आयुर्वेद की और देख रही दुनिया
***”””””””””””***
पूरे विश्व के लोग अब
एलोपेथिक चिकित्सा
से ऊब चुके हैं ।
अंग्रेजी दवाओं के
दुष्प्रभावों ने अनेक नई
बीमारियों को जन्म
दिया है ।
भविष्य की चिकित्सा
एलोपेथी से नहीं,
अमृतम आयुर्वेद पर निर्भर होगी ।
।। अमृतम ।।
द्वारा सभी नर-नारी
की बीमारी दूर करने
हेतु अलग-अलग
रोगों के लिए कई
तरह के malt (अवलेह)
का निर्माण
किया है । जैसे-
यह रस-रक्त,बल कारक है,
भूख व खून बढ़ाता है ।
इसमें आमला मुरब्बा,
सेव मुरब्बा, गुलकंद
मुन्नका, आदि मेवा-मासालों
का मिश्रण है। ।
केवल महिलाओं के लिए-
जो स्त्रियों का
मासिक धर्म समय पर ,
बिना तकलीफ के लाकर
सुंदर, स्वस्थ, खूबसूरत
बनाता है ।
नारी सौन्दर्य तैल की
मालिश से रंग साफ होकर
निखार आता है ।
भय-भ्रम, चिंता, तनाव
डिप्रेशन, याददाश्त की कमी,
बार-बार भूलने की आदत,
नींद न आना, चक्कर आना,
हमेशा सिरदर्द रहना,क्रोध,
चिड़चिड़ापन, आदि
असंख्य मानसिक रोगों
से पीड़ित रोगियों के
लिए बहुत ही लाभकारी
दवा है ।
।।अमृतम।।
द्वारा 25 तरह के माल्ट
10-12 प्रकार के कैप्सूल
विभिन्न रोगों जैसे-
मधुमेह (डाइबिटीज)
त्वचा रोग,
अर्श (पाइल्स)
कब्ज नाशक
अमृतम टेबलेट
एवम
मानसिक विकार
आदि को दूर
करने के लिये
ब्रेनकी टेबलेट
आदि 20
तरह की आयुर्वेदिक
टेबलेट
तथा चूर्ण, तैल,
शेम्पू, उबटन,
ऐसे 90 प्राकृतिक
पूर्णतः हानिरहित
अमृतम आयुर्वेदिक
औषधियों का निर्माण
किया है , जो रोगों को
दबाती नही हैं,
जड़ मूल
विभिन्न विकारों को
नाश कर जीवनीय
शक्ति बढ़ानें में सहायक हैं ।
अमृतम के सभी malt
आयुर्वेद के अनुभवी
चिकित्सकों की देख-रेख
में निर्मित किये जाते हैं ।
इनका असर 2-3 दिनों
में ही दिखने लगता है ।
अनुसंधान में रत-
।।अमृतम।।
आयुर्वेद के प्रसिध्द और प्राचीन ग्रंथ
“भावप्रकाश निघण्टु”
संसार की अनमोल धरोहर है
इसमें प्रकृति प्रदत्त पेड़-पौधों,
जड़ी-बुटियों, प्रतिदिन
प्रयोग में आने वाले
मेवा-मसाले, फल आदि के
बारे में विस्तार से वैज्ञानिक
व्याख्या की गई है ।
अमृतम आयुर्वेद के अनेकों
प्राचीन-पुरातन
ऐसे ग्रंथ हैं, जो भारत
भूमि की अनमोल
धरोहर है ।
दुर्लभ सम्पदा है ।
भारत के महान महर्षि-
महात्माओं (आयुर्वेद
वैज्ञानिकों) ने अनुभव
और अध्ययन के आधार
पर अद्भुत अमृतम
आयुर्वेदिक आख्यानों,
पुराणों, ग्रंथ-पुस्तकों की
रचना की।
विश्व सदैव उनका
ऋणी रहेगा ।
जिनके नाम
निम्नानुसार हैं –
@ चक्रधर सहिंता,
@ चरक सहिंता 1922
@ सुश्रुत सहिंता 1916
@ टीका महेश्वर 1896
@ अभिनव बूटी दर्पण 1947
@ अमरकोश 1914
@ ओषधि संग्रह मराठी 1927
@ गुण रत्नमाला
@ नामरूपज्ञानं
@ निघण्टु रत्नाकर 1936
@ नेपाली निघण्टु 1966
@बिहार की वनस्पतियां 1955
@भारतीय वणौषधि बंगला 1-3 भाग
