Womens Day 2020

महिला दिवस पर नारियों को समर्पित..

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महिला दिवस पर नारियों को समर्पित..

मजाकिया लहजे में लिखा- यह लेख व्यंग्य, वैज्ञानिकता से भरा है। इसे पढ़ते-पढ़ते चेहरे पर मुस्कराहट आ ही जाएगी। कुछ देर के लिए हँसना, ठहाके लगाना आपकी मजबूरी होगी। स्वास्थ्यवर्द्धक भी है…..

यह ज्ञान का यह पिटारा स्त्रियों के विश्वास में वृद्धि भी करेगा…

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बाल्मीकि रामायण से साभार- 
निम्नलिखित श्लोक की प्रेरणा से अमॄतम परिवार “माँ” और मातृभूमि सहित 
सन्सार की सभी महिलाओं को तहे-मन से
शत-शत सादर नमन करता है-
श्लोक है….
मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव ।जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥
अर्थात-: “मित्र, धन, धन्य-धान्य आदि का संसार में बहुत अधिक सम्मान है। 
लेकिन माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है।” 
 
महिलाओं के मन की मलिनता मिटाने हेतु एक अत्यंत रहस्यमयी ज्ञान-
 
मनसा चिन्तितंकर्मं वचसा न प्रकाशयेत्।
अन्यलक्षितकार्यस्य यत: सिद्धिर्न जायते॥
 
अर्थात-मन में की हुई कार्य की योजना (प्लानिंग) पूरा होने तक दुसरों को न बताये ।
किसी अन्य को या दूसरे को उसकी जानकारी होने से कार्य सफल नही होता। 
द्वेष-दुर्भावना दूर रखने की दूरबीन…
 
क्षमा शस्त्रं करे यस्य दुर्जन: किं करिष्यति।
अतॄणे पतितो वन्हि: स्वयमेवोपशाम्यति॥
 
अर्थात– जिस महिला के पास…..
क्षमारूपी शस्त्र जिसके हाथ में हो , 
उसे दुर्जन क्या कर सकता है? 
अग्नि…., जब किसी स्थान पर गिरती है,
यदि वहां घास न हो, तो वह अपने आप बुझ जाती है। 
यही सफलता का बहुत छोटा सा सूत्र है।
महिला दिवस पर लिखा गया यह लेख बहुत ही ज्ञानवर्द्धक है, लेकिन कुछ बड़ा भी है। 
इसे सेव/SAVE कर फुर्सत के पलों में पढ़ें…
!!हर शब्द अमॄतम!! 
जाने क्या है इस लेख में:- 

【】महादेव का अर्धनारीश्वर रूप क्यों?

【】स्त्री तेरे नाम अनेक

【】जाने-मन की, इसलिए जानेमन 

【】महिलाओं की महानता

【】वेद-पुराण, ग्रन्थों के बखान….

【】पुरुष का भाग्य और नारी का चरित्र

【】कुछ तो खास है-महिलाओं में….

【】महिलाओं के लिए विशेष मन्त्र.

मन्त्र शक्ति का कमाल, जो कर देगा मालामाल….

【】क्या महिलाएं पुरुषों से 7 गुना  ज़्यादा सेक्स का आनंद उठाती हैं?  जाने-महाभारत की कथा

 【】आप हैरान हो जाएंगे-यह जानकर कि महिलाओं के बहुत से निजी अंग मर्दों के नाम पर ही हैं। 

【】सदियों से सत्य है– पुरुषों का धन लुटता है और औरतों की इज्जत…

【】क्या भटकना और पुरुषों की आदत होती है?

【】आदमी की गंदी आदत...

भटकना और किसी से भी लटकना पुरूषों की आदत होती है। पुरुष छत बनाने पर नहीं, छाती दबाने पर भरोसा करता है। आदमी को “वृक्ष” से कम और “ब्रा” से अधिक लगाव होता है।

विरोध के भय से निरोध का प्रयोग करना व्यक्ति की मजबूरी होती है। यदि मामला गड़बड़ हो गया, तो फिर नारी का क्रोध झेलना पड़ता है।

■ भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप….

