गणेश जी के टूटे दांत का यह रहस्य जान हैरान रह जाएंगे!

गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर जब भी आपने देखी होगी तो उसमें गणेश जी अपने एक हाथ में अपना टूटा हुआ दांत लिए हुए दिखे होंगे। असल में यह गणेश जी की मजबूरी है कि उन्हें अपना टूटा दांत हमेशा हाथ में रखना है क्योंकि दांत के साथ एक शाप जुड़ा हुआ है।

कार्तिकेय ने तोड़े गणेश के दांत
भविष्य पुराण के चतुर्थी कल्प में बताया गया है कि गणेश विघ्नहर्ता ही नहीं विघ्नकर्ता भी हैं। एक बार गणेश जी के बड़े भाई कुमार कार्तिकेय स्त्री पुरुषों के श्रेष्ठ लक्षणों पर ग्रंथ लिख रहे थे जिसमें गणेश ने इतना विघ्न उत्पन्न किया कि कार्तिकेय क्रोधित हो गए और गणेश जी के एक दांत को पकड़कर तोड़ दिया।

भगवान शिव जी तक जब यह बात पहुंची तो उन्होंने कुमार कार्तिकेय को समझाकर गणेश जी को उनका टूटा दांत वापस दिलवा दिया लेकिन एक शाप भी दे दिया। कार्तिकेय ने कहा कि गणेश जी को अपना टूटा दांत हमेशा अपने हाथ में रखना होगा अगर दांत को अपने से अलग करेंगे तो यही टूटा दांत इन्हें भष्म कर देगा। गणेश जी ने इस शाप के स्वीकर करके हुए कार्तिकेय से अपना टूटा दांत ले लिया। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी ने अपने इसी टूटे दांत से महाभारत महाकाव्य को लिखा है। वैसे गणेश जी के टूटे दांत के पीछे कुछ और भी कथाएं जुड़ी हुई हैं।

परशु से कटा गणेश का दांत

गणेश पुराण के चतुर्थ खंड के सातवें अध्याय में गणेश जी के एकदंत होने की एक और रोचक कथा है। एक बार देवी पार्वती और भगवान शिव कक्ष में शयन कर रहे थे और द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे। उस समय कार्त्तवीर्य का वध करके परशुराम जी अतिउत्साहित होकर कैलाश पर पहुंचे और तत्काल शिव जी से मिलने की इच्छा प्रकट की। लेकिन गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी के पास कक्ष मे जाने से रोक दिया।

गणेश जी के रोकने पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और युद्ध करने लगे। गणेश जी से पराजित होने पर परशुराम जी ने शिव जी द्वारा दिए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया। इससे गणेश जी का बायां दांत कट गया और वह एकदंत कहलाने लगे।

असुर का वध करने के लिए तोड़ा दांत
गणेश जी के एकदंत होने की जो कथाएं मिलती हैं उनमे एक कथा गजमुखासुर की भी है। इस असुर को यह वरदान प्राप्त था कि वह किसी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। इसलिए गजमुखासुर देवताओं और ऋषियों को परेशान करने लगा। इस असुर को वश में करने के लिए गणेश जी को अपना एक दांत स्वयं ही तोड़ना पड़ा।

महाभारत के कारण टूटा गणेश का दांत
एक कथा ऐसी भी है कि महभारत की कथा लिखने के लिए गणेश जी को लेखनी की जरूरत थी। गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़कर उसे ही लेखनी बना लिया। इन कथाओं के साथ गणेश जी के एकदंत होने का एक और गहरा रहस्य है जिस पर कम ही लोग विचार कर पाते हैं।

एकदंत गणेश का रहस्य
एकदंत शब्द में दो शब्दों का संयोग है। एक का अर्थ है ‘माया’ और दंत का अर्थ है ‘मायिक’। यानी माया और मायिक का संयोग होने के कारण गणेश जी एकदंत कहलाते हैं। ‘एकशब्दात्मिका माया, तस्याः सर्वसमुद्भवम्। दंतः सत्ताधरस्तत्र, मायाचालक उच्यते।।

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