नाग पंचमी/नाग पांचे पर
अमृतम परिवार सभी विश्ववासियों
को आदर अर्पित करता है।
आज के दिन
मणिधारी नाग,
इच्छाधारी नागिन,
सभी सिद्ध नागों को नमन है।
गहराई से गौर करें, तो सृष्टि में
अधिकांश वस्तुएं नागों के निशान से
मेल खाती हैं।
पीपल का पत्ता,
कारीगरों की कन्नी-
नाग का ही फन है।
स्कंदपुराण
रावण रचित मन्त्रमहोदधि आदि
अनेक ग्रन्थों में केसी हजारों चीजों का उल्लेख हैं, जो नाग चिन्ह लिए हैं
इसीलिए ही सभी देवताओं न
बारम्बार नागों को
नमस्कार किया है।
भ्रम मिटायें-
नाग और सर्प दोनों अलग हैं….
साँप किसी को काट नहीं सकता। सर्प प्रजाति नि:विष अर्थात जहरीली नहीं होती। सर्प जाति में दोमुहें सांप, केचुए, अजगर आदि माने जाते हैं। सर्पो का फन नहीं होता। सर्प किसी भी चीज को निगलता है खाता-चबाता नहीं हैं।
सर्पों की आयु नागों की अपेक्षा कम होती है।
नाग और सर्प दोनों सौतेले भाई हैं
नाग की माँ कद्रू हैं एवं सर्पों की माता विनता हैं।
शेषनाग नाम क्यों पड़ा?
जानने के लिए गुग्गल पर सर्च करें- amrutampatrika.com
नाग जहरीले होते है, क्यों कि नाग ही फ़नधारी होते हैं। दुनिया में नागों के
असंख्य मन्दिर और ज्योतिलिंग हैं।
सर्पों का इस सृष्टि में कोई भी मन्दिर
नहीं है।
नाग ही राहु है, राहु ही शिव हैं…
केरल का मन्नारशाला शेषनाग मन्दिर
सृष्टि का सबसे प्राचीन है।
कुम्भकोणम के पास त्रिनागेश्वरम मूल ज्योतिर्लिंग, श्रीकालहस्तीश्वरा शिवालय, तिरुनल्लार शनिमंदिर के पास राहु-केतु स्वयम्भू नाग मन्दिर
आदि वैदिक कालीन हैं।
अभी तक करीब 500 से ज्यादा स्वयम्भू नाग मन्दिरों के दर्शन का सौभाग्य मुझे
मिला है। नागों की सम्पूर्ण जानकारी इसलिये दी जाएगी, ताकि हिन्दू धर्म से अज्ञानता का पलायन हो सके।
आयुर्वेद की सर्पगन्धा बूटी, गरुड़ वृक्ष की छाल और अपमार्ग जड़ी तीनों ही ओषधियाँ नाग काटने के विष को उतारने में कारगर हैं।
अमृतम पत्रिका में लगभग 3100 लेख उपलब्ध हैं। इसमें नाग, राहु, केतु, कालसर्प आदि के बारे में जान पाएंगे।
जिन्हें नागों से बहुत डर लगता हो, वे
!!ॐ आस्तिक मुनि अगस्त्येश्वराय नमः!!
का जप करते रहें। इस मंत्र को लिखकर पॉकेट में रखें, घर की दीवारों पर लगाएं
अमृतम द्वारा प्रकाशित
कालसर्प पोस्टर पास रखें।
Leave a Reply