भारतीय परम्परा और पुराणों में अर्धनारीश्वर महादेव के अतिरिक्त, लगभग सन्सार की हर संस्कृति या धर्म में ऐसे देवी-देवता हैं, जो स्त्री-पुरुष का सम्बंध खूबसूरती से दर्शाते हैं। अर्धनारीश्वर का अर्थ है कि-

आत्मा का कोई लिंग नहीं होता। योनि का स्वरूप श्याम विवर यानि ब्लेक होल एवं आत्मा जैसा होता है। महादेव के शिंवलिंग को पुरुष और उनकी आत्मा को शास्त्रों में नारी माना है।

कोई भी स्त्री या पुरुष हो- आपका ही आधा व्यक्तित्व आपकी पत्नी और आपका ही आधा व्यक्तित्व आपका पति हो जाता है। आपकी ही आधी ऊर्जा स्त्रैण और आधी पुरुष हो जाती है और तब इन दोनों के बीच जो रस और लीनता पैदा होती है, उस शक्ति का कहीं कोई विसर्जन नहीं होता।

शिव-शक्ति के अर्धनारीश्वर रूप में  सुख और दुःख दोनो को भी देखा जा सकता है।

पुरूषों को चेतावनी- व्यंग्य

-एक ज्ञान भी ध्यान रखें....

पत्नी अर्धांगिनी होती है, इसलिए आधी ही जानकारी देवें। पूरी जानकारी देकर जीवन कष्टमय न बनाये।

भोलेनाथ ने भी अमरनाथ में मां पार्वती को अमरकथा सुनाते-सुनाते सुला दिया था।

■ स्त्री तेरे नाम अनेक…..

हिंदी भाषा शब्दकोश, संस्कृत शब्दकोश, के अनुसार महिला, स्त्री, नारी, औरत को बहुत से नामों से पुकारा जाता है।

जानिए एक दम नवीन जानकारी………

देवी। पुत्री। पुत्रवधु। बहू। पत्नी। अर्धांगिनी। लुगाई। राजस्थान में बैयर। रीवा मप्र में मेहरिया एवं मालकिन।

जो जाने-मन की, इसलिए महिलाओं को  “जानेमन” भी कहते हैं….

पत्नी या प्रेमिका को जानेमन भी कहने के पीछे शायद यह वजह हो कि– महिलाएं-मन की जानकार होती है मन को खराब या अच्छा करना चुटकियों का काम है।

महिला मित्र से हमेशा इत्र लगाकर ही मिले, ये  चित्र और पवित्र् चरित्र पर बहुत फोकस करती हैं।

गर्लफ्रैंड– गरल का अर्थ है…जहर, इससे बचें। “लवर”- बनकर यह धीरे-धीरे सब “कवर” कर लेती है।

कोरोना वायरस का कहर....

मुहब्बत करने वालों का,

यही अंजाम होता है।

कभी नज़ला, कभी बुखार,

 कभी ज़ुकाम होता है।। 

अतः “कोरोना” एवं ‘करो-ना’ दोनों से बचने की सलाह अब सरकार भी दे रही है।

महिलाओं के और भी नाम शेष हैं-

अंकशायिनी। बीवी। धर्मपत्नी। घरवाली। संगिनी। शक्ति। औरत। कलत्र। कांता। गृहस्वामिनी। गृहिणी। जनाना। जाया। जोरू। दारा। परिणीता। भार्या। वधू। वल्लभा। वामा। नारी-परनारी भी कहते है- किसी ने लिखा है-

परनारी पैनी छुरी, तीन ठौर से खाये।        धन छीने, यौवन हरे, मरे नरक ले जाए।।

निवेदन है-पत्नी के अलावा परनारी से रिलेशन बनाना व्यक्ति के मिटने की तैयारी है।

मर्द-एक बात जरूर ध्यान देवें-

परमेश्वर ने पुरुष को पत्नी का “सारथी” बनाकर भेजा है, ताकि पति को परमेश्वर मानकर, भारतीय पत्नी उसकी आरती करें। अतः आदमी स्वार्थी बनकर किसी पराई नार का चीरहरण न करे।

शादीशुदा स्त्री को श्रीमती…इसलिए कहा जाता है, क्यों कि– नारी भ्रष्ट मति वाले पुरूषों की बुद्धि की शुद्धि करने में दक्ष होती है।

