अमृतम त्रिफला चूर्ण में होते है-आँवला-हरड़-बहेड़ा! फायदे जानकर दंग रह जाएंगे….

अमृतम त्रिफला चूर्ण/पाउडर

आयुर्वेद की शुद्ध और सर्वश्रेष्ठ ओषधि है।

अमृतम त्रिफला चूर्ण…

पाचन तन्त्र (मेटाबॉलिज्म) को मजबूत बनाकर पेट के अंदरूनी रोगों का सफाया कर, उन्हें पुनः पनपते नहीं देता

त्रिफला की इसी विशेषताओं के कारण

 इसे आयुर्वेद का अमृत कहा जाता है।

अमृतम डेंट की माल्ट (dentkey malt)

अमृतम आई की माल्ट EYE Key Malt

अमृतम स्किन की माल्ट Skin key malt

अमृतम गोल्ड माल्ट,

कुन्तल केयर हेयर स्पा हेम्प युक्त

आदि 72 दवाएँ  त्रिफला से निर्मित की जाती हैं।

त्रिफला चूर्ण से होते है 10  लाभ :-

[१] त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) नाशक है।

[२] तन-मन के विकारों को अंदर से ठीक करता है।

[३] इम्यूनिटी पॉवर यानि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विशेष कारगर है।

[४] वात-पित्त-कफ त्रिदोष नाशक है।

[५] जीवनीय शक्ति वृद्धिकारक हैं।

[६] अमृतम त्रिफला पाउडर शरीर के समस्त विकारों का नाश करने में उपयोगी है।

[७] आयुर्वेद की 500 से अधिक ओषधियों के निर्माण में इसका मिश्रण किया जाता है।

[८] अमृतम त्रिफला चूर्ण एक ऐसी चमत्कारी ओषधि है, जो 50 प्रकार की बीमारी में लाभकारी है।

[९] पेट के रोग, कब्ज, बवासीर, लिवर की समस्या, वात रोग (अर्थराइटिस) आंखों की तकलीफ, बालों का झड़ना, टूटना, दांत दर्द जैसे अनेक ज्ञात-अज्ञात विकार मिट जाते हैं।

अमृतम त्रिफला चूर्ण– आंवला, छोटी हरड़ तथा बहेड़ा तीनो को बराबर मात्रा में लेकर घर में भी बनाया जा सकता है। त्रिफला चूर्ण में हमेशा छोटी हरड़ का ही उपयोग करें। बड़ी हरड़ का नहीं। दोनों के भाव में 8 से दस गुना का फर्क होने से बाजार में अधिकांश बड़ी हरड़ का ही त्रिफला मिलता है।

त्रिफला चूर्ण में मिलाया गया अमृतम हरड़ या हरीतकी के फायदे –

शरीर के हर रोग को हरने वाली हर्ब्स है। हरड़ की जानकारी के लिए सर्च करें।

https://www.amrutam.co.in/haradinamrutammalts/

त्रिफला चूर्ण में मिला आवलां अत्यन्त लाभकारी ओषधि है...
आँवला के अन्य नाम —

इसे धात्री फल, शिव, श्रीफल और अमृत भी कहते हैं। आँवला  “त्रिफ़ला चूर्ण” का विशेष घटक है। त्रिफला के नाम से प्रसिद्ध दवा आँवला के योग से बनती है।

पांच हजार वर्ष

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थ-शास्त्र एवं भावप्रकाश निघण्टु के अनुसार आँवले के सेवन से शरीर की सभी क्रियाएं सुधरकर अंदरूनी रूप से तन- मन पुष्ट एवं बलवान बनता है।
स्मृति (मेमोरी), मेधा, कांति बढ़ती है।
श्वांस, कांस (खाँसी), क्षय, पाण्डु (खून की कमी), अग्निमांध (भूख न लगना) एवं वीर्य की कमी और नपुंसकता
 आदि दोष आदि हठी रोग दूर होते हैं।

आँवला एक एंटीऑक्सीडेंट मेडिसिन है।
आँवला या आँवला मुरब्बा में एंटीओक्सीडेंट वे अणु होते है, जो दूसरे अणुओं के ओक्सीडेशन (ऑक्सिकरण या अपचयन) को रोकते है।
यह कोई एक पदार्थ नहीं होता है, बल्कि अनेक पदार्थ एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते है।
ये विटामिन, मिनरल्स और दूसरे कई
पोषक तत्व होते है।
बीटा कैरोटिन ( β-कैरोटीन एक कार्बनिक यौगिक है) , ल्यूटिन लाइकोपिन, जो टमाटर एवं अन्य लाल फलों में मिलता है। फ्लैवोनाइड, लीगनान जैसे एंटीओक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है। इसके अलावा  मिनरल सेलेनियम
भी एक एंटीओक्सीडेंट कि तरह कार्य करता है। विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन इ भी एंटीओक्सीडेंट के रूप में शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(धमनी की दीवारों के ऊपर और अंदर वसा, कोलेस्टरॉल और अन्य पदार्थों का जमाव),
*मिनरल सेलेनियम* (minral Selenium) रक्त वाहिका, हृदय की बीमारियों, एथेरोस्क्लेरोसिस,
ऑस्टियोआर्थराइटिस

(एक तरह का गठिया रोग, जिसमें हड्डियों के सिरों पर लचीले ऊतक नष्ट होने लगते हैं), रूमेटोइड गठिया , बांझपन , हेफिवर, पुरानी थकान, सिंड्रोम और आर्सेनिक विषाक्तता के रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाने वाला प्रकृति प्रदत्त खनिज है। सेलेनियम (Selenium) अक्सर पेट, प्रोस्टेट, फेफड़ों और त्वचा के कैंसर को रोकने के
लिए भी प्रयोग किया जाता है। सेलेनियम (Selenium) एंटीऑक्सीडेंट की क्रिया को बढ़ाकर काम करता है।

एंटीओक्सीडेंट का शरीर में उपयोग…
हमारे शरीर में बहुत सारी क्रियाएँ होती रहती है। खाना ग्रहण करने के बाद उसका पाचन और अवशेषन होता है। चयापचय (मेटाबोलिज़्म) में यह तय होता है कि इन पदार्थो में से कितना इस्तेमाल होगा और कितना संग्रह किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ व्यर्थ पदार्थ भी बनता है, जिन्हें शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। एंटीओक्सीडेंट उनके साथ क्रिया करके शरीर को उनसे होने वाले नकारात्मक प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) से शरीर की रक्षाकरते हैं। एंडीओक्सीडेंट कई पदार्थों में पायी जाती है, लेकिन आँवले के ताजे फल, आंवला मुरब्बा और हरी सब्जियों में ये प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। ये फ्री रेडिकल्स को हटा कर शरीर कि सफाई भी करती है।

फ्री रेडिकल्स के बारे में जाने…

हमारे शरीर में खरबों कोशिकाएं होती हैं। इन कोशिकाओं को पोषण की कमी और संक्रमण का ही खतरा नहीं होता, बल्कि फ्री रेडिकल्स भी कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ये रेडिकल्स दूसरे अणुओं से इलेक्ट्रॉन चुराने की कोशिश करते हैं, जिससे डीएनए और दूसरे अणुओं को नुकसान होता है और फलस्वरूप खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं।
फ्री रेडिकल्स कर्कट रोग/केन्सर एवं हृदय विकार, हृदयाघात/हार्टअटैक से बचाते हैं।

5000 साल पुरानी आयुर्वेद का सुप्रसिद्ध ओषधि “अमृतम च्यवनप्राश” का प्रमुख घटक आँवला ही है। इसे 50 हर्ब्स से निर्मित किया जाता है।

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