भारतवासी विटलिगो को ल्युकोडर्मा,
सफेद दाग, कुष्ठरोग, कोढ़ एवं त्वचा
की सड़न के नाम से जानते हैं।
एक खतरनाक त्वचारोग ल्युकोडर्मा…
ल्युकोडर्मा, कोढ़, सफेद दाग, जिसे
चिकित्सा विज्ञान में विटिलिगो कहते हैं।
यह सब जीवन के लिए बहुत जरूरी है-
चेहरे का रंग-जीने का ढंग...
अमरीका में त्वचा रोग सम्बंधित
ल्युकोडर्मा, विटलिगो,
एवं पेशी कंकाली एवं चर्म रोग
राष्ट्रीय संस्थान के अनुसार
लगातार लिवर की कमजोरी,
असंतुलित त्रिदोष,
अल्सर, घाव, सड़न,
शरीर पर बड़े-बड़े ददोरे,
दमा, त्वचा-रोग या पाचन से जुड़ी
तकलीफों को बढ़ा सकता है, या
फिर इन बीमारियों का कारण बन
सकता है।
ल्युकोडर्मा, विटलिगो, सफेद दाग जैसे
स्किन डिसीज और फाइब्रोमाइऎलजिया
के मरीज़ों को प्रतिदिन व्यायाम, ध्यान,
योगा के साथ-साथ त्वचारोग नाशक आयुर्वेदिक ओषधियों का सेवन भी
करते रहना चाहिए।
त्वचा रोगों को रोकने के लिए
स्किन की माल्ट एवं
स्किन की ऑयल
स्किन रक्षक सबसे बड़ी दवा है।
कैसे पनपता है ल्युकोडर्मा/विटलिगो…
मनुष्य की देह मइन जब रोगप्रतिरोधक
क्षमता अर्थात इम्युनिटी बूस्टर ऊतक
(टिस्यू) स्किन का रंग बनाने वाले ऊतकों
के विरुद्ध कार्य करते हुए, उन्हें नष्ट करने
लगते हैं। इस वजह से व्यक्ति की त्वचा
का कलर सफेद होने लगता है।
दरअसल यह त्वचा से संबंधित एक रोग है।
विटलिगो होने कारण…
गलत खानपान, आहार-विहार,
वायु प्रदूषण, गम्भीर लाइलाज रोग,
संक्रमण के कारण दुनिया में विटलिगो
यानि सफेद दाग से पीड़ितों की संख्या
में दुगनी गति से इजाफा हो रहा है।
ल्युकोडर्मा बीमारी के 4 लक्षण…
【१】आमतौर पर यह सूर्य के प्रकोप से
पनपने वाली बीमारी है।
【२】त्वचा पर छोटा सफेद दाग होने
के बाद, शरीर का वह हिस्सा जिस पर
सीधे सूर्य की रोशनी पड़ती है। वहीं से
फैलता जाता है और समय के साथ
विटलिगो बढ़ता जाता है।
【३】ल्युकोडर्मा से पीड़ित मरीज के
सफेद दाग पर हल्की सी खरोंच या
चोट लगने से सफेद दाग तेजी से
फैलने लगता है।
【४】विटलिगो मरीज के दर्द, पीड़ा
और खुजली भी नहीं होती, लेकिन
जब धूप में आते हैं, सफेद दागों पर
जलन होना शुरू हो जाती है।
बालों की बर्बादी की वजह है-विटलिगो…
ल्युकोडर्मा की बीमारी के कारण
नर या नारी के बाल असमय सफेद
होने लगते हैं। बालों का समय से
पहले सफेद होना एक गम्भीर
समस्या रोग मन जरूर होती है।
ल्युकोडर्मा देता है-तनाव...
सफेद दाग से प्रेषण लोग मानसिक
तनाव से घिरकर कभी-कभी
अवसादग्रस्त हो सकते हैं।
कुछ अमृतम आयुर्वेदिक उपचार..
घरेलू इलाज द्वारा विटलिगो से राहत
मिल सकती है। देशी दवाओं के उपयोग
से सफेद दाग की समस्या का निवारण
किया जा सकता है।
■ नीम की पत्ती, करंज, बाकुची पत्र,
कालीमिर्च, नागकेशर, सेंधा नमक एवं
समुद्र फेन पीसकर का पेस्ट बनाये और
सफेद दाग वाली जगह पर सुबह धूप में
बैठकर लगाएं। जब पूरी तरह यह पेस्ट
त्वचा में समाहित होकर सूख जाए, तब
इसे सादे जल से धोकर अमृतम कम्पनी
द्वारा निर्मित स्किन की तेल धीरे-धीरे लगाएं।
■ यह दवा भी आजमाएं…
रक्त या खून साफ करने के लिए
स्किन की माल्ट 3 महीने तक दूध
या जल के साथ लेवें।
इन उपायों से खून साफ होगा और
सफेद दाग के साथ त्वचा की सारे रोग
खत्म होने लग जाएंगे।
■ बथुआ केई भाजी-सब्जी अवश्य
खाएं।बथुआ उबाल कर उसके पानी
से शरीर के सफेद दाग को धोएं।
■ प्रतिदिन अखरोट गरी जरूर खाएं।
सफेद दाग में काफी फायदेमंद है।
अखरोट की विशेषता यह है कि छितरी
या सफेद पड़ चुकी त्वचा को सामान्य
करने में सहायता करता है।
■ रोज रात में सोते समय सफेद दाग
के स्थान पर अमृतम कुम-कुमादि
तेल हल्के हाथ से लगाएं, जिससे सूक्ष्म ल्युकोडर्मा कृमियों का नाश हो सके।
■ अदरक के चमत्कार….
