प्रेम करों पर–फ्रेम में टँगने के लिए नहीं !!14 फरवरी बेलेंटाइन पर विशेष

प्यार का इजहार होने के बाद अहसास होने लगता है कि जरूर तुमने कुछ पा लिया, जो जीवन से बड़ा है, जिसके सामने जीवन गंवाने योग्य हो जाता है।
 
प्रेम के पुलकित पलों में 
 तुम अकेले नहीं रह जाते;
कोई  अपना है, संगी है, कोई साथी है। … और कोई तुम्हें इतना मूल्यवान समझता है कि तुम्हें अपना जीवन दे दे और तुम किसी को इतना मूल्यवान समझने लगते हो कि उसे अपना जीवन दे दो।
प्यार फिक्र का ही एक नाम है..
हम किसी की कितनी परवाह, देखभाल कर सकते हैं। यही प्रेम है। प्यार में सब्र, धैर्य रखना मुख्य काम है। प्यार हमें बर्दाश्त करना सिखाता है।
विश्वास बनाएं रखें-
प्रेम की नींव भरोसे पर टिकी है। विश्वास में बाबा विश्वनाथ का वास होता है। सम्पूर्ण विश्व विश्वास पर टिका है। वादे निभाने से विश्वास में बढ़ोतरी होती है। बिना उम्मीद के मदद करने से विश्वास और प्रेम दोनों बढ़ते हैं।

प्यार या प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!,

तुम कुछ मत करो, सिर्फ प्रेम कर लो….. 
प्रेम का सार सूत्र क्या है– कि जो तुम अपने लिए चाहते हो वही तुम दूसरे के लिए करने लगो और जो तुम अपने लिए नहीं चाहते वह तुम दूसरे के साथ मत करो।
 
होले होले चलो मोरे साजना
यह किसी पुराने गीत का मुखड़ा है
मान जाते तो शायद
हम मिल भी जाते,
इश्क जल्दबाजी का नहीं
इंतजार का नाम है।
प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। प्यार में धैर्य और धर्म न हो, तो वह वासना बन जाती है।
एक दूसरे के सीने पर सिर रखकर जीने का आनंद अलग ही है।
ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। … यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं।
प्रेम का अर्थ है: जहां मांग नहीं है और केवल देना है। और जहां मांग है वहां प्रेम नहीं है, वहां सौदा है।
 
समर्पण में ही शक्ति है-
मान्यता है कि स्त्री, तो दासी है। यह कोरा भ्रम है। 
स्त्री जीवन का राज समझती है
कोई पुरुष किसी स्त्री को दासी नहीं बनाता। दुनिया के किसी भी कोने में जब भी कोई स्त्री किसी पुरुष के प्रेम में पड़ती है, तत्क्षण अपने को दासी बना लेती है, क्योंकि दासी होना ही स्त्री की गहरी मालकियत है। वह समर्पित होकर ही मालिक बनती है।
प्रेम में परमात्मा का वास है…
जब हम किसी से प्यार करने लगते हैं, तो सदैव उसके बारे में ही चिंतन करते रहते हैं। जैसे सन्यासी सदा शिव का मनन करते हैं। 
एक फार्मूला कभी आजमाकर देखें कि जब कभी आपका कोई काम नहीं बन रहा हो, तो जिससे आप सर्वाधिक प्रेम करते हैं उसका स्मरण कर कार्य पूर्ण होने की प्रार्थना करें। काम तुरन्त पूरा होगा।
जब तुम किसी के प्रेम में उतर जाते हो–वह कोई भी हो, मित्र हो, मां हो, पति हो, पत्नी हो, प्रेयसी हो, प्रेमी हो, बच्चा हो, बेटा हो, तुम्हारी गाय हो, तुम्हारे बगीचे में खड़ा हुआ वृक्ष हो, तुम्हारे द्वार के पास पड़ी एक चट्टान हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई भी हो–जहां भी प्रेम की रोशनी पड़ती है, उस प्रेम की रोशनी में दूसरी तरफ से प्रत्युत्तर आने शुरू हो जाते हैं।
प्यार या प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!
प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना है, जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। … यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं।

घड़ी चढ़े, घड़ी उतरे, वह तो प्रेम न होय,

अघट प्रेम ही हृदय बसे, प्रेम कहिए सोय।’

कबीर  साहब ने सही लिखा है कि जो प्रेम घड़ी में चढ़े और घड़ी में उतरे वह प्रेम नहीं कहलाएगा?!

प्यार का उलझन वाला गणित….

चार मिले चौसठ खिले, 

बीस रहे कर जोड़!

प्रेमी-प्रेमी दो मिले, 

खिल गए सात करोड़!!

हिंदी सहित्य के विशेष जानकर एक कवि महोदय ने उपरोक्त इस कहावत का अर्थ पूछा। काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, तब मैंने कहा – आप ही बताइए, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा।

तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ उन्होंने 

समझाया कि –  बड़े रहस्य की बात है – 

चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है, तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं। इसलिए कहा, चार मिले – फिर कहा, चौसठ खिले – यानि बत्तीस-बत्तीस दांत – दोनों के मिलाकर चौसठ हो गए – इस तरह “चार मिले, चौसठ खिले” – हुआ!