नारी तू नारायणी....स्त्री के अन्य नाम

प्राणवल्लभा। प्राणेश्वरी। प्रकृति। प्रिया। प्रियतमा। प्रेरणादायिनी। प्राणप्रिया।

सजनी। सहचरी। सहधर्मिणी। स्त्री।

गेहिनी। गृहलक्ष्मी। जीवनसंगिनी। तिय। तिरिया। दयिरा। दुलहन। दुलहिन।

बन्नी। बन्नो। वनिता। वामांगना। वामांगिनी।हर गम से, बे-गम- करने से बेगम हृदयेश्वरी।  सहगामिनी।

अंग्रेजी में M का उल्टा W से wife बनता है, जो किसी-किसी पुरुष की LiFE को नाइफ बना देती है।

■ महिलाओं की महानता-

इन्हें नवदुर्गा मानकर पूजा जाता है। साल में 4 नवरात्रि के 36 दिन होते हैं, जबकि पुरुष उत्सव के रूप में वर्ष में एक बार, एक दिन की महाशिवरात्रि होती है और   उस दिन महादेव को भंग-धतूरा अर्पित करते हैं।  क्योंकि- बेल की पत्तियां, भांग-धतूरा शिवजी के मन को है भाया।

■ वेद-पुराण, ग्रन्थों के बखान….

“शिवपुराण” में स्त्री को प्रकृति स्वरूप माना है। स्त्री और प्रकृति यानि मौसम
‎दोनों के स्वभाव में काफी समानता है।  मौसम और औरत कब बदल जाये- किसी को भी नहीं मालूम।

■“पुरुष का भाग्य और नारी का चरित्र

भारतीय परम्परा में “त्रिया चरित्र” को लेकर अनेक कहावतें हैं- महाभारत का एक श्लोक है, जिसकी अर्धाली  बहुत प्रचलित है।

नृपस्य चित्तं, कृपणस्य वित्तम; 

मनोरथाः दुर्जनमानवानाम्।

त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम;

देवो न जानाति कुतो मनुष्यः।।

अर्थात-‘राजा का चित्त, भाव या मन, कंजूस का धन, दुर्जनों का मनोरथ यानि कुविचार, पुरुष का भाग्य और स्त्रियों का चरित्र यानि विचार, भाव-स्ववभाव या कुभाव, दया-दरिन्दगी देवता तक नहीं जान पाए, तो मनुष्यों की तो बात ही क्या है?’

कुछ तो खास है-महिलाओं में….

!!!!!! “क्षणे रुष्ठा- क्षणे तुष्ठा” !!!!!!

प्रकृति और स्त्री दोनों का स्वभाव एक जैसा होता है। पल में प्रसन्न और क्षण में क्षरण। कब आंधी, तूफान, बरसात और अचानक खुली धूप आ जाये… पता नहीं। दोनों जब प्रसन्न होती है, मन को मदमस्त कर देती हैं। नारी रुठी तो फिर किस्मत फूटी। प्रातः प्रकृति का स्वभाव परमानंद प्रदायक है। ठंडी-ठंडी शीतल हवासदादवा का काम करती है, तभी तो सुबह हर प्राणी सिर झुकाकर, नवा कर….. प्रकृति को प्रणाम करता है। शरीर को सवा ‎(स्वस्थ) करने के लिए सुबह की मन्द-मन्द वायु….. आयु वृद्धि कारक है।प्रकृति और स्त्री का भाव-स्वभाव और मन कब बदल जाये, सर्दी-गर्मी, बरसात अर्थात अपनापन, क्रोध, अश्रुधारा कब कैसे होने लगे, परमात्मा को भी नहीं पता ।

धरती जैसा धैर्य धारण करने के कारण “श्रीमद देवी भागवत पुराण” में प्रकृति या स्त्री ‎दोनों  को माँ अन्नपूर्णा कहा हैै….

