तन-मन को संक्रमण और बीमारियों से बचाना है, तो सप्ताह में 2 बार मालिश-मसाज या अभ्यङ्ग अवश्य करें…शास्त्रमत यह ज्ञान पहली बार पढ़ें…

    •  अभ्यङ्ग के अनुभव, चमत्कारी लाभ-
      • अपने पूरे जीवन में शरीर की मालिश करने वाले डा॰ हरिकृष्णदास एम॰ ए॰ ने अपने अनुभवों में लिखा है
      • कि संक्रमणों तथा बीमारियों से बचने के लिए मालिश अति आवश्यक उपक्रम है।
      • स्वस्थ्य-प्रसन्न औऱ लम्बी निरोग जीवन के लिए सप्ताह में कम से कम एक से दो बार मसाज अवश्य करना चाहिए।
      • उन्होंने मालिश के अनेक फायदे बताये हैं।
      • अभ्यङ्ग का आनंद- मालिश से शरीर के अंग-प्रत्यंग, माँसपेशियाँ सुदृढ़ और शक्ति शाली बन जाती हैं।
      • अभ्यंग से तन-मन तथा शरीर सुसंगठित, सुडौल और दर्शनीय बनता है।
      • मालिश सौंदर्य- वर्धक है मालिश करने वाले का शरीर का कान्तिमय, सुन्दर और आकर्षक बन जाता है।
      • कैसे करें मालिश– अमृतम आयुर्वेद के “अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों” के “हर्बल अभ्यङ्ग” प्रकरण में स्पष्ट लिखा है
      • कि- प्रातः की धूप में तन को तेल से सराबोर यानि पूरी तरह भिगा लेना चाहिये।
      • मालिश करने के बाद कम से कम 40 से 45 मिनिट बाद स्नान करना लाभप्रद होता है।

      मालिश/मसाज का वैज्ञानिक महत्व क्यों है?…

      • मालिश मानव की शरीर-सम्पत्ति को सुरक्षित और आरोग्य को स्थिर रखने तथा गत्तोरभ्य को पुनः प्राप्त करने का एक विधान है।
      • नियमित मालिश द्वारा चिरन्तन स्वास्थ्य, दीर्घ—जीवन, सम्पूर्ण सौंदर्य और अनुपम मानसिक बल की उपलब्धि होती है।

मालिश-मसाज और अभ्यङ्ग से होते हैं चमत्कारी 108 फायदे

मालिश के बारे में…. 2000 वर्ष पुराने आयुर्वेद के पुराणों में उल्लेख है किदेह को चुस्त-दुरुस्त, तन्दरुस्त बनाने के लिए रोज मालिश करें।

अभ्यङ्ग से अंग-अंग अभय हो जाता है।

मालिश के लिए आयुर्वेदक ग्रन्थों में अनेकों मन्त्रो-श्लोकों का वर्णन है! यथा…

अभ्यंगमाचरेंनित्यं स जराश्रमवाताहा।दृष्टिप्रसाद पुष्टयामु स्वप्न सुत्वक्चदाढ़र्य कृत।शिरः श्रवणपादेषु तं विशेषेण शिलयेत।

