महालक्ष्मी की सिद्ध पूजा विधि क्या है?

  • अमृतम परिवार की ओर से शुभ दीपावली पर्व, पंचउत्सव की अंतर्मन से ढेरों शुभकामनाएँ!
  • अमृतम पत्रिका से साभार। ये ब्लॉग काफी बड़ा हो सकता है। जिसमें आप जानेंगे श्री लक्ष्मी और महालक्ष्मी दोनों में क्या फर्क है।
  • छोटी दिवाली रूप, नरक चौदस को कौन सी पूजा करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है तथा धन तेरस के दिन क्या खरीदना शुभ होता है।
  • अंतर्मन से पूजा करें, तो आयेगा अपार धन अमृतम दीपावली वैदिक पूजा विधान विशेषांक के 288 पृष्ठों से लिया गया ये लेख आपके दुखों को मिटा देगा।
  • थोड़ा समय निकल कर पढ़ें और आजमाएं। केसे तीन या पांच दिन तक दिवाली की पूजा करें। धनतेरस से पूर्व पूजन सामग्री का सामान एकत्रित करें। या अमृतम दिवाली पूजा बॉक्स ऑनलाइन मंगवाएं।बॉक्स में रखी लिस्ट निम्नानुसार है –
      1. Shree Mahalaxmi Yantra,
      2. Kuntal Care Spa 30Ml,
      3. Ashtagandha lotion 30ML,
      4. Face Clean Up 30Ml,
      5. Amrutam Thandai 100Ml,
      6. Dhoop coin, Agarbaatti, Cottan Bati, Kapoor
      7. Raahukey Oil 30Ml,
      8. Madhu Panchamrut 50 Gm,
      9. One Nariyal,
      10. Red Clouth,
      11. Taamrpatra lota, कलश
      12. Deepak brass, पीतल का दीप
      13. Kalava, सूत सूत्र
      14. Supari, Haldi,
      15. Kheel, Batase, Sarso,
      16. Itra, Chandan, Roli,
      17. Rice, अक्षत Kesar, Panch Meva,
      18. यन्त्र हेतु BhojPatra, Cotton
      19. Sarvaushadhi,
      20. Detox key Herbs 100 Gm,
      21. Dentkey Manjan 20GM,
      22. Kayakey Oil 30Ml,
      23. Neem Datone, Apamarg,
      24. Gadna Patrak, बहीखाता
      25. Lekhani, पेन Kuber Potali.
      26. जनेऊ, लौंग, इलायची

Amrutam Diwali Puja Box

  • गरीबी आठ तरह की होती है महालक्ष्मी की बड़ी बहिन अष्ट दरिद्रा 8 प्रकार की गरीबी को केवल छोटी दीपावली के दिन उपाय करने से विदा हो सकती है।
  • 8 त्योहारों का दिन रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, दरिद्र नाशक शिवरात्रि आदि अनेक महत्वपूर्ण उत्सव छोटी दिवाली को मनाने का खास महत्व है।
  • आपको धन्वंतरी दिवस धन तेरस से भाई दूज तक की पूरी कहानी, विधान आदि की विस्तार से जानकारी देने का विनम्र प्रयास कर रहे हैं।

महालक्ष्मी पूजन का माहौल: पूजा की व्यवस्थाएँ:

  1. दीपावली उत्सव पंचतत्व की प्रसन्नता के लिए 5 दिनों तक मनाया जाता है। यह धन तेरस से भाई दोज तक चलता है।
  2. यह उत्साह, उमंग, ऊर्जादायक ये उत्सव दीप+अवलि अर्थात दीपों की श्रंखला प्रज्वलित करने का महत्व पूजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं
  3. दीपावली से पूर्व घर, दुकान, व्यापार स्थल की साफ-सफाई और शुद्धता जरूरी अंग है। बॉक्स में रखे Amrutam chandan का अपने माथे पर तिलक/त्रिपुण्ड और इत्र को 5 दिवस वस्त्र पर लगाएं। धूप, ओषधि अगरबत्ती जलाकर घर का वातावरण खुशबूदार बनाएं।
  4. दीपावली पर्व तांत्रिक साधना, मंत्र जाप और पूजन हेतु सर्वोत्तम है। दीपों का ये उत्सव वैदिक विधि से मनाना अंधकार, अज्ञानता नाशक है।
  5. हम धनवंतरी दिवस (धन तेरस), छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली की पूजा का शास्त्रीय विधि विधान तथा मां महालक्ष्मी की प्राप्ति, कृपा हेतु पूजा कैसे करनी चाहिए, इस विषय पर चर्चा करेंगे।
  6. Amrutam Diwali puja Box में श्रीगणेशजी और महालक्ष्मी पूजन में उपयोगी सभी आवश्यक 35 से अधिक पूजन सामग्री रखी गईं हैं।
  7. धनवंतरी त्रयोदशी: धन तेरस विधान – पंच उत्सव के पांचों दिन परिवार के सभी सदस्य बिना रोग के भी amrutam Detoxkey Herbs का काढ़ा बनाकर पीएं। बॉक्स में उपलब्ध है। Detoxkey पीने से पित्त संतुलित होगा। शरीर की सारी गंदगी निकल जायेगी। पेट साफ, हल्का रहेगा।
  8. ये तिथि धन वृद्धि, सुख, स्वास्थ्य, सम्पदा दायक तिथि है। स्वस्थ्य जीवन हेतु इस दिन दीपदान कर मनाया जाता है।
  9. धन तेरस को आयुर्वेद प्रवर्तक धनवंतरी जी हाथ में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। इस दिन सुबह जल्दी जागें और स्नान कर मस्तिष्क पर amrutam Chandan का टीका, तिलक या त्रिपुंड लगाकर सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
  10. ।।ॐ सूर्य शिवाय नम:।। का १०८ बार जाप करें। बुद्धि, सिद्धि, मनोबल वृद्धि में सहायक है।
  11. ठंडाई का उपयोग केसे करें? धनतेरस को सबह 1 चम्मच Amrutam Thandai और एक चम्मच Madhu Panchamrit दूध में मिलाकर शिवलिंग पर ।।ॐ शम्भू तेजसे नमः शिवाय।। मंत्र बोलते हुए अर्पित करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  12. दुपहर में भोजन से पूर्व दूध में ठंडाई, मधु पंचामृत मिलाकर पूरा परिवार सेवन करे। उदर दाह, एसिडिटी, पित्त शांत होगा।
  13. भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद घर, द्वार व मंदिर में सभी सदस्य 3/3 या 13/13 गेहूं, उड़द चावल युक्त आटे से बने देशी घी के दीपक पान के पत्ते पर रखकर जलाने की प्राचीन परंपरा है।
  14. दूसरे दिन दीपक की बची दीप आटे की बची लोई नंदी, गाय, मछली या किसी जानवर को खिलाएं।
  15. दीपावली के इन पांच दिनों में दीप श्रंखला बनाकर जलाने से धन की कमी नहीं आती । पांच दिवसीय उत्सवों में दीपदान बहुत खास है।
  16. मौत के डर से मुक्ति का उपाय – घर में वास्तुदोष हो, राहु, केतु, शनि से पीड़ित हों या पितृदोष हो, तो राहु की तेल Rahukey oil के 5 दीपक पान के पत्ते पर रख कर धनतेरस की रात को जलाएं। दीप जलाने के बाद मंत्र उच्चारण करे|

मृत्युना दंड पाशाभ्यां कालेन श्यामया सह।

त्रयोदश्यां दीप दानात् सूर्यज से प्रीयतां मम।।

  • 17. धनतेरस का ये कालनाशक मंत्र बोलने से यमराज प्रसन्न होते हैं। आकाल मृत्यु से सुरक्षा होती है सभी दीपक मुख्यद्वार पर गेहूं, चावल अन्न के ढेर पर रखें। हो सके, तो एक दीपक चौराहे पर रखें। दीप का रात्रि पर्यंत जलते रहना शुभदायक रहेगा।
  • 18. धनतेरस को तिजोरी अथवा धन, स्वर्ण, रजत रखने वाली अलमारी पर सिन्दूर से स्वास्तिक बनाकर कलावा बांधे। स्वास्तिक के दुर्लभ जानकारी हेतु अमृतम पत्रिका के लेख पढ़ें।
  • 19. मन की चंचलता मिटाने और आत्मिक शान्ति के लिए व्रत भी रख सकते हैं। क्योंकि धन तेरस को चंद्रमा हस्त नक्षत्र में होने मन का कारक हैं।
  • 20. रात्रि 7 बजे के बाद स्वर्ण, चांदी, तांबा की धातु या इससे निर्मित वस्तु जैसे सोने, चांदी का सिक्का, तांबे का बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए।

छोटी दिवाली/रूप चतुर्दशी, नरक चौदस पूजा का विधान

  • कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानि छोटी दीपावली को चार बाती वाला तेल का दीपक प्रज्ज्वलित मंत्र से पूजन कर दीपदान करें।

दत्तो. दीपश्रचतुर्दश्यां नरक प्रीतये मया।

चतुर्वर्ति समा युक्तः सर्वपापाय नुतये।|

छोटी दीपावली के रहस्य अदभुत जाने

  1. दिवाली उत्सव की जानकारी रुद्र योगिनी तंत्र, भविष्य पुराण, मार्केंडेय संहिता में मिलता है।
  2. परशुराम शतक के मुताबिक छोटी दीपावली की अर्धरात्रि रात 12 बजे श्री हनुमान जी जन्म हुआ था। इसलिए ये तिथि हनुमान जयंती कही जाती है।
  3. युग और कल्पानुसार हनुमान जयंती पहली चैत्र मास की पूर्णिमा को दूसरी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी कि नरक चतुर्दशी के दिन इस तरह साल में 2 बार मनाई जाती है। नीचे लिखे गुरुमंत्र 5 बार बोलकर एक दीपक raahukey oil का जलाएं।

जय जय जय हनुमान गुसाईं।

कृपा करो गुरुदेव की नाई।।

  • छोटी दिवाली को हुआ ज्योतिर्लिंग का उदभव – छोटी दीपावली के दिन की तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भी होती है और हर माह की चौदस को मास शिवरात्रि पर्व होता है। इस दिन भगवान शिव एक दीपक में जलती बाती के रूप में प्रकट होने के कारण महादेव ज्योतिर्लिंगम रूप में प्रसिद्ध हुए।
  • यह शिवलिंग निराकार और अनिर्वचनीय तत्व सिद्धांत या प्रकृति का प्रतीक है। चूँकि ज्योतिर्लिंग की गर्माहट में पूजा करना कठिनाई से भरा होता है। इसीलिए नर्मदा नदी से निकले शिवलिंग की पूजा का विधान है।
  • छोटी दिवाली को रूप चौदस, नरक चतुर्दशी तथा महाकाली चौदस भी कहते हैं। इस दिन महालक्ष्मी की बड़ी बहिन ज्येष्ठा का उद्भव हुआ था। इन्हे अष्टदरिद्रा, गरीबी, दुःख, रोग की देवी बताया है।
  • अष्टदरिद्रा, गरीबी, दुःख क्या है? आयु, आरोग्य, अभिवृद्धि (प्रोस्पेरिटी), पुत्र-पौत्र, धन-धान्य (वेल्थ), विजय-सफलता, शांति और कीर्ति। इन आठ ऐश्वर्य का अभाव ही अष्टदरिद्र कहा गया है।
      • श्लोकोक्तानां अष्टदारिद्र्याणां मूलकारणानि त्रीण्येव – ज्ञान-विवेक-श्रम-दारिद्र्याणीति! अतः मूलतः दारिद्र्याणि त्रीण्येव ! प्रायः दैवमिति चतुर्थं मूलकारणम्।
  • वैदिक मान्यता है कि जब तक दरिद्रा घर से विदा नहीं लेती, तब तक महालक्ष्मी का प्रवेश नहीं होता। इसीलिए इस दिन शिवलिंग पर मधु, ठंडाई चढ़ाते हैं।आदि शंकराचार्य ने लिंगाष्टक स्तोत्र में लिखा है।