 स्त्री- तनरक्षक साक्षात दुर्गा ‎है। काल-महाकाल को वश में करने वाली ‎काली-महाकाली भी यही हैं, जो शिव को शव बनने पर विवश कर दे। महिला में- न कोई शिकवा,न गिला, पर विषधर (क्रोधित) होने पर…. जो सृष्टि का एक-एक जिला, किला, शिला…. हिला दे, उसका नाम महिला है। फिर क्या गया-क्या मिला, क्या हानि-क्या भला! इसकी फ़िक्र नहीं करती।

संसार के हरेक पुरुष को शव से शिव बनाने की क्षमता, मात्र महिला में ही है।
बिना महिला कोई हिला मतलब अपनी
‎मनमर्जी से चला कि हिल स्टेशन मिला

व्यक्ति साधु बना। घाटी, पहाड़ों, गुफा, कंदराओं एकांत घने वन में,रहने वाले अनेकों साधक गृहकलेश के कारण साधु बन जाते हैं, तो कुछ ईश्वर की इच्छा से। जिनमें ब्रह्मचारी भी हैँ। वैसे साधु सभी हैं। संसार को साधना या शिव को…..बात बराबर है।

महिला हो या मातृभूमि दोनो समर्पण की मूर्ति हैं, जिसके करतल पर जल…..कल-कल कर बह रहा है। पवन – प्रतिक्षण जिसे नमन करता है। आकाश….. प्रकाश देने को मजबूर है। आग इनका आधा भाग है। शेषनाग स्वयं जिसे धारण किये है।

 पांचों महाभूूूत आकाश-अग्नि-वायु-जल-पृथ्वी यानि सभी पंचतत्व……पृथ्वी-प्रकृति और स्त्री की प्रतिदिन, प्रतिपल, पल-पल परिक्रमा करने आतुर है। शिव भी शक्ति की सुंदरता पर मुग्ध है, यही सत्य है।  सुंदरता में सत्य का वास है और सत्य ही अंत में शिव है। शिव में छोटी “इ” अर्थात ईकार शक्ति हटाते ही शिव भी शव हो जाता है।

महिलाएं भी महात्मा बन जाती हैं...

कुछ किस्मत की मारी या जिम्मेदारी से मुक्त होकर मेरा-तेरा त्यागकर, हमारी-तुम्हारी की खुमारी छोड़कर महिलाएं भी साधना पथ पाकर जीवन जीती हैं।

स्त्री शक्ति है….

शक्ति शब्द में से “छोटी इ” की मात्रा हटाने पर ‘शक्ति’ शब्द शक्त बन जाता है। स्त्री….शक्त (क्रूर)होते ही रक्त बहने में समय नहीं लगता। सम्पूर्ण सत्ता का…… सेकंडों में सर्वनाश कर सकती है। संस्कार, संस्कृति समाज और सबको बड़ी शालीनता पूर्वक समर्पण भाव से संभालकर  स्त्री सब समस्या का समाधान कर सकती है। सभी तरह के सच का सामना करते हुए अपना और अपने परिवार का सम्मान बनाये रखती हैं। संसार को संस्कार, शक्ति सामर्थ्य प्रदान करने वाली सशक्त शक्ति का नाम ही स्त्री है।

7 सुरों का संगम…..

स्त्री स्वयं में सात स्वरों का संगम है । सा…. से शुरु नि…. से अंत यानि संगीत के स्वर  एवम विनम्रता में इनका कोई सानि नहीं है ।

सात सरोवर, समुद्र, नदी, वृक्ष,मठ-मंदिर
इन्हीं के कारण पूजनीय हैं । स्त्री धर्म की धारा है, आदिआधारा भी।

सृष्टि की हिस्ट्री रचना में स्त्री कारण है । मूर्ख को मिस्त्री (ज्ञानी)बनाने की कला इनके पास है। महाकवि कालीदास तथा तुलसीदास  इसका उदाहरण हैं।

महिला…प्रेम की मूरत है। करुणा का सागर है। अपनेपन का अंबार है। समर्पण, सहजता, सरलता इनका सबसे बड़ा सहारा हैं। सारी सृष्टि में स्त्री ही ऐसी शक्ति है, जो सदा सत्य का साथ देकर संसार को सत्संग की और ले जाती है। सभी सन्त इसका अन्त आँकने हेतु उस अनन्त (अखिलेश्वरी) के आगे ध्यान मग्न है। परमशक्ति के प्रसन्न होने से ही सब संपन्न हो सकते हैं।

सन्सार में कुछ भी उत्पन्न स्त्री और प्रकृति के बिना असम्भव है।

स्त्री संतति औऱ संपत्ति की दाता है……तभी, तो भुवनेश्वरी भगवती को  जय माता दी, माँ कहकर इसे नमन करते हैं।

स्त्री बहन बनकर जहन (बुद्धि) को पवित्रकरती है। बेटी, तो फिर बेटी है।

बेटी है तो कल है- भविष्य की नारी हेतु यह नारा बहुत चलन में है।

पत्नी- जो सदा रहे तनी…..

