Amrutam Self Love

जानें-आत्मप्रेम के चमत्कार

कहा जाता है कि-

आत्मा सो परमात्मा

मतलब यही है कि अपनी आत्मा से प्रेम करने वाले लोगों से परमात्मा भी प्रसन्न रहता है।
अपनी आत्मा से वही प्रेम करते हैं, जो आत्मप्रेमी होते हैं।
आप भी आत्मसम्मान और अच्छे व्यवहार का अधिकार रखते हैं।
आत्मप्रेम सकारात्मक आत्मसम्मान का क्रियात्मक रूप है |
आत्मप्रेम एक धारणा और एक विचार भी है।

खुद से करें प्रेम

जीवन में स्वस्थ्य रहने और कुछ करने के लिए खुद से प्यार करें। हर क्षण, हर पल अपने वजूद को पहचाने। अपनी शक्ति को जाने बिना आप आत्मप्रेम नहीं कर सकते। हमेशा याद रखें की परमसत्ता ने आपको किसी विशेष उद्देश्य के लिए इस जगत में भेजा है। दुनिया में आपकी शक्ल, अक्ल वाला व्यक्ति अन्य दूसरा कोई है ही नहीं।

कौन से लोग होते हैं आत्मप्रेमी

■ जिन्हें समाज समझ नहीं पाता। 
■ लीक से हटकर काम करने वाले, 
■ कुछ नया कर दिखाने वाले, 
■ भौतिकता से अलग रहने वाले, 
■ हमेशा काम में मग्न रहने वाले, 
■ कर्म में लीन, 
■ शान्त चित्त प्रवृत्ति वाले अधिकांश
लोग आत्म प्रेमी हो जाते हैं। 
■ कुछ हद तक ये अंतर्मुखी भी होते हैं। 
 
ये वो लोग होते हैं, जो कहते हैं – 

खुद को कर बुलंद इतना, 

हर तकदीर से पहले।

खुदा बन्दे से पूछे, 

कि बता तेरी रजा क्या है।।

तनाव मुक्त रहते हैं आत्मप्रेमी

तनाव से मुक्त होने के लिए बाहरी भौतिक वस्तुओं के प्रति अरुचि होना आवश्यक है, यह मनोवैज्ञानिक सत्य है जिस व्यक्ति के आकर्षण की वस्तु बाह्म जगत् या बाहरी दुनिया में नहीं होती, वह अपने से प्रेम करने लगता है, तो ऐसे व्यक्ति को आत्मप्रेमी कहा जाता है।

जीवन की रूप रेखा

बालक भविष्य में जो कुछ भी बनता है, उसकी पूरी रूपरेखा किशोरावस्था में बन जाती है। जिस बच्चे ने किशोरावस्था में धन कमाने का 
 सपना देखा, वह अपने जीवन में धन कमाकर
बड़ा आदमी बनकर कुल का नाम रोशन जरूर करता है। नेता बनने का सपना देखने वाला
एक दिन नेता बन ही जाता है। 

सपने सच होते हैं

हर कोई किशोरावस्था में देखे गए सपने और सोचे गए उद्देश्य की पूर्ति या प्राप्ति के लिए पूरी शक्ति लगा देता है। 
हर किसी की बारह से उन्नीस वर्ष यानि किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का बसंतकाल माना गया है। इस उम्र में बालक अपने में नयापन, नवशक्ति का अनुभव करता है। वह सौंदर्य का उपासक तथा महानता का पुजारी बनता है। उसी से उसे बहादुरी के काम करने की प्रेरणा मिलती है।

खुद को भी कभी प्यार करने के बारे में कभी सोचा है आपने?

दूसरों के प्रति अपने प्यार को जताने और बढ़ाने के लिए हमसे जो भी बन पड़ता है हम जरूर करते हैं। 
आत्मप्रेम (Self-love ) की भावना 
आत्म स्वीकृति (self-acceptance), 
आत्मसंयम (self-possession), 
आत्मचेतना (self-awareness)
और स्वयं के प्रति दया और सम्मान की भावना
स्वयं से प्रेम को दर्शाता है।

क्या करें आत्मप्रेमी बनने हेतु

अपने अन्तर्मन और विचारों को पॉजिटिव बनाएं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने खुद के बारे में निगेटिव विचार रखते हैं और अपनी नकारात्मक सोच से छुटकारा पाना उन्हें असंभव सा लगता है। अक्सर अपने बारे में इस तरह की निगेटिव सोच बाहरी लोगों के द्वारा कमजोर करने, या गिराने अथवा
उनकी दिल दुखाने वाली बातों के कारण बन जाती है। 
दरअसल होता यह है कि
हमें जिनसे प्रेम, अपनेपन और स्वीकृति की अपेक्षा होती है।
हम उन लोगों के विचारों को बहुत 
ज्यादा महत्व देते हैं और वह हमारी खिल्ली उड़ाते हैं, इस कारण हम हीनभावना से भरकर नकारात्मक होते चले जाते हैं।
 
वैसे भी एक बहुत अनुभव की अपने भी नोटिस की होगी कि
चाय के साथ बिस्कुट ने ,
एक सबक तो सीखा ही दिया
साहब
अगर किसी मे ज्यादा
डूबोगे तो टूट ही जाओगें !!!

