दुनिया का पूज्यनीय मन्त्र
- यह सूत्र मुण्डकोपनिषद, ३/१/६ से लिया गया है। पूरा इस प्रकार है- अमृतमपत्रिका
सत्यमेव जयते नानृतं
सत्येन पन्था वित तो देवयानः।
येनाक्रमन्त्यषयो ह्याप्तकामा’
यत्र तत्सत्यस्य परमं निधानम् ।
- अर्थात जय सत्य की होती है, असत्य की नहीं। सत्य ही देव तक ले जाने वाला एक मात्र मार्ग है, सत्य से निर्मित हुआ हैं, वह पंथ देवयान है।
- आप्ताकाम का अर्थ है जिनकी सभी कामनायें पूर्ण हो गयी हैं
- ऋषिगण जिस मार्ग से चलकर जहाँ पहुँचते हैं, वह परम धाम सत्य का ही है।
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