उत्तरांचल का गुमनाम तीर्थ, जहां बथुए का साग अपने आप उग जाता है।

विदुर कुटी-विदुर की कर्म स्थली
 
यहां बहुत से साधु तपस्या में लीन है।
गंगा किनारे बसा यह तीर्थ बहुत रमणीय है
 

बिजनोर उप्र से लगभग 10 से 12 किलोमीटर

दूर बसे विदुरकुटी नामक तीर्थ है।
बताया जाता है कि महाभारत 
कालीन परम् विद्वान विदुर जी का जन्म हुआ था।

उत्तरांचल विदुर आश्रम में महात्मा विदुर के पदचिन्ह आज भी संगमरमर पर सुरक्षित है।
इस स्थान पर भगवान कृष्ण जब पांडवों
से मिलने पहुंचे, तो मेवा-मिष्ठान त्याग कर
हाथ की बनी रोटी और बथुए का साग
खाया था
यह एक बहुत ही सुहावना तीर्थ है।
परम् आनंद और शांति के लिए
एक बार यहाँ जरूर जाएं।
इस जगह की विशेषता यह है कि यहां
बथुए का साग जगह जगह उग जाता है।
बथुए की सब्जी खाने से यहां कई
रोगियों के रोग दूर हुए हैं।
कैंसर से पीड़ित रोगी को यहां एक
महीने रखकर बथुए की सब्जी
खिलबाई जावे, तो उसे बहुत लाभ मिलता है,
ऐसा यहां के निवासी बताते हैं।

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