स्टेरॉयड- शरीर को बर्बाद कर देता है। तन को खोखला बनाने में यह बहुत उपयोगी मीठा जहर है…

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स्टेरॉयड को उपचय-एण्ड्रोजन स्टेरॉयड (एएएस) के रूप में जाना जाता है।

आजकल की युवा पीढ़ी शीघ्र फायदे के लिए धड़ल्ले से सेवन कर जीवन तबाह कर रही है। जाने-लाभ और हानि
यह एक दवा है जो कि पुरूष लिंग हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन और डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन
शार्ट नाम DHT के प्रभाव का अनुकरण करता है।
यह डीएचटी हार्मोन चेहरे पर आने वाले बालों यानि दाढ़ी-मूछों को नियंत्रित करता है।

DHT पुरुषों में पाए जाने वाले प्रमुख हार्मोन टेस्टोस्टेरोन से जुड़ा हुआ टेस्टोस्टेरोन का ही एडवांस रूप है।

वैज्ञानिकों के अनुसार टेस्टोस्टेरोन के परिवर्तन से ही डाइहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन यानि डीएचटी बनता है। वे कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन संश्लेषण
(बाँधने या जोड़ने वाली वस्तु) में वृद्धि करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सेलुलर ऊतक (अनाबोलिस्म) का विकास होता है, विशेष रूप से मांसपेशियों में. अनाबोलिक स्टेरॉयड में नर-हार्मोन संबंधी और पौरुष गुण होते हैं, जिसमें शामिल है –

■ मर्दाना विशेषताओं का विकास,

■ पुरुषार्थ की वृद्धि और रखरखाव, जैसे कि

■ स्वर रज्जू और शारीरिक बालों की वृद्धि
वर्तमान में इसे तुरन्त लाभ हेतु उपयोग किया जा रहा है।

■ हड्डी विकास और भूख प्रोत्साहित करने,

■ पुरुष यौवन,

■ क्रोनिक वेस्टिंग स्थिति का उपचार करने,

■ सेक्सुअल पॉवर बढ़ाने तथा जैसे कैंसर और एड्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय रसायन वैज्ञानिकों मानते हैं कि
आहार की पर्याप्त उपस्थिति में एएएस, शरीर के वजन को बढ़ाने में योगदान दे सकता है।

स्टेरॉयड के सेवन से

अक्सर दुबले शरीर की वृद्धि होती है।

तीव्रता वाले व्यायाम के माध्यम से मांसपेशी की शक्तियों में विकास होता है।

कुछ लोगों में एएस के इस्तेमाल से उचित आहार अतिरिक्त तौर पर बढ़ सकता है।
आयुष के विद्वान आयुर्वेदाचार्यों ने स्वीकार किया है कि- तत्काल लाभ के लिए एक-दो बार लेना, तो ठीक है, लेकिन लम्बे समय तक लेने से शरीर पूरा खोखला हो सकता है।
आयुरवेद के विशेष जानकर डॉ अशोक चौरसिया बताते हैं कि-
अनाबोलिक स्टेरॉयड का लंबे समय से इस्तेमाल करने या अत्यधिक खुराक लेने से स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। इन दुष्परिणामों में नपुंसकता आना, शुक्राणु की कमी विशेष है।

यौन समस्याओं से निपटने के लिए

बी फेराल गोल्ड माल्ट और कैप्सूल

का नियमित तीन महीने तक दूध के साथ इस्तेमाल करें। बुजुर्ग कहते हैं- दवा और दोस्त दोनों को परखने के बाद उनमें सरकने का प्रयास करना उचित रहता है।

स्टेरॉयड के नुकसान

अन्य दुष्प्रभावों में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में परिवर्तन (न्यून-घनत्व लेपोप्रोटीन में वृद्धि और उच्च घनत्व के लिपोप्रोटीन में गिरावट) होने लगती है।

चेहरे पर काले निशान, झुर्रियां, मुंहासे

होने लगते हैं। इन्हें ठीक करने के लिए

अमृतम फेस क्लीनअप अत्यंत हितकारक है।

बीपी हाई होना यानि उच्च रक्तचाप,

जिगर/लिवर की क्षति (मुख्य रूप से मौखिक स्टेरॉयड) और दिल के बांए वेंट्रिकल के ढांचे में खतरनाक परिवर्तन शामिल हैं।

खेल के मैदान या पुरुषार्थ दान और शरीर सौष्ठव में अनाबोलिक स्टेरॉयड के लिए एर्गोगेनिक उपयोग उनके प्रतिकूल प्रभाव और पारम्परिक रूप से एक संभावित लाभ जिसे “धोखाधड़ी” माना जाता है।
यह दुनिया में बहुत विवादास्पद है।

स्टेरॉयड के प्रयोग को डोपिंग के रूप में सन्दर्भित किया जाता है और सभी प्रमुख खेल निकाय द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। मान्यता प्राप्त आईओसी प्रयोगशालाओं द्वारा एएएस में कई वर्षों से दूर पदार्थों में सबसे अधिक डोपिंग पाया गया है।

विश्व के अनेक में अपने तुरन्त लाभकारी प्रभाव के कारण कई देशों में जहाँ एएएस प्रतिबंधित पदार्थ हैं, वहां अक्सर काला बाज़ारी भी है और वहां इसकी तस्करी की जाती है या यहां तक की उपभोक्ताओं को इससे निर्मित नकली दवाइयां भी बेची जाती हैं।

आ अब लौट चलें-आयुर्वेद की और…

अतः तत्काल लाभ के चक्कर में किसी भी
पदार्थ या दवा को काल न बनने दें। स्वस्थ्य
रहने के लिए प्रकृति प्रेमियों का साथ जरूरी है।
लंबी आयु और अच्छी तंदरुस्ती के लिए आयुर्वेद
के भेद जानने का प्रयास करें। क्योंकि बार-बार बीमार होने वाले लोगों का दुनिया या यार-प्यार, परिवार परिहास उड़ाते हैं।
इसलिए

तन चंगा होगा, 

तो मन में भी गंगा बहती रहेगी
हमारी सलाह माने, तो परिवार के सभी
सदस्य छोटे-बड़े, बूढ़े, स्त्री-पुरुष, बच्चे-
सदैव अच्छे रहने के लिए केवल
अमृतम गोल्ड माल्ट
का कम से कम तीन महीने या जीवन भर
सेवन करें।
अमृतम ओषधियाँ

ताउम्र आपको छाव देंगी, कभी घाव नहीं देंगी

इसे बहुत चाव से बच्चे भी
खा सकते हैं-क्योंकि यह बहुत स्वादिष्ट हैं।
आयुर्वेदिक दवाएँ क्रोध-विरोध, ताव-तनाव
भी मिटाती है और त्रिदोष नाशक भी होती हैं।

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