Vish Kya Hai

विषमता ही विष है- एक व्यंग

जाने-  21 तरह के विष और
विषमता के बारे में पहली बार। 
एक बहुत ही रोचक ब्लॉग
◆ वृद्ध-बुजुर्ग आदमी के लिए युवा यानि
जवान पत्नी विष समान हो जाती है।
◆ इश्क में उलझे प्रेमी के लिए यादें विष हो जाती हैं।
आगे पढ़ें – कोंन किसके लिए विष है।
और
कैसे बनती है विष से विषम परिस्थियां 
जानेंगे इस अदभुत और रोचक लेख में
 
विष किसे कहते हैं-
विष वह होता है, जो किसी भी
सुख-शांति में बाधा उत्पन्न करे।
श्रीरामचरित्र मानस में कहा है कि-
विष-रस भरा कनक घट जैसे
मानव मन एवं तन दोनों में विष का भंडार है।
विष का वास विश्व में है। मन की अशान्ति
भी विष है, इसका इलाज बाबा विश्वनाथ
के पास है।
गुप्तचर विषकन्याएँ 
पुराने समय में राजा-महाराजा विषकन्या
रखते थे, जो जासूसी कर अपने राज्य के दुश्मनों को प्रेमजाल में फंसाकर चुम्बन यानि kiss द्वारा मौत की नींद सुला देती थी। विषकन्या वह स्त्री होती है, जिसे बचपन से जहर की कुछ मात्रा दी जाती है।
कोंन-कोंन है विषधर
शिव और नाग को विषधर कहा जाता है।
विष-विद्या के जानकार किसी का भी जहर उतारने में माहिर होते हैं। जैसे- वैद्य, सपेरे,
मन्त्रो के ज्ञाता।
विषनाशक बूटी
चिड़चिड़ा, नागकेशर जैसी जड़ीबूटियों के पास रखने से कभी विष का
दुष्प्रभाव नहीं होता।
विष तांत्रिक
तन्त्र-मंत्रादि शास्त्र के द्वारा विष उतारने
वाला अघोरी तांत्रिक। सिद्ध किये हुए “राहुमन्त्र” के द्वारा भी विष का प्रभाव कम किया जा सकता है, इसे हरमन्त्र यानि शिवमन्त्र भी कहते हैं।
हीराभूमिया का चमत्कार
विषबेल या विषगाँठ मिटाने के लिए कुछ लोग बाबा हीराभूमिया के नाम की भभूत लगाते है। ग्वालियर के रामदास घाटी, शिंदे की छावनी में स्थित हीराभूमिया मन्दिर में
भादों के महीने में हजारों लोग विषबेल कटवाने आते हैं।
आयुर्वेद के विष
आयुर्वेद में वच्छनाभ और संखिया ये दो प्रकार के खतरनाक विष बताये गए हैं।
विष का एक नाम जहर भी है।
नीलकंठ की जय हो-
 
