 एड्स (AIDS) प्रधान हैं
(एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता (Immunization) खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नहीं हैं।
उपरोक्त यौन रोग अत्यंत खतरनाक संक्रामक बीमारियां हैं। इसमें से कुछ गुप्त रोगों का इलाज आयुर्वेद में उपलब्ध है। लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो अभी तक असाध्य हैं अर्थात लाइलाज हैं। ज्यादातर इस तरह के यौन संचारित sexually transmitted disease (STD) रोगों के लिए सेक्स रिलेशन विशेषकर वेश्यागमन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
“STD” – इस रोग के लक्षण
● पुरूषों मे लिंग से स्राव
●● सेक्स या मूत्र त्याग के समय पीड़ा
●●● जननेन्द्रिय के आसपास दर्दरहित लाल जख्म, असहनीय पीड़ा
●●●● जननेन्द्रिय के आसपासमुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से होना।
●●●●● अनावश्यक यानि समझ नहीं आने वाली थाकान आलस्य, शरीर में टूटन और रात को पसीना और वजन का घटना। असामान्य छूत के रोग।
एक सर्वे के मुताबिक नपुंसकता, लिंग शिथिलता, पुरुषार्थ की कमी, वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, नाईट फैल, कमजोरी, शुक्राणु की कमी शुक्रजन्य नाड़ियों का क्षीण होना और शुक्राणुओं का न बनना आदि गुप्तरोगों की वजह से
देश में 40 फीसदी से अधिक युवा एवं चालीस के पार वाले लोग और भी ज्यादा पीड़ित हैं।गुप्तरोगों के होने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है
कि लोग तत्कालीक फायदे के लिए सेक्स बढ़ाने की पॉवरफुल दवाएँ लेते हैं, जो बाद में अत्यंत हानि पहुंचाती हैं।
इन दवाओं से शरीर की पूरी ताकत, जोश व जवानी कुछ समय अथवा 1 या 2 साल में खत्म हो जाती है।उनकी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली नष्ट हो जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्साअंदर से शक्ति और जोश-ए-जवानी की वृद्धि
के लिये बी फेराल माल्ट व कैप्सूल प्योर हर्बल मेडिसिन है यह उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है, जो
सभी तरह या गुप्तरोगों का इलाज कराकर निराश या हताश हो चुके हैं, उन्हें बी फेराल माल्ट के अच्छे परिणाम 10 से 15 दिन में मिलने लगते हैं।
यह 100% आयुर्वेदिक ओषधि है इसलिए बहुत धैर्य की जरूरत है। हम बहुत ज्यादा कमजोर या हताश रोगियों को 3 से 6 माह तक सेवन करने की सलाह देते है।
भविष्य की तैयारी वी फेराल माल्ट और गोल्ड कैप्सुल दिन में एक या दो बार नियमित लेवें, तो पुरुषार्थ सम्बन्धी कोई भी समस्या 60 वर्ष की अवस्था तक होती नहीं हैं। इसके कोई भी साइड इफ़ेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं है।
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