नारियल पानी, खीर, कच्ची गिरी, नारिकेल गोला के चमत्कारी फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान…

कच्चे नारियल गरी की खीर पित्तदोष का जड़ से नाश कर, यकृत की सुरक्षा करती है।

पतले वीर्य को गाढ़ा करने के लिए पुराने समय के वैद्य इसे खिलाते थे।

 नारियल गोले की खीर कफ को गलाती है।

जिन्हें हमेशा बेचैनी रहती हो, ह्रदयरोग की आशंका हो, उन्हें इसकी खीर 3 माह तक खाना चाहिए।

■ अगर पेट में भयंकर कीड़े-कृमि हों, तो सुबह खाली पेट 25 से 40 ग्राम कच्ची गिरी अच्छी तरह चबाकर,

खाकर ऊपर से 25 ग्राम गुड़ खाने से उदर कृमि मल द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

इससे खुजली, चकत्ते आदि से भी राहत मिलेगी।

■ नारियल का तेल सूखे बालों में लगाने से सिरदर्द, माइग्रेन की समस्या शांत होती है।

■ नारियल तेल बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर केशः लम्बे, काले करने में हितकारी है।

स्त्रीरोगों में लाभकारी…

■ महिलाओं को लिकोरिया, पीसीओडी, सोमरोग हो तो रोज रात को सोते समय नारियल पानी अवश्य पियें।

यह खूबसूरती भी बढ़ाता है।

काली गर्भवती स्त्री यदि प्रसवकाल तक रोज नारियल पानी पिये, तो शिशु गोरे रंग का पैदा होता है।

कलियुग में नारियल पानी अमृत के समकक्ष है।

मोर्गन स्वामी यानि भगवान कार्तिकेय के तपस्वी क्षेत्र दक्षिण भारत में नारियल के वृक्ष तथा नारियल जल का विशेष महत्व है।

पथरी से पीड़ित पुरुष या स्त्री नारियल जल को सुबह खाली पेट 2 माह तक नियमित पियीं, तो स्टोन निकल जाता है।

एसिडिटी, अम्लपित्त, पेट की जलन, गुर्दे/किडनी की खराबी, पेट में जख्म एवं अल्सर आदि अंदरूनी तकलीफों को मिटाता है।

आँतों में सूखापन दूर करने के लिए अति उत्तम है।

आँतों में जमे पुराने मल को ढ़ीला कर पेट साफ कर देता है।

स्मरण रखें- नारियल पानी हमेशा खाली पेट ही पियें, तभी विशेष हितकारी रहता है।

नियमित एक साल तक नारियल जल प्रातः खाली पेट पाइन से सफेद बाल काले होने लगते हैं।

बालों का झड़ना, टूटना तथा गिरना बंद हो जाता है।

मधुमेह से परेशान लोगों को नारियल का पानी अवश्य पीना चाहिए।

क्यों कि ये गुर्दों यानी किडनी के दोषों को दूर करता है।

नारियल का पानी शरीर के सबकर्मन, ज्वर, डेंगू जैसे विकारों का नाश करता है।

नारियल का पानी सूजाक व हैजे में जबरदस्त लाभकारी है।

वेदों में नारियल को श्रीफल बताया है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान में नारियल के बिना पूर्ण नहीं होता।

नारियल का पानी शरीर की जलन, तलवों की जलन दूर करने में विशेष उपयोगी है।

नारियल को बंगाल में नारिकेल, डाब, मलयालम में फल, नारली, तेलगु में टकाई,

फारसी में जोज और अंग्रेजी में कोकोनट कहते हैं।

नारियल की पैदावार समुद्र तट पर अधिक होती है।

एक प्रकार से महासागर का खारा जल नारिकेल में आकर मीठा हो जाता है।

यही शिव का विधान अचम्बा है।

नारियल का वृक्ष 70 से 100 फिट ऊंचा होता है।

अगर कभी मौका लगे, तो मैंगलोर से गोवा बस या कर द्वारा जाएं, तो विश्व का अनूठा दृश्य दृष्टिमान होगा।

यहां एक तरफ समुद्र और दूसरी तरफ नारियल के विशाल वृक्ष स्थापित हैं।

नारियल के सभी अंगों का उपयोग किया जाता है। इसलिए ये पूज्यनीय है।

 

 

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