इन्हें श्रीमती के नाम से संबोधित किया जाता है। ज्ञान-विवेक, लक्ष्मी,संपत्ति ‘श्री’ के कई अर्थ हैं। बुद्धि को भी मति कहते हैं। भ्रष्ट मति और अति-अन्याय करने वाले पति हो या जगतपति-जगन्नाथ के लिए महाकाली बन जाती है। मनुष्य को संसार से बांधने वाली उसकी पत्नी या जनी ही है।

व्यंग्य-कुँवारियों का कलेश…..

कुंआरियाँ पति के अतिरिक्त कुछ और नहीं
चाहती। पर जब उन्हें पति प्राप्त हो जाते हैं,
तो वे सब कुछ चाहने लगती हैं। क्योंकि
अपनी लताड़ से बुरी लत छुड़ा, सही पथ
पर लाकर स्त्री नाकाम आदमी को भी मकान बनाने की प्रेरणा देती है।

महिलाओं का ऊंचा मानसिक स्तर…

■ बीबी से बहस….जिंदगी तहस-नहस।

गूगल पर एक शब्द डालो, तो हजारों जानकारी देता है, वैसे ही कुछ कहा कि-

■ पति बहुत क्रोध में, ‘पत्नी से चिल्लाकर…बोला- मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगा! “पत्नी ने बड़ी शांतिपूर्वक कहा… “कल क्यों नहीं बताया” -मैंने आज ही बाल धोए हैं।

ट्रेन और महिलाओं में समानता–  महिलाएं अक्सर “मेकअप” करते-,करते लेट  हो जाती हैं और ट्रेन बिलम्ब होने के बाद मेकअप- करती है।

आदमी/औरत दोनों के लिए असम्भव है...

स्त्री का 5 मिनिट में तैयार होना और पुरुष का 5 मिनिट में आना नामुमकिन है।

■ प्यार तब तक अंधा होता है, जब तक गंदा नहीं होता। अन्यथा सच्चा प्रेम बहुत लम्बा होता है।

मनुष्यों की मुसीबत.

पुरुष इसलिये विवाह करतें हैं कि- वे थक जाते हैं, पर स्त्री इसलिये कि…. वे उत्सुक होती हैं । फिर भलेेे ही बाद में दोनों ही निराश या बोर होते हैं।

शादी का उल्टा शब्द है-दिशा….

हालांकि शादी का उल्टा दिशा होता है ।
विवाह में सब बराती वाह-वाह करके चले जाते हैं।इसके उपरांत पुरुष की दशा और दिशा बदल जाती है । वह ज्योतिष की, ग्रहों की महादशा-अन्तर्दशा समझने लगता है।

घर की जिम्मेदारियों और समाज में प्रतिस्पर्धा के चलते महिलाओं का मन और तन खण्डित होने लगता है। खूबसूरती, सुंदरता शनै:-शनै: सुस्त हो जाती है।

क्या करें– महिलाएं, मन की मजबूती एवं खूबसूरती के लिए...

अतः महिलाओं को सुंदर, स्वस्थ्य औऱ खूबसूरत बनाये रखने हेतु अमृतम द्वारा निर्मित अद्भुत असरकारक ओषधि है-

नारी सौंदर्य माल्ट

इसे 1 से 2 चम्मच सुबह शाम दूध या जल के साथ निरन्तर 3 से 6 महीने, तक लेने पर अनेक अज्ञात रोग, रग-रग से निकल जाते हैं। बिना दर्द के मासिक धर्म समय पर लानासुनिश्चित करता है। पीसीओडी जैसी खतरनाक बीमारी तथा सफेद पानी की शिकायत शरीर का पानी कम कर  जवानी खत्म कर देती है। इस तरह की तमाम स्त्री विकार नारी सौंदर्य माल्ट के लगातार सेवन से अनेक स्त्री रोग  नष्ट हो जाते हैं।

Nari Sondarya Malt

पेट की पीड़ा से पीछा छुड़ाए-

पेट साफ रखना इसका मुख्य गुणधर्म है। चेहरे की चमक मात्र 7 दिन के सेवन बढ़ जाती है!

