बैठे-बैठे काम करके या वर्क फ्रॉम होम के चलते कहीं आपका लिवर खराब तो नहीं रहा। जाने क्या हैं लक्षण यकृत रोग के…

लापरवाही से शरीर की तबाही….

कभी अचानक ज्यादा सिर दर्द, सर्दी-जुकाम, खांसी जैसे जरा सी तकलीफ में हम जो अंग्रेजी मेडिसिन लेते हैं।

ये भी लिवर को खराब करती हैं। लिवर को खराबी से बचाने का उपाय यही है कि हम अपना खानपान बदलें।

खराब खानपान ने बड़े-बड़े खानदान खत्म कर दिए।

अधिकांश युवक-युवतियां वर्क फ्रॉम होम के कारण दिन भर एक ही जगह बैठकर काम करते रहने से लीवर में खराबी आना स्वाभाविक है।

किन रोगों को उत्पन्न करता है आपका लिवर….

लिवर हमारे शरीर के अंदर रहते हुए एक साथ कई काम करता है।

लगातार कब्ज बनी रहने, पेट साफ न होना, ज्यादा अंग्रेजी दवाओं का सेवन, वायु विकार, गैस की समस्या, आवँ, अम्लपित्त,

एसिडिटी, आँतों में चिकनापन, कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता आदि परेशानियों के चलते लिवर का कलेवर घटने लगता है।

आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि 30 फीसदी मामलों में लिवर की समस्या के पीछे हमारा रहन-सहन और खान-पान होता है।

बच्चों में यह बीमारी जीन और एंजाइम दोष की वजह से होती है।

आयुर्वेद चंद्रोदय ग्रन्थ के अनुसार…. लिवर को हम यकृत और जिगर के नाम से भी जानते हैं।

ज्यादा तेवर दिखाने यानी क्रोध करने से, तनाव पालने से, सुबह सूर्योदय के बाद जागने से,

कसरत व्यायाम या मालिश न करने कारण तथा नहाने से पहले नाश्ता करने या न खाने से यकृत दूषित होने लगता है।

  • चरक सहिंता” के मुताबिक लिवर की खराबी के अनेक कारणों का उल्लेख है।
  • महर्षि चरक ने लिखा है कि- स्पंज जैसा नाजुक शरीर का यह नाजुक अंग यदि
  • खराब हो जाए तो पूरे शरीर की शक्ति एवं सेहत का सत्यानाश कर देता है।

युवा पीढ़ी हेतु खास ओषधिKeyliv Malt  यह कब्ज मिटाकर—पेट को अपडेट रखता है।

आयुर्वेदिक औषधि का ही सेवन करें- लिवर की खराबी ठीक करने के लिए केवल प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा ही सर्वश्रेष्ठ है।

क्योंकि लिवर जैसे नाजुक अंगों को कोई भी केमिकल युक्त दवाएं भयंकर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

लिवर की सुरक्षा हेतु परहेज भी आवश्यक है…

लिवर से पीड़ित मरीजों को बेसन से बने पकवान, अरहर की दाल, रात में दही,

सलाद, जूस,आइसक्रीम आदि का सेवन तत्काल बन्द कर देना चाहिए।

इन्हें मूंग की दाल, पपीता, गन्ने का रस जरूर लेना चाहिए।

शास्त्र और सहिंता की सत्यता

© रास तन्त्र सारः,

© भावप्रकाश निघण्टु,

© आयुर्वेद सारः-संग्रह,

© भेषजयरत्नाकर

आदि प्राचीन ग्रंथो से खोजा गया यह प्राकृतिक फार्मूला पेट तथा शरीर के सभी सिस्टम ठीक करता है।

उदर विकारों को ठीक करने वाली यह बहुत कारगर ओषधि है।

सुस्ती दूर कर चुस्ती बढ़ाता है-

यकृत रोग की एक दवा-कीलिव माल्ट के १६फायदे –16 – Benefits of Keyliv Malt

1-चयापचय विकार (Metabolic disorders)

2-लिवर में सूजन

3-भोजन का समय पर न पचना

4-उदरी ( Dropsy)

