एक 100 फीसदी आयुर्वेदिक
अवलेह {{माल्ट}},
जो पेट के पुराने से पुराने 20 रोगों
को ठीक करने में सक्षम है।
जाने- पेट के बीस रोगों के बारे में
प्राचीन आयुर्वेदिक शास्त्रों में
पेट की तकलीफों को उदररोग खंड
में विस्तार से बताया गया है।
उदर विकारों के अंतर्गत आने वाली
20 बीमारियों
का विवरण इस प्रकार है।
【1】अग्निमांध यानी भूख न लगना
【2】अम्लपित्त यानी एसिडिटी
【3】अजीर्ण यानी बदहजमी
【4】अरोचक यानी खाने से अरुचि होना
【5】अतिसार या डायरिया/Diarrhea
अतिसार के लक्षण-
© पूरे दिन में कइयों बार मल त्याग करने की इच्छा रहती है।
© कभी भी एक बार में पेट साफ नहीं होता।
© मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं।
© पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, © थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं।
【6】अनाह यानी कब्जियत
【7】अर्श यानी बवासीर
【8】उदावर्त अर्थात वायु गोला
अतिसार के लक्षण-
@ यह खतरनाक उदररोग है।
@ यह वायु के बिगड़ने से होता है।
@ यह बीमारी पेट की वायु अधोवायु, मल, मूत्र(पेशाब), जँभाई, आँसू (रोवाई), छींक, डकार, वमन (उल्टी), काम (सेक्स), भूख, प्यास, नींद के वेगों को रोकने से तथा श्वासरोग से कुपित हो जाती है।
@ जब शरीर या फेफड़ों को पूरी प्राणवायु नहीं
मिलती, तो श्वांस की तकलीफ हो जाती है।
@ आयुर्वेद के एक भैषज्य ग्रन्थ में लिखा है कि
उदररोग का सबसे बड़ा कारण लगातार कब्ज
का होना है, इसकी की बजह से अनेक पेट रोग
पैदा हो जाते हैं।
【9】उदर कृमि यानी पेट में कीड़े
【10】गुल्म यानी वायु गोला
गुल्म रोग 5 तरह का होता है और पेट
के विभिन्न स्थानों को तकलीफ देता है।
१-दाई तथा २-बाईं कोख यानि पेट के राइट
और लेफ्ट हिस्से में अचानक वायु का गोला जैसा उठने से भयंकर पेट दर्द होना।
३-हृदय में दर्द होना
विशेष-
हार्ट अटैक की प्रमुख वजह
आजकल अधिकांश लोग गुल्म रोग के
कारण अचानक मृत्यु के मुख में पहुंच
जाते हैं, जिसे हम हार्टअटैक कहते हैं।
हार्टअटैक का सबसे बड़ी वजह गुल्म रोग
अर्थात वायुगोला है।
यह पेट की खराबी,
गैस पास न होना,
पाचनतंत्र की कमजोरी,
बदहजमी से होता है।
४-नाभि में तथा ५-पेड़ू या मूत्राशय में
【11】पेट में हमेशा सूजन रहना
【12】ग्रहणी दोष यानी आँतों की तकलीफ,
आँतों में जख्म या रूखापन होना। नई खोजों में इसे IBS (आई.बी.एस) के नाम से जाना जाता है।
ग्रहणी दोष ibs के लक्षण-
● बार-बार कभी भी दस्त लगना
● कब्जियत बनी रहने
● खट्टी डकार आना
● पाचन तंत्र का बिगड़ जाना
Ibs के मरीजों को सदैव यह भय सताता है
कि उसे कोई गम्भीर रोग होने वाला है।
इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह जठराग्नि
का ठंडा हो जाना है। इस कारण कुछ भी खाया-पिया तुरन्त नहीं पचता। इसे शरीर में
अग्नि की विकृति आना भी कहते हैं।
आयुर्वेद के अलावा अन्य पेथी में इसका
कोई स्थाई इलाज नहीं है।
【13】छर्दी रोग यानि बार-बार वमन का मन होना, कै या उल्टी की इच्छा रहना।
छर्दी के लक्षण-
■ इस बीमारी से पीड़ित मरीज के गले में फांस सी चुभती रहती है।
■ गले में चिकन, नमकीन तरल पदार्थ जलन उत्पन्न करता है।
■ मुहं से पानी छूट सा जाता है।
■ हमेशा बेचैनी रहती है।
■ मचली आती रहती है।
■ वमन होता है।
■ यह विकार दो प्रकार का होता है
【14】तृष्णा यानि बार-बार भूख लगना
【15】पेट में हल्का या तीव्र दर्द रहना
【16】अफरा यानी पेट फूलना
अफरा की पहचान–
◆ यह पेट में लगातार वायु बनने के कारण
पेट फूलने लगता है।
◆ इस रोग में गैस बाहर नहीं निकल पाती।
◆ सांस लेने में परेशानी होती है।
अफारा के बारे में विस्तार से जानने के
लिए नीचे दी गई लिंक खोले-
【17】वायु-विकार यानि गैस्ट्रिक प्रॉब्लम
【18】अपचन यानि भोजन न पचना
【19】यकृत रोगों का उत्पन्न होना
【20】शौच में अधिक समय लगना
यानि लिवर में सूजन, खून न बनना,
शरीर पिला पड़ना आदि रोग उदर विकारों
के अंतर्गत आते हैं।
आयुर्वेद नियमों के मुताबिक
उदर विकार, पेट के रोग के कारण ही
शारीरिक क्षीणता आने लगती है।
ऐसे रोगियों को हमेशा जिओ माल्ट
का नियमित सेवन करना अत्यंत
लाभप्रद रहता है।
आयुर्वेद के 10 से अधिक
प्रमुख और प्राचीन ग्रंथ जैसे-
१- भावप्रकाश निघण्टु
२- आयुर्वेदिक चिकित्सा सार
३- आयुर्वेद सार संग्रह
४- रस-तन्त्र सार
५- चरक सहिंता
६- भैषज्य रत्नावली
७- उदर विकार और चिकित्सा
८- असाध्य पेट रोगों का वैदिक इलाज
९- द्रव्यगुण विज्ञान
१०- रस योग सागर
आदि शास्त्रों का अध्ययन, अवलोकन
एव अनुसंधान उपरांत निर्मित किया है।
यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक
चटनी है, जिसे आयुर्वेद में अवलेह
कहा जाता है। इसे तीन महीने लगातार
लेने से पेट की बहुत सी जानी-अनजानी
तकलीफें दूर होती हैं।
सुबह खाली पेट 2 चम्मच दूध या पानी से,
रात में भी भोजन पूर्व लेवें।
इसे दिन में 3 से 4 बार भी लिया जा सकता है।
जिओ माल्ट के साइड बेनिफिट अनगिनत हैं।
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
इसमें मिलाया गया
गुलकन्द, आँवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा,
हरीतकी, पुनर्नवा, अमलताश,, त्रिकटु,
सौंफ, जीरा आदि असरकारक जड़ीबूटिया
एसिडिटी की सिट्टी-पिट्टी गम कर देती है।
यदि आप पेट की किसी भी बीमारी से
परेशान हैं, तो एक बार जिओ माल्ट का उपयोग अवश्य करें।
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