भाग-२/ शिवतांडव पार्ट-2
कविवर रहीम ने जीवन भर शिवतांडव की बहुत ही भावुक स्तुति कर यही प्रार्थना की, कि––
आनीता नटवन्मया तव…..,।
पुनस्त्वेतादृशीं भूमिकाम् ।।
अर्थात…
हे नटराज! “हे भोलेनाथ, भगवन्…
मैंने ८४ लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य योनि ली। आपके सन्मुख नट के समान सभी प्रकार की भूमिकाओं में अपना अभिनय दिखाया।
मेरे इस अभिनय, नृत्य, भाग-दौड़ को देखकर, यदि आप प्रसन्न हों, तो मैं जो मांगू या फिर जैसा
श्री रावण ने शिवतांडव में कहा है–
वह सब मुझे दीजिए। आप मुकरना नहीं।
मेरी स्तुति से यदि आप अप्रसन्न हों, अर्थात मेरा अभिनय आपको रुचिकर न लगा हो, तो फिर कभी भी मुझे इस भूमिका में न उतारिये। मुझे इस जन्म-मरण के दल-दल से उभारिये यानि मुझे मोक्ष दीजिए।
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