गलतियां करने से न डरें

गलती होना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। गलतियों से ही आदमी कुछ सीख पाता है, जब आप किसी काम को ठीक ढंग से नहीं कर पाते, तो अपने लिए नकारात्मक भावनाएं आपके मन में आने लगती हैं 
 
इनसे बचें– अपने सोचने का नजरिया बदले अभी आप जिस तरह से सोचते हैं उस तरह से सोचना बंद करें और किसी उद्देश्य या लक्ष्य की प्रप्ति के लिए, जो प्रयास करने की जरूरत है, उस पर ध्यान दें और धीरे-धीरे उसकी प्रप्ति के लिए पूरी शक्ति का निवेश कर डालें।

नकारात्मक बातों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान न दें

नकारात्मक बातों को फ़िल्टर कर अपने से अलग करें: 
अगर आप हमेशा अपने जीवन से जुड़ी नकारात्मक बातों पर ही ध्यान देते रहते हैं तो ये एक बुरी आदत है।
ये निगेटिव सोच आपके जीवन में असंगत रूप से महत्वपूर्ण बन जाती हैं। अगर आपको हमेशा यही शिकायत रहती है कि आपके साथ जो भी होता है बुरा ही होता है, यह सोचना बन्द करें, इस बात की संभावना बहुत कम होती है
खुद के लिए घृणास्पद या गंदे और स्वयं को नीचा गिराने जैसे शब्दों का प्रयोग ना करें: 
 आप अपने आप को हमेशा एक अच्छा व जुझारू इंसान समझने को कोशिश करें।

अपने आप को समझने में समय दें

अपने जीवन और अपने आप के बारे में सोचने और अपनी विशेषताओं
को समझने का प्रयास करें।
 आपको ऐसा लगेगा कि ऐसा करने से आप लोगों की और अच्छी तरह से मदद कर पा रहे हैं |
अपना मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाये
आप दिन भर बहुत मेहनत करते हैं और टारगेट पूरा होने तक करते रहेंगे उसके विषय में सोचिये और स्वयं को खुशी देने का कोई कारण तलाशें। 

नकारात्मकताओं को नकारें –

 असफलताओं से कैसे डील करना है, इसके लिए एक प्लान बनायें इस बात पर ध्यान दें कि आपके आत्मप्रेम के मार्ग में कौन सी बातें रोड़ा अटका रही हैं और उन समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है, इस बात को गहराई से समझें।

किसी मनोवैज्ञानिक के पास जाएँ-

जब आप अपने नकारात्मक विचारों और उनके पनपने के कारणों को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे तो हो सकता है कि आपको अतीत की कुछ दुखदायी बातें याद आयें, इसलिए उनसे निपटने के लिए किसी की मदद लें।  

 खुश रहने के लिए क्या करें

जिसे करके, आप कई प्रकार से अच्छा महसूस करते हैं | इसके लिए आपको सुबह जल्दी उठकर कोई व्यायाम या एक्सरसाइज करने, मैडिटेशन या ध्यान करने, और सकारात्मक विचार या आत्मकथा एवं आत्मानुभव लिखने की कोशिश करें। ऐसी आदत या रूटीन बनायें जो आपके लिए शरीर और स्वाथ्य के लिए लाभकारी हो और 
 इन नियमों को जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लें।

आत्मप्रेम का अभ्यास करें

जब आप खुद से प्रेम करने लगते हैं, तो आपको  जीवन के सभी क्षेत्रों में भी फायदा मिलेगा। आपके अंदर ज्यादा ऊर्जा व आत्मविश्वास से भर  जाएंगे। 
 आप अब बेहतर निर्णय लेकर अपने 
 जिंदगी पर पहले से ज्यादा नियंत्रण पाएंगे।

गहरी साँस लें-

 【】धीरे-धीरे, गहरी साँस लें। तसल्ली से किसी एकांत स्थान पर बैठकर अपने सीने में अच्छी तरह ताज़ी हवा भर लें | इसके बाद धीरे-धीरे सारी हवा बाहर निकाल दें।
【】पॉजिटिव विचारों से खुद को प्रोत्साहित करते रहें: जैसे-जैसे आप गहरी साँस लें, स्वयं से ये  कहते रहें कि
【】मुझे पूरा विश्वास है अपने सपनों को हर हाल में पूरा कर, ख़ुशी और शांति के साथ जीवन जी सकूँगा |
【】मै इतना विनम्र बनूंगा कि पूरे मन से, दिल से लोगों को प्यार कर सकूँगा |
【】मेरा परिवार हमेशा मुसीबतों से सुरक्षित रहे। मै अपने, अपने परिवार, और अपने मित्रों के लिए अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना करता हूँ।

आत्मप्रेम की कमी से नुकसान –

आत्मप्रेम की कमी का मतलब है, अपने मनोबल को गिरते जाना। हीनता की भावना आना और सचेत या अचेत मन में आत्म-क्षति की भावना का भी उत्पन्न होना जिससे व्यक्ति अपनी सामान्य जरूरतों और अपनी तरक्की के लिए प्रयास करना बंद कर देता है।
 
आत्मप्रेम की कमी होने पर व्यक्ति दूसरों की स्वीकृति को सबसे जरूरी समझने लगता है और बुरी तरह से दूसरों पर निर्भर रहने लगता है।
जब लोग दूसरे लोगों पर स्वीकृति के लिए निर्भर रहने लगते हैं।
 
आत्मप्रेम की कमी से भावनात्मक स्वास्थ्य और सफलता पर भी विपरीत असर पड़ता है | एक शोध से ये सिद्ध हुआ है कि जो लोग अक्सर अपनी निंदा करते हैं और अपनी जरूरतों पर ध्यान नहीं देते हैं, साइकोथेरेपी में उनकी परफॉरमेंस बहुत ही ज्यादा ख़राब होती है।
 

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