तुम न सो जाना

अँधेरी रात में चन्दा निहारो तुम सो न जाना
सजी तेरे लिए मुझको संवारो तुम न सो जाना
किसी ने है पुकारा आ चली आ दिल डगर में
बिठा कर आप मन में जान वारो तुम न सो जाना
पसरता मौन चारों ही दिशाओं में सजनवा जब
नयन के कोर में छिप कर इशारो तुम न सो जाना
मिलन की चाह मेरी बलवती  होने लगी प्रियवर
बहाना कर कहीं कोई न पारो तुम न सो जाना
मंगल के गीत गाओ आज मिल सखियों सनेही तुम
अगन मेरे उतर कर अब बहारो तुम न सो जाना
बने साक्षी दिशाए आसमां चन्दा सितारे ये
मगर अब झाँक ऊपर से कतारो तुम न सो जाना
चलो लेकर जरा डोली पिया के देश धीरे से
कहीं पथ लूट ले कोई कहारो तुम न सो जाना

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