सन 1050 में प्रकाशित हस्त लिखित
@ मदन विनोद सन 1934
@ धन्वंतरि निघण्टु 1890 पूना
@ वनस्पति परिचय
@ यूनानी द्रव्यगुण विज्ञान
@ संदिग्ध ब्यूटी चित्रावली
@ शंकर निघण्टु
@ वंगसेन सहिंता
@ भैषज्य सहिंता गुजराती
@ नारायण सहिंता केरल
@ आयुर्वेद मंत्र सहिंता
@ कारका सहिंता
@ ओषधि तंत्र
@ रावण सहिंता
@ मारण सहिंता (तंत्र)
@ अघोर सहिंता
@ अघोर तंत्र
@ आयुर्वेद नाड़ी सहिंता
@ अवधूत रहस्य
@ भैषज्य रत्नावली
@ अर्क प्रकाश
@ आयुर्वेद वनस्पति कोष
@ माधव निदान
@ रस कामधेनु
@ रस वर्णम
@ शरीर क्रिया विज्ञान
@ अद्भुत आयुर्वेद
@ नक्षत्र चिकित्सा
@ ज्योतिष चिकित्सा
@ तंत्र-मंत्र चिकित्सा
@ आयुर्वेदिक बुटियों से ग्रह शान्ति
@ जड़ी-बुटियों में तंत्र
@ आयुर्वेद से सुख-शांति
@ भावप्रकाश निघण्टु
@ आयुर्वेद निघण्टु
@ सालिगराम निघण्टु
@ जड़ी-ज्योतिष निघण्टु
@ मंत्र महोदधि
@ रस सार संग्रह
@ रस तन्त्र सार
@ आयुर्वेद से यंत्रों की सिद्धि
@ आयुर्वेद और एश्वर्य
@ ताण्डव रहस्य
@ आयुर्वेद के रहस्य
@ रस तरंगिणी
@ चक्रदत्त
@ रस सागर
@ मद्रास फार्माकोपिया
@ वैध कल्पद्रुम
@ मटेरिया मेडिका ऑफ आयुर्वेद
@ आयुर्वेद फार्मूलेशन ऑफ इंडिया
@ सिद्ध योग संग्रह
@ सिद्धा आयुर्वेद
@ काय चिकित्सा
@ अष्टांग ह्र्दय
@ the आयुर्वेद फार्माकोपिया ऑफ इंडिया
@ भैषज्य सार संग्रह
@ द्रव्यगुण विज्ञान
@ आयुर्वेद नवग्रह ग्रंथ
@ प्रतीक शास्त्र
@ शप्तशती रहस्य
@ दुर्गा सप्तशती
@ वनोषधि चंद्रोदय
@ वनोषधि विज्ञान
@ संदिग्ध निर्णय वणौषध शास्त्र 1936
@ वृन्दमाधव 1943
@ वैद्यक शब्दसिन्धु 1914
@ आयुर्वेद रस शास्त्र
@ गांवो में दुर्लभ जड़ी-बूटियां
@ स्कंदपुराण
@ भविष्य पुराण
@ शिवपुराण
@ ब्रह्मवैवर्त पुराण
@ श्रीमद्भागवत
@ ऋग्वेद
@ शंकर भाष्य
@ केनोउपनिषद
@ जड़ी-बूटी कहावतें
@ देवी रहस्य
@ बाबा वचन
@ अवधूत बाबा कीनाराम
@ स्वामी विशुद्धानंद
@ श्री रमण महर्षि
@ स्वामी कथा सार
@ घेरण्ड सहिंता
@ तांत्रिक पंचांग
(पीताम्बरा पीठ, दतिया)
@ तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र
@ प्रतीक कोश
@ स्वस्थ जीवन रहस्य
@ जड़ी-बुटियों से नवग्रह दोष निवारण
@ सूर्य शाँति कल्प
@ त्रिकालदर्शी ऋषि
@ आयुर्वेद शब्दकोष
आदि आयुर्वेद का प्राचीन
खजाना है ।
इनमे अनेक आनाम पुस्तकें
और भी हैं, जो विलुप्त हो
चुकी हैं या होने की कगार
पर है ।
नवीन आयुर्वेदिक हिंदी-
अंग्रेजी किताबों की भरमार
है , जिनका उल्लेख नहीं
किया है ।
।।अमृतम।।
का यह लेख संग्रहणीय,
सारगर्भित है ।
उपरोक्त ग्रंथ-पुराणों,
पुस्तकों में जड़ी-बूटियों,
औषधियों के
भाव-प्रभाव का विस्तृत
वर्णन है, ताकि किसी
अभाव के कारण कोई कष्ट
न सहे ।
अमृतम प्रयास-
!!!!!!——!!!!!!
।।अमृतम।।
फार्मास्युटिकल्स
ग्वालियर
द्वारा
इन्ही अद्भुत आयुर्वेदिक
शास्त्रों का गहन अध्ययन,
अनुसंधान कर अति आवश्यक
असरकारक जड़ीबूटियों,
ओषधि, मसालों तथा रस-
भस्मों का मिश्रण कर
अमृतम अनुभूत(पेटेंट)
उत्पादों, दवाओं का निर्माण
किया है ।
अमृतम की सर्वाधिक
असरकारी
विक्रय होने वाली दवाएँ
जो जड़ से रोग मिटायें
एवम
ऑर्थोकी पेन आयल
अमृतम की इन चमत्कारी
दवाओं से
वात-विकार, हाहाकार कर
पलायन कर जाते हैं ।
ऑर्थोकी के सेवन से
प्राणी पीड़ारहित होकर
प्रसन्न रहता है ।
हानिरहित व
वात का अंत…तुरन्त
करने के कारण विदेशों
से भी इसकी मांग (डिमांड)
आने लगी है ।
ऑर्थोकी – उदर की
कड़क नाड़ियों को
मुलायम कर
अनेक ज्ञात-अज्ञात
जटिल वात रोगों का जड़ से
नाश करता है
और
कब्जियत मिटाकर
द्वारा नहीं होने देता ।
ऑर्थोकी हर्बल से
निर्मित होने के कारण
तन को हर बल देकर
कमजोर हड्डियों को ताकत देता है ।
तन के किसी भी दर्द
को,
दबाता नहीं है,अपितु
वात-विकारों के सभी
दोषों को दूर कर
शरीर का शोधन,
शुद्धि कर कायाकल्प
करता है ।
ऑर्थोकी
चिकनगुनिया
डेंगू फीवर
स्वाइन फ़्लु
मलेरिया आदि
असाध्य रोगों के
पश्चात और
लम्बे समय से सर्दी,
खांसी, जुकाम
फ्रैक्चर या
अन्य किसी रोग के कारण
आई कमजोरी, शिथिलता
आलस्य, जकड़न, टूटन
आदि दूर करने में चमत्कारी
है ।
ऑर्थोकी को नियमित
लेने से प्राणी में रोगप्रतिरोधक
क्षमताओं में वृद्धि होती है ।
यह वात-पित्त-कफ (त्रिदोष)
नाशक है ।
orthokey का उपयोग
वायु बल वृद्धि में सहायक है
प्राण वायु
उदान वायु
समान वायु
व्यान वायु
अपान वायु
इन पांचो वायु को
शरीर स्वस्थ
रखने हेतु प्ररित करता है ।
orthokey
में वात को लात देकर
तन के हालात ठीक
करने की क्षमता है ।
# 7 दिनों में ही असर दिखाये #
”””””””””””””””””””””””””’
महिलाओं
एवं
पुरुषों हेतु
विशेष उपयोगी
ऑर्थोकी
@ शारीरिक क्षीणता
@ महिलाओं को
प्रसव पश्चात की पीड़ा
@ कमर दर्द
@ गर्दन में दर्द
@ हाथ-पैर,
@ जोड़ों,घुटनों का दर्द
@ आलस्य
@ जकड़न-अकड़न
@ भय-भ्रम, चिंता, तनाव
@ नींद न आना, बेचैनी,
@क्रोध, चिडचिडापन
@ कम्पवात
@ आमवात (Rheumatism)
@ संधिवात (Osteoarthritis)
