तिब्बत की एक रहस्यमय झील, जो भविष्य बताती है,
यहां एक झील देवी का मंदिर है।
ज्योतिष के रहस्य जानने के लिए कभी तिब्बत जरूर जाएं। यहां ज्योतिष की 48 से अधिक विधाएं उपलब्ध हैं-
भारत के लोग केवल भागादौड़ी करके 8 से 10 दिनों के भीतर चारों धाम की यात्रा करने के बाद तृप्त हो जाते हैं।
कुछ शिवभक्त
12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सौभाग्यशाली
मानते हैं, जबकि स्कन्द पुराण के अनुसार
इन बारह ज्योतिलिंगों में केवल 6 या सात ही सतयुगी ज्योतिर्लिंग वताये गए हैं।
जैसे- मूल यानि ओरिजनल
भीमाशंकर ज्योतिलिंग विशाखापट्टननम से हैदराबाद मार्ग के बीच राजमुंदरी से 80 किलोमीटर है।
【1】दातावरम नामक ग्राम में भीमा ज्योतिर्लिंग है और
【2】 कुमारावराम में शंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह दोनों अलग-अलग ज्योतिर्लिंग स्वयम्भू है।
दोनों शिवलिंगों के महत्व
भीमा शिंवलिंग की ऊँचाई
लगभग 14 फिट है एव शंकर ज्योतिर्लिंग
की ऊंचाई 16 फिट करीब है। यह दोनों
एक वर्ष में 1 से 2 इंच स्वतः ही बढ़ जाते हैं। जिन्हें कभी पुजारी भी छू नहीं सकता।
यह दोनों समुद्र के नजदीक बसे हैं।
विस्तृत जानकारी के लिए
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स्कन्द पुराण के मुताबिक ओरिजनल बैधनाथ धाम की जानकारी-
【3】बैद्यनाथ धाम ज्योतिलिंग दक्षिण के वेदेहीश्वरं कोइल नामक स्थान पर है।
यही से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर भगवान शिव का 1000 आंख वाला शिंवलिंग है। यह बहुत ज्यादा घने वन में है। इसकी जानकारी एक ब्लॉग में दी जा चुकी है।
【4】नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कुम्भकोणम के पास त्रिनागेश्वरं नामक स्थान पर बहुत विशाल शिवालय में विराजमान है। यह सब जानकारी संक्षिप्त में पिछले ब्लॉग में देखें।
इस लेख में तिब्बत के कुछ रहस्य बताने का प्रयास करेंगे, जिसे जानकर आप रोमांचित हो उठेंगे।
पा कोर, ग्यल क्वयिनम सो
भाग्य बताने वाली झील-
तिब्बत में एक प्राकृतिक झील है, जो ल्हासा से 130 किलोमीटर दक्षिण पूर्व की तरफ तकपो प्रान्त में स्थित है। यहां झील देवी का मन्दिर है।
ज्योतिष सम्बन्धी ज्ञान प्राप्ति के लिए यह बहुत ही दुर्लभ स्थान है। अंक ज्योतिष हो या हस्तरेखा यानी सामुद्रिक शास्त्र अथवा
जन्म पत्रिका, लग्न कुंडली देखने का ज्ञान हो, इस स्थान पर
माँ झील देवी खुद आकर ज्ञान देती हैं।
ध्यान रखें-
यहां जाने के लिए किसी बोद्धधर्मी का साथ जरूरी है।
महा ज्योतिषाचार्य का
आशीर्वाद और उनकी कृपा
पंडित परमेश्वर द्विवेदी
यह लख़नऊ के रहने वाले थे। इनके पास
ज्योतिष का महान प्राचीन ग्रंथ भृगु संहिता
का कुछ भाग उपलब्ध था। श्री द्विवेदीजी
ने भी इसी झील पर जाकर यह ज्ञान प्राप्त किया था। तिब्बत में इन्होंने लगभग 25 वर्ष गुजारे थे। सौभाग्य से एक बार हिमाचल
के मैक्लोडगंज में इनके दर्शन हुए।
भारी बरसात के कारण पण्डितजी का स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं था- मुझे उनकी सेवा
करने का सौभाग्य मिला। इस दरम्यान ज्योतिष के कुछ रहस्य भी समझाए। उनके साथ तिब्बत के बहुत से दुर्लभ स्थानों के दर्शन भी किये।
श्री श्री परमेश्वर द्विवेदी बाद में लख़नऊ
आकर रहने लगे। श्री द्विवेदी जी द्वारा करीब सन 1996-97 में मेरे अंगूठे के निशान से “भृगु सहिंता“
नामक प्राचीन ज्योतिष ग्रन्थ में
में मेरा भविष्य निकालकर,
उन्होंने एक डायरी में लिखकर दिया- जो आज भी मेरे पास सुरक्षित है।
उस समय उनकी फीस 11000 रुपये थी लेकिन उन्होंने मुझसे कभी पैसे नहीं लिए। जब कभी पूजा-अनुष्ठान भी करवाये। यह उनकी असीम कृपा थी। उनके द्वारा लिखे अनुसार मेरी पत्नी का नाम, बच्चों की जन्म तिथि, नाम-काम सब कुछ 100 फीसदी सही निकला। लगभग 110 वर्ष की उम्र में अपना शरीर त्यागा। आज मैं और मेरा परिवार उनके चरणों में नतमस्तक है। महान
शिवरूप ज्योतिषाचार्य की महान
आत्मा को हम शत-शत नमन करते हैं।
एक चमत्कारी गुमनाम ज्योतिषी
ग्वालियर के कभी प्रसिद्ध वकील रहे,
श्री श्री कमलकान्त जी शर्मा एक जाने-माने ईमानदार एवं हठयोगी एडवोकेट
और ज्योतिष, तन्त्र-मन्त्र के महाविद्वान प्रकांड विद्वान थे।
“सादा जीवन-उच्च विचार” — धारा के साथ कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं
करते थे। यह एक गुमनाम ज्योतिषाचार्य थे, जिनकी वाणी हमेशा फलित हुई। इनके द्वारा जिनकी भी कुण्डली देखकर भविष्य बताया-उनमें कुछ लोग आज देश के गणमान्य नेता-मन्तत्र हैं।
सेना से सम्बंध
प्रसिद्धि से हमेशा दूर रहने वाले-मेरे ज्योतिष गुरु कभी सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। समझौता न करने के चलते, सेना
की नोकरी छोड़कर स्वभाव के जिद्दी और
कर्मठ होने के कारण वकालत का कार्य
अपनाया।
चेहरा देखकर डर जाते थे लोग
बड़ी-बड़ी मूछों के कारण लोग इनसे डरते थे। मैंने इन्हें गुरु की तरह माना और वे मुझे हमेशा बच्चे की तरह ही मानते थे। यह उनकी मुझ पर विशेष कृपा थी।
गणित एवं नक्षत्र ज्योतिष में दुनिया में इनका कोई सानी नहीं था। परम शिव-साधना और गुरुभक्ति के कारण इनकी वाणी भी सिद्ध थी, इनके द्वारा कहा गया कोई भी वाक्य आज तक खाली नहीं गया।
एक बार का चमत्कार
एक बार रात्रि में लगभग 1 बजे के
करीब श्री श्री कमलकान्त जी शर्मा गुरुजी का फोन आया कि अगले दो महीने बाद तुम्हे एक बड़ी प्रोपर्टी खरीदनी है, इसलिए तुम
कुछ पैसे को इकठ्ठा करके रखना।
मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा, जब दो माह बाद अचानक एक प्रोपर्टी लेनी पड़ी।
श्री श्री शर्मा जी का गणित ज्योतिष बहुत सटीक था। जब कभी वे फुर्सत में होते, तो मुझे बुला लेते और ज्योतिष का अदभुत ज्ञान देते।
जाने चले जाते हैं कहाँ
सादर नमन-साष्टांग प्रणाम
आज वे इस दुनिया में नहीं है, पर उनका वरदहस्त मेरे ऊपर सदैव रहा। आज मैं जो भी कुछ हूँ, इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान है। बुरे समय में हमेशा हिम्मत देने का काम किया।
ऐसी शिवस्वरूप पुण्य आत्मा
का हम हमेशा स्मरण करते रहें,
हमारी अटूट श्रद्धा बनी रहे –
भगवान ऐसा
भाव व मन बनाये रखे
और उनका आशीर्वाद मुझ पर,
मेरे परिवार पर ताउम्र बना रहे,
उनका चरण वंदन करते हुए-
यही भोलेनाथ शिवकल्यानेश्वर
से विनती है।
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