अष्ट दलो परिवेष्टित लिंगम् सर्व समुद्भव कारण लिंगम्।

अष्ट दरिद्र विनाशन लिंगम् तत्प्रणामामि सदाशिव लिंगम्।।

  • छोटी दीपावली की रात्रि में शिवलिंग पर रुद्राभिषेक, हनुमान जी, मां महाकाली की पूजन से अष्टदारिद्र दूर होता है।

रूप चौदस को अभ्यंग से दुःख, दरिद्र, रोग विदा –

  • छोटी दीपावली का एक नाम रूप चौदस भी है। सुबह जल्दी उठें। पानी, चाय पीकर फ्रेश होने के बाद ओषधि तेल amrutam KAYAKEY oil से देहाभ्यंग करें। जो कि अमृतम दीपावली बॉक्स में उपलब्ध है।

परेशानी मिटा देगा यह उपाय

    • महालक्ष्मी काली तंत्र ग्रंथ के अनुसार मान्यता है कि जब तक घर से दरिद्र रूपी गरीबी नहीं जाएगी, तब तक महालक्ष्मी का आगमन नहीं होता।
    • अतः आज सुबह नहाने से पहले पूरे शरीर मे तेल लगाएं। फिर, नीम से दातुन एवं DENTKEY मंजन करके, अपामार्ग के तने को सिर के ऊपर से 7 बार उसारकर कूड़ा दान में फेंके। फिर स्नान करें। (नीम दातुन और अपामार्ग बॉक्स में दिया गया है।)
    • छोटी दिवाली को सुबह शिवलिंग पर जल अर्पित कर Rahukey oil का दीपक जलाएं और रात में श्री हनुमानजी को 5 या 11 केले का नैवेद्य अर्पित कर एक दीपक जलाएं।

कार्तिके कृष्णपक्षे च चतुर्दश्यां दिनोदये।

अवश्यमेव कर्त्तव्यं स्नानं नरक भीरुभिः।।

भविष्य पु.उ.पर्व.अ.१४०-७।।

    • अर्थात जो लोग छोटी दीपावली को शरीर में तेल लगाकर स्नान नहीं करते, वे एक दिन धन वैभव हीन, दरिद्र हो जाते हैं। अतः इस दिन बिना स्नान किए कुछ न खाएं।
    • इस उपाय से दुःख, दरिद्रता, मानसिक क्लेश, चिंता, तनाव और डिप्रेशन दूर होता है। कोई पुरानी बीमारी, जो ठीक नहीं हो रही हो, उसमें आराम मिलता है।
  • भाग्योदय कर्क कुमकुमादी की मालिश – रूप चौदस के अलावा शरीर में मालिश हेतु कुमकुमादी तेल का विशेष महत्व बताया है। इसे पूरे शरीर में लगाकर कुछ देर बैठने से रूप में निखार आता है।
  • भविष्य पुराण.पर्व. अध्याय .१४०-१२!! के अनुसार इस दिन केशर युक्त तिला से अभ्यंग, स्नान करने से रूप, सौंदर्य निखरता है।
  • योग रत्नाकर ग्रंथ के मुताबिक महर्षि अंगारक द्वारा निर्मित केशर आदि 55 बूटियों से तैयार amrutam kumkumadi Oil कुमकुमादी तेल से मालिश करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
  • Kumkumadi oil की मालिश से वात संतुलित होता है। रूप रंग नहीं बिगड़ता। देह अभ्यंग अन्दर से स्वस्थ्य और बाहर से सुंदर बनाकर यौवन स्थिर रखता है ।
  • तेल की मालिश के बाद Box में रखा Amrutam Face cleanup अमृतम फेस क्लीनअप सूर्ये के समक्ष बैठ कर मुख पर लगाकर कुछ देर सूखने देवें और आधा घंटे बाद मुँह धोये।
  • नरक चौदस की पूजा के फायदे छोटी दिवाली को अनेक कर्मों का विधान पुराणोक्त विधि से करने पर रोग, दुःख, चिंता, नरक और गरीबी का भय नहीं रहता। ज्येष्ठा, अष्टदरिद्र, अलक्ष्मी घर से विदा हो जाती है।
  • कर्जा, धन की आर्थिक तंगी मिटती है। जीवन में सुख, समृद्धि तथा धन की बढ़ोत्तरी होने लगती है।