जहर उगलने वालों से बड़ा, जहर
पीने वाला बताया है।
जहर ग्रहण करने के कारण ही भोलेनाथ को नीलकण्ठ भी कहते हैं।
नीलकंठ के स्वयम्भू शिव मंदिरों में
एक ऋषिकेश के पास, दूसरा दक्षिण के
कुम्भकोणम के पास है।
विषम का अर्थ है–
जो सम, समान या बराबर न हो।
जो दो से पूरी तरह बंट न सके।
विषम संख्या।
गाँव में गणित का एक बहुत पुराना खतरनाक सवाल,
जो आज तक उलझा हुआ है-
100 ऊंट-नो खूँट
ऊना-ऊना बांध दो
अर्थात 100 ऊंटों को 9 खूंटो
पर विषम संख्या में बांधना है।
ज्वर का जहर
विषम ज्वर एक प्रकार का खतरनाक बुखार।
कै प्रभात कै दुपहर आवै 
कै संध्या, अधिरात।
बायकम्प ज्वर स्वैद बियापै,
यही विषम ज्वर तात।।
शिव के लिए लिखा है कि-
“विषम गरल जेही पान किय”
प्रतिकूल, या विपरीत समय को
विषम काल कहते हैं।
विष्णुजी के लिये
विष्णुपुराण में लिखा है कि-
विष+अणु अर्थात विष्णु। यानि कि-
मानव मन में विषरूपी विकार का नाश
विष्णुजी के स्मरण से मिट जाता है। जब कभी बहुत नकारात्मक सोच बने, तो
!!ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!!
मन्त्र का जप करने से मन शांत हो जाता है।
कामवासना में उलझा आदमी विषम ही है
“विषयी को हरिकथा न भावा”
भोग-विलास काम यानि सेक्स की इच्छा या वासना दिनोदिन बढ़ती जाती है। जब इसमें वास न रहे, तभी व्यक्ति ध्यान की और बढ़ता है। कहा गया कि-
“विषय-वासना जा दिन छूटी”
ज्योतिष में विष
ज्योतिष का एक विष्कुम्भ योग –
जिसमें जन्मा व्यक्ति सांसारिक कम होता है।
कैसे हो जाता अमृत भी विष-
गुण-अवगुण इस बात पर निर्भर होता है कि
हम किसी भी वस्तु या पदार्थ का उपयोग
कब, कैसे और किस मात्रा में करते हैं।
हम किसी भी पदार्थ के व्यवहार या उपयोग से उसे विष या अमृत बना सकते हैं।
जैसे- आयुर्वेद ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के मुताबिक-
【१】घी और शहद, मधु यानी हनी बराबर मात्रा में मिलाने पर जहर हो जाता है।
【२】खाया हुआ आहार यानी भोजन ठीक से न पच पाने के कारण विष हो जाता है।
【3】संस्कृत का एक श्लोक है
“भोजनान्ते विषं वारी
अर्थात: भोजन के बाद पानी पीना विष पीने के बराबर है।
महर्षि वाघभट्ट ने 109 तरह के उदररोग यानि पेट के विकार खोजें हैं, जो कि भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से होते हैं।
अमृतम गोल्ड माल्ट– पेट की 100 से अधिक बीमारियों को दूर करने में कारगर आयुर्वेदिक औषधि है। एक बार अवश्य उपभोग करें।
तत्त्व-चिन्तामणि के अनुसार-
【४】अभ्यास न करने से विद्या तथा ज्ञान विष हो जाता है।
【५】वृद्ध के लिए युवा पत्नी विष हो जाती है।
【६】कड़वा बोलने से वाणी विष हो जाती है।
【७】विद्यार्थी के लिए आलस्य और अधिक निद्रा विष हो जाता है।
【८】तरुणी विधवा के लिए कामवासना विष हो जाती है।
【९】जवान पत्नी के लिए नपुंसक पति विष हो जाता है।
【१०】पत्नी के लिए सौतन विष हो जाती है।
वैसे राजा बालि ने सबकी घरवाली को वरदान दिया था कि- भोलेनाथ का दिया हुआ
वरदान, कलयुग में पत्नियों को फलित हो।
इसका असर यह है कि बड़े-बड़े सूरमा
जब घरवाली के सामने पड़ते हैं, तो उनका
आधा बल पत्नी के पास पहुंच जाता है।
फिर भी कोई दूसरी के चक्कर में रहता है,
तो वह बहुत हिम्मतवाला प्राणी है।
पत्नी के लिए एक पति ने 
दिल से लिखी सच्ची शायरी..
नस-नस मे हो- बस, वश में नही हो!
【११】पत्नी यदि कर्कशा एव कुलटा हो, तो पति के लिए विष हो जाती है।
【१२】अति भोग-विलास, सेक्स स्त्री-पुरुष के लिए विष हो जाता है।
【१३】कर्ज में डूबा पिता,  पुत्र के लिए विष हो जाता है।
【१४】मूर्ख और अलसी शिष्य गुरु के लिए विष हो जाता है।
【१५】निर्धन के लिए ज्यादा महत्वकांक्षी होना विष हो जाता है।
【१६】अति हर चीज की खराब होकर विष हो जाती है।
【१७】किसी के साथ अति-अन्याय, दगा करना,  विष हो जाता है।
【१८】रोगी के लिए नशा विष हो जाता है।
【१९】दोस्ती में लेंन-देंन विष हो जाता है।
ध्यान देवें-
मित्र में इत्र तभी महकता है, जब दोनों
के चित्र और चरित्र साफ-सुथरे हों।
ढूंढ तो लेते, उन दोस्तों को 
हम भी शहर में …
भीड़ इतनी भी न थी, ..
पर रोक दी..तलाश हमने, क्योंकि ..
.वो खोये नहीं थे, बदल गये थे।
【१९】ईमानदार के लिए दुष्ट बेईमान व्यक्ति विष हो जाता है।
【२०】किसी का अधिक अनावश्यक
 भला या कल्याण करना विष हो जाता है
विचार हैं कि-
 इस शहर के लोगों में वफ़ा ढूँढ रहे हो,
तुम जहर कि शीशी में दवा ढूँढ रहे हो..!!
【२१】जवानी के दिनों में युवाओं के
लिए मोहब्बत विष हो जाती है।
■ किसी शायर के दिल का दर्द देखो-
 ज़हर से ज्यादा खतरनाक है ये मुहब्बत
ज़रा सा कोई चख ले, तो मर-मर के जीता है।
 