विस्तृत जानकारी के लिये पढ़े…अब ऑनलाइन-अमृतम पत्रिका

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एक अदभुत रहस्यमयी जानकारी-

स्त्री में सेक्स शक्ति की अधिकता क्यों?

जाने-महाभारत का किस्सा….. पोराणिक कहानियों में यह गूढ़ रहस्य छिपा है जानकर आप भी दाँतो तले उंगलियाँ दबा लेंगे……

महाभारत में उल्लेख है -काम-रस का.

एक बार युधिष्ठिर अपने भीष्म पितामह  के पास गए और बोले “हे तातश्री! आप मेरी एक दुविधा सुलझाने में मदद करें।

मेरा प्रश्न है कि… स्त्री या पुरुष दोनो में से वो कौन है जो सम्भोग-सहवास या सेक्स के समय ज़्यादा आनंद को प्राप्त करता है? “भीष्म बोले,“…….इस सम्बंध में तुम्हें राजा भंगस्वाना और सकरा की सत्यकथा का वर्णन करता हूँ।

बहुत समय पहले भंगस्वाना नाम का एक राजा, उसके कोई पुत्र नहीं था। बच्चे की उम्मीद में उस राजा ने अग्नीष्टुता अनुष्ठान कर 100 पुत्र प्राप्त किये।

एक बार शिकार करने वन गमन के समय राजा भंगस्वाना रास्ता भटक गया। भूख-प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था। अचानक उसे एक छोटी सी नदी दिखाई दी, जो अदभुत एवं सुन्दर लग रही थी। राजा ने उस नदी का पानी पी लिया।

राजा भंगस्वाना का स्त्री रूप हुआ…

जैसे ही राजा नदी ने नदी के अंदर प्रवेश कर  पानी पिया, उसने देखा की वह बदल रहा है। धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया। शर्म से बोझल वह राजा ज़ोर ज़ोर से विलाप करने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि-ऐसा क्यों हुआ?

राजा भंगस्वाना का विलाप….

राजा भंगस्वाना सोचने लगा, “हे महादेव! इस रूप परिवर्तन पश्चात मैं कैसे अपने राज्य वापस जाउं? मेरे ‘अग्नीष्टुता‘ अनुष्ठान से मेरे जो 100 पुत्र हुए हैं एवं रानी, महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं, उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा?

मेरे पोरुष के साथ-साथ मेरा राज-पाट सब चला जाएगा, मेरी प्रजा का क्या होगा। इस तरह से राजा बहुत दुःखी होकर अपने राज्य वापस आ गया।

राजा भंगस्वाना का जंगल प्रस्थान…

स्त्री के रुप में जब राजा वापस पँहुचा, तो उसे देख कर सभी लोग अचंभित रह गए। राजा ने सभा बुलाई और अपनी रानियों, पुत्रों और मंत्रियों से कहा की अब मैं राज-पाट संभालने के लायक नहीं रहा हूँ, तुम सभी लोग सुख से यहाँ रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन बीताउंगा।

राजा भंगस्वाना का स्त्री जीवन….

ऐसा कह कर वह राजा जंगल की तरफ प्रस्थान कर गया। वहां जाकर वह स्त्री रूप में एक तपस्वी सकरा से विवाह कर उनके आश्रम में रहने लगी।

 कुछ वर्षों बाद उसके अनेक बच्चे हुए। बड़े होने पर राजा रूपी स्त्री अपने उन बच्चों को  पुराने राज्य ले गयी और अपने पुराने पुत्रों से बोली, “तुम मेरे पुत्र हो जब में एक पुरुष था, ये मेरे पुत्र हैं जब में एक स्त्री हूँ। मेरे राज्य को मिल कर, भाइयों की तरह संभालो।” सभी भाई मिलकर रहने लगे।

प्रकृति का प्रकोप.