बड़ी दीपावली पर्व और अष्टलक्ष्मी का महत्व

  1. अमावस्या से पूर्व की गहन काली रात्रि को सूर्य तुला नीचराशि में स्थित रहते हैं। इससे प्रकृति में एनर्जी, ऊर्जा कम होती है। सूर्य को शक्ति देने के लिए भी दीपावली का महत्व है।
  2. राहु के नक्षत्र में महालक्ष्मी पूजन क्यों? रुद्र रहस्य के मुताबिक दीपावली को चंद्रमा राहु के स्वाति नक्षत्र में होते हैं। स्वाति राहु का नक्षत्र है। राहु ही भौतिकता और सुख सम्पन्नता प्रदान करने वाला ग्रह है।
  3. राहु को दीप दान अति प्रिय हे – दीपावली लोकाचार में प्रज्ज्वलित दीपकों की पंक्ति लगा देने को दीपावली तथा भिन्न स्थानों पर मंडल बना देने को दीपमालिका कहते हैं। जो कि राहु के लिए अर्पित करते हैं।
  4. कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रदोष काल से रात्रि पर्यंत, श्री गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर, निकटजन देवेंद्रादि के साथ श्री महालक्ष्मी की स्थापना कर लक्ष्म्यै नमः, इंद्राय नमः, कुबेराय नमः मंत्रोच्चार कर पूजा की जाती है।
  5. महालक्ष्मी जी को अष्टलक्ष्मी कहते हैं। जैसे आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, राज लक्ष्मी या भाग्य लक्ष्मी। ये 8 प्रकार की हैं।
  6. बड़ी दीपावली के दिन पूजा की तैयारी – दीपावली के दिन अपने घर में एक विशेष और शांत पूजा स्थल बनाने के लिए मुख्य आंगन में रंगोली, मंदिर में स्वास्तिक यंत्र बनाएं।
  7. पूजन से पूर्व पूरा परिवार स्नानदि कर्म के बाद नवीन वस्त्र धारण करे। महिलाएं 16 श्रंगार करके स्वर्णाभूषण अवश्य पहिने।
  8. पूजन से पहले प्राणायाम जरूरी है – पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध पवित्र कर परिवार के सभी सदस्य आराम से बैठकर धीरे धीरे उल्टी नाक से श्वास लेकर सीधी नाक से धीरे से छोड़ें। ऐसे तीन बार प्राणायाम करें।
  9. गेहूं की ढेरी पर देशी घी का एक और चावल की ढेरी पर Raahukey oil का एक दीप जलाएं। दोनों के नीचे पान का पत्ता रखें। हो सके, तो एक अखंड दीप जलाएं, जो सुबह तक जलता रहे।
  10. श्रद्धा भाव से हाथ जोड़कर महादेव के साथ महालक्ष्मी, देवी देवताओं, पितृ, पूर्वज, माता पिता और गुरु का ध्यान करते हुए आव्हान करें।
  11. महालक्ष्मी मंत्र- नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया या गति स्तवत प्रयन्नानां सा में भूयात्व दर्चनात।
  12. कुबेर मंत्र- धनदाय नमस्तुभ्यं निधि यज्ञाधिपाय च। भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः!! बोलकर धन वृद्धि की प्रार्थना करें।