■ मोहब्बत में मात खाने वाले कहते हैं-
संग दिल को संग लेकर, 
संग दिल के संग गए,
जिसका दिल था संगमरमर
उसके संग मर-मर गए।
 
■ मेरी निजी सलाह यही है कि-
कभी भूल के भी मत जाना,
मोहब्बत के जंगल में,
यहाँ साँप नहीं,
हमसफ़र डसा करते हैं।
 
■ कुछ दिलजले जलकर लिखते हैं-
 तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर,
मुझे जहर लगता है, तेरा औरों से बात करना
पेड़ की की छाया चाहिए, तो वृक्षारोपण
करें, इस मुगालते में मत रहो कि-
एक मुट्ठी इश्क़ बिखेर दो
इस ज़मीन पर..
बारिश का मौसम है शायद 
मोहब्बत पनप जाए।
 
■ फिर, तुम्हारे एहसान को कोई मानने वाला भी नहीं है- चाहें कर लो लाख उपाय-
मेरे इश्क़ से मिली है,
तेरे हुस्न को ये शौहरत!
तेरा ज़िक्र ही कहाँ था,
मेरी दीवानगी से पहले!!
 
■ सही समय पर सही सलाह से बहुत
फायदा होता है, नहीं तो एक दिन सिर पकड़कर कहोगे:-
कितने पीर, बाबा.. तांत्रिक बदले,
पर तेरा साया.. मेरे सर से नहीं जाता ..
(चुड़ैल कही की)….
■ कुछ लोग इश्क में ठोकर खाकर ठाकुर
बन जाते हैं, तो कुछ बेहद जिद्दी हो जाते हैं, उनके विचार जाने-
न मैं शादी करूंगा,
न अपने बच्चों को करने दूंगा!
 
■ देखा जाए, तो सबके जीवन में एक बार अप्सरा जरूर आती है। भले ही वो
पेंसिल के रूप में आये।
■ सावन का महीना आने वाला है, इसलिए
कुंआरों को विशेष सलाह
प्रेम पत्र को छोड़कर
बेलपत्र पर ध्यान दें,
जल्दी बारात लग जाएगी।
 
■ करना ही है, तो देश से प्रेम करो
इश्क में कुछ भी फिक्स नहीं है।
शुरू में घाटा, बाद में डाल आटा
इसके अलावा कुछ भी नहीं है।
■ सफलता के लिए
■ अपने विचार से प्यार करो,
■ व्यापार से प्यार करो,
■ परिवार से प्यार करो,
या
■ फिर सब कुछ देने की कुब्बत रखो।
जीवन में ऐसा भी होता है कि-
वो कहती थी बहुत
पसंद” है…मुझे
मुस्कराहट” तुम्हारी…
बस “फिर” क्या था,
“छीन” के ले गई..।।
कभी कहती लिखते
बहुत अच्छा हैं आप,
कहकर ये सारे शब्द
‘बीन’ कर ले गई।
■ ध्यान रखों अकेले जीना सीखो।
याद में खाद मिलाकर उसे बढ़ाओ नहीं
क्योंकि-
अकेले आये थे और 
अकेले ही जाना है,
फिर साला अकेला
 रहा क्यूँ नहीं जाता।
 
