पेट की बीमारी के क्या लक्षण हैं ?

  • आँतों में रखा या सूखापन आने से भोजन प्रॉपर पचता नहीं है। आंते चिकनी होने से पेट एक बार में साफ नहीं होता।
  • लिवर के क्रियाशील न होने से भी पेट साफ नहीं होता।
  • अतः सुबह खाली पेट अनार, अमरूद का सेवन अधिक करें।
  • रात को 10 मुनक्के पानी में गलाकर सुबह जूस निकालकर पियें।
  • Amrutam tab रात को सोते समय सादे जल से 2 गोली 15 दिन तक लेवें।
  • Amrutam Keyliv माल्ट तीन महीने सव्वन करे। ध्यान रखें 55 वर्ष के बाद पेट की कोई भी दवा काम नहीं करती। इसलिए समय रहते उदर का स्थाई। इलाज ढूंढे।

पुरानी ‌‌कहावत है…

ज्वर साधु और पाहुना, लंघन देय कराये।

  • अर्थात जब भी देह में ज्वर, मलेरिया, पित्त, ऊष्मा की वृद्धि हो, तो तत्काल लंघन कर भोजन त्याग देना चाहिए। ऐसे ही साधु को 24 घण्टे से ज्यादा घर में नहीं रुकाना चाहिए अगर कोई सन्त या साधु अधिक दिनों तक रुकने की कोशिश करे, तो चाय, पानी, भोजन आदि समय पर देकर उनका लंघन करना उचित रहता है।
  • सांसारिक सुख देखकर साधु भटक जाते हैं, इसलिए गृहस्थ लोगों को साधु सन्याशी घर में नहीं रोकना चाहिए।
  • पाहुना का अर्थ रिश्तेदार, दामाद आदि होता है। इन्हें भी कभी भी ज्यादा वक्त घर पर रखना ठीक नहीं रहता।
  • अतः पेट ठीक रखने के लिए लंघन सर्वश्रेष्ठ इलाज है। इसके अलावा गुलकन्द और छोटी हरड़ का चूर्ण सुबह खाली पेट एवं शाम को भोजन से एक घण्टे पहले दूध या जल से 3 महीने तक सेवन करें।

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