  13. कलश स्थापन विधि पूजन विधान- एक लकड़ी के पट्टे या चौकी पर बॉक्स में रखा मखमल लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गुलाब फूल पर गणपति व श्री महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  14. तांबे के कलश में जल, गंगाजल भरकर उसमें थोड़े से चावल, खील, बताशे, स्वर्ण, रजत का सिक्का डालकर कलश की स्थापना कर उसके ऊपर नारियल रखें। कलश में पान के 5 पत्ते लगायें।
  15. चौकी/पटे पर अमृतम श्रीयंत्र रखकर उनके आगे दोनों सुपाड़ी पर कलावा लपेटकर महालक्ष्मी तथा श्रीगणेश के रूप में विराजमान करें और बॉक्स में रखी कुबेर थैली का सारा सामान चांदी के बर्तन में निकालकर चौकी पर ही रखें।
  16. चौकी या पटे के चारों तरफ जमीन में देशी घी के दीपक तैयार करके उसमें 1 से 2 खील डालकर दीप प्रज्वलित करें। सभी दीपक पान के पत्ते पर रखना शुभदायक होता है।
  17. अति संक्षिप्त महालक्ष्मी पूजन विधि – श्रीगणेश महालक्ष्मी को जल, गंगाजल आदि से स्नान करवा कर केसर, रोली, हल्दी और अमृतम चंदन तिलक और अक्षत लगाएं।
  18. नैवेद्य, प्रसादी – घर मे बने सभी शुद्ध पकवान, मिठाई, नमकीन आदि अखंड ऋतु फल,पंचमेवा तथा ऋतु कल (सेब, केला आदि) का नैवेद्य, ख़ील, बताशे, थाली में सजाकर व्यानाय स्वाहा, उदानाय स्वाहा, अपानाय स्वाहा, प्राणाय स्वाहा, ब्रह्मअणु स्वाहा| बोलकर समर्पित करें और 4 चार बार हाथ में जल लेकर नैवेद्य के चारो तरफ घुमाकर धरती पर छोड़े।
  19. तत्पश्चात पान, सुपारी, लौंग आदि चढ़ाएं और धूप, दीप दिखाकर परिवार के सभी सदस्य खड़े होकर कपूर द्वारा गणेश, महालक्ष्मी की श्रद्धा भाव से आरती आरंभ करें।
  20. विशेष महालक्ष्मी जी पर दो कमल के फूल और 3 सफेद पुष्प अवश्य अर्पित करें।
  21. 27 दीपक तेल के बनाकर रसोईघर, मुख्य द्वार, घर के दरवाजे, घूरा, छत, रूम में एक या 2/2 रखें।
  22. पूजन के बाद महालक्ष्मीजी के बीजमंत्र श्री सूक्त का रात्रि में सपरिवार बैठकर जप करें। क्योकि यह महालक्ष्मी जी की रात्रि है। महालक्ष्मी वैदिक- मंत्र
  23. ।।ॐ श्री ॐ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।।
  24. अमृतम हवन सामग्री और देसी घी से ९ आहुतिया अग्नि पर हवन करे|
  25. यदि सबका मन हो, तो प्रदूषण रहित फुलझड़ी, फटाके, आतिशबाजी जलाकर रात्रि 11.30 से 12.30 के बीच अमृतम श्रीयंत्र पर लिखे महालक्ष्मी मंत्र या नवाक्षर मंत्र १०८ बार जपें। अथवा !!ॐ शम्भूतेजसे नमः शिवाय!! का एक से 5 माला का जप करते समय इस दौरान दीपक जलता रहे।
  26. मंत्र जाप के बाद कुबेर थैली का सारा सामान थैली में भरकर तिजोरी अलमारी में रखें और जमीन में एक दीपक जला देवें। इससे पूरे साल पैसे की बढ़ोत्तरी होगी। कर्जा कम होगा। हर क्षेत्र में वृद्धि होगी। अन्त में (बृहदारण्यकोपनिषद् १.३.२८) के इस मंत्र की एक स्वर में इस बोलें –

ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मामृतं गमय।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

  • दीपावली महालक्ष्मी पूजन के बाद सभी बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेवें।
  • अन्नकूट गोवर्धन पूजा का महत्व – मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली उठाया था। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाते हैं।
  • यम द्वितीया यानि भाई दोज – कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम का पूजन किया जाता है। भाई अपनी बहन के घर भोजन करते हैं। इससे भाई की आयु तथा बहन के अहिवात (सौभाग्य) की वृद्धि होती है।
  • दीपावली की महारात्री को यदि महालक्ष्मी की विधि विधान से रातभर पूजन किया जावे तो उस वर्ष सम्पत्ति-समृद्धि में विशेष वृद्धि होती है। सन्तान (बच्चों) का भाग्योदय निश्चित होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।

महालक्ष्मी और लक्ष्मीजी में अंतर।

  • लक्ष्मी जी के कौन हैं? सभी धर्मशास्त्रों में लक्ष्मीजी को चंचला कहा है। लक्ष्मी हमेशा आती और जाती रहती है।
  • किसी भी स्थान पर स्थाई रूप से कभी वास नहीं करती या रहती नहीं है। हम रोज जो भी कमाते और खर्च करते हैं। बचत कुछ भी नहीं होती। वह लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। ये स्थाई नहीं है।
  • श्रीमहालक्ष्मी के रहस्य जगतपिता महादेव की शक्ति/ पत्नी को स्कंधपुराण में महालक्षमी बताया है। महालक्ष्मी प्रसन्न हो! ऐसा जयकारा लगाया जाता है।
  • श्रीयंत्र में भी महालक्ष्मी का ही वास है – भगवान शिव की प्रसन्नता से जब किसी भी घर परिवार में श्रीमहालक्ष्मी का स्थाई रूप से रहने लगती है, तो ऐसा व्यक्ति संसार के सारे सुख, वैभव, ऐश्वर्य और अथाह धन संपदा का स्वामी बन जाता है।
  • ध्यान रहे विष्णु पत्नी लक्ष्मी की पूजा, साधना, उपासना से केवल दाल रोटी खाकर जीवन को गुजारा जा सकता है।
  • दीपावली को श्रीगणेश पूजन ही क्यों? दिवाली की रात्रि में लक्ष्मी की नहीं महालक्ष्मी और उनके पुत्र श्री गणेश जी के साथ पूजन किया जाता है।
  • दीपावली की रात्रि को स्वाति नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र के स्वानी राहु याने स्वयं भगवान शिव हैं।
  • दीपों की अवलि अर्थात दीपक जलाकर अग्नि को प्रसन्न करना है, ताकि सभी को अग्नि, प्रकाश, ऊर्जा एनर्जी की प्राप्ति हो ।
  • दीपावली की रात्रि में दीपक जलाना भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करना है। कुल मिलाकर दीपावाली का पूजन शिव परिवार की ही पूजा है।
  • छोटी दीपावली को मास महाशिवरात्रि, हनुमान जयंती, दरिद्र दिवस होता है। छोटी दीपावली को हनुमान को चोला चढ़ाकर, रात्रि में शिवलिंग पर जल में अमृतम बॉक्स में रखा इत्र मिलाकर रुद्राभिषेक करने का विधान है।
  • ब्रह्मवेवर्त, शिवतंत्र संहिता, कालरात्रि निघंटू के अनुसार बड़ी दिवाली से ज्यादा छोटी दीपावली का महत्व अधिक है।
  • गुरु दत्तात्रेय भाष्य में लिखा है कि छोटी दीपावली को शिव पूजन से महालक्ष्मी की ज्येष्ठा यानि बड़ी बहिन दरिद्रा, गरीबी हमेशा के लिए घर छोड़कर शिवजी के चरणों में निवास करती है। अतः छोटी दीपावली के विधान का पूर्ण रूप से पालन करें।
  • स्कंध पुराण के अनुसार नीचे लिखे मंत्र को अपने पूजा घर में लगाकर 3 बार जोर से बोलें।