राज्य में अचानक हेजा, संक्रमण, वायरस फैलने से  बीमारी की वजह से सभी पुत्र मारे गए। जैसे ही स्त्री रूप राजा भंगस्वाना को ज्ञात हुआ, तो वह शोकाकुल होकर महादेव से प्रार्थना करने लगा, साधु वेश में भोलेनाथ राजा के पास पहुंचे और पूछा कि- वह क्यों रो रही है।

स्त्री रूप महाराजा भंगस्वाना ने रोते रोते पूरी घटना भगवान शिव को बताई, तो महादेव ने पुत्रों को जीवित होने का वरदान दिया।

स्त्री पुरुष की तुलना…..

महादेव बोले, “हे स्त्री रूपी राजन, 

अपने बच्चों में से किन्ही एक को जीवित

 कर लो” – “राजा भंगस्वाना ने महादेव से कहा’….. अगर ऐसी ही है, तो मेरे उन पुत्रों को जीवित कर देवें, जिन्हे मैनें स्त्री रूप में जन्म दिया है। 

जब महादेव का माथा ठनका….

हैरान होते हुए भगवान ने इसका कारण पूछा?…. तो स्त्री रूप राजा ने जवाब दिया, “हे भोलेनाथ! अपने बच्चों के प्रति एक स्त्री का प्रेम, एक पुरुष के प्रेम से बहुत अधिक होता है इसीलिए मैं स्त्री रूप अपनी कोख से जन्मे बालकों का जीवन-दान मांगती हूँ।

वापस पुरुष बनने से इंकार….

भीष्म ने इस कथा को आगे बढाते हुए युधिष्ठिर को कहा कि- शिवजी यह सब सुन कर प्रसन्न हो गए और उन्होने राजा के सभी पुत्रों को जीवित कर दिया। तत्पश्चात महादेव ने राजा को पुनः पुरुष रूप देने की बात की।

 महादेव बोले, “राजा आपसे खुश होकर हे भंगस्वाना! मैं तुम्हे वापस पुरुष बनाना चाहता हूँ”, पर राजा ने साफ मना कर दिया।

सेक्स में स्त्री को मिलता है ज़्यादा आनंद, तृप्ति और मानसिक सुख….

स्त्री रूपी भंगस्वाना बोला, “हे महादेव, मैं स्त्री रूप में ही खुश हूँ और स्त्री ही रहना चाहता हूँ।” यह सुनकर शिव उत्सुक हो गए और पूछ बैठे कि- ऐसा क्यूँ राजन, क्या तुम आपस पुरुष बनकर अपना राज-पाट नहीं संभालना चाहते?” भंगस्वाना बोला, “क्यूंकि सम्बन्धो, सम्भोग या सेक्स के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना अधिक परम आनंद, तृप्ति-सन्तुष्टि और सुख मिलता है।

तन-मन खिल उठता है। चेहरा निखर आता है। इसलिए मैं स्त्री ही रहना चाहूंगा।” महादेव ने “तथास्तु” कहा और वहां से प्रस्थान किया।

भीष्म ने बताया कि- स्त्री पुरुष से कई गुना संवेदनशील होती हैं।

भीष्म बोले, “हे युधिष्ठिर, यह बात स्पष्ट है कि- स्त्री को सम्बंधों के समय यानि सेक्स के दौरान पुरुष से ज़्यादा सुख एवं सुकून मिलता है।

आप महाभारत के इस उद्धरण के बारे में क्या सोचते हैं, ज़रूर बताएं। अपने विचार अमॄतम पत्रिका पर साझा करें।

मन में अमन के लिए इस मन्त्र का जाप, तो पूरे वर्ष रहेंगे स्वस्थ्य-प्रसन्न और खुशहाल…. जाने क्या लिखा है –

मार्केंडेय पुराण आदि ग्रन्थ-पुराण, उपनिषदों के अनुसार महिलाओं को 16 तरह के फायदे होंगे इस जाप से…

चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम्! चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम्!! 

