आयुर्वेदिक परम्परा के मुताबिक…
स्वस्थ्य-तंदरुस्त कैसे रह सकते हैं?
स्वस्थ रहना ही पहला धर्म है –
अच्छा स्वभाव, सद्गुण, होना
स्वस्थ शरीर की पहली आवश्यकता है।
प्रमुख सद्ग्रन्थ “गीता” में कहा कि-
!!धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे
समवेता युयुत्सवः!!
हमारा तन-मन, मस्तिष्क कुरुक्षेत्र है
इसमें सदा युद्ध (महाभारत)
चलता ही रहता है!
इस कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
चलता ही रहता है!
इस कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
पड़ता है। इसी वजह से शरीर में अनेक
मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं।
सभी तरह के धर्म में मन की गति
मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं।
सभी तरह के धर्म में मन की गति
सर्वाधिक बताई है।
मन में अमन की कमी
“तन का पतन” कर देती है।
अतः तंदरुस्ती हेतु ऐसे जतन (प्रयास)
अतः तंदरुस्ती हेतु ऐसे जतन (प्रयास)
करें कि मन प्रसन्न रह सकें।
मन के खराब होने से मानसिकता
विषैली हो जाती है।
इन 15 कारणों होता है मन खराब…
इन 15 कारणों होता है मन खराब…
- काम की अधिकता
- रात दिन की भागमभाग,
- विपरीत जीवन शैली
- अनियमित खानपान,
- न समय पर सो पान
- न जागना, थकान,
- पाचन तन्त्र की खराबी,
- मेटाबोलिज्म का दिनोदिन बिगड़ना,
- लिवर की खराबी
- लगातार चिन्ता, तनाव,
- लंबे समय तक कब्जियत का बना रहना।
- ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन,
- लम्बे समय तक भूखे रहना,
- शरीर में गर्मी रहना,
- शारीरिक अतृप्ति,
- हमेशा पेट खराब रहना,
- भूख न लगना आदि
ये सब कारणों से ही मानसिक अशांति
होने लगती है जिसका स्वास्थ्य पर
होने लगती है जिसका स्वास्थ्य पर
इन सब आधि-व्याधि की बर्बादी
से बचने के लिए
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
3 माह तक नियमित 2 से 3 चम्मच
सुबह खाली पेट गुनगुने दूध से 3
महीने तक लगातार सेवन करें।
तीन महीने के लिए 5 शीशी 400 ग्राम
!! अमृतम पत्रिका !!
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