वातरोगों की वजह- वायु का प्रकोप

वातविकार की चार निशानियां
【】वायु के प्रकोप की वजह से ही शरीर
में शिथिलता आने लगती है।
【】बुढ़ापा जल्दी आता है।
【】पुरुषों का वीर्य कम होकर सूखने लगता है।
【】महिलाओं का मासिक धर्म, समय से पहले बन्द हो सकता है
वातोदयात भवेच्चिते,
जड़ताsस्थिरताभयम ।
शुन्यत्वम विस्मृति:
श्रान्तिररतिच्चित्तविभ्रम: ।।
अर्थात-
वात-विकार से पीड़ित
मानव शरीर में जब वायु का प्रकोप होता है,
तब शरीर में स्थिरता आने लगती है।
वायु के प्रकोप से दुखी व्यक्ति सही निर्णय या निश्चय
नहीं कर पाता। उसका निर्णय बदलता रहता है।
शरीर में वायु की तीव्रता होने पर ऐसा होता है।
वायु प्रकोप के पंद्रह (15) दुष्प्रभाव
【1】तन के अंग-अंग में दर्द की वजह से
रंग में भंग होने लगता है।
【2】शरीर के सभी जोड़ों में तीव्र वेदना होती है।
【3】आलस्य व सुस्ती बनी रहती है।
【4】काम से उच्चाटन हो जाता है।
【5】बार-बार खट्टी डकारें आती हैं।
【6】चलने-फिरने, उठने-बैठने में भय होता है।
【7】उदर की नाड़ियां कड़क व जाम हो जाती हैं।
【8】शारीरिक क्षीणता व दोष उत्पन्न होते हैं।
【9】हड्डियां कमजोर होने लगती है।
【10】रस व रक्त की मात्रा कम हो जाती है।
【11】स्नायुओं में दुर्बलता आने लगती है।
【12】जोड़ों में भयँकर दर्द रहता है।
【13】अंगों का अकड़ जाना एवं
हाथ-,पैरों में टूटन होना
【14】सूजन,शिथिलता आने लगती है।
【15】हाथ-पैर एवं शरीर जकड़ने लगता है।
मौसम का असर
यह बदलता मौसम है,
ऐसे समय में ही वात व्याधियां ज्यादा
परेशान करती हैं। जब ठण्ड का सीजन
अलविदा होकर गर्मी आ रही हो, तो
निश्चित ही वात और वायु का प्रकोप
शरीर को छिन्न भिन्न करके जोड़ों को
कमजोर कर देता है।
आयुर्वेद की इसकी स्थाई चिकित्सा है
आँवला मुरब्बा,
सेव मुरब्बा,
सहजन छाल
शतावरी,
अश्वगंधा
रास्ना
वात गनजाकुश रस
वृहत वातचिन्तामनी रस स्वर्णयुक्त
योगेंद्र रस,
रसराज रस
अमलताश
अजमोद
आदि अदभुत असरकारी ओषधियाँ हैं,
जो 88 तरीके के वात रोगों को
जड़ से दूर करती हैं।
अमृतम द्वारा निर्मित
ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
ये दोनों दवाएँ 88 प्रकार के वातविकार
दूर करने में सहायता करती हैं
इन् दवाओं को 88 से अधिक
जड़ीबूटियों के घनस्त्व से निर्मित किया है।
इनमें वातनाशक मसाले, रस-भस्म, गूगल
का भी समावेश किया गया है।
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