“बीस रहे कर जोड़” – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!

प्रेमी प्रेमी दो मिले – खिल गए सात करोड़!”

अर्थात-

वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है, लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ होते हैं ।

ऐसा अंतर्हृदय में बसा हुआ जब कोई मिलता है, तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है।

जैसे ही कोई ऐसा मिलता है, तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि प्रेमिका से मिलते ही हमारा रोम-रोम खिल जाता है! 

अंत में कुछ समझाइश….
■ किसी से मोहब्बत करें, तो काम ऐसा करो कि Tv पर आ जाओ Cctv पर नहीं।
■ इश्क में बस इतना ध्यान रखें कि-
इक किस” के बाद बाइस होता है।
समझदारी का नियम
सिगरेट और प्रेमिका
दोनों कतई नुकसानदेह और
विनाशकारी नहीं हैं….
बस “सुलगाइए” मत।
दिलजले की फटी किस्मत...
जिसे दिल दिया, वो दिल्ली चली गई
जिसे प्यार किया, वो पुणे चली गई।
खुदखुशी की सोचकर बिजली के तार पकड़े
किस्मत खराब थी,हाल बिजली चली गई।
ध्यान रखें…
प्रेम मत करो, आत्महत्या के और भी नायाब तरीके हैं। प्रेम सफल, तो जिंदगी तबाह और प्रेम में असफल हुए आदमी तबाह!
किसी से नफरत करनी है तो
इरादे मजबूत रख!
जरा – सा भी चूके, तो
मोहब्बत हो जाएगी। 
 
शंका का समाधान….
मित्रों ने एक बार हमसे पूछा?
क्या लोंगों को 50 के बाद गर्लफ्रैंड रखनी चाहिये?
जवाब: नहीं।
सवाल: आखिर क्यों?
जवाब: क्योकि 50 गर्लफ्रैंड काफी होती हैं।
 
तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त.
प्रेमिका को यह कहते कहते पस्त यानी थक जाओ, तब भी भरोसा नहीं है कि वह प्रसन्न रह सकती है। एक बेहतरीन किस्सा है कि
एक आदमी जेल में कैद था.. 
 
राजा ने कहा…. तुमको मै आजाद कर दूँगा…  यदि यदि सही उत्तर बता देगा तो..
 
राजा ने पूछा?
 आखिर स्त्री चाहती क्या है ?
 
कैदी  ने कहा…मोहलत मिले,
तो जानकारी लेकर बता सकता हूँ…
 
राजा ने एक साल की मोहलत दे दी और साथ में बताया कि अगर उत्तर नही मिला, तो फांसी पर चढा दिये जाओगे…
 
आदमी बहुत घूमा बहुत लोगों से मिला!
 पर कहीं से भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला…
 
आखिर में किसी ने कहा… दूर एक घने जंगल में एक भूतनी  रहती है वही बता सकती है…
 
भूतनी ने कहा कि मै इस शर्त पर बताउंगी  यदि तुम मुझसे शादी करो…
 
उसने सोचा और जान बचाने के लिए शादी की सहमति दे दी…
 
शादी होने के बाद भूतनी ने कहा…  
चूंकि तुमने मेरी बात मान ली है…  
तो मैंने तुम्हें खुश करने के लिए फैसला किया है…. 
कि 12 घन्टे मै भूतनी और 12 घन्टे खूबसूरत परी बनके रहूंगी…
अब तुम ये बताओ कि दिन में भूतनी रहूँ…  या रात को?
उसने सोचा यदि वह दिन में भूतनी हुई तो दिन नहीं कटेगा… और रात में हुई तो रात नहीं कटेगी…
 
अंत में उस आदमी ने कहा, जब तुम्हारा दिल करे परी बन जाना… जब दिल करे भूतनी बनना…
 
ये बात सुनकर भूतनी ने प्रसन्न हो के कहा…  चूंकि तुमने मुझे अपनी मर्ज़ी की  करने की छूट दे दी है… तो मै हमेशा ही परी बन के रहा करूँगी…
 
यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है…
प्रेमिका हमेशा अपनी मर्जी का करना चाहती है…
यदि स्त्री को अपनी मर्ज़ी का करने देंगे तो
वो परी बनी रहेगी वरना भूतनी… 
फैसला आप का….  ख़ुशी आपकी…
 
सभी प्रेमी पुरुषों को समर्पित….
 
अन्यथा आपस में क्लेश निश्चित है!
कुछ ऐसे कि…
इस क़दर कड़वाहट आयी
 उसकी बातों में…
आख़िरी ख़त दीमक से 
भी ना खाया गया…!!
 
इस तरह का प्यार भी बेकार है..
तवायफ से पूछी, 
जब वजह जिस्मफरोशी की।
बोली, प्यार पर एतवार कर – 
घर से भागी थी। 
अदभुत रोचक जानकारी के लिए
अमृतम पत्रिका पर 3800 से अधिक ब्लॉग पढ़ सकते हैं, जो आपके मन-मस्तिष्क को राहत प्रदान करेंगे।
www.amrutampatrika .com

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!


Posted

in

by

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *