सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निजी तस्वीरें, वीडियोज, आलेख और अन्य फाइल्स जैसी शेयर किया गया पोस्ट डिजिटल संपत्ति का रूप है।
अब बड़ा सवाल है कि डिजिटल
प्लेटफार्म के उपयोगकर्ता और हममें
से कुछ लोग विचार करते हैं कि
हमारे मरने के बाद हमारे डिजिटल
खातों का क्या होगा।
ज्यादातर मानते हैं कि अकाउंट निष्क्रिय पड़ा रहता होगा क्योंकि शायद यूजर
के साथ उसका पासवर्ड भी हमेशा
के लिए खो चुका है, लेकिन ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया साइट्स खुद किसी
यूजर की मौत की जानकारी मिलने पर ऐक्शन लेती हैं और अकाउंट में
कुछ बदलाव करती हैं।इसके लिए कई ऑप्शन्स भी इन साइट्स पर दिए गए हैं। इन सेटिंग्स की मदद से आप भरोसेमंद
साथी या अपने वारिस को यह अधिकार दे सकते हैं कि वह आपकी मौत की सूचना संबंधित साइट पर दे सके।
एक अनुमान के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर प्रतिदिन 10,000 लोग मर रहे हैं। कोरोना काल में यह आंकड़ा और भी अधिक होगा।
इस सदी के अंत तक फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा वर्चुअल कब्रिस्तान होगा, क्योंकि यहां जिंदा लोगों से ज्यादा मरे हुए लोगों की प्रोफाइल होगी।
फेसबुक विभिन्न सोशल मीडिया
प्लेटफॉर्म्स में से सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है। करोड़ों उपयोगकर्ता ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, रेडिट, क्योरा और
अन्य एप्स का उपयोग करते हैं।
किसी के मरने के बाद डिजिटल सम्पत्तियां हमारे परिवार को स्थानांतरित कैसे हो। विशेषज्ञों के अनुसार जब
किसी की मौत हो जाती है और उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं, तो वे स्थानांतरण योग्य संपत्ति हैं और संबंधित व्यक्ति का कोई वारिस उन्हें चलाने की अनुमति ले सकता है। इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों ने कई तरीके अपना
रखे हैं। दरअसल ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनियों की प्राइवेसी पॉलिसी पर निर्भर करता है।
फेसबुक पर मरनेवालों के अकाउंट को
बतौर यादगार सुरक्षित कर लिया जाता
है। इसके अलावा फेसबुक अपने उपयोगकर्ताओं को एक वसीयत अनुबंध की अनुमति देता है, जिसके तहत उसकी
मृत्यु के बाद उसका अकाउंट चलाने के
लिए वह किसी पारिवारिक सदस्य
या किसी मित्र को चुन सकता है।
मगर ये याद रहना चाहिए कि पहुंच
पोस्ट और तस्वीरों तक होती है।
निजी मैसेज तक नहीं। ये नामजद
शख्स आपके अकाउंट के
टाइमलाइन पर आखिरी पोस्ट कर लोगों को आपके बारे में जानकारी दे सकता है।
इसके लिए फेसबुक पर मरने के बाद के हवाले से सेटिंग, सिक्यूरेटी पर क्लिक
और लीगेसी कंटैक्ट पर जाना होगा।
अगर आप इसे यादगार के तौर पर
रखना चाहते हैं तो आपके फेसबुक
अकाउंट पर आपके नाम के ठीक बाद ‘रिमेंबर’ का ऑप्शन दिखाई देगा। इसके अलावा अगर यूजर चाहें तो मौत के बाद फेसबुक अकाउंट डिलीज करने के लिए भी उसे सेट कर सकता है।
फेसबुक की तरह ही इंस्टाग्राम ही किसी यूजर की मौत के बाद उसके अकाउंट
को बतौर यादगार सुरक्षित कर देता है। इसके लिए इंस्टाग्राम मृतक के किसी रिश्तेदार या दोस्त से उसकी मौत की जानकारी लेता है और मृत्यु प्रमाण पत्र मांगता है। मगर फेसबुक और इंस्टाग्राम
के अकाउंट्स में कुछ फर्क होता है। इंस्टाग्राम में मृतक के अकाउंट में न ही
कोई व्यक्ति लॉग-इन कर सकता है
न ही किसी तरह का बदलाव और न ही ‘लाइक्स’ ‘फॉलोवर’, ‘टैग्स’, ‘कमेंट्स’ और ‘पोस्ट’ बदले जा सकते हैं।
इंस्टाग्राम में मरनेवाले की पोस्ट शेयर की जा सकती हैं मगर उन अकाउंट्स को
सर्च इंजन में जाहिर नहीं किया जाता है।
वहीं, गूगल की सर्विसेस जैसे- जीमेल,
यूट्यूब और हैंगआउट्स में ‘इनएक्टिव अकाउंट मैनेजर’ का फीचर होता है,
जिसकी मदद से कोई यूजर अपनी मौत
के बाद अपने किसी दूसरे दोस्त या रिश्तेदार को नॉमिनी बना सकता है। गूगल के मुताबिक, अगर किसी अकाउंट को कई दिनों तक लॉग-इन नहीं किया जाता,
तो उस अकाउंट को या तो डिलीट
कर दिया जाता है या फिर नॉमिनी के
साथ उसका अकाउंट शेयर किया
जाता है।
ट्विटर में यूजर की मौत के बाद किसी
शख्स की मदद से अकाउंट डिलीट करने का विकल्प रहता है। मृतक का ट्विटर
अकाउंट डिलीट कराने के लिए घर
वालों को अपना पहचान पत्र और
मरनेवाले का मृत्यु प्रमाण पत्र मुहैया
कराना होता है। ट्विटर किसी भी
सूरत में मरनेवाले के अकाउंट तक
किसी दूसरे शख्स को पहुंच बनाने की इजाजत नहीं देता है।
एपल आईक्लाउड और आईट्यून्स
‘नॉन ट्रांसफरेबल’ होते हैं, जिसका
मतलब हुआ कि यूजर की मौत के
बाद इस अकाउंट को कोई भी
एक्सेस नहीं कर सकता।
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