@ वातरक्त (Gout)
@ निर्बलता ( General Debility)
@ पक्षाघात ( Hemiplegia)
@ रोग प्रतिरोधक (Immunity)
@ कटिग्रह
(Lumbago low back pain)
@ अंगों का अकड़ जाना
@ शरीर में हमेशा कम्पन्न होना
@ हाथ-पैरों में टूटन
@ रीढ़ की हड्डी में गैप
@ झुनझुनाहट होना
@ गृहरसी साइटिका ( scitica)
@ सूजन
@ग्रंथिशोथ thyriod
@सुन्नपन
@शरीर की वेदना
@माँस पेशियों में खिंचाव
@ सर्वाइकल
अनेकों अज्ञात
आधि-व्याधि एवम पुराने
से पुराने वात रोगों का
सर्वनाश कर
शरीर को बलवान बनाता है ।
सदा स्वस्थ-मस्त
रहने हेतु इसे बिना किसी
सलाह के सभी वर्ग के
स्त्री, पुरुष, बच्चे,
बड़े-बुजुर्ग ले सकते हैं ।
::::::::::::::—————-::::::::::::::
स्वर्ण भस्म, वृहत वात चिंतामणि
रस स्वर्ण युक्त, योगेंद्र रस स्वर्णयुक्त,
त्रिलोक चिंतामणि रस, त्रिकटु
(सौंठ, कालीमिर्च, पीपल)
मधुयष्टि, एकांग्विर रस,
शुद्ध कुचला आदि बहुत
सी शीघ्र लाभदायक
औषधियों से निर्मित है ।
एक-एक कैप्सूल दिन में
दो बार दूध के साथ
लेने से 2-3 दिन
ही अपना चमत्कारी असर
दिखाने लगता है ।
।।अमृतम।।
में अनेक प्रकार के मुरब्बे,
मेवा-मसालों, जड़ी-बूटियों,
महारास्नादि, हर श्रृंगार,
लाक्षा, के काढ़े,गुग्गल, एवम
स्वर्णयुक्त रस भस्मों
के मिश्रण से तैयार कर बनाया है ।
कैप्सूल के साथ लेने से
तुरन्त प्रभाव दिखता है ।
पेट की कड़क नाड़ियों,
को मुलायम व सहज
बनाकर शरीर के
सर्व रोगों को जड़ मूल
से दूर करने में सहायक है।
सूखे-सड़े उदर के
मल्ल को पखाने
द्वारा बाहर निकाल
रोगों या अन्य वात विकारों
को पुनः पैदा होने से रोकता है ।
ऑर्थोकी पेन आयल
महानारायण तेल,
महाविषगर्भ तेल,
महा माष तेल
गंधपूर्णा तैल
कर्पूर आदि के मिश्रण
से निर्मित यह
एक भयंकर दर्द नाशक
तेल है, जो दर्द के स्थान
पर लगाने, मालिश
करने पर तत्काल
फायदा देता है ।
!!अमृतम!!
की
सभी दवाइंया
रोगों का काम खत्म
करने में सहायक है ।
तभी, तो
“अमृतम”
!हर पल आपके साथ हैं हम!
हमारा
उदघोष है ।
“अमृतम” हर पल आपके साथ हैं हम!
हमारा उदघोष है ।
हमें [email protected] पर ईमेल करे अपने सवालो के साथ।
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