मंदाग्नि रोग क्या है। इसमें क्या परहेज करना चाहिए!

मंदाग्नि रोग पेट का बर्बाद करने वाली बीमारी है। अंग्रेजी या एलोपैथी की भाषा में इसे indigestion तथा lack of appetite बताया गया है।
एक प्रकार का उदररोग जिसमें भोजन नहीं पचता, रोगी की पाचन शक्ति मंद पर जाती है। अन्न न पचने से पेट मल से भर जाता है। मल सड़ने लगता है।
मंदाग्नि विकार के कारण हाज़मे का बिगड़ जाना; बदहज़मी; अपच, भूख कम लगना या बिलकुल भी न लगना एवम खाई हुई कोई भी वस्तु हजम नहीं होती।
माधव निदान ग्रंथ के मुताबिक मलेरिया, ज्वार, बीपी की समस्या, सूजन, आलस्य, थकान, सुस्ती टूटन, उल्टी जैसा मन, कमजोरी आदि की वजह मंदाग्नि है। अतः इसकी चिकित्सा तुरंत करना चाहिए।
बदहज्मी के पृथक् पृथक् इतने कारण होते हैं कि इस के लिये कोई साधारण नियम नही बतलाया जा सकता; तथापि नीचे सुपाच्य और दुष्पाच्य चीजों की एक सूची उपलब्ध हैं जिससे हर एक रोगी के लिए उचित पथ्यापथ्य चुना जा सकता है।
खाने योग्य पथ्य-मूग, गेहूं, बाजरा, ज्वार, चावल, साबूदाना, आल, हरे शाक, हर प्रकार के प्रवाही पदार्थ, (थोडे ) दूध, मखवन, घी (थोडा), “नारंगी, गर्म या थंडा पानी, हलकी चाय, छाछ और आवशकता हो तो द्राक्षासव।
त्यागने योग्य चीज यानि अपथ्य-मिठाई, मसाला, अचार, सख्त दाल, मलाई का बर्फ, नशास्ते और मिठासवाले पदार्थ, कच्चे और खट्टे फल और जिस खूराक से अधिक मल बनता है तथा जो पेट में जाकर गर्मी करता हो।
साधारण सूचना-दांतों को साफ और बिलकुल ठीक हालत में रखना चाहिये, ताकि खुराक अच्छी तरह चाबाई जा सके।
यदि एक दाँत भी खराब होता है, तो उससे अच्छी तरह नहीं चबाया जा सकता और परिणामतः अजीर्ण हो जाता है। इस लिये केवल दांतों का साफ रखना ही जरूरी नहीं है बल्कि यह ध्यान भी रखना चाहिये कि उसे ठीक ठीक काम होता है या नहीं।
जिस दांतों से काम नहीं लिया जाता उन पर मैल की पपड़ी जम जाती है, इसलिये भोजन को धीरे २ और अच्छी तरह चबा कर खाना चाहिये।
 खूराक के साथ अधिक पानी न पीना चाहिये।
भोजन नियत समय पर और हो सके, तो मित्रो के साथ बैठ कर शान्तिपूर्वक करना चाहिए।
भोजन से पहिले और बाद को थोड़ी देर आराम करना चाहिए।
 रसोई इस प्रकार बननी चाहिये और भोजन इस प्रकार परोसा जाना चाहिये कि जिससे रुचि और पाचन बढे।
 वैद्य को चाहिये कि यदि रोगी को चाय, काफी, तम्बाकू, द्राक्षारस, या अन्य उत्तेजक पदार्थ पीने की आज्ञा दे, तो यह भी बतला दे कि यह चीजे कितनी, कब, और किस प्रकार पीनी चाहिये क्यों कि ताजी बनाई हुई हलकी चाय, और हल्का तम्बाकू चाहे विशेष हानि न भी करे पर तेज तम्बाकू और चाय अवश्य नुकसान पहुंचाती हैं।
अभयंग, खुली हवा, कसरत, पैर दबवाना, उचित पोशाक, आराम और पेट की समौल रखना, मन्दानि की चिकित्सा में अत्यन्त आवश्यक हैं।
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