सर्वज्ञे सर्व वरदे, सर्व दुष्ट भयंकरी ।

सर्वदुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते !

सिद्धि बुद्बुद्धि प्रदे देवी, भुक्ति मुक्ति प्रदायनी।

मंत्र पूते सदा देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ।।

  • दिवाली का आदिकालीन सत्य रहस्य – दीपावली की रात्रि में दीप+अवली अर्थात दीप श्रंखला प्रज्वलित करने से दुःख, दर्द, अंधकार, अहंकार, रोग दारिद्र, गरीबी का अन्त होता है।
  • दीपावली उत्सव उत्साह, उमंग, उन्नति, ऊर्जादायक वैदिक कालीन पर्व है।
  • कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका और होलिका नामक दो पुत्री को जन्म दिया। सिंहिका के ही पुत्र राहु नवग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह हैं।
  • राहु हिरण्यकश्यप के भांजे भी हैं। महालक्ष्मी पूजन राहु के स्वाति नक्षत्र में ही संपन्न किया जाता है। स्कंध पुराणानुसार राहु ही भौतिक सुख, समृद्धि, अथाह सम्पदा और धन दाता हैं।
  • राहु के स्वाति नक्षत्र में ही संपन्न किया जाता है। स्कंध पुराणानुसार राहु ही भौतिक सुख, समृद्धि, अथाह सम्पदा और धन दाता हैं।
  • राहुदेव Raahukey Oil के दीपदान से अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। तमिलनाडु दक्षिण में कुम्भकोणम के पास त्रिनागेश्वरम शिवालय नामक तीर्थ राहु का जन्म स्थान है।
  • दैत्यराज हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद।
  • भक्त प्रह्लाद के पुत्र विरोचन के महादानी पुत्र राजा बलि की मां विशालाक्षी थी। ये सप्तचिरंजीवियों में एक हैं। राजा बलि के पुत्र थे बाणासुर, अगासुर, वत्रासुर ओर बेटी रत्नमाला सभी शक्तिशाली थे।
  • केरल में ओणम उत्सव राजा बलि को समर्पित पर्व है। बली के स्मरण से आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।
  • कलाई में कलावा, रक्षा सूत्र या राखी बांधते हुए – येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:। अवश्य बोला जाता है।

!! हर हर हर महादेव !!

  • बड़ी दीपावली पूजन विधान – दीपावली लोकाचार में प्रज्ज्वलित दीपकों की पंक्ति लगा देने को दीपावली तथा भिन्न स्थानों पर मंडल बना देने को दीपमालिका कहते हैं।

कुबेर थैली का धनवृद्धि प्रयोग

  • कुबेर पोटली में नगकेशर, गुड़, हल्दी की गांठ, खड़ा धनिया, महालक्ष्मी कोढ़ी आदि सामग्री रखी जाती है। रात्रि में दिवाली पूजन के बाद कुबेर पोटली को तिजोरी, अलमारी या कारोबार स्थल पर रखने से बेतहाशा धन बढ़ता है। रखने के बाद उस कमरे में दीपक जलाएं।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *