जन्म से मृत्यु तक हल्दी का इस्तेमाल क्यों करते हैं ?

पैदा होने लेकर मरने तक हल्दी साथ निभाती है। हल्दी हेल्दी बनाती है यह बात सही है। हल्दी को हरिद्रा भी कहते हैं। यह मङ्गल कार्यों में विशेष शुभदायक है। पूजा में इसके उपयोग से गुरु ग्रह की कृपा मिलती है। हल्दी सुख-सौभाग्य की प्रतीक है।

महिला हो या मर्द के लिए हल्दी की मात्रा

  • हल्दी एक एंटीबायोटिक, जीवाणु रोधक ओषधि है। इसे सर्दी खांसी जुकाम दूर करने में इस्तेमाल किया जाता था।
  • 10 ग्राम हल्दी पॉवडर की 30 खुराक बनाकर एक रोज गुनगुने दूध में डालकर पीना लाभकारी रहता है।
  • एक महीने में 10 से 12 ग्राम तक ही हल्दी पावडर का सेवन हितकारी होता है। इससे अधिक लेने से फेफड़ों की सूक्ष्म नलिकाएं जाम होने लगती है।
  • हल्दी का अधिक उपयोग पित्त की वृद्धि करता है। हल्दी से पसीना भी ज्यादा आता है।
  • आयुर्वेद चंद्रोदय ग्रन्थ के मुताबिक हल्दी केवल सर्दी के समय ही लेना फायदेमंद होता है।
  • अगर पित्त दोष तथा बवासीर, गर्मी की परेशानी हो, तो हल्दी का सेवन न करें।
  • ज्यादा हल्दी खाने से फेफड़ों में सिकुड़न होने लगती है। अगर आपको कोई एलर्जी, सर्दी-खांसी नहीं है, तो हल्दी दूध के साथ कभी नहीं लेना चाहिए।
  • हल्दी का ताकत या मर्दाना पन से कोई लेना-देना नहीं है।
  • नमक, मीठा, घी, फल आदि सभी बहुत हितकारी एवं जरूरी हैं लेकिन इनसे पेट नहीं भरा जा सकता।
  • वर्तमान समय में हल्दी को अमृत बना दिया, किंतु अत्याधिक मात्रा लेने के कारण लिवर में सूजन आदि की समस्या बढ़ती जा रही है।
  • कुछ लोगों को हल्दी के सेवन से बिना पाइल्स के भी मलद्वार में खून आने लगता है।

पुरानी एक सूक्ति है- !!अति सर्वत्र वर्जते!!

  • आयुर्वेद में हर चीज की एक निश्चित मात्रा निर्धारित है। जैसे तुलसी के 4 से 5 पत्ते ही पर्याप्त हैं।
  • नीम की नई कोपल ही खाने का निर्देश है। 12 महीने नीम खाने से अल्सर, थायराइड, जोड़ों में दर्द आदि की समस्या खड़ी हो जाती है।
  • द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक किसी भी कड़वी वस्तु का अधिक उपयोग शरीर से रस को कम कर देता है, जिससे हड्डियों में कमजोरी तथा आवाज आने लगती है।

हल्दी के फायदे….

कच्ची हल्दी ज्यादा गुणकारी होती है

  • मार्च-अप्रैल में नई हल्दी बाजार में ठेलों पर बिकती है। हल्दी तब विशेष लाभकारी हो जाती है, जब नई कच्ची हल्दी को दूध में अच्छी तरह उबालकर लेवें। प्राचीन परंपराआ यही है। गूगल आदि पर हल्दी के बहुत ही गलत उपयोग बताए जा रहे हैं, इससे शरीर को बहुत हानि हो रही है।
  • दांत दर्द में हल्दी भुजंकर दांतों में दबाने से दर्द मिट जाता है।
  • दारुहल्दी वात रोगों में उपयोगी है।
  • आमाहल्दी सभी तरह की हड्डि जोडने में काम आती है। इसका लेप करते हैं।

व्यापार-कारोबार वृद्धि में चमत्कारी-हल्दी….

  • व्यापार स्थल पर हरेक रविवार दुपहर 11.48 से 12.32 के बीच 9 हल्दी की गांठे सफेद धागे में बांधकर दुकान या उद्योग के मुख्य द्वार पर माला लटका दी जाए, तो सारे वास्तु दोष, नजर आदि दूर होते है।
  • भारत में हल्दीघाटी युद्ध के मैदान की वजह से बहुत प्रसिद्ध है। यह स्थान उदयपुर राजस्थान से 35 km तथा श्रीनाथ द्वारा मन्दिर से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ की सभी घाटियों का रंग हल्दी जैसा है। इसी जगह महाराणा प्रताप एवं चेतक घोड़े की समाधि बनी है।
  • यहां पर गुलाब पुष्प की बहुतायत मात्रा में खेती होती है। गुलकन्द बहुत प्रसिद्ध है।
  • त्रिचनूर में माँ पद्मावती का गुरुवार के दिन हल्दी से लेप लिया जाता है-
  • आविवाहित लोग यदि किसी शिवलिंग या घर के मन्दिर में मिट्टी के दीपक या सकोरे में 27 ग्राम पिसी हल्दी, 5 रेशे केशर के 9 गुरुवार नियमित रखें, तो तत्काल विवाह हो जाता है।

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