इस मन्त्र के अविष्कारक “महर्षि मार्केंडेय” ने इस मन्त्र का जाप करके, भगवान शिव से स्वस्थ्य रहते हुए लंबी उम्र का वरदान पाया था। जिस स्थान पर ऋषि मार्केंडेय ने तप किया था वह स्थान तमिलनाडु के पास समुद्र किनारे “तरँगम बाड़ी” के नजदीक “अमृतेश्वर स्वयम्भू शिवालय” के नाम से स्थापित है।

चन्द्रमा एवं रोग पीड़ित स्त्री ध्यान देवें-

जन्मपत्री में वृश्चिक का चन्द्रमा अर्थात नीच राशि का हो या जिनका स्वस्थ्य हमेशा खराब रहता हो, उन्हें महीने में एक बार इस शिंवलिंग पर रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए। यह मन्दिर कहाँ है इसकी जानकारी के लिए अमृतम पत्रिका के ब्लॉग पढ़ें।

हर पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा के समक्ष दोनो हाथ जोड़कर ईश्वर मुद्रा में देशी घी के 2 दीपक जलाकर उपरोक्त मन्त्र की 1 या 5 माला जाप करें। माला यदि रुद्राक्ष, मलयागिरि चन्दन या मोतियों की हो, तो और भी अच्छा रहेगा।

एक बार यह अमृतम प्रयोग करके देखे और पूरे साल रोग-बीमारियों से बचें। स्कंदपुराण का उपरोक्त अदभुत मन्त्र जीवन को शक्ति, ऊर्जा, उमंग, उत्साह और चमत्कार से भर देगा। आयुर्वेद के अनुसार चन्द्रमा प्राकृतिक ओषधियों के कारक और दाता हैं।

 सन्सार को स्वस्थ्य रखना चंद्रशेखर शिव की ही जिम्मेदारी है।

सोलह कलाओं का मालिक है-चन्द्रमा

प्रत्येक पूर्णिमा के रात में यह 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है- इसलिए 16 तरह के फायदे होंगे इस जाप से–

【1】चन्द्रमा के समक्ष की गई आराधना से साल भर के लिए माँ महालक्ष्मी और सृष्टि की सम्पूर्ण सम्पदा के स्वामी धनकुबेर की कृपा प्राप्ति होती है। कुबेर जी महादेव के मुख्य गण हैं।

【2】इसके अलावा मनोबल बढ़ता है। 【3】आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। 【4】स्मरण शक्ति तेज हो जाती है। 【5】बुढ़ापा जल्दी नहीं आता, क्योंकि सौन्दर्य बनाये रखना चन्द्र की देन है।

【6】सुंदरता, खूबसूरती में वृद्धि होती है। 【7】कमजोर व दुषित चन्द्रमा से पीड़ित लोगों के लिए आज का दिन विशेष लाभकारी है।

【8】जो महिलाएं गुप्त स्त्रीरोगों से परेशान रहति हों, उन्हें उपरोक्त मन्त्र का 11 माला जाप जरूर करना चाहिए।

【9】बच्चों के फेफडों का संक्रमण दूर होता है।

【10】अस्थमा, श्वांस एवं हमेशा रहने  वाली सर्दी-ज़ुकाम से छुटकारा मिलता है। 【11】ग्रह बाधा से निवारण, ग्रहदोष, कालसर्प-पितृदोष की शान्ति होती है। 【12】घर-परिवार से घोर गरीबी, दुःख-दारिद्र्य जैसी समस्याओं का समाधान होने लगता है।

【13】ग्रह-क्लेश मिट जाता है।

【14】भय-भ्रम, तनाव से मुक्ति मिलती है। 【15】जादू-टोने, टोटके, करे-धरे का कोई असर नहीं होता।

【16】मन शांत रहने लगता है।

महिलाओं के गुप्तांग पुरुषों के नाम…

मर्दों की बात ही क्यों करें, महिलाओं के अंगों से तो देवता भी चिपके हुए हैं।

 वेजाइना यानी योनि के भीतर जो झिल्ली होती है- उसे हाइमेन कहते है। वह यूनान के देवता हाइमेन के नाम पर है. हाइमेन के बारे में कहा जाता है कि उनकी मौत शादी की रात हो गई थी। अब उन्होंने योनि के ऊपर की झिल्ली को हाइमेन के बजाय वजाइनल कोरोना कहना शुरू किया है.

इसी तरह यूनानी शब्द क्लेटोरिस, औरत की योनि से हमेशा के लिए चिपका दिया जाता है, जिसका मतलब बंद कर देना है।

स्त्रियों पर अविश्वास और अत्याचार

कंजरभाट समाज में शादी के बाद दुल्हनों का वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा है, जहां शादी के बाद वर्जिनिटी टेस्ट होता है और ‘खराब’ दुल्हन लौटा दी जाती हैं।

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