5- कब्जियत मिटाकर सुस्त लोगों का भी पाचन दुरुस्त रखकर शरीर को निरोग बनाता है।

6- खून का कम बनना

7-भूख की कमी, अनिच्छा। जठराग्नि कमजोर होने से थोड़ा खाने पर पेट भर जाता है।

यह भी एक बीमारी है। इसे आयुर्वेद में अनिच्छा कहतें हैं।

8-खाने की इच्छा न होना

9-पांडु पीलिया वृद्धि

10-पाचन सम्बन्धी विकार

11-रक्तसंचार की शिथिलता

12-रक्ताल्पता, खून की कमी यानी पांडुरोग

13-गुल्म, संग्रहणी, आवँ

13-आंतों की निर्बलता

15-अरुचि, बेचैनी

16-यकृत की न्यून कार्यक्षमता आदि बीमारियों को दूरकर ठीक करने में सहायक है।

कब्ज, यकृत व पेट के रोगों से परेशान लोगों को एक बार इसका इस्तेमाल एक माह तक जरूर करना चाहिए।

आयुर्वेद का यह अवलेह देगा राहत। जाने क्या हैं? अमृतम कीलिव माल्ट/अवलेह….

यह लिवर-यकृत एवं प्लीहा की सम्पूर्ण समस्या के निराकरण हेतु बहुत ही कारगर दवा है।

चिकित्सा ग्रन्थों में उल्लेख है कि वर्षा ऋतु में लिवर की विशेष सुरक्षा करना चाहिए।

इन दिनों प्रदूषित जल के कारण अनेकों बीमारी पनपने लगती है।

जल-अन्नादि के संक्रमण से बचाव के लिये कीलिव माल्ट यकृत तथा तन रक्षक के रूप में अटूट विश्वसनीय ओषधि है।

पुराना खानपान प्राचीन काल में पहले गाँव के लोग यकृत को खराबी से बचाने के लिए

मकोय एवं पुर्ननवा की भाजी (सब्जी) बनाकर खाने के साथ खाया करते थे यह पुराने समय से लिवर की प्राकृतिक सर्वोत्तम दवा है।

कीलिव माल्ट के घटक द्रव्य, जड़ीबूटियां..

धनिया, ¶नागरमोथा, ¶निशोथ ¶कुटकी ¶कालमेघ ¶करील ¶गुलकन्द ¶वायविडंग ¶शुण्ठी ¶पिप्पली ¶अजवायन ¶हरीतकी मुरब्बा

¶आंवला मुरब्बा ¶भृङ्गराज ¶अर्जुन छाल आदि जड़ी बूटियाँ हैं जो सदियों से लिवर को क्रियाशील व मजबूत बनाने में उपयोगी हैं।

अमृतम कीलिव माल्ट में मुरब्बे, गुलकन्द को पीसकर, देशी घी में सिकाई करके इसमें सभी जड़ीबूटियों का काढ़ा मिलाते है।

यह अवलेह आयुर्वेद की 5000 वर्ष प्राचीन पध्दति के हिसाब से एक विशेष विधि द्वारा निर्मित होता है।

लिवर के ज्यादा खराब, जीर्ण, गम्भीर एवं घातक यकृत रोगों में सदपरिणाम की सुनिश्चितता के लिए जिन्दगी भर इसका सेवन नियमित करना चाहिए।

कीलिव माल्ट शल्य चिकित्सा संबंधित व्याधियों को छोड़कर अधिकांश यकृत विकारों और दूषित पाचन तन्त्र को शुध्द करने में यह तत्काल प्रभावी तथा असरकारक अचूक ओषधि है।

कारगर रस-भस्म ओषधियाँकीलिव माल्ट में डाली गई “मंडूर भस्म“ रक्ताल्पता अर्थात खून की कमी दूर करने के लिए बहुत ही फायदेमंद है।

अमृतम के और भी हर्बल प्रोडक्ट की जानकारी हेतु हमारी वेवसाइट देखें।

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लिवर की अनेक परेशानियों में राहतकारी…

लेट-लतीफ सोने वाले लोग, खासकर युवा पीढ़ी, जो हमेशा कम्प्यूटर पर बैठकर काम में मशगूल है।

इसकी वजह से जिनका पेट अक्सर खराब रहता हो और मोटापा बढ़ रहा है,

तो उन्हें KEYLIV Malt का सेवन अत्यंत लाभप्रद रहता है।

लिवर/यकृत और पेट की तमाम बीमारी मिटाएगा यह - हर्बल सप्लीमेंट……

कीलिव माल्ट का कम से कम तीन महीने या जीवन भर लगातार सेवन किया जाए,

तो मेटाबॉलिज्म करकेत तथा लीवर हमेशा क्रियाशील रहते हुए स्वस्थ्य रहता है।

पैकिंग 400 ग्राम कांच जार में

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