  • अर्थात- प्रतिदिन ओषधि तेल जैसे-अमृतम कुंकुमादि तेलम, महालक्षादि तेल, चन्दनबललाक्षादि तेल,
  • नारिसौन्दर्य मसाज आयल, बेबी केयर ऑयल, काया की ऑयल आदि की मालिश करने से वायुविकार, बुढ़ापा, थकावट नहीं होती है।
  • दृष्टि कि स्वच्छता, यानि आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • सुगन्धित तेल की मालिश से और भी लाभ हैं! जैसे-आयु कि वृद्धि, निद्रा, सुन्दर त्वचा और शरीर दृढ़ हो जाता है।
  • सिर, कान तथा पैरों में विशेष मालिश करनी चाहिए।
  • शनिवार, बुधवार एवं शुक्रवार को आयुर्वेदिक तेल की मालिश/अभ्यङ्ग से भाग्य भी जागता है!
  • प्राचीन काल में राजा-महाराजा, महारानी और धनी लोग अमृतम कुंकुमादि तेल से मालिश करते थे।
  • अमृतम कुंकुमादि तेलम आयुर्वेद की 50000 वर्ष पुरानी अभ्यङ्ग चिकित्सा पध्दति से निर्मित होता है।
  • वर्तमान में यह सबसे बहुमूल्य तेल महंगा होने के कारण आम स्त्री-पुरुष इसकी मालिश नहीं कर पाते।
  • कैसे बनता है-अमृतम द्वारा निर्मित कुंकुमादि तेल

https://youtube.com/shorts/79HfdsDBl54?feature=share25 ml का मूल्य 2999/- रुपए है।

जर्मनी की ख्यातिप्राप्त आयुर्वेदाचार्य डॉ नैना बजरिया अमृतम कुंकुमादि तेल के फायदे बता रही हैं-

वीडियो…यूट्यूब पर अमृतम कुंकुमादि तेल सर्च कर देखें…

  • भारत की सर्वश्रेष्ठ संस्था “हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया” के वैज्ञानिक चिकित्सकों ने चेताया है
  • कि सप्ताह में 2 से 3 बार पूरे शरीर की मालिश अनेकों रोगों से बचा सकती है।
  • हृदय रोग,वात विकार, त्वचा रोग तथा स्किन प्रॉब्लम आदि का कारण रक्तवाहिनियों की शिथिलता है,
  • जो शरीर खून के प्रवाह के अवरुद्ध होने से उत्पन्न होते हैं।
  • हार्ट केयर फाउंडेशन के अनुसार दिल के रोगियों के लिए कुंकुमादि तेल की मालिश बेहद फायदेमंद है-
  • की मालिश से शरीर का अंग-अंग, मस्त-मलङ्ग हो जाता है।
  • मालिश से शरीर में रक्त-संचार में तेजी लाने वाले जैव रसायनों का स्तर बढ़ जाता है,
  • जिसकी वजह से धमनियों एवं रक्त को संचारित करने वाली नाडियों में 15 फीसदी तेजी आ जाती है।
  • शरीर रोग रहित होकर ऊर्जा से लबालब हो जाता है, जो कि हृदय, वातरोगों, सुस्ती,
  • शिथिलता, कमजोरी, शारीरिक क्षीणता आदि बीमारियों के लिए काफी लाभकारी है।

किस हर्बल आयल से कैसे करें -मालिश

  • प्रतिदिन प्रातः सूर्य किरणों के समक्ष पूरे तन की अमृतम द्वारा निर्मित कुंकुमादि तेल या काया की ऑइल से हल्के हाथ से मालिश करे!
  • फिर, 40 से 50 मिनिट बाद स्नान करें। अपना आर्डर ऑनलाइन देवें।
  • किस दिन या वार को मालिश भाग्योदय दायक है?..
  • बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार इन तीनों दिनों में सिर में तेल लगाने के साथ साथ पूरे शरीर की धूप में बैठकर मालिश कर स्नान करना बहुत ही फायदेमंद तथा सौभाग्यवर्धक रहता है।
  • रहस्यमयी शनि नामक पुस्तक में उल्लेख है- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनिवार को शनि भगवान पर तेल अर्पित करें या नहीं करें।
  • परन्तु हरेक मानव को शनिवार के दिन अपने शरीर पर तेल जरूर लगाना चाहिए। फिर स्नान करें।
  • “मन की चंचलता”….मिटाने हेतु सोमवार को अभ्यंग या मालिश करना हितकारी है!
  • “बुद्धि-विवेक वृद्धि हेतु”….बुधवार को नहाने से पहले मालिश लाभकारी है।
  • “आलस्य व शिथिलता” …दूर करने के लिए शुक्रवार को पूरे शरीर पर अभ्यंग करना हितकारी है
  • तथा “भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव” …से मुक्ति पाना हो और राहु-केतु और शनि ग्रहों की शान्ति के लिए
  • शनिवार को सुबह स्नान से एक से दो घन्टे पूर्व मालिश या अभ्यंगस्नान का महत्व बताया है।।
  • शुक्रवार को चंदनादि, जैतून, बादाम, अमृतम कुंकुमादि तेल तथा गुलाब इत्र युक्त सुगन्धित Kaya key oil तेल की मालिश से धन-समृद्धि बढ़ती है।
  • सबसे पहले अपने सिर के बालों को तेल से गीला, लबालब करें।
  • फिर,अपने शरीर पर तेल लगाने के बाद 15 से 20 मिनट तक छोड़ दें, ताकि तेल देह में अवशोषित होकर नसों की गहरी परतों में प्रवेश किया जा सके।
  • अभ्यंग के लाभ असीमित हैं।
  • अभ्यङ्गचमकती, मुलायम और स्वस्थ त्वचा देता है!
  • अभ्यङ्ग या मसाज बेहतर रक्त परिसंचरण प्रदायक है।
  • लासिका वाहिका अर्थात लिम्फैटिक प्रणाली, आंतरिक अंगों और ऊतकों को उत्तेजित कर विषाक्त पदार्थों को हटाने में सहायक है।
  • मांसपेशियों की टोन और दृढ़ता में वृद्धिकारक है
  • प्रतिरक्षा और सहनशक्ति बढ़ाता है। चयापचय क्रियाशील बनाकर पाचन में वृद्धि करता है
  • जोड़ों को चिकनाई देकर आंखों की रोशनी को बेहतर दृष्टि को बढ़ावा देता है।
  • गहरी अच्छी नींद लेने के लिए रोज पूरे शरीर में तेल लगाने के पहले स्नान करें अथवा नहाने के बाद भी मालिश अवश्य करें।
  • स्नान पश्चात नाभि में तेल लगाने से आंते स्वस्थ्य रहती हैं और पेट में कभी कब्ज की शिकायत नहीं होती।
    • पैरों के तलाबों में मालिश करने से याददाश्त तेज होती है तथा किसी तरह की मानसिक अशांति फुर्र हो जाती है।
    • आत्मप्रेम, जो हमारे मनोवैज्ञानिक शरीर के आकार, व्यक्तित्व लक्षण और भावनात्मक प्रवृत्तियों को निर्धारित करते हैं।
    • यहां दोषों के बारे में और जानें।
    • वात के लिए ऑर्थोकी पैन ऑयल भी विशेष लाभकारी है।
    • अगर स्त्री-पुरुष, बच्चे-बुजुर्गों को तन्दरुस्त रहते हुए लम्बी उम्र चाहिए,
    • तो महीने में 4 से 8 बार पूरे शरीर का अभ्यङ्ग अवश्य करना चाहिए।
    • नियमित मालिश करने वाले कभी भी डॉ के दर पर कभी नहीं भटकते।
    • नित्य मालिश करने से बुढापा जल्दी नहीं आता।
    • **मालिश होनी चाहिए, चाहे कोई भी करे…**
    • मालिश से पूरे तन-मन में चुस्ती-फुर्ती की तरंग जाग उठती है।
    • व्यक्ति अपने में पूर्णतः स्वस्थ्य अनुभव करता है।
    • मालिश खुद करें या किसी से भी करवाएं दोनों तरीके बेहतर हैं।
    • यदि सुबह की धूप में मालिश करें, तो हड्डियों में नवीन रस-रक्त का निर्माण होता है और अस्थियां मजबूत होती हैं।
    • धूप में बैठकर मालिश करने से विटामिन डी की पूर्ति होती है।
    • सेक्सुअल पॉवर एवं मर्दाना ताकत, शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है।

मालिश/अभ्यङ्ग/मसाज करने से शरीर को होते हैं 17-सत्रह चमत्कारी लाभ….और 22 तरह से उपयोगी हर्बल ऑयल कौन से हैं-जाने इस लेख से

      • मालिश को आयुर्वेदिक भाषा में अभ्यङ्ग कहा जाता है।
      • अभ्यङ्ग का अर्थ है-शरीर के अंग-अंग को अभय बनाकर आत्मविश्वास से भरना।

आत्म प्रेम का आरम्भ है-अभ्यङ्ग…

      • बुढ़ापे रोकने में मालिश महत्वपूर्ण कर्म है,
      • जो मजबूत कद-काठी, चुस्ती-फुर्ती,आकर्षक व्यक्तित्व
      • प्रदान कर अनेक व्याधियों से बचाता है।
      • (चरक संहिता सहिंता खंड-८८-८९)
      • चरक सहिंता के अनुसार मालिश के पश्चात का अहसास खुद से प्रेम यानि आत्मप्रेम होने की भावना की तरह होता है।
      • खुद से प्यार करने वाले लोग रोज रग-रग का रूप निखारने हेतु शरीर की मालिश अवश्य करते हैं।
      • अभ्यंग का एक नियमित दैनिक अभ्यास है,
      • जो दैहिक-भौतिक रूप से संतुलन उत्पन्न कर मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

अभ्यङ्ग एक अदभुत आरामदायक व्यायाम-

    • मालिश का प्रभाव कठोर व्यायाम की उपेक्षा भिन्न होता है।
    • ज्ञान तन्तुओं पर दबाव डाले बिना और हृदय की धड़कनों को बढ़ाये बिना शरीर में निरर्थक गरमी या प्रस्वेद उत्पन्न किए ..
    • बिना अभ्यङ्ग/मालिश शरीर के व्यायाम करने के सभी लाभों से पुरस्कृत करती है।
    • प्रयोग- परीक्षाओं से सिद्ध कर दिया गया गया है कि मालिश से शरीर में श्वेत कण/WBC औऱ लाल कण/RBC एवं हेमोग्लोबिन तत्व का सम्वर्धन होता है।
    • रक्त की शुद्धि तीव्रगति से होने लगती है फलतः शरीर में रोग- प्रतिरोधक शक्ति इम्यूनिटी पॉवर का संचय होता है।
    • शरीर की रक्त-संचालन-प्रक्रिया/ब्लड सर्कुलेशन संयोजित होने से विजातीय पदार्थों (संचित मन) का निष्कासन सरलता से होता रहता है।
    • विजातीय पदार्थ-निष्कासन-कार्य तत्पर अवयव, फेफड़े, चर्म, मूत्र पिण्ड और आंतरिक जाल का स्वास्थ्य सुधरता है।
    • आयुर्वेद और अमृतम की नई खोज –
    • नई खोजों, अध्ययन व शोधों से ज्ञात हुआ है कि ज्यादा गाढ़े तेल से शरीर में चिप चिपहाट पैदा होती है।
    • तिल, सरसों, मूंगफली या अन्य रिफाइंड आदि गाढ़े तेल स्किन में खुजली, रूखापन पैदा करते हैं।
    • इस तरह का गाढ़ा तेल शरीर के अंदरूनी हिस्से में नहीं पहुंच पाता।
    • मालिश हेतु आयुर्वेद में अनेकों ओषधि तेल उपलब्ध हैं!
    • जैसे-बादाम तेल, चन्दनबललाक्षादि तेल, म्हालाक्षादि तेल, जैतून ऑयल, महानारायण तेल, चंदनादि तेल,
    • सोमराजी तेल, महाविषगर्भ तेल आदि 80 तरह के तेलों का वर्णन ग्रन्थों में है।

