डिप्रेशन का सार केवल मस्तिष्क पर नहीं, शरीर के बाकी अंगों पर भी होने लगता है।
थकावट बनी रहती है।
ददडिप्रेशन से पीड़ित लोग जल्दी आहत हो जाते हैं। हर बात को अपने ऊपर लेने की सोच बन जाती है।
शरीर में दर्द, मन दुखी रहना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, थकान महसूस होना और आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है।
मनुष्यों का मस्तिष्क अखरोट मेवा की तरह होता है, इसमें बादाम जैसी कुछ कोशिकाएं होती हैं। इसलिए यह दोनों खाने से दिमाग तेज होने लगता है।
अमॄतम द्वारा निर्मित “ब्रेन की गोल्ड माल्ट” BRAIN KEY Gold Malt का यह मुख्य घटक है।
अवसाद के कारण पीठ दर्द, कमरदर्द, थायराइड, नींद न आना, क्रोध जैसी समस्याओं का अम्बार लगने लगता है।
2011 में प्रकाशित गेस्ट्रोलॉजी, & हेप्टोलॉजी फ्रॉम बीएड तो बेंच शोध के मुताबिक-अवसाद और गेस्ट्रो इंटेस्टाइनल दर्द का सम्बंध भी अवसाद से है।
मेटाबॉलिज्म कमजोर होना, पाचनतंत्र का खराब होना, घबराहट-बेचैनी, और दिमाग मे अस्थिरता से सीधा सम्बन्ध रहता है।
बॉटन्स मैसाच्युसेट्स जर्नल हॉस्टिट्ल के एक अनुसन्धान में बताया कि व्यक्ति स्वयम ही डिप्रेशन अपने अंदर पैदा करता है। यह बाहर से नहीं आता।
विचित्र तरह के नुकसान—
आलस्य, कुछ न करने का मन, मनोबल गिर जाना, नकारात्मक विचारों से घिरे रहने के कारण डिप्रेशन की उत्पत्ति होती है। अवसाद को खुद के प्रयास से, ध्यान, कसरत, व्यायाम आदि ही दूर किया जा सकता है
डिप्रेशन के कारण पित्तदोष अंसतुलित होने लगता है।
अवसाद होने पर पेट दर्द, शरीर में सूजन, भूख न लगना, ऐंठन, मतली से मन बने रहना। मानसिक कमजोरी का भी लक्षण हो सकता है।
आयुर्वेद में है आशा की किरण—
जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजिकल साइंस 2015 में एक बहुत ही जबरदस्त खोज हुई। इस शोध से पता लगा कि आयुर्वेद की जड़ीबूटियां जैसे- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, मॉलकांगनी, स्मृतिसागर रस, स्वर्ण भस्म, जटामांसी, अश्वगंधा, शतावर, चन्दन, रक्तचन्दन, भृङ्गराज, मॉलकांगनी, केशर, अर्जुन, नागरमोथा, मुलेठी, अगर, आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा, हरीतकी , गुलकन्द, द्राक्षावलेह, गुलाब, त्रिकटु, सारस्वतारिष्ट, ब्राह्मी वटी, बादाम, अखरोट आदि कुछ विशेष ओषधियों से निर्मित दवाएं मस्तिष्क एवं मनोरोगों में अत्यन्त प्रभावशाली है।
अमृतम ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं अमृतम ब्रेन की गोल्ड टैबलेट उपरोक्त ओषधियों से निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा है। इसे तीन से महीने नियमित लेवें, तो दिमाग को शांत कर अनेक मनोविकार मिटा देती है।
विश्व के अनेक देशों में इनका बहुत प्रचलन बड़ा है और अवसाद पीड़ितों को बहुत फायदा भी हुआ है।
सबसे खुशी की बात यह है कि अब दिमाग को तेज करने के लिए दो वर्ष के बच्चों को उपरोक्त ओषधियों से निर्मित योगों का सेवन शुरू कर रहे हैं। साथ में बच्चों की मालिश पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो प्राचीनकाल में भारत की परंपरा थी। अभ्यंग से हड्डियां मजबूत हो जाती है।
2017 में साइक्रियाटिक टाइम्स में प्रकाशित खोज से ज्ञात हुआ कि शरीर में चिकनाहट की कमी होने दिनोदिन याददाश्त कमजोर होती जाती है। यह भी अवसाद या डिप्रेशन की एक वजह है।
मानव मस्तिष्क और चक्रव्यूह की संरचना बिल्कुल एक जैसी है। इस चक्रव्यूह में जो एक बार उलझ गया, उसका मरना निश्चित है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल 2011 में छपी एक रिसर्च के हिसाब से ज्यादातर लोग देह के सभी हिस्सों को भोजन, प्रोटीन, विटामिन्स पहुचाते हैं।
पेट भरने के लिए हम खाना खाते हैं, परन्तु मस्तिष्क वाहिनियों को मजबूत बनाने के लिए ज्यादातर लोग कोई उपाय नहीं करते। हमें बचपन से ही बच्चों को बुद्धिवर्धक प्राकृतिक ओषधियाँ खिलाना चाहिए। दिमाग को तेज-तर्रार तथा धारदार बनाने का बस यही एक उपाय है।
विदेशियों को बहुत भा रहा है आयुर्वेद-
भारत के लोग आयुर्वेद के चमत्कारों पर इतना भरोसा नहीं करते, जबकि विदेशों में विश्वास बढ़ता ही जा रहा है और आज हिंदुस्तानी नेचुरल मेडिसिन की भारी मांग और खपत है। अमृतम के सभी 125 उत्पादों की लगभग 45 देशों में भारी मांग है।
जर्मनी की डॉ नैना बजरिया बता रहीं है-
ब्रेन की गोल्ड माल्ट के गुण एवं फायदे। देखें पूरा वीडियो
अमॄतम का सर्वाधिक बिकने वाला सौंदर्य उत्पाद फेस क्लीनअप भी विदेशों में बहुत बिक रहा है।
आयुर्वेद के नियमानुसार देह में त्रिदोष के प्रकोपित होने से अनेक त्वचा रोग पनपने लगते हैं। अतः त्रिदोष की चिकित्सा जरूरी है।
असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने के लिए यह अंग्रेजी की किताब आपकी बहुत मदद करेगी। इसमें उपाय भी बताएं। अपनी लाइफ स्टाइल बदल कर सदैव स्वस्थ्य रह सकते हैं। केवल ऑनलाइन उपलब्ध है- सर्च करें-amrutam
अमृतम ग्लोबल की वेबसाइट पर सर्च करके आप आयुर्वेद के जाने-माने योग्य स्त्री-पुरुष रोग विशेषज्ञ आदि चिकित्सकों से ऑनलाइन सलाह ले सकते हैं।
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