!~ प्रतिदिन सर्दी के मौसम में अदरक
का 2 से 3 मिलिलीटर रस में सेंधा नमक
मिलाकर सुबह खाली पेट लेवें।
!!~ अदरक के एक टुकड़े को खाली पेट
चबाकर उसका रस सफेद दाग पर लगाएं।
इन उपायों से भी मिलेगा आराम…
■ सूर्य की उपासना, ध्यान करें।
■ अपने पूर्वजों, पितरों से अपने प्रारब्ध
एवं पापों का प्रायश्चित कर क्षमा मांगे।
■ अंधे, अपाहिजों की सेवा करें।
■ छल-कपट बेईमानी कतई न करें।
■ किसी का दिल न दुखाये।
■ जब भी समय मिले, किसी शिवालय की साफ-सफाई जरूर करें।
■ रविवार को नंदी-साढ़ बकरी को
मीठी रोटी अवश्य खिलाएं ।
परहेज, सावधानी…
@ मधु, शहद, मीठी वस्तु का उपयोग
कम से कम करें।
@ अरहर की पीली दाल न खाएं।
@ रात को दही का उपयोग न करें।
@ कभी भी नमकीन दही न लेवें।
@ स्किन की माल्ट का सेवन करें और
स्किन की आयल दागों पर लगाएं…
त्वचा शरीर का सबसे बड़ा तंत्र है।
यह सीधे बाहरी वातावरण के सम्पर्क
में होता है। इस वजह से हमारी स्किन
सदैव संक्रमित होती रहती है। इसलिए
अमृतम द्वारा निर्मित
स्किन की माल्ट को अपने भोजन
का अंग बनाकर खातें वक्त एक
चम्मच जरूर लेवें।
स्किन की ऑयल और स्किन की माल्ट
यह अमृतम के बहुत विशेष उत्पाद हैं।
सफेद दाग, ल्युकोडर्मा यानि विटलिगो
आदि त्वचा विकारों को मिटाने वाली खास
आयुर्वेदिक करने दाद, खाज, खुजली का
अंतिम इलाज अथवा आखिरी उपाय है।
आयुर्वेद की हजारों वर्ष प्राचीन विश्वसनीय जड़ीबूटियों जैसे-बाकुची, मजिंष्ठा, दारुहल्दी, शुद्ध गंधक, नीम, करजं तेल से बना एक प्रमाणित आयुर्वेदिक त्वचारोग नाशक तेल है।
स्किन की ऑयल के फायदे…
पित्त या शीत उभरना, सूखी खुजली,
रांगो या गुप्तांग की खुजली, सूखा एग्जिमा, खुजली के निशान, दाग-धब्बे मिटाकर
यह त्वचा निखारता है।
यह सबके लिए गुणकारी है।
तत्काल लाभ के लिए स्किन की माल्ट
का 3 से 6 महीने तक लगातार सेवन करें।
यह शरीर के सभी रक्त दोषों को दूरकर
खून साफ करता है।
पैकिंग Skin key oil
100 ml ₹- 799/
स्किन की माल्ट
400 ग्राम ₹-1199/-
स्किन की ऑयल का फार्मूला…
प्रत्येक 10 मिलीलीटर में…
Manjishtha 250 mg
Annatmool 150 mg
Bakchi 150 mg
Chameli 125 mg
Daruhaldi 125 mg
Khadira 125 mg
Chakramard 125 mg
Harad 100 mg
Baheda 70 mg
Amla 70 mg
Kali mirch 70 mg
Kapoor 70 mg
Suddha gandhak 50 mg
Neem 1 ml
Karanj 1 ml
Chalmogra oil 1 ml
Arand oil 5 ml
Narial oil 2 ml
Sugandhit drav q.s.
स्किन की माल्ट में करौंदा मुरब्बा
विशेष कारगर ओषधि है। इसके
अलावा स्किन की माल्ट में आंवला
मुरब्बा, हरीतकी, निम्बादी चूर्ण,
त्रिफला एक्सट्रेक्ट, बाकुची अर्क
आदि का समिश्रण किया है, जो
कब्जियत नहीं होने देता।
शरीर से पित्त को सन्तुलित कर
इम्युनिटी तेजी से बढ़ाता है।
रोगाधिकार–
★ सफेद दाग,
★ त्वचा के संधिशोथ,
★ अनेक तरह के चर्म रोग
★ त्वचा का रूखापन
★ त्वचाशोथ
★ घमौरी
★ दाद-ददोरे,
★ त्वचा की सड़न
★ खाज-खुजली(स्कैबी)
★ कुष्ट रोग
★ फोड़ा-फुंसी
★ एड़ियों की बिवाई
★ छाजन
★ चकत्ते
★ बालों में रूसी, डेन्ड्रफ
★ छाल रोग (सोरायसिस)
★ त्वचा का रंग बदलना।
आदि त्वचारोगों को दूर करने में सक्षम है।
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इम्युनिटी बढ़ाने की दवा
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