■ अंतिम निष्कर्ष.….
यह एक हास्य-व्यंग्य लेख है, इसे बहुत
गम्भीरता से न लेवें-
मेरा मानना है और अनुभव भी कि-
प्रेम मत करो, 
आत्महत्या के कई औऱ भी नायाब तरीके हैं । प्रेम सफल, तो आदमी तबाह, 
प्रेम असफल, तो जीवन तबाह
प्रेम सफल का मतलब होता है-प्रेम विवाह ।
एक बार कर लिया, तो पूरा जीवन मांग
औऱ पूर्ति में उलझ कर पूरा जीवन तबाह हो जाता है ।
माँग, तो वह खुद भर लेती है,
लेकिन हर चीज की
पूर्ति करते-करते प्रेमी हो या पति के प्राण निकल जाते हैं ।
आदमी न अर्थशास्त्री बन पाता है और न ही अनर्थ शास्त्री। सारे शास्त्र आँसुओं की सहस्त्रधारा में बह जाते हैं।
■ असफल प्रेम के दुष्परिणाम-
प्रेम यदि असफल हो, तो जीवन तबाह  का अर्थ है कि
प्रेमिका की याद में पूरा जीवन
व्यर्थ-व्यतीत होकर केवल अतीत
बचता है। उसकी याद ही याद में दिल व दिमाग में मवाद पड़ जाता है।
उसकी याद का बेहिसाब खाता सब वाद-विवाद से दूर रखता है।
न खाने का मन, 
न पखाने का।
न रोने का, न गाने का। 
जमाने का डर पहले ही निकल 
चुका होता है।
वो किस समय,क्या कर रही होगी,
इसी ऊहापोह में समय कट जाता है ।
सावन का महीना आया कि
वह विचार करता है कि
घिर के आएंगी, घटाएँ फिर से सावन की,
 तुम,तो बाहों में रहोगे, अपने साजन की।
 
