हेडफोन-इयरफोन के 5 खतरनाक नुकसान क्या हैं।

इयरफोन को हिंदी में कर्ण संवाद यंत्र कहते हैं।

इयरफोन या हेडफोन का लगातार उपयोग आपको भरा बना सकता है।

इससे कर्ण अस्थियां गलने लगती हैं। मन दूषित रहता है।

कहा गया है कि-

अति भली न बरसना अति भली न धूप।
अति भली न बोलना अति भली न चुप॥

अति का अर्थ है अधिकता या किसी वस्तु का ज्यादा उपयोग करना।

अति चाहे वह अवगुणों की हो अथवा सदगुणों की।

इसलिए अति को त्यागना ही श्रेष्ठ होता है।

कानों के दुश्मन है इयरफोन….

इयरफोन की खोज भीड़ से बचने के लिए की गई थी।

ज्यादा तेज बाहरी आवाज के माहौल में आप मोबाइल पर आसानी से बात कर सकें या चलती हुई कार में अपने काम को निपटा सकें।

इयरफोन का सही उपयोग यही था। परंतु युवाओं ने इसे मनोरंजन का साधन बना दिया।

ध्यान रखें-उपकरण का अत्याधिक उपयोग भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

दिमाग कचराघर बनने लगता है। उपकरण से इंसान आत्मा की शरण में जाने से चूक जाता है,

जो कि शांति पाने का सर्वश्रेष्ठ स्थान है।

कभी गौर करें हार्ट- HEART की अंग्रेजी में EAR शब्द गुम्फित है।

इसका मतलब है कि हम जो भी कान/Ear से सुनते हैं, वह सब हमारे ह्रदय में एकत्रित होता जाता है।

हमारे सुनने-सुनाने से तन-मन तथा हृदय प्रभावित होता है।

इयरफोन से होने वाले 5 नुकसान….

【1】हेडफोन या इयरफोन कान में लगाकर तेज सुनने से कान की हड्डियां गलने लगती है,

जिससे भविष्य में सुनने की क्षमता में कमी आने लगेगी।

कानों के अंदर गुंजन या तेज ध्वनि को टिन्नीट्स कहते हैं।

इसमें कर्ण के अंदरूनी भाग में लगातार भिनभिनाने, फुसफुसाने या सीटियों की आवाजें आती हैं।

हेडफोन का ज्यादा उपयोग सिर में सूजन एवं भारीपन पैदा कर सकता है।

कम आवाज में कम समय के लिए या किसी विशेष कार्य के लिए इसे अपनाएं। आदत न बनाएं।

【2】कान के अंदर के पर्दे को इयर कहते हैं।

इसमें असँख्य नाड़ियां, नसें, कोशिकाओं का सूक्ष्म समूह होता है।

इनका सम्बन्ध हमारे दिमाग की रक्त वाहिनियों, तंत्रिका-तंत्र से बना रहता है।

तेज आवाज में उसकी कम्पन्नता दवाब के साथ इयर ड्रम से टकराकर कर्णरोग की दिक्कतें खड़ी करने लगती है।

【3】हेडफोन या इयरफोन कौनसा सुरक्षित…

एक रिसर्च के अनुसार इयर फोन कान के अंदर रहता है।

इस वजह से कम्पन्न की कान के पर्दे से दूरी कम रहती है।

हेडफोन कान के ऊपर ढक जाता है तथा कान की रक्षा भी करता है।

यह ज्यादा सुरक्षित है।

【4】इयरफोन या हेडफोन का उपयोग आवश्यकता होने पर ही करें।

इसजे शोक न बनाएं। अगर वर्चुअल मीटिंग करते हैं, तो हेडफोन का ही इस्तेमाल करें।

एक बार में 40 से 50 मिनिट तक ही यह यपयोगी है।

【5】इयर फोन या हेडफोन की आवाज को मध्यम ही रखें।

अचसहि कम्पनी का साफ आवाज वाले ही काम में लेवें।

चार्जिंग करते से इनसे बचें।

पति-श्रीमती के अति का गणित

अति करने से मति यानि बुद्धि खराब होने लगती है।

हालांकि पति की मति खराब करने में श्रीमती कभी कोई कसर नहीं छोड़ती।

एक वक्त ऐसा आ जाता है कि- हर पति की सोच अंत में यति (साधु) की तरह होने लगती है।

मन की शांति के लिए इसे सुने…

https://youtu.be/3TcPemTaMeo

संस्कृत का प्राचीन और प्रसिद्ध श्लोक है

!!अति सर्वत्र वर्जयेत्!!

!अति सर्वदा परित्यक्तव्यम्।

अर्थात- अति हर चीज की बुरी होती है। अति से सावधान रहें। इसका परिणाम हमेशा हानिप्रद होता है।

आजकल लोग हल्दी, अदरक, नीम, करेला रस बहुत अधिक मात्रा में सेवन कर रहे हैं,

जबकि दिन भर में इनकी मात्रा 1 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

आयुर्वेद के अनेकों ग्रन्थ द्रव्यगुण विज्ञान, आयुर्वेद चन्दोदय आदि में हरेक प्राकृतिक जड़ीबूटियों की मात्रा कम से कम निर्धारित की गई है।

एक फूंकने या गुब्बारे में यदि उसकी क्षमता से ज्यादा हवा भरने की कोशिश करेंगे तो वह फट जाएगा।

गुड़ की एक छोटी सी ढेली का स्वाद सबको अच्छा लगता है

लेकिन उसी गुड़ के एक छोटे से टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदल कर उसका रस-पान किया जाय तो वही शरीर में विकार उत्पन करता है।

अति के कुछ दुष्परिणाम, उदाहरण…

अतिदर्पे हता लंका; अतिमाने च कौरवा!

अतिदाने बलिरवर्धा; सर्वअतिगहिरतम्!!

अर्थ है कि-अधिक दर्प (अहंकार) से लंकाधिपति दशानन रावण की मृत्यु हुई।

अधिक अभिमान से कौरव वंश का नाश हुआ। अधिक दान करने से राजा बलि का बर्बाद हुआ।

अतः अति या अधिकता दिखावा करने से बचे।

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