अभ्यङ्ग या मालिश के फायदे-नुकसान के बारे में विस्तार से जाने 

● अभ्यङ्ग का अर्थ ● अभ्यङ्ग का महत्व ● अभ्यङ्ग से लाभ ●अभ्यङ्ग से कायाकल्प ●

किस अंग की मसाज से क्या लाभ ● किस तेल से करें मालिश ● मालिश का इतिहास क्या है?-

      • अभ्यंग नियमित नहीं करने से त्वचा में रूखापन आने के साथ-साथ शरीर में ऐंठन आने लगती है।
      • स्किन की नरमी, मुलायम पन कम होने लगता है।
      • चेहरा सूखा सा होने लगता है, जिसके कारण मुख-मण्डल का आकर्षण
      • क्षीण होकर, सुन्दरता औऱ खूबसूरती नष्ट हो जाती है।
      • आयुर्वेद के की पुरानी पुस्तकों जैसे-
      • {१} शल्य तन्त्र,
      • {२} शालाक्य तन्त्र,
      • {३} काय चिकित्सा तन्त्र
      • के अभ्यङ्ग अध्याय में उल्लेख है कि 80 विभिन्न आयुर्वेदिक ओषधि तेलों/हर्बल ऑयल द्वारा,
      • 80 प्रकार से अभ्यङ्ग/मसाज की जा सकती है।
      • अभ्यङ्ग से तन को 80 तरह के लाभ होते हैं।
      • टूटा-फूटा, कमजोर हड्डियां, जीर्ण-शीर्ण, शिथिल शरीर में मालिश द्वारा विशेष ऊर्जा-उमंग एवं चेतन्यता लाकर अस्थियों को ताकतवर बनाया जा सकता है।
      • हमेशा ऊर्जावान औऱ जवान बने रहने के लिए प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार मसाज करना जरूरी है।
      • आत्म-अभ्यंग स्थिरता, मन-मस्तिष्क की शांति, आराम और बहाली की भावना देता है।
      • आयुर्वेद में, आत्म-प्रेम के सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्तियों में से स्वयं के तन की एक तेल मालिश है।
      • संस्कृत शब्दकोश में तेल को स्नेह कहा जाता है, जो आम बोलचाल में ‘प्यार’ या अपनेपन के लिए भी उपयोग होता है।
      • **अभ्यङ्ग या मालिश के अर्थ निम्नलिखित हैं-**
      • ¶~ शरीर पर तेल आदि लगाना।
      • ¶~ बार-बार हाथ से मलना।
      • ¶~ अंग मर्दन , देह मलना
      • ¶~ मलाईअंग_सम्मर्दनआघर्ष
      • जिसके करने से शरीर के अंग-अंग भय रहित यानि अभय या रोग मुक्त हो जाये, उसे आयुर्वेद में अभ्यङ्ग कहा गया है।*

अभ्यङ्ग का अर्थ या मतलब क्या है?

      • अभ्यङ्ग/मसाज/मालिश आयुर्वेद की विशिष्‍ट चिकित्‍सा पद्धति की कहते है।
      • इस विधि से शरीर में होंनें वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करनें के लिये और तीनों दोषों
      • (अर्थात त्रिदोष) वात, पित्‍त, कफ के असम रूप को समरूप में पुनः
      • स्‍थापित करनें के लिये विभिन्‍न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं।

अभ्यङ्ग/मसाज के अनगिनत स्वास्थ्यवर्धक फायदे …

      • 【1】मांसपेशियों में लचीलापन आता है।
      • 【2】शरीर की नाड़ियाँ मुलायम होती है।
      • 【3】हड्डियों में मजबूती आती है।
      • 【4】जोड़ों में सूखापन नहीं आता।
      • 【5】सिरदर्द दूर होता है।
      • 【6】रक्त संचार/ब्लड सर्कुलेशन सुचारू होता है।
      • 【7】वातविकार/अर्थराइटिस दूर होता है।
      • 【8】शरीर की सूजन कम होती है।
      • 【8】थायराइड/ग्रंथिशोथ से बचाव होता है।
      • 【9】शरीर की तड़कन, अकड़न मिट जाती है।
      • 【10】बुढापा जल्दी नहीं आता।
      • 【11】सेक्सुअल पॉवर/पुरुषार्थ और शारीरिक शक्ति में इजाफा होता है।
      • 【12】खाज-खुजली, फोड़ा-फुंसी, त्वचा में रूखापन,रक्त-विकार,
      • खून की खराबी और त्वचारोग/स्किन डिसीज़ आदि पनप नहीं पाते।
      • 【13】हमेशा चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है।
      • 【14】रक्त चाप/बी.पी. सामान्य रहता है।
      • 【15】तनाव, अवसाद/डिप्रेशन, दूर होता है।
      • 【16】नींद गहरी और अच्छी आती है।
      • 【17】नियमित मालिश से लिंग लम्बा होता है।

क्यों जरूरी है मालिश/मसाज या अभ्यङ्ग?

      • शरीर की बाहरी एवं नीचे स्थित मांशपेशियों एवं संयोजी उत्तकों को दबाना, हिलाना-डुलाना आदि मालिश/अभ्यङ्ग (Massage) कहलाता है।
      • नियमित मालिश/अभ्यङ्ग/Massage करने से शरीर में कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है। कोशिकाओं के टूट-फूट का निवारन होता है।
      • नियमित मालिश करने से तन-मन के रोम-रोम में रक्त का प्रॉपर संचालन होता है।
      • आराम मिलता है और शरीर स्वस्थ, तंदरुस्त रहता है।
      • मालिश करने से मांसपेशियों और गहरी परतों में ताकत आती है।

शरीर के किन अंगों की कैसे करें मसाज?….

      • सिर की, पैरों के **तलवों** की, हाथ-पैर, घुटनों,
      • जोड़ों की, स्तनों की, तलाबों की, उंगलियों, कोहनी, एवं पूरे शरीर आदि
      • स्थानों पर हल्के-हल्के हाथ से मालिश करना लाभप्रद होता है।

अभ्यङ्ग है पुरानी दिनचर्या कैसी थी

      • आयुर्वेद के अभ्यङ्ग शास्त्रों में अस्सी विभिन्न
      • प्रकार की मालिश का वर्णन है।
      • अभ्यङ्ग/मसाज महान भारत की प्राचीन परम्परा है।
      • लोगों की दैनिक दिनचर्या में स्नान से पहले या पश्चात पूरे शरीर पर तेल मालिश करना भी शामिल था
      • औऱ आज भी कुछ लोग इस प्रक्रिया को अपना रहे हैं।
      • तेल मालिश से लंबे समय तक हमारी त्वचा पर चमक बनी रहती है, बुढ़ापा दूर रहता है।
      • शास्त्रों में भी तेल मालिश करने की बात कही गई है।
      • ग्रंथों में कई प्रसंग आते हैं जहां राजा-महाराजा तेल मालिश करवाते बताए गए हैं।
      • तेल मालिश एक ऐसा अचूक उपाय है जिससे त्वचा कांतिमय और सुंदर बनी रहती है।
      • अभ्यङ्ग से खूबसूरती बनी रहने के साथ ही त्वचा संबंधी बीमारियां से भी बचाव होता है।

मालिश-अभ्यङ्ग का पुराण इतिहास क्या है?……

      • मालिश/अभ्यङ्ग के बारे में सर्वाधिक जानकारी भारत के प्राचीन ग्रंथों में बहुत विस्तार से मिलती है।
      • रोम, ग्रीस, रोमानिया, जापान, चीन, मिस्र और मेसोपोटामिया सहित कई प्राचीन सभ्यताओं में भी मालिश का ज्ञान पाया गया है।

मालिश के बारे में पढ़ाने वाले देश

      • जापान, चीन, अमेरिका, कनाडा,इटली आदि देशों में,तो अभ्यङ्ग/मसाज को अपने पाठ्यक्रम में जोड़कर
      • व्यापक रूप से अभ्यास कराकर अस्पताल और मेडिकल स्कूल में पढ़ाया जाता है।
      •  यह इन देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य का एक अनिवार्य हिस्सा है।
      • भारत की देन है- मालिश का अविष्कार फिर, भी हमारे देश के एलोपैथिक डॉ मालिश न करने की सलाह देते हैं
      • और हिंदुस्तानी बिना दिमाग लगाए इन पर भरोसा कर लेता है।
      • याद होगा बचपन में तिल में अजवाइन गर्म करके धूप में दादी-नानी या माँ शिशु की मालिश करती थी,
      • जिससे बच्चा जीवन भर रोगरहित रहता था।

सादा या हर्बल, किस तेल से करें अभ्यङ्ग….

      • 1 – आयुर्वेदिक किताबों के हिसाब से हमेशा जड़ीबूटियों के काढ़ें/ओषधियों से निर्मित पतले और खुशबूदार तथा बादाम, जैतून, चंदनादि तेल युक्त
      • अमृतम काया की ऑयल/KAYA KEY oil द्वारा शरीर की मसाज करना अत्यंत फायदेमंद होता है।
      • 2 – दूसरा यह भी ध्यान रखें की मालिश हेतु तेल पतला हो, ताकि तन के अंग-अंग तथा रोम-छिद्रों में अच्छी तरह शोषित और समाहित हो जाए।
      • स्वयं को सुन्दर स्वस्थ्य-तन्दरुस्त बनाये रखने के लिए अमृतम काया की ऑयल में 7 तरह के पतले और खुशबूदार जांची-परखी हर्बल ओषधियों का मिश्रण है।

काया की तेल में मिले हैं- जड़ीबूटियों के सत्व घटक

      • π~ गुलाब इत्र
      • π~ केशर इत्र
      • π~ चन्दनादि तेल
      • π~ शुद्ध बादाम गिरी तेल
      • π~ जैतून तेल
      • π~ गुलाब इत्र
      • π~ सुगन्धित हर्बल की प्राकृतिक खुशबू से तन-मन महक उठता है।
      • अमृतम काया की तेल प्राकृतिक ओषधि द्रव्यों से निर्मित सम्पूर्ण परिवार के लिए
      • Kayakey अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है
      • इसकी मालिश/मसाज़ अभ्यंग से तन-मन और शरीर में ऊर्जा-उमंग, चुस्ती-फुर्ती , तीव्रता व तेज़ी आती है।
      • मानव के मन की मलिनता मिटती है।
      • शिशुओं की मालिश के लिए बेबी केयर मसाज ऑयल एक बेहतरीन हर्बल मसाज तेल है।

बच्चों की अमृतम बेबी केयर ऑयल से करें मालिश-अभ्यङ्ग तो हड्डियां होंगी मजबूत।

मालिश का तरीका भी जान लेवें…

      • ​∆ ब्‍लड सर्कुलेशन बेबी केयर मसाज ऑयल रक्‍त प्रवाह को बेहतर करता है और शिशु की संपूर्ण सेहत में सुधार लाकर लम्बाई बढ़ाता है।
      • ​∆ त्‍वचा रोगों से छुटकारा।
      • ∆ बाल घने होते हैं।
      • ∆ अमृतम बेबी केयर तेल एंटीबैक्‍टीरियल और एंटीफंगल है।
      • अपने शिशु की मालिश हमेशा नीचे से ऊपर की ओर हल्के हाथों से करना हितकारी रहता है।

अमृतम द्वारा निर्मित 5 ओषधि तेल

      • !- बच्चों की मालिश के लिए बेबी केयर ऑयल जैतून तेल युक्त होने से बच्चों को हष्ट-पुष्ट, फुर्तीला बनाता है।
      • !!- महिलाओं हेतु नारी सौंदर्य तेल और
      • !!!- पुरुषों को KAYAKEY Oil 22 तरह से उपयोगी है-
      • ★ हड्डियों को ताकतवर व मजबूत बनाता है।
      • ★ स्किन/त्वचा को चमकदार बनाता है।
      • ★ काया की ऑयल में बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है। याददास्त बढ़ाता है नजला,जुकाम दूर कर,
      • ★ वात-विकार से बचाव करता है।
      • ★ कलर/रंग निखारने में सहायक है।
      • ★ रक्त के थक्के नहीं जमने देता।
      • कमजोर कोशिकाओं शक्तिशाली बनाता है।
      • ★ रोम/छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है
      • ★ खूबसूरती एवं सुन्दरता बढ़ाता है।
      • ★ बच्चों का सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है
      • ★ बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है
      • ★ तुष्टि-पुष्टि दायक है
      • ★ अभ्यङ्ग अवसाद, डिप्रेशन, भय, उन्माद, मानसिक क्लेश, सिरदर्द, सिर की गर्मी में राहत देता है
      • ★ अभ्यङ्ग घबराहट, तनाव मुक्त कर,नींद लाता है
      • ★ अभ्यङ्ग चुस्ती-फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है
      • ★ नारी सौंदर्य तेल में चन्दन विशेष रूप से मिलाया गया है, जो महिलाओं की त्वचा को नरम-मुलायम कर सुंदरता में वृद्धि करता है।
      • ★ अमृतम नारीसौन्दर्य तेल शरीर में किसी भी तरह के संक्रमणों को पनपने नहीं देता।
      • ★ चंदनादि तेल युक्त नारी सौंदर्य ऑयल बुढापा रोकने में मदद करता है।
      • ★ नवयुवतियों को सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है।
      • ★ नारी सौंदर्य तेल अभ्यङ्ग महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर खूबसूरती व योवनता प्रदान कर ऊर्जावान बनाता है।

आयुर्वेद ग्रन्थों के अनुसार मसाज़-मालिश-अभ्यङ्ग करने का प्राचीन सही तरीका क्या था..

      • देह को भय रहित बनाने के लिए अंग-अंग में अभ्यंग बहुत हल्के हाथ से सुबह खाली पेट और रात्रि में सोते समय करना चाहिए।

अभ्यङ्ग/मालिश/मसाज– एक प्रकार का चेतनाहीन व्यायाम है।

कठोर अर्थात् सक्रिय व्यायाम/एक्सरसाइज सब लोग कर नहीं सकते।

इस प्रकार के परिश्रमी व्यायाम से हृदय, ज्ञान तन्तु और स्नायविक/नर्वस सिस्टम पर एक प्रकार का बोझ पड़ता है।

वृद्ध, निर्बल और बीमार व्यक्ति के लिए कठोर व्यायाम निरर्थक ही नहीं, अपितु हानिप्रद भी है।

    • मालिश करती है- पाचनप्रणाली/मेटाबोलिज्म ठीक-
    • मालिश पाचन-व्यवस्था के लिए अत्यन्त लाभ दायक है।
    • सभी पाचन— अंगों— जैसे कि आँतें, यकृत, आमाशय आदि को एक प्रकार की गति और ..
    • शक्ति मिलने से उनकी कार्यक्षमता और उनके आरोग्य में अभिवृद्धि होती है।
    • मालिश से त्वचा की सिकुड़न और फटन दूर होती है और वह कोमल, चिकनी, तेजस्वी और मनोहर बनती है।
    • प्रतिदिन तन का अभ्यङ्ग करना अत्यंत लाभकारी कर्म है।
    • मालिश से शरीर मस्त-मलंग और मजबूत होता है।

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