 ■ प्रेमी या पति के लिए प्रकृति हो या पत्नी (प्रेमिका) इनकी प्रसन्नता ही सब सम्पन्नता प्रदान कर सकती है ।
इन्हें पाने औऱ न पाने दोनो का दुख रहता है ।
क्योंकि ये बांधकर रखना चाहती हैं, जो आदमी की फितरत से परे है।
■ दर-दर भटकना,
कहीं भी अटकना आदमी की आदत है । लेकिन संसार का आनंद इन दोनों
की गोद में है। आदमी की आकांक्षा और आशा आकाश छूने की रहती है।
व्यक्ति फैलना चाहता है, विस्तार चाहता है ।
■ किसी-किसी स्त्री की सोच अपना “चप्पा” (पति) अपना “नमकीन” (बच्चे) औऱ थोड़ी  सी “बर्फ” (कुछ रिश्तेदार) इन्हीं में रिस-रिस कर, रस-रस कर, रच-रच कर पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है।
हर किसी को आसमान छूने का प्रयास करना चाहिए। हमारे सपने ही हैं,जो आसमां से भी बड़े होते हैं।
 केवल सपने ही अपने होते हैं ।
  “हमें हर हाल में सफल होना है”
■ यही मन्त्र हमारे दुर्भाग्य और कालसर्प को दूर करने में सहायता करता है ।
■ दिन-रात की मेहनत से ईश्वर भी एक दिन
 नतमस्तक हो जाता है। यही विश्वास विश्व में
  प्रसिद्ध कर, हमें■ विश्वनाथ, भोलेनाथ से  मिलवा सकता है ।
  अपने मनोबल को सदा बढ़ाये रखो।
  इसी बल के बुते हम दरिद्रता रूपी दल-दल
  से बाहर निकल पाएंगे ।
  प्रेम ईश्वर से हो या अन्य किसी से उसकी याद, स्मरण हमें हर क्षण-हर रण में लड़ने की शक्ति देता है।
  उस “प्रेम की प्रतिमा” का भोलापन, सरलता, सहजता आपको हमेशा प्रेरित करेगी, प्रेरणा देगी।
  प्रेम ऐसा हो कि-मरने के बाद भी घर-घर आपकी “फ्रेम” फ़ोटो लग जाए।
  जैसे राधा-कृष्ण की ।
  बस हमें समर्पण करना आना चाहिए।
उसे संवारना है, बस, उसे ही ऊंचाई
की औऱ उठाना है।
 किसी का पूरा ध्यान रखा, खुश रखा, मन को हल्का किया कि उसके नयनों से एक दिन
आंसू, तो झलक ही जाएंगे ।
किसी की जिंदगी बदलना ही सच्चा प्रेम है।
 एक बार किसी का “सारथी”
  बनकर, तो देखो। लेकिन हम स्वार्थी बनकर, उसके विश्वास की अर्थी निकाल देते हैं।
 तन और मन के अलावा क्या है किसी के पास देने को।
उसका समर्पण, अपनापन, उसका प्यार
 जीवन सँवार देगा ।
  लेकिन क्या करे, इस टेक्नोलॉजी के युग में
  सब विचित्र तरीके से बदल रहा है।
नजरों को बदलो-नजारे बदल जाएंगे….
अब लोगों की निगाहें
ब्रा पर ज्यादा हैं
वृक्ष पर नहीं।
  अपने को बदलने का प्रयास करो, निःस्वार्थ
  प्यार नहीं कर सकते हो, तो पेड़ लगाओ,
  प्रेमिका के नाम से किसी का जीवन नष्ट न
  करो। उसकी रक्षा करो। केवल एक बार
  प्रकृति हो या अन्य उससे सच्ची लग्न लगाकर देखो ।
  यदि दिल दर्द, से बचाकर “मर्द” बनना चाहते हो, तो ये करें-
दिल लगाने से अच्छा है,
पौधे लगाओ,
ये घाव नहीं, छांव देंगे।
 जब बहुत परेशान हो जाओ, कोई रास्ता न सूझे, तो महादेव को ही अपना गुरु बनाकर सही मार्गदर्शन लेवें-
 या फिर किसी अनुभवी से पूछो…
“कोई हुनर , कोई राज , कोई राह ,
कोई तो तरीका बताओ….
दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न ,
कोई रूठे भी न ,सिर फूटे भी न,
कुछ लुटे भी न, और ज़िन्दगी गुजर जाए।”
यह ब्लॉग विष और विषम परिस्थितियों
से रक्षा करेगा। विष के बारे में ग्रन्थ-शास्त्रों
की भी कुछ सलाह है। माने तो ठीक-
कष्टंचखलु मूर्खत्वं कष्ट च खलुयौवनम्। कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम् ॥
अर्थ :-
मूर्खता विषदायी कष्ट है, यौवन भी विष है,
लेकिन घर-परिवार छोड़कर दूरों के घर में रहना विषम और विषयोग है।
माताशत्रुः पितावैरी येनवालो न पाठितः।
 न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा॥
अर्थात…जो माता-पिता अपने बच्चों
 को नहीं पढ़ाते, उनसे बड़ा शत्रु इस
प्रथ्वी पर दूसरा कोई नहीं है।
अज्ञानी आदमी हंसों में कौए की तरह होता है।
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्। वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्॥
यानि कि–
पीठ पीछे काम बिगाड़ने वाले तथासामने
मीठा बोलने वाले ऐसे मित्र दूध के घड़े में
रखे हुए विस्माह की तरह होते हैं, इन्हें तुरन्त त्यागे।
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्। मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ॥
अर्थात…..
मन में सोचे हुए कार्य को मुंह से बाहर नहीं निकालना चाहिए। गुरुमन्त्र की तरह गुप्त रखकर उसकी रक्षा करनी चाहिए।
अन्यथा वह अमृतः की जगह विषदायक
होता है। किसी भी कार्य को गुप्त
रखकर ही करना भी चाहिए।
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥
अर्थ…..
मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर, दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- रोगियों के बीच में लगातार रहने पर ज्ञानी पुरुष भी दुःखी हो ही जाता है।
अभी बहुत से रोचक लेख देना बाकी हैं।
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अब विष का विसर्जन करते हैं यह कहकर कि-
कथा विसर्जन होति है,
सुनो वीर हनुमान

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