रासलीलाओं का आरम्भ कैसे हुआ…
शरद पूर्णिमा के दिन करें-
इस मन्त्र का जाप, तो पूरे वर्ष रहेंगे
स्वस्थ्य-प्रसन्न और खुशहाल....
जाने क्या लिखा है – “शरद पूर्णिमा” के बारे में ग्रन्थ-पुराण, उपनिषदों में…
16 तरह के फायदे होंगे इस जाप से…
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम्!
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम्!!
इस मन्त्र के अविष्कारक “महर्षि मार्केंडेय”
ने इस मन्त्र का जाप करके, भगवान शिव
से स्वस्थ्य रहते हुए लंबी उम्र का वरदान पाया था। जिस स्थान पर ऋषि मार्केंडेय ने तप किया था वह स्थान तमिलनाडु के पास समुद्र किनारे “तरँगम बाड़ी” के नजदीक “अमृतेश्वर स्वयम्भू शिवालय” के नाम से स्थापित है।
चन्द्रमा एवं रोग पीड़ित ध्यान देवें-
जन्मपत्री में वृश्चिक का चन्द्रमा अर्थात नीच राशि का हो! या जिनका स्वस्थ्य हमेशा खराब रहता हो, उन्हें एक बार इस शिंवलिंग पर रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए।
यह मन्दिर कहाँ है इसकी जानकारी के लिए अमृतम पत्रिका के ब्लॉग पढ़ें।
शरद पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा के समक्ष
दोनो हाथ जोड़कर ईश्वर मुद्रा में देशी घी के
2 दीपक जलाकर उपरोक्त मन्त्र की 1 या 5 माला जाप करें। माला यदि रुद्राक्ष, मलयागिरि चन्दन या मोतियों की हो, तो और भी अच्छा रहेगा। एक बार यह अमृतम प्रयोग करके देखे और पूरे साल रोग-बीमारियों से बचें।
स्कंदपुराण का उपरोक्त अदभुत मन्त्र जीवन को शक्ति, ऊर्जा, उमंग, उत्साह और चमत्कार से भर देगा।
आयुर्वेद के अनुसार चन्द्रमा प्राकृतिक
ओषधियों के कारक और दाता हैं।
सन्सार को स्वस्थ्य रखना चंद्रशेखर शिव की ही जिम्मेदारी है। इसलिए स्वस्थ्य-समृद्ध बने रहने के लिए शरद पूर्णिमा की रात्रि को नीचे लिखे मन्त्र से करें चन्द्रमा की आराधना-
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम्!
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम्!!
सोलह कलाओं का मालिक है चन्द्रमा और शरद पूर्णिमा के रात में यह 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है- इसलिए
16 तरह के फायदे होंगे इस जाप से–
【1】चन्द्रमा के समक्ष की गई आराधना से साल भर के लिए माँ महालक्ष्मी और सृष्टि की सम्पूर्ण सम्पदा के स्वामी धनकुबेर की कृपा प्राप्ति होती है। कुबेर जी महादेव के मुख्य गण हैं।
【2】इसके अलावा मनोबल बढ़ता है।
【3】आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
【4】स्मरण शक्ति तेज हो जाती है।
【5】बुढ़ापा जल्दी नहीं आता, क्योंकि
सौन्दर्य बनाये रखना चन्द्र की देन है।
【6】सुंदरता, खूबसूरती में वृद्धि होती है।
【7】कमजोर व दुषित चन्द्रमा से पीड़ित
लोगों के लिए आज का दिन विशेष लाभकारी है।
【8】जो महिलाएं गुप्त स्त्रीरोगों से परेशान
रहति हों, उन्हें उपरोक्त मन्त्र का 11 माला जाप जरूर करना चाहिए।
【9】बच्चों के फेफडों का संक्रमण दूर होता है।
【10】अस्थमा, श्वांस एवं हमेशा रहने वाली सर्दी-ज़ुकाम से छुटकारा मिलता है।
【11】ग्रह बाधा से निवारण, ग्रहदोष, कालसर्प-पितृदोष की शान्ति होती है।
【12】घर-परिवार से घोर गरीबी, दुःख-दारिद्र्य जैसी समस्याओं का समाधान होने लगता है।
【13】ग्रह-क्लेश मिट जाता है।
【14】भय-भ्रम, तनाव से मुक्ति मिलती है।
【15】जादू-टोने, टोटके, करे-धरे का कोई असर नहीं होता।
【16】मन शांत रहने लगता है।
रासलीलाओं का आरम्भ कैसे हुआ….
शरद पूर्णिमा को महारास पूर्णिमा भी कहते हैं। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसारअश्विनी मास यानि कुँवार की पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने आज के दिन रास रचाया था, जिसे देखने भगवान शिव को स्त्री रूप रखना पड़ा था।
यह महारास ब्रह्माण्ड में भी देवी-देवताओं
के बीच प्रसिद्ध है।
ज्योतिष ग्रन्थों के मुताबिक, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
हिन्दू धर्म में इसे कोजागर पूर्णिमा कहा गया है। इस दिन कोजागर व्रत तथा कौमुदी व्रत
माना गया है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। जिसके सेवन करने से त्रिदोष यानि वात-पित्त-कफ़ दूर होता है। व्यक्ति साल भर स्वस्थ्य रहता है।
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